“भुगतान के दृष्टिकोण से, अधिकांश [blockchain networks] एक सुरक्षित और विश्वसनीय तरीके से वास्तव में उच्च गति से लेनदेन को संसाधित करने के लिए अभी तक पर्याप्त स्केलेबल नहीं हैं,” गु ने कहा।

पुलिस ने कपड़ा व्यापारी कत्ल कांड की गुत्थी सुलझायी, नकोदर का रहने वाला अमनदीप पुरेवाल निकला घटना का मास्टरमाईंड, तीन गिरफ़्तार

चंडीगढ़/जालंधर(द स्टैलर न्यूज़)। बठिंडा से तीन मुलजिमों की गिरफ़्तारी के साथ पंजाब पुलिस ने 7 दिसंबर, 2022 को नकोदर के कपड़ा व्यापारी और उसके निजी सुरक्षा अधिकारी (पी. एस. ओ.) मनदीप सिंह तकनीकी विश्लेषण के महत्वपूर्ण पहलु के दोहरे कत्ल कांड को सफलतापूर्वक सुलझा लिया है। इस कत्ल कांड का मास्टरमाईंड अमरीका स्थित अमनदीप पुरेवाला उर्फ अमन है, जो नकोदर का मूल निवासी है। यह जानकारी आज यहाँ डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने दी। गिरफ़्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान गाँव नंगला, तलवंडी साबो, बठिंडा के खुशकरन सिंह उर्फ फ़ौजी; बठिंडा के वेहन दीवान के कमलदीप सिंह उर्फ दीप; और गाँव जस्सी पौ वाली, बठिंडा के मंगा तकनीकी विश्लेषण के महत्वपूर्ण पहलु सिंह उर्फ गीता उर्फ बिच्छू के तौर पर हुई है। पुलिस टीमों ने गिरफ़्तार किए गए व्यक्तियों से वारदात में इस्तेमाल किया गया .30 बोर का पिस्तौल और रेकी करने के लिए इस्तेमाल की गई सफारी कार भी बरामद की है।

जेम्स कैमरून की ‘अवतार: द वे ऑफ वॉटर’ का जवाब नहीं! आकाश के बाद जल में ‘अवतार’

तेरह साल पहले आई ‘अवतार’ के साथ जेम्स कैमरून ने फिल्मी परदे पर इतिहास की सबसे महंगी, सबसे दुरूह और सबसे ज्यादा विस्मयकारी गाथा लिखनी शुरू की थी। उन्होंने किसी अनजान ग्रह और उस पर बसे अलग तरह के प्राणियों की कल्पना की जिनका पृथ्वी के लालची और विस्तारवादी इंसानों से टकराव होता है। इस टकराव के बीच से गुजरती है सामुदायिक संवेदनाओं और पारिवारिक मूल्यों की एक अनोखी कहानी। इस साइंस फिक्शन के कुल पांच भाग बनने हैं जिनमें से दूसरे भाग का नाम है ‘अवतार: द वे ऑफ वॉटर।’ पहला भाग आकाश आधारित था तो यह जल आधारित है जबकि अग्नि आधारित तीसरा भाग 2024 में आएगा। फिर इसके आखिरी दो भाग 2026 और 2028 में रिलीज़ किए जाने की योजना है, बशर्ते कि इस बीच कोरोना जैसी कोई अड़चन नहीं आए। 2009 में आई पहली ‘अवतार’ ने लगभग 2.9 अरब डॉलर की कमाई की थी जो कि दुनिया भर में अब तक एक रिकॉर्ड है। माना जा रहा है कि ‘अवतार’ के इस रिकॉर्ड को उसका अपना सीक्वल ही तोड़ सकता है।

शैक्षिक तकनीकी की आवश्यकता (the need of Educational technology)-

आधुनिक समय में शिक्षा अनेक समस्याओं से प्रस्त है। शिक्षा का सार्वभौमीकरण, व्यावायिक शिक्षा का प्रबन्ध, छात्र अशान्ति, अध्यापकों की शिक्षा के प्रति उदासीनता, नकल की बढ़ती प्रवृत्ति इसके कुछ उदाहरण हैं। इन समस्याओं के समाधान में शैक्षिाक तकनीकी महत्वपूर्ण भूमिका का निवाह करती है इस कारण इसकी शिक्षा में महती आवश्यकता है।

विद्यालयों में अध्ययन के तकनीकी विश्लेषण के महत्वपूर्ण पहलु लिए अनेक प्रकार के विद्यार्थी आते हैं उसमें से कुछ तीव्र वृद्धि के अच्छे विद्यार्थी होते हैं तो कुछ मन्द बुद्धि एवं समस्यात्मक होते हैं। इन विद्यार्थियों को उचित दिशा निर्देश देने में शैक्षिक तकनीकी की आवश्यकता पड़ती है। इससे यह जानकारी मिलती है ऐसे विद्यार्थियों को किस प्रकार देनी चाहिए।

शैक्षिक तकनीकी द्वारा संज्ञानात्मक (मानसिक एवं बौद्धिक), भावनात्मक मान्यता, दृष्टिकोण क्रियात्मक (विभिन्न) कार्य एवं कौशलों की जानकारी) कौशलों का विकास होता है। संक्षेप में शैक्षिक तकनीकी की आवश्यकता को निम्नवत प्रकट किया जा सकता है।

शैक्षिक तकनीकी से लाभ ( Advantages of Educational Technology) –

शैक्षिक तकनीकी तकनीकी के लाभ निम्नलिखित-

  1. शैक्षिक तकनीकी शिक्षक को पाठ प्रस्तुतीकरण को प्रभावशाली बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  2. शैक्षिक तकनीकी छोटे तथा बड़े समूह में एंव व्यक्तिम स्तर पर भी, शिक्षण एवं अधिगम सम्बन्धी उद्यीपन तथा अनुकिया प्रदान करके शिक्षक की गुणात्मक योग्यता का विस्तार करती है।
  3. शैक्षिक तकनीकी शिक्षण कार्य को उद्देश्य केन्द्रित बनाने में तथा छात्र केन्द्रित रखने में सहायता एवं प्रभावशाली निर्देशन प्रदान करती है।
  4. शैक्षिक तकनीकी शिक्षण प्रक्रिया को सरल, सुगम तथा रोचक बनाते हुए छात्रों के ज्ञान एवं अनुभव की वृद्धि में सहायक होती है।
  5. शैक्षिक तकनीकी शिक्षण में विविधता लाने के लिए विभिन्न विधाओं एवं साधनों का प्रयोग करती है। और छात्रों की कक्षा कार्य में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करती है।

शैक्षिक तकनीकी की सीमाएं

(Limitations of educational technology)

शैक्षिक तकनीकी शिक्षा में आज बहुत लोकप्रिय हो रही है, वहीं इसकी कुछ सीमायें भी हैं। ये सीमायें नीयें विन्दुवार दी जा रही है-

  1. शैक्षिक तकनीकी ने ज्ञानात्मक पक्ष के विकास में अभूतपूर्ण योगदान किया है। परन्तु भावात्मक एवं संवोगात्मक क्षेत्र संवेगात्मक क्षेत्र में इसका योगदान अत्यन्त सीमित है। भावात्मक पक्ष का विकास केवल शिक्षकों के द्वारा ही सम्भव है।
  2. शैक्षिक तकनीकी के प्रयोग के लिये प्रारम्भ में बड़ा संख्या में धनराशि की आवश्यकता होती है। इसमें अनेक प्रकार की सामग्री खरीदनी पड़ती है, विभिन्न प्रकार के प्रबन्ध करने होते हैं, फलस्वरूप प्रारम्भिक व्यय की धनराशि काफी ज्यादा हो जाती है, जिसके लिये अनेक दिक्कजे आती है। यद्यपि बाद में यह सारा व्यय छात्रों की बड़ी संख्या में शिक्षित करने को देखने हुये अपेक्षाकृत कम ही होता है। यह तथ्य अनेक मूल्य-विश्लेषण के अध्ययनों से स्पष्ट है।
  3. शैक्षिक तकनीकी के प्रयोग के लिए विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की व्यवस्था अति आवश्यक है। इस प्रशिक्षण के बिना। शिक्षक कम्प्यूटर, इन्टरनेट आति का सही लाभ नहीं प्राप्त कर तकनीकी विश्लेषण के महत्वपूर्ण पहलु सकता है।
  4. शैक्षिक तकनीकी के द्वारा सभी प्रकार की शैक्षिक समस्याओं का समाधान सम्भव नहीं है। मुख्यत शैक्षिक तकनीकी शिक्षण एवं अनुदेशन प्रणाली के विकास में ज्यादा उपयोगी।

वीज़ा ने एथेरियम कोलाब को छेड़ा, क्रिप्टो विकास के लिए ‘सक्रिय रूप से योगदान’ करने का लक्ष्य

वैश्विक भुगतान दिग्गज वीज़ा ने सोमवार को क्रिप्टो में अपनी मजबूत, निरंतर रुचि का संकेत दिया, एक पेपर जारी किया जिसमें बताया गया कि कैसे एक दिन स्वचालित भुगतान पर एथेरियम नेटवर्क के साथ सहयोग कर सकता है।

कागज़ , इस साल की शुरुआत में आयोजित एक आंतरिक कंपनी हैकथॉन द्वारा स्पार्क किया गया, विवरण देता है कि एथेरियम उपयोगकर्ता कैसे कर सकते हैं – वीज़ा से समर्थन के साथ – स्व-हिरासत क्रिप्टो वॉलेट से भेजे गए ऑटो-भुगतान। एथेरियम मेननेट पर ऐसी क्षमता अभी तक संभव नहीं है, लेकिन “खाता सार” नामक एक लोकप्रिय एथेरियम प्रस्ताव द्वारा सक्षम किया जाएगा, जो एथेरियम उपयोगकर्ता खातों को स्मार्ट अनुबंधों की तरह कार्य करने और पूर्व-निर्धारित निष्पादन कार्यों की सुविधा प्रदान करेगा।

शैक्षिक तकनीकी की आवश्यकता (the need of Educational technology)-

आधुनिक समय में शिक्षा अनेक समस्याओं से प्रस्त है। शिक्षा का सार्वभौमीकरण, व्यावायिक शिक्षा का प्रबन्ध, छात्र अशान्ति, अध्यापकों की शिक्षा के प्रति उदासीनता, नकल की बढ़ती प्रवृत्ति इसके कुछ उदाहरण हैं। इन समस्याओं के समाधान में शैक्षिाक तकनीकी महत्वपूर्ण भूमिका का निवाह करती है इस कारण इसकी शिक्षा में महती आवश्यकता है।

विद्यालयों में अध्ययन के लिए अनेक प्रकार के विद्यार्थी आते हैं उसमें से कुछ तीव्र वृद्धि के अच्छे विद्यार्थी होते हैं तो कुछ मन्द बुद्धि एवं समस्यात्मक होते हैं। इन विद्यार्थियों को उचित दिशा निर्देश देने में शैक्षिक तकनीकी की आवश्यकता पड़ती है। इससे यह जानकारी मिलती है ऐसे विद्यार्थियों को किस प्रकार देनी चाहिए।

शैक्षिक तकनीकी द्वारा संज्ञानात्मक (मानसिक एवं बौद्धिक), भावनात्मक मान्यता, दृष्टिकोण क्रियात्मक (विभिन्न) कार्य एवं कौशलों की जानकारी) कौशलों का विकास होता है। संक्षेप में शैक्षिक तकनीकी की आवश्यकता को निम्नवत प्रकट किया जा सकता है।

शैक्षिक तकनीकी से लाभ ( Advantages of Educational Technology) –

शैक्षिक तकनीकी तकनीकी के लाभ निम्नलिखित-

  1. शैक्षिक तकनीकी शिक्षक को पाठ प्रस्तुतीकरण को प्रभावशाली बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  2. शैक्षिक तकनीकी छोटे तथा बड़े समूह में एंव व्यक्तिम स्तर पर भी, शिक्षण एवं अधिगम सम्बन्धी उद्यीपन तथा अनुकिया प्रदान करके शिक्षक की गुणात्मक योग्यता का विस्तार करती है।
  3. शैक्षिक तकनीकी शिक्षण कार्य को उद्देश्य केन्द्रित बनाने में तथा छात्र केन्द्रित रखने में सहायता एवं प्रभावशाली निर्देशन प्रदान करती है।
  4. शैक्षिक तकनीकी शिक्षण प्रक्रिया को सरल, सुगम तथा रोचक बनाते हुए छात्रों के ज्ञान एवं अनुभव की वृद्धि में सहायक होती है।
  5. शैक्षिक तकनीकी शिक्षण में विविधता लाने के लिए विभिन्न विधाओं एवं साधनों का प्रयोग करती है। और छात्रों की कक्षा कार्य में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करती है।

शैक्षिक तकनीकी की सीमाएं

(Limitations of educational तकनीकी विश्लेषण के महत्वपूर्ण पहलु technology)

शैक्षिक तकनीकी शिक्षा में आज बहुत लोकप्रिय हो रही है, वहीं इसकी कुछ सीमायें भी हैं। ये सीमायें नीयें विन्दुवार दी जा रही है-

  1. शैक्षिक तकनीकी ने ज्ञानात्मक पक्ष के विकास में अभूतपूर्ण योगदान किया है। परन्तु भावात्मक एवं संवोगात्मक क्षेत्र संवेगात्मक क्षेत्र में इसका योगदान अत्यन्त सीमित है। भावात्मक पक्ष का विकास केवल शिक्षकों के द्वारा ही सम्भव है।
  2. शैक्षिक तकनीकी के प्रयोग के लिये प्रारम्भ में बड़ा संख्या में धनराशि की आवश्यकता तकनीकी विश्लेषण के महत्वपूर्ण पहलु होती है। इसमें अनेक प्रकार की सामग्री खरीदनी पड़ती है, विभिन्न प्रकार के प्रबन्ध करने होते हैं, फलस्वरूप प्रारम्भिक व्यय की धनराशि काफी ज्यादा हो जाती है, जिसके लिये अनेक दिक्कजे आती है। यद्यपि बाद में यह सारा व्यय छात्रों की बड़ी संख्या में शिक्षित करने को देखने हुये अपेक्षाकृत कम ही होता है। यह तथ्य अनेक मूल्य-विश्लेषण के अध्ययनों से स्पष्ट है।
  3. शैक्षिक तकनीकी के प्रयोग के लिए विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की व्यवस्था अति आवश्यक है। इस प्रशिक्षण के बिना। शिक्षक कम्प्यूटर, इन्टरनेट आति का सही लाभ नहीं प्राप्त कर सकता है।
  4. शैक्षिक तकनीकी के द्वारा सभी प्रकार की शैक्षिक समस्याओं का समाधान सम्भव नहीं है। मुख्यत शैक्षिक तकनीकी शिक्षण एवं अनुदेशन प्रणाली के विकास में ज्यादा उपयोगी।
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