रुपया 10 पैसे की गिरावट के साथ 82.80 प्रति डॉलर पर

मुंबईः अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया बुधवार को 10 पैसे की गिरावट के साथ 82.80 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। स्थानीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली तथा वैश्विक बाजारों में जोखिम लेने की धारणा कमजोर होने से निवेशक धारणा प्रभावित हुई, जिससे रुपए में गिरावट आई।

बाजार सूत्रों ने कहा कि हालांकि अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मुद्राओं की तुलना में डॉलर के कमजोर होने तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों का निवेश बढ़ने से रुपए को समर्थन मिला और उसकी गिरावट पर कुछ अंकुश लग गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.76 के स्तर पर कमजोर खुला और कारोबार के अंत में यह 10 पैसे की गिरावट दर्शाता 82.80 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपए ने 82.66 के उच्चस्तर और 82.83 के निचले स्तर को छुआ। इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 82.70 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था। इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.09 प्रतिशत घटकर 104.06 रह गया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.90 प्रतिशत बढ़कर 80.71 डॉलर प्रति बैरल हो गया। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 635.05 अंक घटकर 61,067.24 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे और उन्होंने मंगलवार को 455.94 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर खरीदे।

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सहारा समूह के साथ ही सुब्रत रॉय के बैंक और डीमैट खाते होंगे कुर्क, सेबी ने दिया आदेश

सेबी ने सहारा समूह की एक कंपनी और उसके प्रमुख सुब्रत रॉय एवं अन्य अधिकारियों से वसूली के लिए उनके बैंक एवं डीमैट खाते कुर्क करने का आदेश दिया.

Published: December 26, 2022 7:17 PM IST

सहारा समूह की कंपनी के साथ ही सुब्रत रॉय के बैंक और डीमैट खाते होंगे कुर्क, सेबी ने दिया आदेश

नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी ने ओएफसीडी जारी करने में नियामकीय मानकों के उल्लंघन के मामले में सहारा समूह की एक कंपनी और उसके प्रमुख सुब्रत रॉय एवं अन्य अधिकारियों से 6.42 करोड़ रुपये की वसूली के लिए उनके बैंक एवं डीमैट खाते कुर्क करने का आदेश दिया. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने आदेश में कहा कि वैकल्पिक पूर्ण-परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) जारी करने में सहारा समूह से जुड़े पांच लोगों के खिलाफ कुर्की की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. उनसे जुर्माना और ब्याज समेत सभी मदों में कुल 6.42 करोड़ रुपये की वसूली होनी है.

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कुर्की का आदेश सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (अब सहारा कमोडिटी सर्विसेज कॉरपोरेशन), सुब्रत रॉय, अशोक रॉय चौधरी, रविशंकर दुबे और वंदना भार्गव के खिलाफ दिया गया है. सेबी ने अपने नोटिस में सभी बैंकों, डिपॉजिटरी और म्यूचुअल फंड इकाइयों को निर्देश दिया है कि वे इनमें से किसी के भी डीमैट खातों से निकासी की मंजूरी न दें. हालांकि, इन लोगों को अपने खातों में जमा करने की छूट होगी.

इसके अलावा सेबी ने सभी बैंकों को इन चूककर्ताओं के खातों के अलावा लॉकर को भी कुर्क करने को कहा है. सेबी ने गत जून में जारी अपने आदेश में सहारा समूह की फर्म और उसके चार प्रमुख अधिकारियों पर कुल छह करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. यह जुर्माना सहारा की तरफ से 2008-09 में ओएफसीडी जारी कर निवेशकों से पैसे जुटाने के मामले में लगाया गया था. सेबी ने कहा कि यह डिबेंचर उसके नियामकीय मानकों का उल्लंघन करते हुए जारी किया गया था.

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Share Market: ग्लोबल मार्केट सुस्त, US में मिलाजुला एक्शन, भारत पर कितना असर?

Share Market Prediction: इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल का भाव 85.22 डॉलर प्रति बैरल है.

Share Market: ग्लोबल मार्केट सुस्त, US में मिलाजुला एक्शन, भारत पर कितना असर?

Stock Market News Update Today: ग्लोबल मार्केट से मिल रहे संकेतों के आधार पर माना जा रहा है कि बुधवार को भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) पर दबाव रहेगा. निवेशक बिकवाली और मुनाफावसूली का रुख कर सकते हैं. जिससे बाजार में गिरावट के आसार बनेंगे.

हालांकि, इससे पहले मंगलवार को घरेलू बाजार बढ़त बनाने में कामयाब रहे. पिछले कारोबारी सत्र में सेंसेक्‍स 361 अंक चढ़कर 60,927 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 118 अंकों की तेजी के साथ 18,132 पर पहुंच गया था.

विदेशी बाजारों का क्या है हाल?

साल के अंत में अमेरिका सहित एशियाई बाजारों में दबाव दिख रहा है. मंगलवार को अमेरिकी बाजारों का कारोबार फीका ही रहा. उतार-चढ़ाव के बीच डाओ जोन्स (Dow Jones) में महज 37 अंकों की तेजी दर्ज की गई. नैस्डैक (Nasdaq) में 1.38 फीसदी और S&P 500 में 0.41 फीसदी की गिरावट रही.

अगर एशियाई बाजारों की बात करें तो यहां गिरावट देखने को मिल रही है. ज्यादातर बाजार लाल निशान पर कारोबार कर रहे हैं. जापान के निक्केई में 0.70 फीसदी और कोरिया के KOSPI में 2.26 फीसदी की गिरावट है. SGX Nifty में 70 अंकों की गिरावट है जो घरेलू बाजार पर दबाव की तरफ इशारा कर रहे हैं.

ग्लोबल मार्केट में दबाव के बीच यूरोपीय बाजार बढ़त बनाने में कामयाब रहे और हरे निशान पर बंद हुए. जर्मनी का स्‍टॉक एक्‍सचेंज में 0.39 फीसदी की तेजी देखने को मिली. वहीं लंदन स्‍टॉक विनिमय व्यापार फंड एक्‍सचेंज 0.05 फीसदी की बढ़त बनाने में कामयाब रहा.

बाजार पर इसका भी असर

चीन सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण बढ़ने और नए तरह के प्रतिबंध लागू होने से निवेशकों काे सेंटिमेंट पर विपरीत असर पड़ता दिख रहा है.

इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल का भाव 85.22 डॉलर प्रति बैरल है. वहीं गोल्ड का रेट 1820 डॉलर है.

FIIs/DIIs डेटा

भारतीय पूंजी बाजार से विदेशी निवेशकों की निकासी का सिलसिला थमने का नाम नहीं विनिमय व्यापार फंड ले रहा है. पिछले कारोबारी सत्र में भी विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने बाजार से 867.65 करोड़ रुपये निकाल लिए, जबकि इसी दौरान घरेलू संस्‍थागत विनिमय व्यापार फंड निवेशकों ने 621.81 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की.

इन स्टॉक्स पर रखें नजर

Bajaj Finserv: प्रमोटर जमनालाल संस ने मंगलवार को एक ब्लॉक डील में एनबीएफसी-दिग्गज बजाज फिनसर्व में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है. प्रमोटर ने खुले बाजार में ₹100.41 करोड़ के इक्विटी शेयर खरीदे.

Coal India: कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने मंगलवार को भरोसा जताया कि पीएसयू चालू वित्त वर्ष में 70 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लेगी.

Indian Energy Exchange: इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) ने मंगलवार को स्वैच्छिक कार्बन बाजार में व्यापार के अवसरों का पता लगाने के लिए एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, इंटरनेशनल कार्बन एक्सचेंज प्राइवेट लिमिटेड (ICX) की स्थापना की घोषणा की.

Punjab & Sind Bank: पंजाब एंड सिंध बैंक ने मंगलवार को कहा कि उसका बोर्ड इक्विटी और बॉन्ड जारी करने सहित विभिन्न तरीकों से ₹250 करोड़ तक जुटाने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 30 दिसंबर को बैठक करेगा.

Indowind Energy: इंडोविंड एनर्जी के बोर्ड ने मंगलवार को ₹43.07 करोड़ के 3.58 करोड़ इक्विटी शेयरों के राइट्स इश्यू को मंजूरी दी है.

डिस्क्लेमर: यहां दिए गए किसी भी तरह के इन्वेस्टमेंट टिप्स या सलाह एक्सपर्ट्स और एनालिस्टस के खुद के हैं. और इसका क्विंट हिंदी से कोई लेना-देना नहीं है. कृपया कर किसी भी तरह के इन्वेस्टमेंट डिसिजन लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य ले.

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Year Ender 2022: पूरे साल इन वजहों से सुर्खियों में रहा RBI, महंगाई से करना पड़ा दो-दो हाथ, जानें कितना सफल रहा केंद्रीय बैंक

Year Ender 2022: 12 अक्टूबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कुल मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही. इसके साथ, यह पहली बार हुआ हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने छह प्रतिशत की उच्चतम सीमा से ऊपर रही.

Year Ender 2022: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिये यह साल मिला-जुला रहा. आरबीआई जहां एक तरफ पहली बार टारगेट के मुताबिक महंगाई (inflation target) को काबू में नहीं रख पाया, वहीं पायलट आधार पर डिजिटल रुपया जारी कर और अपनी कोशिशों से बैंकों के बही-खातों को मजबूत करने में सफल रहने से सुर्खियों में रहा. भाषा के मुताबिक, अब जब मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के दायरे में आ रही है, ऐसे में नए साल में अब जोर आर्थिक वृद्धि को गति देने पर हो सकता है. खासकर मई, 2022 के बाद से नीतिगत दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि पर विशेष ध्यान दिये जाने की उम्मीद है.

retail inflation लगातार नौवें महीने उच्चतम सीमा से ऊपर

खबर के मुताबिक, नीतिगत दर में वृद्धि से आर्थिक वृद्धि पर विपरीत असर पड़ सकता है. 12 अक्टूबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कुल मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही. इसके साथ, यह पहली बार हुआ हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने छह प्रतिशत की उच्चतम सीमा से ऊपर रही. इसकी वजह से तय व्यवस्था के मुताबिक, आरबीआई (RBI) को लेटर लिखकर सरकार को यह बताना पड़ा कि आखिर वह महंगाई (inflation target) को लक्ष्य के मुताबिक काबू में क्यों रख सका. साथ यह भी बताना पड़ा कि आखिर मुद्रास्फीति कब चार प्रतिशत पर आ सकती है.

दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी

आरबीआई (reserve Bank of India) को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत यानी दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. बढ़ती महंगाई का एक प्रमुख कारण इस साल फरवरी में रूस का यूक्रेन पर हमला रहा. इससे जिंसों खासकर कच्चे तेल के दाम पर असर पड़ा. हालांकि, महंगाई के मामले में भारत की स्थिति दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर है और यह राहत की बात रही. कई देशों में महंगाई दर 40-40 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई. बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने अचानक से बैठक कर इस साल चार मई को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की. इससे पहले, लंबे समय तक रेपो दर को यथावत रखा गया था.

तीन बार Repo Rate में 0.50-0.50% की बढ़ोतरी

कई विशेषज्ञों ने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने के लिए कदम उठाने में देरी की. हालांकि, केंद्रीय बैंक विनिमय व्यापार फंड ने इससे इनकार किया और कहा कि उसने समय रहते पहल की है. उसके बाद लगातार तीन बार रेपो दर में 0.50-0.50 और दिसंबर विनिमय व्यापार फंड में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि की गई. आरबीआई ने दिसंबर में रेपो दर 0.35 प्रतिशत की वृद्धि कर विनिमय व्यापार फंड यह भी संकेत दिया कि नीतिगत दर में वृद्धि की गति अब धीमी होगी. खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) नरम पड़कर नवंबर में 5.8 प्रतिशत पर आ गई है. इसको देखते हुए कई विश्लेषकों ने कहा है कि आने वाले समय में नीतिगत दर में वृद्धि थमेगी. एमपीसी की बैठक के ताजा ब्योरे से भी इस बात की पुष्टि होती है. इसका एक कारण आर्थिक वृद्धि को गति देना भी है. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 6.8 प्रतिशत कर दिया है.

रुपये की विनिमय दर में भी उल्लेखनीय गिरावट

मुद्रास्फीति (inflation) में वृद्धि से डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में भी उल्लेखनीय गिरावट आई. इसको देखते हुए केंद्रीय बैंक ने बाजार में हस्तक्षेप किया. इससे कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 100 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आई है. आरबीआई ने रुपये को थामने के लिए दूसरे कदम भी उठाए. इसमें रुपये में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना तथा विदेशों में रह रहे भारतीयों को बैंकों में जमा के लिये प्रोत्साहित करना शामिल है. केंद्रीय बैंक पायलट आधार पर डिजिटल रुपया (digital rupee) जारी कर और अपने प्रयासों से बैंकों के बही-खाते को मजबूत करने में सफल रहने से चर्चा में रहा. आरबीआई ने पायलट आधार पर थोक और खुदरा दोनों उपयोग के लिये केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) जारी की. इसके साथ इस साल बैंकों की वित्तीय विनिमय व्यापार फंड सेहत भी बेहतर हुई हैं. बैंकों में फंसे कर्ज में उल्लेखनीय कमी आई है. यह आरबीआई (RBI) के पिछले पांच-छह साल से उठाये जा रहे कदमों का नतीजा हो सकता है.

वित्तपोषण में $3.5 बिलियन प्राप्त करने के बावजूद 2022 में एक-तिहाई क्रिप्टो परियोजनाओं की ‘मृत्यु’ हो गई

क्रिप्टोक्यूरेंसी उद्योग के लिए वर्ष 2022 विशेष रूप से कठिन था क्योंकि टेरा (LUNA) पारिस्थितिकी तंत्र और FTX क्रिप्टो एक्सचेंज के पतन सहित, दर्जनों क्रिप्टो परियोजनाओं को बंद कर दिया गया था, भले ही उनमें निवेश की गई राशि की परवाह किए बिना झटके लगे रहे।

दरअसल, क्रिप्टो एनालिटिक्स द्वारा जारी “2022 क्रिप्टो इंडस्ट्री डेड प्रोजेक्ट लिस्ट” के अनुसार, इस साल 96 क्रिप्टोकरंसी प्रोजेक्ट्स को ‘डेड’ घोषित किया गया था, जिनमें से 28 को फंडिंग मिली थी, कुल ‘डेड’ प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग राशि $ 3.61 बिलियन थी। डेटाबेस रूटडाटा 27 दिसंबर को।

अधिकांश ‘मृत’ परियोजना निधियाँ FTX में चली गईं

इन निवेशों के सबसे बड़े लाभार्थियों में हाल ही में ध्वस्त क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म एफटीएक्स है, जिसने कॉइनबेस वेंचर्स, बिनेंस लैब्स, पनटेरा कैपिटल, पैराडाइम, सिकोइया कैपिटल और अन्य सहित निवेशकों से विभिन्न फंडिंग राउंड के माध्यम से 1.73 बिलियन डॉलर जमा किए थे।

इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका के निवासियों तक पहुंच की सुविधा के लिए कैलिफोर्निया राज्य में स्थापित विनियामक कारणों के कारण, इसकी सहायक कंपनी FTX US को ओंटारियो टीचर्स पेंशन प्लान बोर्ड से $400 मिलियन का प्रवाह प्राप्त हुआ।

जुलाई 2020 से शुरू होकर, अब-दिवालिया क्रिप्टो लेंडिंग प्लेटफॉर्म सेल्सियस नेटवर्क को निवेशकों से कुल $788.8 मिलियन मिले, जिसमें इक्विटी फर्म वेस्टकैप और कनाडाई पेंशन फंड मैनेजर कैस डे डिपोट एट प्लेसमेंट डू क्यूबेक (सीपीडीक्यू) शामिल हैं।

BlockFi एक और विफल क्रिप्टो उधार लेने वाला प्लेटफ़ॉर्म है, जो इसके शीर्ष पर, संयुक्त राज्य प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) द्वारा चर ब्याज भुगतान की पेशकश करते हुए अपंजीकृत प्रतिभूतियाँ प्रदान करने का आरोप लगाया गया था। इस प्लेटफॉर्म को कॉन्सेनस मेश, मॉर्गन क्रीक डिजिटल और विंकलेवॉस कैपिटल जैसे प्रमुख निवेशकों से कुल $499.85 मिलियन प्राप्त हुए।

अंत में, क्रिप्टो एसेट ब्रोकर वायेजर डिजिटल एक अन्य दावेदार है जो जुलाई की शुरुआत में अध्याय 11 दिवालियापन संरक्षण के लिए दाखिल करने से पहले अल्मेडा रिसर्च, गैलेक्सी डिजिटल, बिनेंस.यूएस और डिजिटल मुद्रा समूह से $ 135 मिलियन की राशि का निवेश आकर्षित करने में कामयाब रहा।

2022 में ‘मृत’ सिक्के

इस बीच, क्रिप्टो ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध डिजिटल संपत्ति की संख्या कॉइनगेको 2022 में घोषित ‘मृत’ नवंबर के अंत तक बढ़कर 951 हो गया, जो 2021 में 3,322 और 2020 में 1,320 की तुलना में अभी भी कम है, लेकिन 2019 में 807 की तुलना में अधिक है, जैसा कि फिनबोल्ड ने पहले बताया था।

प्लेटफॉर्म के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल औसतन 947 क्रिप्टोकरेंसी सूचीबद्ध होती हैं 2018 और 2022 के बीच की अवधि में निष्क्रिय कर दिया गया है और इससे हटा दिया गया है कॉइनगेको2021 के विसंगति वर्ष को छोड़कर।

अस्वीकरण: इस साइट की सामग्री को निवेश सलाह नहीं माना जाना चाहिए। निवेश सट्टा है। निवेश करते समय, आपकी पूंजी जोखिम में होती है।

$3.5 बिलियन का वित्तपोषण प्राप्त करने के बावजूद 2022 में एक-तिहाई क्रिप्टो परियोजनाओं की ‘मृत्यु’ हो गई, जो पहले फिनबोल्ड पर दिखाई दी।

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