What is Demat Account | डीमैट अकाउंट क्या है ?

Demat का फुल फॉर्म Dematerrialised है | Demat account का इस्तेमाल स्टॉक मार्केट में अकाउंट और locker के रूप में किया जाता है जहाँ खरीदें गए डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? शेयर्स को जमा किया जाता है | जब हम शेयर्स को खरीदते और बेचते है , तो वो शेयर एक demat account से दुसरे demat account में जमा कर दिए जाते है |

डीमैट खाता भी बैंक खाते की तरह काम करता है | यहां भी बैंक बैलेंस की केवल पासबुक में एंटी कराई जा सकती है , इसे भौतिक रूप में नही रख सकते | इसमें बैंक खाते की तरह डेबिट और क्रेडिट कार्ड नहीं होता है |

Demat Account कैसे काम करता है

जब हम शेयर खरीदते है तो ब्रोकर हमारे demat account में क्रेडिट कर देता है , खरीदे हुए शेयर demat account की होल्डिंग में ऑनलाइन देख सकते है | ब्रोकर शेयरों को T +2 पर क्रेडिट कर देता है जो ट्रेडिंग डे +2 दिन बाद होता है | जब शेयर बेचते है तो अपने ब्रोकर को डिलेवरी निर्देश देने होते है , जिसमे बिके हुए स्टॉक का विवरण भरना होता है |

भारत में दो डिपॉजिटरी है –

  • नेशनल सिक्योरिटीज लिमिटेड (NSDL )
  • सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL )

Demat account की जरूरत क्यों पड़ती है ?

सबसे पहले तो ये जान ले की सेविंग अकाउंट होने के बावजूद भी हमको डीमैट अकाउंट की जरूरत क्यों है | किसी बैंक में अपना सेविंग अकाउंट होता है उसमे पैसा जमा और निकाल सकते है , सेविंग अकाउंट में केवल पैसे जमा करा सकते है लेकिनं डीमैट अकाउंट में हम शेयर या बांड जमा किये जाते है | डीमैट अकाउंट में शेयर जमा होने से , शेयर की खरीद और ब्रिकी तेजी से कर सकते है | तीस साल पहले जब डीमैट अकाउंट नही होते थे तो शेयर घर पहुचते थे और इस काम को महीनों लग जाते थे | अब शेयर सीधे demat account में 1 दिन में आ जाते है |

Demat Account के प्रकार

demat account दो प्रकार के होते है –

  • बेसिक सर्विसेज डीमैट अकाउंट (BSDA ) – यह अकाउंट उन निवेशकों के लिए है जिनके सिक्योरिटी का होल्डिंग मूल्य कुछ लाख रुपयों से अधिक नहीं है | इसलिए , इसका वार्षिक मेंटेनेस शुल्क कम होता है |
  • रेग्युलर डीमैट अकाउंट – इस अकाउंट और BSDA के बीच एकमात्र अंतर शुल्क की शर्तो का होता है | रेगुलर डीमैट अकाउंट के लिए शुल्क अधिक होते है | हालांकि , शुल्क के एवज में यह अकाउंट सुविधाजनक और कई सेवाएँ भी देते है |

Demat account के फायदे

वैसे तो आज-कल demat account के बिना शेयरों की खरीद-बिक्री नहीं होती है | फिर भी इसके फायदे जान लेना अच्छा है |

चोरी होने का डर नहीं

डीमैट अकाउंट आपके शेयरों को डिजिटल फोर्मेट में सुरक्षित रखता है | इसका मतलब ये है कोई आप के शेयरों को कोई चुरा भी सकता है | नकली शेयर के जरिये धोखाधड़ी भी ख़त्म हो गई है |

तेज ट्रांसफर

demat account के जरिए शेयरों की खरीद बिक्री बहुत आसान हो गई है | आज हम शेयर खरीदते है और शाम तक शेयर हमारे demat अकाउंट में आ जाते है | वैसे तो आमतौर पर शेयर तुरंत डीमैट अकाउंट में आ सकते है लेकिन stock exchange की सेटलमेंट प्रकिया का इंतजार किया जाता है | शेयर बाजार बंद होने के करीब आधा घंटे तक stock exchange में सेटलमेंट की प्रकिया चलती है |

मामूली खर्च

शेयरों की फिजिकल ट्रेडिंग में काफी खर्च आता था | नकली शेयरों डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? की प्रिटिंग , हैंडलिंग और भेजने में काफी पैसा खर्च होता था | अब फिजिकल शेयरों के स्टोरेज और लेनदेन से जुड़े सभी खर्च भी ख़त्म हो गए है | हालांकि अभी भी demat account रखने के लिए एक फ़ीस तो देनी ही पड़ती है |

पता बदलना आसान

जब हम किसी कंपनी का शेयर खरीदते है तो उस कंपनी के आंशिक मालिक भी बन जाते है | इसलिए ये कंपनी की जिम्मेदारी है की वो आपको महत्वपूर्ण जानकारी दे | इसलिए कंपनीयां अपने शेयरहोल्डर को जरूरी सूचनाएं भेजती है | ये सुचना भेजने के लिए शेयरहोल्डर का पता चाहिए | जब हम शेयर खरीदते है तो नए शेयरहोल्डर का पता कंपनीयों तक भेज दिया जाता है , लेकिन अगर अपना पता बदल दिया जाता है तो ये हमारी जिम्मेदारी है की कंपनीयों को नए पते की जानकारी हो |

पहले ये काम काफी झझंट वाला वाला था क्योंकी हर कंपनी को इसकी अलग-अलग सुचना देनी होती थी | लेकिन अब demat account के होने के कारण ये काम काफी आसान हो गया है , बस हमे अपने demat account में पता बदलना होता है | इसके बाद कंपनीयों तक नए पते की जानकारी खुद-ब-खुद भेज दी जाती है |

बोनस शेयर

कंपनीया कभी-कभी अपने शेयरों को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँट देती है या फिर अपने निवेशको को बोनस भी देती है | इस corporate action चलते डीमैट अकाउंट में शेयरों की संख्या बढ़ जाती है | डीमैट अकाउंट की वजह से ये पूरा काम अपने आप हो जाता है जब कोई कंपनी बोनस शेयर देती है तो वो अपने आप डीमैट अकाउंट में जुड़ जाते है , इसके लिए कोई फ़िक्र की जरूरत नहीं है |

Demat और Trading account खोलने के लिए जरूरी डाक्यूमेंट्स की जरूरत होगी

पैन कार्ड – किसी भी डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए पैन कार्ड की बहुत जरूरत है क्योंकी पैन कार्ड के बिना कोई भी अकाउंट नही खोल सकते है , इसलिए पैन कार्ड सबसे पहला जरूरी डाक्यूमेंट्स है |

एड्रेस प्रूफ –आपके निवास स्थान का प्रूफ देने के लिए आप का आधार कार्ड प्रयोग कर सकते है |

कैंसिल चैक – आपके पास आपके नाम लिखा हुआ कैंसिल चैक होना चाहिए | आप के पास कैंसिल चैक नही है तो , पिछले 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट से भी समस्या हल हो सकती है |

Demat account के खर्चे

डीमैट अकाउंट खोलने के लिए कुछ फीस देनी होती है , जो अलग-अलग बैंक और स्टॉक ब्रोकर के द्वारा अलग-अलग रूप में चार्ज किया जाता है , और साथ ही साथ डीमैट अकाउंट खोलने के बाद उसका सालाना रखरखाव चार्ज (annual maintenance charge ) भी होती है , जो demat अकाउंट की सेवा के बदले हर साल एक फीस के तौर पर ब्रोकर को देना होता है |

किसी भी बैंक या स्टॉक ब्रोकर कर के पास डीमैट अकाउंट खोलने से पहले उसकी फीस के बारे में जरुर जान लेना चाहिए , ताकि बेवजह एक्स्ट्रा चार्ज नही देना पड़े |

By Suresh Kumar

Suresh Kumar, Intra Day Share के संस्थापक और Senior Editor हैं. इन्हें लोगों को नयी नयी इन्वेस्टमेंट की रिसर्च बेस्ड जानकारी पहुँचाने में बहुत ख़ुशी मिलती है. शेयर मार्केट से सम्बंधित सभी जानकारियां इनके द्वारा नियमित तौर पर इस वेबसाइट पर पब्लिश की जाती है | इन्हें मार्केट में कार्य करने का पिछले 6 वर्षों का डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? अनुभव है और इसी अनुभव को इस वेबसाइट के माध्यम से आम जन तक पहुंचा रहें है |

बैंक एकाउंट कितने प्रकार के होते हैं ? Types of Bank Accounts in Hindi

Types of Bank Account in Hindi:- अपने पैसे सुरक्षित रखने के लिए बैंक अकाउंट सबसे सुरक्षित स्थान होता है। भारत में बहुत सारे सरकारी व प्राइवेट बैंक है, जहां पर आप अपना अकाउंट खुलवा कर उसमें अपने पैसे जमा करवा सकते हैं और अपने पैसे सुरक्षित रख सकते हैं। जितने भी बैंक है उन सभी का कार्य और सेवाएं लगभग एक जैसी है। लेकिन फिर भी इनके बीच थोड़ा बहुत अंतर भी देखने को मिल सकता है, जैसे उनके सेवा शुल्क, ब्याज दर आदि।

खैर बैंक अकाउंट चाहे आपको किसी भी बैंक में खुलवाना हो, लेकिन जब आप किसी भी बैंक में अकाउंट खुलवाएंगे, तो आपसे यह जरूर पूछा जाएगा कि आप कौनसा अकाउंट खुलवाना चाहते हैं ? इसलिए आपको यह पता होना जरूरी है कि बैंक अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं ? कौनसे बैंक अकाउंट का क्या कार्य होता है ? या कौनसा बैंक अकाउंट किस काम आता है ? ताकि आप अपनी आवश्यकता के अनुसार सही बैंक अकाउंट खुलवा सकें और आपको ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके।

इसलिए आज के इस लेख में हम आपको यही बताने वाले हैं कि बैंक अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं ? और कौनसे बैंक अकाउंट का क्या कार्य होता है ?

Types of Bank Accounts in Hindi || बैंक एकाउंट कितने प्रकार के होते हैं?

बैंक अकाउंट मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं। लेकिन बैंकों में ज्यादातर बचत खाता (saving account) और चालू खाता (current account) ही खुलवाए जाते हैं। बचत खाता और चालू खाता में क्या अंतर है ? इस पर हमने विस्तार से एक लेख में बताया है। अगर आप चाहें तो अभी वह लेख पढ़ सकते हैं। इसके लिए आपको नीचे लिंक पर क्लिक करना है।

1. बचत खाता (Saving Account)

बैंक में यह सबसे ज्यादा खुलवाए जाने वाला बैंक अकाउंट है। सामान्य नागरिकों द्वारा यही बैंक अकाउंट खुलवाया जाता है। यह एक आम बचत खाता है जिसके अंदर आप अपने पैसे जमा करवा सकते हैं, जरूरत पड़ने पर निकलवा सकते हैं, इसके साथ ही आपको बहुत सारी सुविधाएं भी दी जाती है जैसे ATM, नेट बैंकिंग, चेक बुक आदि। इस अकाउंट में जमा राशि पर आपको डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? कुछ प्रतिशत ब्याज भी दिया जाता है। सभी बैंकों का ब्याज अलग-अलग हो सकता है। इसलिए जो बैंक ज्यादा ब्याज दे रही हो, आप उसमें अपना सेविंग अकाउंट खुलवा सकते हैं।

बचत खाते में पैसों का लेनदेन करने की एक लिमिट भी होती है। आप यह लिमिट क्रॉस नहीं कर सकते है, अगर आप ऐसा करते हैं ? तो आपको बैंक की तरफ से पेनल्टी दी जा सकती हैं। लेकिन एक मध्यवर्गीय इंसान के लिए यह लिमिट काफी होती है, यह क्रॉस नही होती हैं।

2. चालू खाता (Current Account)

यह बैंक अकाउंट मुख्य रूप से बड़े बड़े बिजनेसमैन, उद्योगों और कंपनियों के द्वारा खुलवाया जाता है। इस बैंक अकाउंट में जमा राशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता है। इसके अलावा आपको इसमे वो सभी सेवाएं मिलती है जो की बचत खाते में मिलती हैं। इसके अतिरिक्त करंट अकाउंट में आपको ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी मिलती है, जिसके जरिए आपके बैंक अकाउंट में जितने पैसे हैं, आप उससे ज्यादा पैसे भी अपने बैंक अकाउंट से निकलवा सकते हैं। यानी कि बैंक से उधार ले सकते है।

आप कितने पैसे बैंक से उधार ले सकते हैं ? यह आपके पिछले लेनदेन पर निर्भर करता है। करंट अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की भी लिमिट होती है। जो कि ₹5000 से ₹25000 तक हो सकती है। यह सभी बैंकों के लिए अलग-अलग हो सकती है। अगर आप का बैंक बैलेंस इससे कम होता है, तो आपको बैंक की तरफ से पेनल्टी दी जा सकती है।

इसके अलावा आपको बता दे कि करंट अकाउंट से लेनदेन करने की कोई भी लिमिट नहीं होती है। आप जितना चाहे उतना ट्रांजैक्शन इस बैंक अकाउंट से कर सकते हैं। इसी लिए यह एकाउंट सिर्फ बड़ी बड़ी कंपनियों द्वारा खुलवाया जाता है, क्योंकि उनके daily लाखों, करोड़ो रुपये के लेनदेन होते है।

3. आवर्ती जमा खाता RD Account (Recurring Deposit Account)

आवर्ती जमा खाता उन लोगों के लिए होता है जो कि एक निश्चित राशि हर महीने एक निश्चित समय के लिए बैंक में जमा करवाना चाहते हैं। इस अकाउंट में आपको एक हर महीने एक निश्चित राशि इस अकाउंट में जमा करवानी पड़ती है, समय सीमा पूरी होने पर आप अपने सारे पैसे ब्याज सहित निकलवा सकते हैं। उसके बाद यह बैंक अकाउंट बंद कर दिया जाता है। हालांकि आरडी अकाउंट से आप अपने पैसे समय से पहले भी निकलवा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आप को बैंक द्वारा निर्धारित किए गए निर्देशों का पालन करना पड़ेगा, जिसमे आपको बैंक को कुछ पेंटली भी देनी पड़ सकती है।

यह अकाउंट इसलिए खुलवाया जाता है क्योंकि इसकी ब्याज दर बचत खाते से अधिक होती है। RD Account में आप कम से कम 1 साल और अधिकतम 10 साल तक पैसे जमा करवा सकते हैं।

4. FD Account (Fixed Deposit Account) सावधि जमा खाता

FD का नाम आपने बहुत बार सुना होगा। लेकिन शायद आपको यह पता ना हो कि यह भी एक प्रकार का बैंक अकाउंट है, यह बैंक एकाउंट तब खुलवाया जाता है जब आपको एक निश्चित राशि एक निश्चित समय के लिए जमा करवानी हो, RD एकाउंट की तरह इसमे आपको हर महीने पैसे जमा करवाने की जरूरत नही होती है। बल्कि आपको एक निश्चित राशि FD एकाउंट खुलवाते समय ही जमा करवानी होती है, जो कि आप 1 से लेकर 10 साल तक करवा सकते है। उसके बाद आप अपनी तय की गई समय सीमा पूरी होने पर FD के सारे पैसे ब्याज सहित निकलवा सकते है। अगर आप चाहे तो FD एकाउंट के पैसे समय से पहले भी निकलवा सकते है, लेकिन इसके लिए आपको बैंक को पेनल्टी देनी पड़ेगी, यानी कि कुछ पैसे बैंक आपके एकाउंट से काट लेगा।

  • Cheque Bounce होना क्या होता है ? चेक बाउंस होने पर क्या करें ?

आज के इस लेख में आपने जाना कि बैंक अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं ? उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें। इसके अलावा अगर आपको कोई सवाल या सुझाव हो तो आप नीचे कमेंट करके बता सकते हैं।

डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है?

HUF अकाउंट के लिए जो चार्जेस लगते हैं वह इस प्रकार हैं:

अकाउंट ओपनिंग चार्जेस

अकाउंट टाइप चार्जेस
ट्रेडिंग एंड डीमैट अकाउंट ₹500/-
कमोडिटी अकाउंट ₹300/-

अकाउंट मेंटेनेंस चार्जेस (AMC)

अकाउंट के प्रकार एनुअल चार्जेस क्वार्टरली चार्जेस
डीमैट अकाउंट ₹300 + 18% GST ₹75 + 18% GST

AMC प्रति क्वार्टर, यानी अकाउंट ओपन होने के तारीख़ से हर तीन महीने में चार्ज किया जाता है।

ब्रोकरेज

इक्विटी डिलीवरी ₹20 प्रति एक्सेक्यूटेड आर्डर या टर्नओवर का 0.1%, जो भी कम हो।
इक्विटी इंट्राडे ₹20 प्रति एक्सेक्यूटेड आर्डर या टर्नओवर का 0.03%, जो भी कम हो।
फ्यूचर्स ₹20 प्रति एक्सेक्यूटेड आर्डर या टर्नओवर का 0.03%, जो भी कम हो।
ऑप्शंस ₹20 प्रति एक्सेक्यूटेड।
करेंसी फ्यूचर्स ₹20 प्रति एक्सेक्यूटेड आर्डर या टर्नओवर का 0.03%, जो भी कम हो।
करेंसी ऑप्शंस ₹20 प्रति एक्सेक्यूटेड आर्डर।

कॉल एंड ट्रेड चार्जेस

₹50/- प्रति ऑर्डर जो Zerodha के डीलर द्वारा प्लेस किया गया हो।

क्या आप जानतें हैं? HUF अकाउंट के लिए इक्विटी डिलीवरी के चार्जेस को छोड़कर ब्रोकरेज इंडिविजुअल अकाउंट के सामान होता है। हालाँकि, ज़्यादा कंप्लायंस कॉस्ट के कारण अकाउंट ओपनिंग और AMC अधिक होता है।

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What is Demat Account in Hindi – डीमैट अकाउंट क्या है और इसे कैसे ओपन कराए?

What is Demat Account in Hindi -डीमैट अकाउंट क्या है और इसे कैसे ओपन कराए : दोस्तों आप सभी ने डिमैट अकाउंट (Demat Account) का नाम तो सुना ही होगा और इससे रिलेटेड आपने सोशल मीडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप, एवं यूट्यूब चैनल पर वीडियो भी देखा होगा। तो चलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कि डिमैट अकाउंट क्या है (What is Demat Account in Hindi) डिमैट अकाउंट कैसे ओपन कराया जाता है और डिमैट अकाउंट ओपन करने के लिए क्या-क्या डॉक्यूमेंट लगते हैं जानते हैं इसके बारे में सब कुछ हमारे आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

डिमैट अकाउंट क्या है (What is Demat Account in Hindi)

लोग शेयर बाजार में डिमैट अकाउंट (Demat Account) के माध्यम से शेयर को खरीदने और बेचने का काम करते हैं। यदि इसे हम आसान शब्दों में समझे तो जिस प्रकार से आप अपने सेविंग अकाउंट (Saving Account) में अपना पैसा रखते हैं। ठीक उसी तरह लोग डिमैट अकाउंट (Demat Account) में अपने खरीदे हुए शेयर को रखते हैं। यानी कि शेयर को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखने की प्रक्रिया को ही डिमैट अकाउंट कहा जाता है।

डीमैट अकाउंट कैसे ओपन करें – (How to Open Demat Account in Hindi)

How to Open Demat Account in Hindi

डिमैट अकाउंट ओपन कराने के लगने वाले जरूरी दस्तावेज निम्नलिखित इस प्रकार है-

  • पैन कार्ड (PAN Card)
  • आधार कार्ड ( Aadhaar card)
  • पासपोर्ट साइज 2 फोटो ( Passport Size two photos)
  • कैंसिल चेक बुक ( Cancelled Cheque Book)
  • बचत खाता पासबुक ( Savings Account Passbook)
  • एड्रेस प्रूफ के लिए मतदाता पहचान पत्र (Voter ID Card)
  • ड्राइविंग लाइसेंस (driving license)
  • बैंक स्टेटमेंट (Bank statement)

डिमैट अकाउंट खोलने की प्रक्रिया – (Demat Account Opening Process in Hindi)

डीमैट अकाउंट (Demat Account) हम आसानी से घर बैठे ऑनलाइन खोल सकते हैं। इसके लिए हमें कहीं जाने के लिए आवश्यकता नहीं है।

Demat Account Opening Process in Hindi

  • डिमैट अकाउंट ऑनलाइन ओपनिंग के लिए सबसे पहले अपने पसंदीदा ब्रोकिंग वेबसाइट पर जाकर Open Account के ऑप्शन पर क्लिक करना है।
  • उसके बाद वहां पूछे गए डिटेल्स जैसे- नाम, पूरा पता, फोन नंबर इत्यादि भर दे। इसके बाद आपके मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा।
  • फिर अगले प्रोसेस में जाने के लिए उस ओटीपी को दर्ज करें। इसके बाद अपना केवाईसी विवरण जैसे पैन कार्ड, डेट ऑफ बर्थ, सेविंग अकाउंट डिटेल्स, संपर्क नंबर इत्यादि भर दे।
  • लीजिए अब आपका डिमैट अकाउंट तैयार है। डीमैट खाता संख्या आपके ईमेल या मोबाइल नंबर पर S.M.S. के माध्यम से मिल जाएंगा।
  • डिमैट अकाउंट ओपनिंग के लिए स्टॉक ब्रोकर 600 रुपए से लेकर 900 रुपए तक शुल्क लेते हैं।

डीमेट अकाउंट ओपन कराने के फायदे – (Benefits of opening a Demat Account in Hindi)

  • डिमैट अकाउंट (Demat Account) वर्तमान समय में निवेशकों को घर बैठे शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करता है। इन सभी के अलावा शेयर के डॉक्यूमेंट डिमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रहते हैं। जिसके कारण इन्हें खोने एवं चोरी होने का डर नहीं रहता हे।
  • यदि आप अपने शेयर को दूसरे डिमैट अकाउंट (Demat Account) में ट्रांसफर करना चाहते हैं,तो इस पर किसी भी प्रकार के स्टॉप ड्यूटी की आवश्यकता नहीं होती है। इससे पहले शेयर ट्रांसफर की प्रक्रिया में काफी सारे कागजी कार्रवाई को पूरा करना पड़ता था।

भारत के 5 बेस्ट डिमैट अकाउंट – (Top 5 Demat Accounts in India in Hindi)

  • 5paisa डीमैट ट्रेडिंग अकाउंट (5paisa Demat Trading Account)
  • अपस्टॉक्स डिमैट अकाउंट (Upstox demat account)
  • कोटक सिक्योरिटीज डीमेट ट्रेडिंग अकाउंट ( Kotak Securities Demat Trading Account)
  • ज़ीरोधा (Zerodha Demat Account)
  • एंजल ब्रोकिंग डिमैट अकाउंट (Angel Broking Demat Account)

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अंतिम शब्द

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल के माध्यम से बताया कि डिमैट अकाउंट क्या होता है (What is Demat Account in Hindi) और इसे कैसे ओपन कराया जाता है। डिमैट अकाउंट के फायदे क्या है। हम उम्मीद करते हैं कि आप इसे समझ गए होंगे। यदि आप ऐसे ही शेयर मार्केट और बैंकिंग से जुड़े अन्य किसी दूसरे खबर के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारे वेबसाइट के साथ जुड़े रहे।

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ईटीएफ के बारे में यहां जानिए अपने हर सवाल का जवाब

इंडेक्‍स फंडों की तरह ईटीएफ अमूमन किसी खास मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. इनका प्रदर्शन उस इंडेक्‍स जैसा होता है.

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  1. ईटीएफ क्‍या है?
    एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ शेयर बाजार में लिस्‍ट और ट्रेड होने वाले फंड हैं. न्यू फंड ऑफर यानी एनएफओ की अवधि के दौरान फंड हाउस से खरीदने के लिए ये उपलब्‍ध होते हैं. एनएफओ के बाद फंड की यूनिटें शेयर बाजार पर लिस्‍ट होती हैं. फिर इन्‍हें वहां से खरीदा और बेचा जा सकता है.
  2. ईटीएफ के कितने प्रकार होते हैं?
    इंडेक्‍स फंडों की तरह ईटीएफ अमूमन किसी खास मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. इनका प्रदर्शन उस इंडेक्‍स जैसा होता है. यह इंडेक्स निफ्टी ईटीएफ जैसा शेयर मार्केट इंडेक्‍स हो सकता है या गोल्‍ड ईटीएफ जैसा कमोडिटी इंडेक्स या बॉन्‍ड ईटीएफ के तौर पर बॉन्‍ड मार्केट. एसेट मैनेजमेंट कंपनी ईटीएफ लॉन्‍च करती हैं. इन्‍हें किसी अन्‍य म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम की तरह ही पेश किया जाता है.
  3. ईटीएफ में निवेश के लिए क्‍या शर्त है?
    ईटीएफ में निवेश के लिए डीमैट के साथ ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी है. कोई व्यक्ति 3-इन-1 अकाउंट खोलने का भी विकल्प चुन सकता है. इसमें बैंक अकाउंट के साथ डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट की सुविधा मिलती है. इस तरह आप ज्यादा कुशलता के साथ एक ही जगह अपने निवेश को मैनेज कर पाते हैं. इस अकाउंट को खोलने के लिए एक फॉर्म भरना पड़ता है. साथ ही केवाईसी दस्तावेज भी जमा करने पड़ते हैं.
  4. ईटीएफ में निवेश का क्‍या तरीका है?
    कारोबारी घंटों के दौरान ईटीएफ की मनचाही यूनिटें खरीदकर निवेश किया जा सकता है. निवेशक अपने ब्रोकर को निवेश का इंस्‍ट्रक्‍शन दे सकते हैं या ब्रोकर की ओर से उपलब्‍ध कराए जाने वाले ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का इस्‍तेमाल कर निवेश कर सकते हैं.
  5. ईटीएफ कैसे काम करते हैं?
    जिस तरह दूध के दाम बढ़ जाने से पनीर और घी महंगे हो जाते हैं. ठीक वैसे ही ईटीएफ में भी इंडेक्स के चढ़ने-उतरने का असर होता है. यानी ईटीएफ का रिटर्न और रिस्क बीएसई सेंसेक्स जैसे इंडेक्स या सोने जैसे एसेट में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है.
  6. ईटीएफ का रिटर्न कैसा होता है?
    ईटीएफ के पोर्टफोलियो में तमाम तरह की प्रतिभूतियां होती हैं. इनका रिटर्न इंडेक्स जैसा होता है.
  7. ईटीएफ में कैसे होती है खरीद-बिक्री?
    ईटीएफ की पेशकश पहले एनएफओ के रूप में होती है. फिर ये शेयर बाजार में लिस्ट होते हैं. एनएफओ किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की नई स्कीम होती है. इसके जरिये कोई म्यूचुअल फंड कंपनी शेयरों, सरकारी बॉन्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने के लिए निवेशकों से पैसे जुटाती है. ट्रेडिंग पोर्टल या स्टॉक ब्रोकर के जरिये शेयर बाजार पर ईटीएफ की खरीद-फरोख्त होती है.

- दिन में खरीदे गए ईटीएफ के मूल्‍य और दिन के समाप्‍त होने पर ईटीएफ की एनएवी में अंतर हो सकता है. इसका कैलकुलेशन ईटीएफ में शामिल प्रतिभूतियों के बंद भाव के आधार पर होता है.

इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.

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