लम्प सम इन्वेस्टमेंट एक स्पेसिफिक ड्यूरेशन के लिए किसी स्पेशल स्कीम में वन टाइम इन्वेस्टमेंट है. इसको आम तौर पर वे लोग चुनते हैं जिनके पास इन्वेस्ट करने के लिए बड़ी मात्रा में पैसा होता है. जब कोई लम्प सम इन्वेस्टमेंट करना चाहता है, तो वे अपनी रिस्क लेने की कैपेबिलिटी के अनुसार अपने इन्वेस्टमेंट के समय को मैनेज कर सकते हैं. जो लोग बड़े अमाउंट का इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, उन्हें अक्सर लम्पसम इन्वेस्टमेंट करना ज्यादा कन्विनिएंट लगता है. कंपाउंडिंग की ताकत आपको फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट जैसे फिक्स डिपोडजिट के लिए आपके इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाले इंटरेस्ट पर बैनिफिट लेने में मदद कर सकती है.

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बड़ी तादाद में इन्वेस्टर लम्पसम इन्वेस्टमेंट में इन्वेस्ट करना चुनते हैं. क्योंकि इसमें कम ट्रांजेक्शन शामिल होते हैं. साथ ही ये उनकी रिस्क लेने की कैपेबिलिटी को सूट करता है. अगर आपको एक अच्छा बोनस मिलता है, और आपके पास अपने सभी प्री प्लांड ऑब्लिगेशन और एक्सपेंस का पेमेंट करने के बाद इन्वेस्ट करने के लिए एक अच्छा अमाउंट बचा है. तो फिर आप पूरे अमाउंट को एक स्पेसिफिक लम्पसम इन्वेस्मेंट स्कीम में इन्वेस्ट कर सकते हैं. अगर कोई इन्वेस्टर लॅान्ग पीरियड के लिए इन्वेस्ट करना चाहता है और इसमें शामिल संभावित रिस्क को एक्सेप्ट करता है, तो वाएबल इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी के रूप में लम्पसम इन्वेस्टमेंट का सुझाव दिया जाता है. इन्वेस्टर को Market रिस्क क्या होता है? सभी तरह के लम्पसम इन्वेस्टमेंट और इन्वेस्ट से रिटर्न की रेट का केलकुलेशन करना चाहिए. लम्पसम इन्वेस्टमेंट, इन्वेस्टर को तनाव मुक्त कर सकता है क्योंकि उसे किस्तों की तारीखों को याद नहीं रखना पड़ता है. लेकिन ये एक बोझ की तरह महसूस हो सकता है क्योंकि आपको एक बार में बड़ी अमाउंट को इंवेस्ट करना होता है. लम्पसम कैलकुलेटर आपको ये अनुमान लगाने में मदद करता है कि आप अपनी इन्वेस्टमेंट टेन्योर के आखिर में कितना पैसा ले सकते हैं. एक इन्वेस्टमेंट कैलकुलेटर से ये भी पता चलता है कि आपकी चुनी गई इंवेस्टमेंट स्कीम आपके फाइनेंशियल गोल को पूरा करेगी या नहीं.

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Trade set-up : इसमें ठक्कर एंट्री और एग्जिट प्वाइंट निकालने के लिए कैंडिलस्टिक चार्ट (candlestick chart) पर लॉन्ग टर्म प्राइस मूवमेंट का इस्तेमाल करते हैं। बेसिक आइडिया मूमेंटम पर सवार होने का है। इस स्ट्रैटजी में हर हफ्ते महज 2 घंटे का समय लगता है।

स्टेप 1 : हर हफ्ते ऐसे स्टॉक्स को स्कैन करें, जिन्होंने 52 हफ्ते के हाई छूए हों। कंजर्वेटिव ट्रेडर्स इसे आगे सिर्फ एनएसई 500 स्टॉक्स (NSE 500 stocks) पर आजमा सकते हैं।

स्टेप 2 : फिल्टर से निकले स्टॉक्स के लिए या तो वीकली या मंथली कैंडिलस्टिक चार्ट लोड करना शुरू करें।

स्टेप 3 : आखिरी बड़ा सप्लाई जोन पता लगाइए। यह चार्ट पर एक बड़े पीक के रूप में नजर आएगा। ऐसे पीक खोजने के लिए चार्ट टाइमलाइन पर कुछ साल Market रिस्क क्या होता है? पहले भी जा सकते हैं। ऐसे पीक्स आम तौर पर स्टॉक्स के लिए बड़े रेजिस्टेंस जोन बनाते हैं।

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स्टेप 4 : देखिए, क्या प्राइस पिछले सप्लाई जोन से गिरने के बाद रेजिस्टैंस जोन में लौट आया है। यदि हां, तो यह ट्रेडिंग के लिए अच्छा स्टॉक है। यदि नहीं, तो कोई और शेयर खोजिए। Market Outlook: शेयर बाजार में अगले हफ्ते आएगी तेजी या जारी रहेगी गिरावट? जानें एक्सपर्ट्स की क्या है राय?

स्टेप Market रिस्क क्या होता है? Market रिस्क क्या होता है? 5 : एक बार यदि आपने स्टॉक सलेक्ट कर लिया, तो इसके रेजिस्टैंस जोन से ऊपर निकलने का इंतजार करें। तुलनात्मक रूप से हाइयर वॉल्यूम के साथ ब्रेकआउट कैंडिल मजबूत होना चाहिए। एक बार ब्रेकआट मिलने पर, स्टॉक को रेजिस्टेंस लेवल से 4 फीसदी की दूरी के भीतर खरीदें। उदाहरण के लिए, यदि रेजिस्टैंस 100 रुपये है तो आपकी खरीद 104 रुपये पर होना चाहिए। Market रिस्क क्या होता है? यदि आप बाजार को रोजाना ट्रैक नहीं करते हैं तो आप इस कीमत पर गुड टिल ट्रिगर (जीटीटी) ऑर्डर भी दे सकते हैं।

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स्टेप 7 : रेजिस्टेंस लेवल से 4 फीसदी नीचे स्टॉप लॉस लगाइए। उक्त उदाहरण में यह 96 रुपये होना चाहिए। एक बार फिर से आप स्टॉप लॉस के रूप में जीटीटी सेल ऑर्डर लगा सकते हैं।

स्टेप 8 : टारगेट के हिट होने तक मूमेंटम के साथ बने रहिए। अपनी होल्डिंग्स पर आधा प्रॉफिट बुक कर लीजिए। अब, अपने स्टॉप लॉस को निकालने और इनवेस्टमेंट में बने रहने के लिए अपने चार्ट के साथ सुपरट्रेंड इंडिकेटर को जोड़ें। सुपरट्रेंड पर मिला लेवल आपका नया स्टॉपलॉस होगा। यहां पर विचार किसी भी रैली से वंचित नहीं रहने का है, यदि स्टॉक लगातार ऊपर चढ़ रहा है। एक बार प्राइस के सुपरट्रेंड इंडिकेटर हिट करने के बाद पूरी होल्डिंग्स बेच दीजिए।

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