बिहार में कछुए से भी धीमी है सामाजिक प्रगति की रफ्तार, 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में मिला 35वां स्थान
Social Progress Index 2022 प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने मंगलवार को राज्यों के सामाजिक प्रगति सूचकांक (एसपीआइ) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में पुडुचेरी लक्षद्वीप और गोवा का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है जबकि झारखंड और बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब आंका गया है।
पटना, जागरण डिजिटल डेस्क। बिहार की सत्ता पर पिछले 15 सालों से काबिज नीतीश कुमार की सरकार विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। शिक्षा के स्तर में सुधार, बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य और रोजगार जैसे बुनियादी जरूरतों को बेहतर बनाने को लेकर उपलब्धियां गिनाई जाती है। हालांकि, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council to the Prime Minister) की ओर से जारी सामाजिक प्रगति सूचकांक (Social Progress Index) सूबे में विकास की अलग ही गाथा बयां कर रही है। सामाजिक प्रगति के मामले में देशभर के 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में बिहार को 35वां स्थान मिला है। बिहार सिर्फ झारखंड से इस मामले में औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? बेहतर है, या यूं कहे कि झारखंड की हालत बिहार से भी बद्तर है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने मंगलवार 20 दिसंबर को भारत के राज्यों की सामाजिक प्रगति सूचकांक (SPI) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में पुडुचेरी, लक्षद्वीप और गोवा का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है, जबकि असम, बिहार और पड़ोसी राज्य झारखंड का प्रदर्शन सबसे खराब आंका गया है। ईएसी-पीएम के चेयरमैन विवेक देबराय ने ‘सामाजिक प्रगति सूचकांक: देश के राज्य और जिले’ पर आधारित यह रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट प्रतिस्पर्धा संस्थान और गैर-लाभकारी संगठन सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव ने तैयार की है।
इन 12 मानकों के आधार पर राज्यों का आकलन
सामाजिक प्रगति सूचकांक को तीन महत्वपूर्ण आयामों को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है। इसमें नागरिकों को बुनियादी मानव आवश्यकताएं (Basic Human Needs), कल्याण की नींव (Foundation of Well Being) और अवसर (Opportunity) के तहत 12 मानकों के आधार पर राज्यों का आंकलन किया गया है।
बुनियादी मानवीय आवश्यकताएं
- पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल
- जल और स्वच्छता
- व्यक्तिगत सुरक्षा
- आश्रय
फाउंडेशन ऑफ़ वेलबीइंग
- बुनियादी ज्ञान तक पहुंच
- सूचना और संचार तक पहुंच
- स्वास्थ्य और कल्याण
- पर्यावरणीय गुणवत्ता
अवसर
- व्यक्तिगत अधिकार
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद
- समावेशिता
- उन्नत शिक्षा तक पहुंच
प्रदर्शन के हिसाब से छह स्तरों में राज्यों की रैंकिंग
एसपीआई स्कोर के आधार पर राज्यों को सामाजिक प्रगति के छह स्तरों के तहत रैंक किया गया है। पहले स्तर यानी टीयर 1 में उन राज्यों के नाम शामिल है, जहां सामाजिक प्रगति का स्तर सबसे बेहतर है। इसके बाद टीयर 2 में उच्च सामाजिक प्रगति, टीयर 3 में ऊपरी मध्य सामाजिक प्रगति, टीयर 4 में निम्न मध्य सामाजिक प्रगति, टीयर 5 में कम सामाजिक प्रगति और टीयर 6 में सबसे कम सामाजिक प्रगति वाले राज्यों के नाम शामिल है।
लिस्ट में सबसे निचले पायदान पर बिहार
बिहार का नाम टीयर 6 यानी ऐसे राज्यों की लिस्ट में शामिल है, जहां सामाजिक प्रगति बहुत कम है। बिहार के अलावा असम और झारखंड भी बहुत कम सामाजिक प्रगति वाले राज्यों में शामिल है। सामाजिक प्रगति सूचकांक में एसपीआई स्कोर 100 में से बिहार को 44.47 मिला है। झारखंड 43.95 के साथ इस लिस्ट में सबसे नीचे है। पूरे देश की बात करें तो भारत का औसत सामाजिक प्रगति सूचकांक 60.19 है, जो वैश्विक औसत 65.24 से कम है।
कुछ मानकों पर बिहार का प्रदर्शन बेहतर
हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि असम, बिहार और झारखंड हालांकि स्वास्थ्य और कल्याण, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? पसंद, समावेशिता और व्यक्तिगत अधिकार के मामले में अपेक्षाकृत बेहतर स्थान पर है, लेकिन उच्च सामाजिक प्रगित प्राप्त करने के लिए इन राज्यों को पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल, सूचना और संचार और उन्नत शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक प्रगति के मानकों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है?
आज दुनिया के 191 देशों और क्षेत्रों के लिए औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? मानव विकास सूचकांक जारी किया गया है जिसमें भारत को 132वें पायदान पर जगह दी गई है। इस इंडेक्स में भारत को कुल 0.633 अंक दिए गए हैं जो भारत को मध्यम मानव विकास वाले देशों की श्रेणी में रखता है। वहीं 2019 में भारत को कुल 0.645 अंक दिए गए थे । यह गिरावट स्पष्ट तौर पर दर्शाती है कि कोरोना महामारी ने देश में लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर को बुरी तरह प्रभावित किया है।
गौरतलब है कि सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के 90 फीसदी देशों ने इस बार जारी मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में कमी दर्ज की है। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि दुनिया सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में एक बार फिर पिछड़ रही है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी “ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट 2021/22” के हवाले से पता चला है पिछले 32 वर्षों में यह पहली मौका है जब इस इंडेक्स में इतनी ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक लगातार पिछले दो वर्षों में वैश्विक स्तर पर लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा, आय और जीवन स्तर में गिरावट आई है। देखा जाए तो मानव विकास में हो रही प्रगति पांच वर्षों की गिरावट के साथ 2016 के स्तर पर वापस आ गई है।
रिपोर्ट की मानें तो इसके लिए कोविड-19, यूक्रेन में जारी युद्ध और जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़े कारक जिम्मेवार हैं। इन सबने मिलकर लोगों के जीवन पर व्यापक असर डाला है और मानव विकास की दिशा में हो रही दशकों की प्रगति को पलट दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक राजनैतिक, वित्तीय और जलवायु से जुड़े संकटों ने कोरोना की मार झेल रही आबादी को संभलने का मौका ही नहीं दिया।
इस बारे में यूएनडीपी प्रशासक अचिम स्टेनर का कहना है कि दुनिया एक के बाद एक आए संकटों से उबरने के लिए जद्दोजहद कर रही है। हमने रोजमर्रा की जरूरतों की बढ़ती कीमतों और ऊर्जा संकट को देखा है, जबकि हम जीवाश्म ईंधन को सब्सिडी देने जैसे त्वरित सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर रहें हैं, ऐसे में यह तत्काल राहत लम्बे समय के प्रणालीगत उपायों की राह में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
पिछले दो वर्षों में भारत की औसत जीवन प्रत्याशा में दर्ज की गई है 2.5 औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? वर्षों की गिरावट
यह मानव विकास सूचकांक, मानव विकास के तीन प्रमुख आयामों स्वस्थ और लंबा जीवन, शिक्षा तक पहुंच और जीवन गुणवत्ता को मापता है। इनकी गणना चार प्रमुख संकेतकों जीवन प्रत्याशा, औसत स्कूली शिक्षा, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय पर आधारित है।
इन तीन प्रमुख आयामों को देखें तो मानव विकास सूचकांक में आई हालिया गिरावट में जीवन प्रत्याशा का बहुत बड़ा हाथ रहा। आंकड़ों के अनुसार जहां वैश्विक स्तर पर 2019 में एक व्यक्ति की औसत आयु 72.8 वर्ष थी वो 2021 में 1.4 वर्षों की गिरावट के साथ घटकर 71.4 वर्ष रह गई है।
देखा जाए तो जीवन प्रत्याशा के मामले में जो रुझान वैश्विक स्तर पर सामने आए थे उन्हें भारत औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? से जुड़े आंकड़ों में भी स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। जहां 2019 में देश में प्रति व्यक्ति औसत जीवन प्रत्याशा 69.7 थी वो 2021 में 2.5 वर्षों की गिरावट के साथ 67.2 वर्ष रह गई थी। इसी तरह भारत में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष हैं, और स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? 6.7 हैं। वहीं यदि देश में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय को देखें तो वो करीब 6,590 डॉलर है।
भारत में यूएनडीपी के प्रतिनिधि शोको नोडा का इस बारे में कहना है कि वैश्विक स्तर पर मानव विकास में हो रही प्रगति पलट गई है, भारत भी गिरावट की इसी प्रवृत्ति को दर्शाता है। लेकिन इन सबके बीच अच्छी खबर भी है। आंकड़े दर्शाते हैं कि 2019 की तुलना में मानव विकास में व्याप्त असमानता का प्रभाव कम हुआ है। दुनिया की तुलना में भारत पुरुषों और महिलाओं के बीच मानव विकास की खाई को तेजी से पाट रहा है।
भारत में यूएनडीपी के प्रतिनिधि शोको नोडा का इस बारे में कहना है कि वैश्विक स्तर पर मानव विकास में हो औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? रही प्रगति पलट गई है, भारत भी गिरावट की इसी प्रवृत्ति को दर्शाता है। लेकिन इन सबके बीच अच्छी खबर भी है। आंकड़े दर्शाते हैं कि 2019 की तुलना में मानव विकास में व्याप्त असमानता का प्रभाव कम हुआ है।
दुनिया की तुलना में भारत पुरुषों और महिलाओं के बीच मानव विकास की खाई को तेजी से पाट रहा है। इस विकास के लिए भारत ने पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को भी कम किया है। देखा जाए तो भारत में विकास की यह कहानी देश में समावेशी विकास, सामाजिक सुरक्षा, और पुरुषों के साथ महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई नीतियों पर किए निवेश को दर्शाती है।
यदि दुनिया के अन्य देशों की बात करें तो इस साल ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में स्विटज़रलैंड को कुल 0.962 अंकों के साथ पहले स्थान पर जगह दी गई है। जहां औसत जीवन प्रत्याशा 84 वर्ष है। वहीं यदि शिक्षा की बात करें तो वहां व्यक्ति औसतन 13.9 वर्ष शिक्षा ग्रहण करता है जबकि स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 16.5 वर्ष हैं। इसी तरह वहां एक औसत व्यक्ति की सकल राष्ट्रीय आय 66,933 डॉलर है।
लोगों में बढ़ रहा है तनाव, उदासी, चिंता और गुस्सा
वहीं इसके विपरीत इस इंडेक्स में दक्षिण सूडान को सबसे निचले 191वें पायदान पर जगा दी गई है। देखा जाए तो दक्षिण सूडान में औसत जीवन प्रत्याशा 55 वर्ष है, जबकि एक औसत व्यक्ति की सकल राष्ट्रीय आय केवल 768 डॉलर है। इसी तरह दक्षिण सूडान में एक औसत बच्चा 5.7 वर्ष स्कूल जाता है।
वैश्विक स्तर पर जहां कुछ देशों में जीवन वापस ढर्रे पर लौट रहा है वहीं कुछ देशों की स्थिति में अब भी कोई खास बदलाव नहीं आया है। साथ ही मानव विकास में असमानताओं की खाई और चौड़ी हुई है। 2021 में आए महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार के बावजूद दुनिया के कई देशों में स्वास्थ्य संकट कहीं ज्यादा गहरा गया है। इन दो वर्षों में दुनिया के दो-तिहाई देशों ने जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में और भी कमी दर्ज की है।
महामारी ने न केवल लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया है साथ ही इसने अर्थव्यवस्थाओं को भी तबाह कर दिया है। इसकी वजह से लैंगिक असमानता में भी वृद्धि दर्ज की गई है। गौरतलब है कि इस दौरान वैश्विक लैंगिक असमानता में 6.7 फीसदी की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक से लोगों में तनाव, उदासी, गुस्सा और चिंता बढ़ रही है, जो अब रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। ऐसे में अनिश्चितता से भरी इस दुनिया में हमें एक दूसरे से जुड़ी इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें वैश्विक एकजुटता की भावना की जरुरत है।
Delhi Pollution: दिल्ली में हवा की दिशा बदलने से राहत, मंगलवार तक प्रदूषण घटने के आसार
दिल्ली में शनिवार को उत्तर-पश्चिम की जगह पूर्वी एवं दक्षिण पूर्वी दिशा से 10 से 12 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चली, जिसके चलते प्रदूषण से लोगों को राहत मिली है।
राजधानी में बीते दो दिनों से बढ़े हुए प्रदूषण से शनिवार को हल्की राहत मिली। हवा की दिशा बदलने के चलते शनिवार को प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी से बेहद खराब श्रेणी में आ गया है। अगले दो दिनों में प्रदूषण कम होकर खराब श्रेणी में जाने की संभावना है।
राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक जो गुरुवार को 450 और शुक्रवार को 447 अंक पर दर्ज हुआ था। शनिवार को यह आंकड़ा 385 अंक दर्ज किया गया। हालांकि, शनिवार को भी दिल्ली के 13 इलाके ऐसे रहे जहां प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में रहा। इनमें अधिकांश इलाके दिल्ली बॉर्डर के पास वाले हैं। राजधानी में प्रदूषण के चलते लगातार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस सप्ताह के अधिकांश दिनों में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी या उसका आसपास रहा है।
हालांकि, शनिवार से इसमें कमी देखने को मिल रही है। शनिवार सुबह जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 415 दर्ज किया गया तो वहीं शाम तक यह घटकर 385 पर आ गया। अगले दो दिनों में इसमें और कमी आने की संभावना जताई गई है। सफर की मानें तो आगामी मंगलवार तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से नीचे जा सकता है। ऐसा होने पर यह बेहद खराब श्रेणी से खराब श्रेणी में पहुंच जाएगा। राजधानी में शनिवार को तेज हवा चलने से प्रदूषक कणों का बिखराव हुआ है जिसके चलते वायु गुणवत्ता सूचकांक में कमी देखने को मिल रही है।
पूर्वी, दक्षिण पूर्वी दिशा से चली हवा
दिल्ली में शनिवार को उत्तर-पश्चिम की जगह पूर्वी एवं दक्षिण पूर्वी दिशा से 10 से 12 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चली, जिसके चलते प्रदूषण से लोगों को राहत मिली है। इस वजह से पराली का प्रदूषण दिल्ली तक काफी कम पहुंचा। सफर के औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में गुरुवार को पराली का प्रदूषण 30 फीसदी, शुक्रवार को 34 फीसदी जबकि शनिवार को 21 फीसदी शामिल रहा है। बीते 24 घंटे में पराली जलाने के 1761 मामले दर्ज हुए हैं। पराली के कम जलने की वजह से भी दिल्ली की हवा में सुधार देखने को मिला है। शनिवार को अधिकतम तापमान 30 डिग्री जबकि न्यूनत्तम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
13 जगहों पर गंभीर श्रेणी में एक्यूआई
राजधानी में शनिवार को 13 जगहों पर प्रदूषण गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। इनमें अधिकांश क्षेत्र दिल्ली के बॉर्डर से सटे हुए हैं। इनमें नरेला, अलीपुर, बवाना, जहांगीरपुरी, मुंडका, रोहिणी, अशोक विहार आदि शामिल हैं। इनके अलावा विवेक विहार, नेहरू नगर, पटपड़गंज, आरकेपुरम, सोनिया विहार और वजीरपुर में भी प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में रहा। आमतौर पर सबसे ज्यादा प्रदूषित रहने वाले आनंद विहार का वायु गुणवत्ता सूचकांक शनिवार को 368 दर्ज किया गया।
यहां गंभीर औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? श्रेणी में रहा एक्यूआई
जगह वायु गुणवत्ता सूचकांक
नरेला 427
बवाना 424
सोनिया विहार 420
जहांगीरपुरी 419
आरकेपुरम 416
रोहिणी 413
वजीरपुर 410
मुंडका 407
अलीपुर 406
अशोक विहार 402
पडपड़गंज 402
विवेक विहार 401
नेहरू नगर 401
औसत दिशात्मक सूचकांक (एडीएक्स)
औसत दिशात्मक सूचकांक (एडीएक्स)
औसत दिशात्मक सूचकांक - एडीएक्स 'क्या है'
औसत दिशात्मक सूचकांक (एडीएक्स) एक प्रवृत्ति की ताकत के लिए एक उद्देश्य मूल्य के रूप में तकनीकी विश्लेषण में उपयोग किया जाता है। एडीएक्स गैर-दिशात्मक है, इसलिए यह एक प्रवृत्ति की ताकत को बढ़ाता है चाहे इसके ऊपर या नीचे हो। यह आम तौर पर एक चार्ट विंडो में दो लाइनें जो डीएमआई (दिशात्मक आंदोलन संकेतक) के नाम से जाना जाता है, के साथ रखी गई है।
डाउन 'औसत डायरेक्शनल इंडेक्स - एडीएक्स'
एडीएक्स का विश्लेषण रुझानों के मूल्यांकन का एक तरीका है और व्यापारियों को सबसे मजबूत रुझान चुनने में मदद कर सकता है।
स्टॉक विश्लेषण के दो रूप हैं: मौलिक और तकनीकी मौलिक विश्लेषण व्यापार प्रदर्शन के आधार पर स्टॉक का चयन करता है, जबकि तकनीकी विश्लेषण मूल्य आंदोलन के आधार पर स्टॉक का चयन करता है। जब तकनीशियन एक निरंतरता या प्रवृत्ति उत्क्रमण की पुष्टि करने के लिए समय के साथ पैटर्न ढूंढते हैं, तो वे आमतौर पर सूचक के रूप में औसत दिशा निर्देशक का उपयोग करते हैं। वस्तुओं और दैनिक कीमतों के साथ उपयोग करने के लिए वेलनेस वाइल्डर द्वारा विकसित, सूचक को स्टॉक चयन के लिए भी उपयोग किया जाता है। वाइल्डर ने एडीएक्स को निर्धारित करने के लिए अधिक दिशात्मक आंदोलन (+ डीएम) और ऋण दिशा आंदोलन (-डीएम) का इस्तेमाल किया।
ट्रेडर्स का मानना है कि यह प्रवृत्ति आपके दोस्त है नतीजतन, कई व्यापारिक संकेतक हैं जो एक प्रवृत्ति की पुष्टि करने के लिए हैं एक बार प्रवृत्ति की पहचान की जाती है, हालांकि, चुनौती व्यापार को दर्ज करने और बाहर निकलने का सबसे अच्छा समय निर्धारित औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? कर रहा है। एडीएक्स का इस्तेमाल प्रवृत्ति की ताकत या कमजोरियों को मापने के लिए किया जाता है और इसलिए इसका सबसे अच्छा तरीका कार्रवाई करने के लिए डीएम और डीएम के साथ प्रयोग किया जाता है। एक साथ रखो, वाइल्डर ने एडीएक्स, डीआई + और डीआई-त्रिओ लाइनों से बाहर के कारोबार के लिए एक ढांचा बनाया।
एडीएक्स रणनीतियां
व्यापारियों ने यह निर्धारित करने के लिए ADX का उपयोग करके शुरू किया कि क्या कोई प्रवृत्ति है एडीएक्स 25 से अधिक होने पर एक मजबूत प्रवृत्ति होती है; वैसे ही, जब ADX 20 से नीचे गिरता है, तब कोई प्रवृत्ति नहीं होती है। जब डीआई लाइन- -DI लाइन से अधिक है, बैल के पास दिशात्मक बढ़त है हालांकि, जब -DI लाइन + DI पंक्ति से ऊपर है, भालू के दिशात्मक किनारे होते हैं सभी तकनीकी प्रवृत्तियों के साथ, व्यापारियों ने एक आंदोलन की पुष्टि के लिए कई संकेतक का उपयोग किया। एक विकल्प है जब -DI ऊपर है और प्रमुख प्रवृत्ति नीचे है बेचने के लिए है। एक और विकल्प खरीदने के लिए है जब + DI अधिक से अधिक -DI है, लेकिन केवल जब बड़ी प्रवृत्ति भी बढ़ रही है। दूसरे शब्दों में, एडीएक्स को बाजार पर एक प्रविष्टि के समय के रूप में उपयोग करना संभव है, जो पहले से ही एक विशेष दिशा में व्यापार करने की पुष्टि कर चुका है।
दिशा सालियान केस की जांच SIT से कराए जाने पर क्या बोले सुशांत सिंह राजपूत के पिता?
नई दिल्ली: दिशा सालियान के केस की अब SIT जांच होगी। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने राज्य विधानसभा में कहा कि सरकार दिशा सालियान के मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल बनाएगी। दिशा दिवंग्त एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर थीं। अब इस मामले पर सुशांत सिंह के पिता की प्रतिक्रिया आई है।
‘आदित्य ठाकरे का नार्को टेस्ट होना चाहिए’
सुशांत के पिता ने कहा कि जैसा मैंने खबरों में देखा उसमें आदित्य ठाकरे का नाम आ रहा था। सच्चाई का पता SIT की जांच में लगेगा। आदित्य ठाकरे का नार्को औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? टेस्ट होना चाहिए।
दिशा सालियान के केस की जांच के लिए SIT द्वारा कराए जाने पर सुशांत सिंह राजपूत के पिता के.के. सिंह ने कहा ये बहुत पहले होना चाहिए औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? था लेकिन सरकार दूसरी थी इसलिए नहीं किया गया। ये फैसला सही है। पिछली सरकार में जांच सही से इसलिए नहीं हुई क्योंकि उनके लोग मामले में शामिल थे।
कौन थीं दिशा सालियान?
28 साल की दिशा सालियान एक सेलिब्रिटी मैनेजर थीं। स्थानीय पुलिस ने दिशा सालियान की मौत के मामले में एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट (एडीआर) ली थी, क्योंकि पोस्टमॉर्टम में किसी तरह की साजिश का खुलासा नहीं हुआ था।
दिशा सालियान केस की जांच में पुलिस को क्या मिला?
मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, मामले के जांच अधिकारी (IO) ने कई महीनों तक जांच करने के बाद सहायक पुलिस आयुक्त को 2021 में एक रिपोर्ट भेजी। ऐसा माना गया कि सालियान की मौत में कोई साजिश नहीं थी।
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