मुद्रा लोन में कितना सब्सिडी मिलता है
मुद्रा लोन में कितना सब्सिडी मिलता है : आप सभी जानते हैं कि सरकार देश के नागरिकों को लाभ पहुंचाने के लिए कई प्रकार की योजना चला रहे हैं। सरकार जो छोटे व्यापारी होते हैं उनको अपना खुद का व्यवसाय करने के लिए या व्यवसाय को बढ़ाने के लिए लोन योजना चला रहे हैं। इस योजना का नाम प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना है। इस योजना के अंतर्गत लोन लेने पर सरकार उन नागरिकों को सब्सिडी प्रदान करते हैं। तो आप इस आर्टिकल से मुद्रा लोन में कितना सब्सिडी मिलता है इसकी पूरी जानकारी अवलोकन करके ले सकते हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के माध्यम से सरकार व्यापारियों को लोन प्रदान करते हैं जिसमे सब्सिडी प्रदान किया जाता है। इससे जो व्यापारी होते हैं उनको व्यवसाय करने में आसानी होती है या वे अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं। मुद्रा योजना में सरकार नागरिकों को 70 से 80 फीसदी सब्सिडी प्रदान करते हैं। अगर आप इसका लाभ लेना चाहते हैं तो इस योजना में आवेदन करके सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आवेदन करने की प्रक्रिया नीचे दिया गया है इससे आप पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
मुद्रा लोन में कितना सब्सिडी मिलता है ?
सरकार मुद्रा लोन योजना के अंतर्गत छोटे व्यवसाय करने वाले नागरिकों को लोन देते हैं। अब इस योजना से आप 70 – 80 फीसदी सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको आवेदन करने की प्रक्रिया नीचे दिया गया है , आप इसमें आवेदन करके सब्सिडी ले सकते हैं।
- अगर आप मुद्रा योजना के तहत लोन लेना चाहते हैं तो आपको आवेदन करके लिए लिए सबसे पहले इसके ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना होगा।
- अब आपके सामने इसका होम पेज ओपन होगा जिसमे आपको सबसे नीचे जाना है।
- उसके बाद आपको नीचे तीन विकल्प मिलेंगे Shishu , Kishor और Tarun जिसमे से आप जितंना लोन लेना चाहते हैं उसे सिलेक्ट करें।
- जैसे शिशु लोन को सिलेक्ट करते हैं तो आपके सामने अगला पेज ओपन होगा।
- उसमे आपको Application Form For Shishu के आगे दिए Download के लिंक को सिलेक्ट करें।
- अब प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का फॉर्म डाउनलोड हो जाएगा उसका आप प्रिंटआउट निकाल लें।
- उसके बाद फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी भरें और साथ ही दस्तावेजों को भी अटैच कर दें।
- अब फॉर्म को दस्तावेजों के साथ बैंक में जमा कर दें जहाँ मुद्रा लोन दिया जाता हो।
- इस प्रकार आपका आवेदन पूरा हो जायेगा और सत्यापन के बाद लोन मिल जायेगा।
सारांश -:
मुद्रा लोन में सब्सिडी प्राप्त करने के लिए पहले आप सरकार की वेबसाइट mudra.org.in को ओपन करें। इसके बाद शिशु को सिलेक्ट करें। फिर Download को सिलेक्ट करें। इसके बाद फॉर्म का प्रिंटआउट निकाल लें। फॉर्म में पूछे गए सभी जानकारी भरें। इसके बाद दस्तावेजों को अटैच कर दें। फिर फॉर्म को बैंक में जाकर जमा कर दें। इस प्रकार आप प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से सब्सिडी ले सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ( FAQ )
इस योजना के माध्यम से सरकार छोटे व्यवसाय शुरू करने वाले नागरिकों को लोन प्रदान करते हैं। इससे वे अपना करोबार बढ़ा सकते हैं या अपना नया बिजनेस शुरू कर सकते हैं।
इस योजना के माध्यम से लोन लेने वाले नागरिकों को 70-80 फीसदी सब्सिडी सरकार द्वारा दिया जाता है।
पीएम मुद्रा योजना का फॉर्म आप इसके वेबसाइट mudra.org.in में जाकर डाउनलोड कर सकते हैं। इस आर्टिकल में इसकी जानकारी दिया है।
मुद्रा लोन में कितना सब्सिडी मिलता है , इसकी सभी जानकारी हमने आपको इस आर्टिकल में विस्तार से दिया है जिससे आप आसानी से लोन में सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। इससे नागरिकों को बिजनेस करने में आसानी होती है तो आप भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
हमने आपको मुद्रा लोन सब्सिडी की जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दे दिया है , उम्मीद है आपको सभी जानकारी अच्छे से समझ आई होगी। आपको ऐसी और भी जानकारी इस वेबसाइट से मिल जाएगी। इस आर्टिकल को अवलोकन के बाद शेयर अवश्य करें , धन्यवाद।
US dollar का टूटेगा दबदबा! रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देगी सरकार, कारोबारियों को मिलेंगे ये सारे फायदे
कई देश दिवालिया हो गए हैं तो कई फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में इन देशों के साथ भारत का व्यापार प्रभावित हो रहा है।
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: September 07, 2022 12:41 IST
Photo:FILE US dollar vs rupee
Highlights
- घरेलू मुद्रा की गिरावट रोकने में भी मदद मिलेगी
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम मुद्रा बनाने में मदद मिलेगी
- आयात के लिए डॉलर की मांग कम हो जाएगी
US dollar का दबदबा आने वाले दिनों में टूट सकता है। दरअसल, भारत सरकार विदेशी व्यापार में रुपये के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए आज अहम बैठक करने जा रही है। इसमें वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्रतिनिधि समेत सभी प्रमुख बैंकों के अधिकारी शामिल होंगे। वित्तीय सेवा सचिव संजय मल्होत्रा बैठक की अध्यक्षता करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार लेनदेन की अनुमति देने से व्यापार सौदों के निपटान के लिए विदेशी मुद्रा की मांग घटने के साथ घरेलू मुद्रा की गिरावट रोकने में भी मदद मिलेगी। इससे रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन के लिए अहम मुद्रा बनाने में मदद मिलेगी। इस समय भारत और रूस के बीच हो रहे व्यापार के बड़े हिस्से का लेनदेन रुपये में ही हो रहा है। आइए, जानते हैं कि रुपये में विदेशी व्यापार बढ़ने से कारोबारियों को क्या फायदे मिलेंगे।
भारत को क्या लाभ मिलेगा
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद वैश्विक हालात बदले हैं। कई देश दिवालिया हो गए हैं तो कई फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में इन देशों के साथ भारत का व्यापार प्रभावित हो रहा है। रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने से इन देशों के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारतीय कारोबारी को बड़ा बाजार मिलेगा। इसके साथ ही द्विपक्षीय व्यापार में बैलेंस बनाने में इस प्रक्रिया से मदद मिल सकती है। रुपये में इनवॉयस और पेमेंट से ट्रांजैक्शन कॉस्ट और फॉरेन करेंसी में ट्रांजैक्शन से जुड़े मार्केट रिस्क भी कम होंगे। एक्सपोर्टर्स को रुपये की कीमत में मिले इनवॉयस के बदले एडवांस भी मिल सकेगा। वहीं, कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी FEMA (Foreign Exchange Management Act) के तहत कवर होंगे।
Image Source : INDIA TV
रुपये पर दबाव कम होगा
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने से रुपये पर दबाव कम होगा क्योंकि आयात के लिए डॉलर की मांग कम हो जाएगी। रुपये की मौजूदा कमजोरी के बीच यह कदम से व्यापार सौदों के रुपये में निपटान को बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा की मांग घटाने में मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक ने गत जुलाई में एक विस्तृत परिपत्र जारी करते हुए कहा था कि बैंकों को भारतीय रुपये में निर्यात एवं आयात संबंधी लेनदेन करने के लिए अतिरिक्त इंतजाम करने चाहिए। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के द्वारा दरों में बढ़ोतरी को लेकर आक्रामक रुख से डॉलर में मजबूती देखने को मिल रही है और दुनिया भर की अन्य करंसी में कमजोरी है। इसे घरेलू आयातकों पर बोझ बढ़ गया है। इससे भारत की आर्थिक स्थिति पर भी इसका नुकसान देखने को मिल रहा है। रुपये में विदेशी व्यापार बढ़ने से देश की आर्थिक मजबूती बढ़ेगी।
इन देशों में इस्तेमाल कर सकते हैं भारत की करेंसी
छोटी अर्थव्यवस्थाएं, जिनके लिए एक स्वतंत्र मुद्रा बनाए रखना संभव नहीं हैं वह अपने बड़े पड़ोसी देशों की मुद्राओं का उपयोग करते हैं और इस प्रक्रिया को फुल करेंसी सब्सटिट्यूशन कहा जा सकता है।
भारतीय मुद्रा को जिम्बाब्वे ने घोषित किया है लीगल टेंडर मनी।
हाइलाइट्स
- कई अर्थव्यवस्थाएं अपने देश में करती हैं भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल।
- जिम्बाब्वे ने भारतीय रुपये को अपना लीगल टेंडर मनी घोषित किया है।भारत के व्यापारी को एक भारतीय रुपये के बदले ज्यादा नेपाली मुद्रा मिलती है।
- भारत के व्यापारी को एक भारतीय रुपये के बदले ज्यादा नेपाली मुद्रा मिलती है।
2. नेपाल
नेपाल एक ऐसा देश है जिसे भारत का ही एक अभिन्न अंग कहा जाए तो गलत नहीं होगा। नेपाल ने दिसम्बर 2018 से 100 रुपये से बड़े मूल्य के भारतीय नोटों को बंद कर दिया है लेकिन 200 रुपये से कम के नोट बेधड़क स्वीकार किये जा रहे हैं। जब 2016 में भारत ने नोटबंदी की थी तब वहां पर लगभग 9.48 अरब रुपये मूल्य के भारतीय नोट इस्तेमाल किए जा रहे थे। भारत के व्यापारी नेपाल से व्यापार करने को उत्सुक रहते हैं क्योंकि भारत के व्यापारी को एक भारतीय रुपये के बदले ज्यादा नेपाली मुद्रा मिलती है।
3. मालदीव
मालदीव के कुछ हिस्सों में भारत की करेंसी यानी रुपये को आसानी से स्वीकार किया जाता है। 1 भारतीय रुपया 0.21 मालदीवियन रूफिया के बराबर है। भारत ने 1981 में मालदीव के साथ सबसे पहली व्यापार संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
4. भूटान
भारत का पड़ोसी देश होने के कारण भूटान के निवासी भारत की मुद्रा में खरीदारी करते हैं क्योंकि इन दोनों देशों की मुद्राओं की वैल्यू लगभग बराबर है। इसी कारण दोनों मुद्राओं के बीच विनिमय दर में उतार चढ़ाव से होने वाली हानि का कोई डर नहीं होता है। हालांकि भूटान ने भारत की करेंसी को लीगल टेंडर के रूप में इजाज़त नहीं दी है।
5. बांग्लादेश
वर्तमान में भारत के एक रुपये के बदले बांग्लादेश के 1.14 टका खरीदे जा सकते हैं। बांग्लादेश के द्वारा भारत से किया जाने वाला व्यापार भी लगभग 900 मिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया था। इस प्रकार स्पष्ट है कि बांग्लादेश में भारत का रुपया बहुत बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है।
रूसी मुद्रा रूबल ने की वापसी, प्रतिबंधों पर उठे सवाल
रूस की मुद्रा रूबल वापस उस जगह पहुंच गया है जहां वह युद्ध शुरू होने से पहले था. इससे पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के असर पर संदेह के सवाल उठ रहे हैं. और अमेरिका पर और ज्यादा कड़ाई बरतने का दबाव भी बढ़ा है.
रूस की मुद्रा रूबल दोबारा मजबूत हो चला है. अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद आई गिरावट से उबरकर रूबल ने बुधवार को अपनी पुरानी स्थिति वापस हासिल कर ली थी. रूबल की इस वापसी ने प्रतिबंधों के औचित्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
ब्रिटेन समेत कई यूरोपीय देशों और अमेरिका, कनाडा, जापान व ऑस्ट्रेलिया आदि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं. इन अभूतपूर्व प्रतिबंधों से अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए रूस ने कई कड़े कदम उठाए हैं. वहां के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में 20 प्रतिशत की वृद्धि की है. अपने रूबल के बदले यूरो या डॉलर आदि चाहने वाले लोगों पर भी सख्त पाबंदियां लगाई गई हैं.
हालांकि रूसी कदम बहुत समय तक वहां की अर्थव्यवस्था को संभाल पाएंगे, इसमें विशेषज्ञों को संदेह है लेकिन रूबल की वापसी ने यह बड़ा संकेत दिया है कि मौजूदा रूप में प्रतिबंधों का उतना असर नहीं हो रहा है जितने की संभावना जताई गई थी. यूक्रेन के सहयोगी तो उम्मीद कर रहे थे कि ये प्रतिबंध मुद्रा का व्यापारी कौन है रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन से अपनी सेनाएं वापस बुलाने पर मजबूर कर देंगे. लेकिन युद्ध को लगभग डेढ़ महीना पूरा होने वाला है और रूस की अपनी मुद्रा को मजबूत बनाए रखने की कोशिशें कम समय के लिए तो कामयाब होती दिख रही हैं.
और ज्यादा कदम उठाने का दबाव
बुधवार को रूबल की कीमत एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85 पर आ गई थी, जो करीब करीब वही स्तर था जो एक महीना पहले हुआ करता था. जबकि 7 मार्च को रूबल एक डॉलर के मुकाबले गिरकर 150 पर जा पहुंचा था. यह तब की बात है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐलान किया था कि उनका देश रूस के तेल और गैस आयात को प्रतिबंधित कर रहा है.पिछले हफ्ते पोलैंड की यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपतिने कहा था कि प्रतिबंधों ने "रूबल को रबल यानी धूल में मिला दिया है.”
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को भी समझ आ रहा है कि प्रतिबंध ज्यादा कामयाब नहीं हो रहे हैं. बुधवार को नॉर्वे की संसद में एक संबोधन में उन्होंने पश्चिमी देशों से और ज्यादा कड़ाई बरतने का आग्रह किया. जेलेंस्की ने कहा, "रूस को शांति स्थापना के लिए तैयार करने का एकमात्र तरीका प्रतिबंध हैं. प्रतिबंध जितने ज्यादा मजबूत होंगे, हम शांति उतनी जल्दी स्थापित कर पाएंगे.”
रूस दुनिया को क्या क्या बेचता है
To view this video please enable JavaScript, and consider upgrading to a web browser that supports HTML5 video
युद्ध शरू होने के वक्त इस बात को लेकर आशंकाएं पैदा हो गई थीं कि रूस की ऊर्जा पर निर्भर यूरोपीय देश इस परिस्थिति का सामना कैसे कर पाएंगे. लेकिन तमाम तरह के प्रतिबंधों के बीच भी यूरोपीय देशों ने रूस से तेल और गैस खरीदना बंद नहीं किया है. इससे रूसी अर्थव्यवस्था को बड़ी राहत पहुंची है.
खेल तो तेल का है
यूक्रेन में जन्मीं और अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वालीं अर्थशास्त्री तान्या बबीना कहती हैं कि ऊर्जा से तो रूस का आधा बजट चलता है. उन्होंने कहा, "रूस के लिए सब कुछ उसका ऊर्जा रेवेन्यू ही है. उसका आधा बजट इसी से चलता है. यही वो चीज है तो पुतिन और युद्ध को चलाए हुए है.” बबीना फिलहाल यूक्रेन के 200 अर्थशास्त्रियों के साथ मिलकर यह अध्ययन कर रही हैं कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का रूस पर कितना और कैसा असर हुआ है.
रूसी रूबल की मजबूती की एक वजह शांति वार्ताओं में हुई प्रगति भी है. तुर्की में जारी शांति वार्ता के बीच इसी हफ्ते रूस ने घोषणा की थी कि वह यूक्रेन की राजधानी कीव पर बमबारी को थाम रहा है. हालांकि अमेरिका और अन्य देशों ने उसकी घोषणा पर संदेह जताया था. लेकिन ऐसा लगता है कि बाजार ने इस पर कुछ भरोसा दिखाया है.
इसके बावजूद प्रतिबंधों का असर तो रूस के जनजीवन और अर्थदशा पर दिख रहा है. दर्जनों अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने वहां कामकाज बंद कर दिया है. इससे हजारों लोगों की नौकरियां गई हैं. प्रतिबंधों से बचने के लिए रूस की कोशिशें एक हद तक ही काम करेंगी. उदाहरण के लिए रूस का केंद्रीय बैंक एक हद तक ही ब्याज दरें बढ़ा सकता है. साथ ही, रूस यूरोप और अन्य खरीददारों पर रूबल में भुगतान का भी दबावबना रहा है.
कब तक होगा असर
ऐसे में रूस की उम्मीद तेल, गैस और खाद आदि के निर्यात पर है जिसमें चीन और भारत जैसे देश भी उसकी मदद कर रहे हैं. यूरोप को तो उसका तेल जा रहा है, उसने भारत को भी पहले से ज्यादा तेल बेचा है. हालांकि भारत को यह तेल कम दाम पर मिला है. लेकिन रूसी नेता कोशिश कर रहे हैं कि मित्र देशों को उसका निर्यात बना रहे और बढ़े ताकि उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव कम पड़े.
बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस के अर्थशास्त्रियों बेन्यामिन हिल्गेनस्टॉक और एलिना रिबाकोवा ने लिखा, "अमेरिका ने पहले ही रूस का तेल और प्राकृतिक गैस लेना बंद कर दिया है. ब्रिटेन ने कहा है कि साल के आखिर तक वह रूस पर अपनी निर्भरता पूरी तरह खत्म कर देगा. लेकिन इन कदमों का ज्यादा अर्थपूर्ण असर तब तक नहीं होगा, जब तक कि यूरोप ऐसा नहीं करता है.”
इन दोनों अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका तीनों ही रूस से तेल और गैस आयात बंद कर दें तो इस साल के आखिर तक उसकी अर्थव्यवस्था 20 प्रतिशत तक सिकुड़ जाएगी. अमेरिका और अन्य आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंधों का पूरा असर होने में कुछ समय लगेगा क्योंकि कच्चे माल और पूंजी की कमी से उद्योग धीरे-धीरे बंद होंगे.
दुनिया में सबसे ज्यादा चलती हैं ये 5 करेंसी, जानिए इनसे जुड़ी कुछ खात बातें
दुनिया भर में मुद्रा का व्यापारी कौन है अलग-अलग जगहों पर अलग तरह की करेंसी का चलन है. कुछ रुपए से कमजोर हैं, तो कुछ रुपए के मुकाबले मजबूत हैं.
दुनियाभर में इन करेंसी का चलन सबसे ज्यादा है, व्यापार भी इनमें ही होता है. (फाइल फोटो)
दुनिया भर में अलग-अलग जगहों पर अलग तरह की करेंसी का चलन है. कुछ रुपए से कमजोर हैं, तो कुछ रुपए के मुकाबले मजबूत हैं. आज हम आपको बताएंगे दुनिया भर की ऐसी ही पांच करंसी के बारे में जो सबसे अधिक चलन में हैं. 1934 में फेडरल नोट प्रेस ने एक लाख डॉलर का नोट छापा था, उस पर पूर्व राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन की फोटो नजर आती है. वह अब तक की सबसे ज्यादा कीमत वाला नोट था. अमेरिकी मुद्रा डॉलर आज दुनियाभर में चलती है और ज्यादातर व्यापार भी इसी से होता है. सबसे पसंदीदा मुद्रा डॉलर ही है.
आइए जानते हैं कौन-सी हैं ये 5 करंसी-
1- अमेरिकन डॉलर
अमेरिकन डॉलर संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक मुद्रा है. जिस तरह भारत में 1 रुपए में 100 पैसे होते हैं, ठीक उसी तरह अमेरिका में एक डॉलर में 100 सेंट होते हैं. 50 सेंट के सिक्के को आधा डॉलर कहा जाता है. पच्चीस सेंट के सिक्के को क्वार्टर कहकर बुलाया जाता है. अमेरिका में 10 सेंट के सिक्के को डाइम कहते हैं और पांच सेंट के सिक्को को निकल कहा जाता है. एक सेंट को अमेरिका में पैनी भी कहा जाता है. डॉलर के नोट 1, 5, 10, 20, 50 और 100 डॉलर में मिलते हैं.
कीमत
1 डॉलर= 71.58 रुपए (19 फरवरी 2019)
2- यूरो
यूरो यूरोपियन संघ के 28 में से 18 सदस्य देशों की मुद्रा है. इन देशों को सामूहिक रुप से यूरोजोन कहा जाता है. इन देशों में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, इस्टोनिया, फिनलैंड, फांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लग्जम्बर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, लातविया, स्लोवाकिया और स्पेन शामिल हैं. इन देशों के अलावा पांच अन्य यूरोपियन देश हैं, जो यूरो को अपनी करेंसी के रुपए में इस्तेमाल करते हैं.
यह करेंसी अमेरिका के डॉलर के बाद दुनिया की सबसे अधिक ट्रेड की जाने वाली करेंसी है. इसके साथ ही यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी रिजर्व करेंसी भी है. इस करेंसी का नाम यूरो (Euro) 16 दिसंबर 1995 को रखा गया. ग्लोबल मार्केट में इसे यूरोपियन करेंसी यूनिट के स्थान पर सम मूल्य पर 1 जनवरी 1999 को जारी किया गया.
कीमत
1 यूरो = 80.87 रुपए (19 फरवरी 2019)
3- पाउंड
पाउंड ब्रिटेन की आधिकारिक मुद्रा है. इसका नाम चांदी के एक पाउंड (भार) की कीमत के आधार पर रखा गया. यह एक लेटिन शब्द लिब्रा का अंग्रेजी ट्रांसलेशन है. लिब्रा को रोमन साम्राज्य में किसी चीज की वैल्यू मापने की एक यूनिट की तरह उपयोग किया मुद्रा का व्यापारी कौन है जाता था. एक पाउंड में 100 पेंसे (पेनी) होते हैं.
मुख्य रुप से यह मुद्रा (पाउंड) यूनाइटेड किंगडम (पाउंड स्टरलिंग), इजिप्ट (इजिप्शियन पाउंड), लेबनान (लेबनीज पाउंड), साउथ सुडान (साउथ सुडानीज पाउंड), सुडान (सुडानीज पाउंड) और सीरिया (सीरिया पाउंड) में चलती है. सामान्यतया पाउंड स्टरलिंग को ही पाउंड के नाम से जाना जाता है. फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में डॉलर, यूरो और येन के बाद यह चौथी सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाली करेंसी है.
कीमत
1 पाउंड = 92.37 रुपए (19 फरवरी 2019)
4- येन
येन जापान की आधिकारिक मुद्रा है. डॉलर और यूरो के बाद यह फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाली तीसरी करेंसी है. डॉलर, यूरो और पाउंड के बाद इसका इस्तेमाल रिजर्व करेंसी के रूप में भी किया जाता है. जापानी भाषा में येन का मतलब राउंड (गोल) होता है.
कीमत
100 येन= 64.69 रुपए (19 फरवरी 2019)
5- युआन
युआन चीन की आधिकारिक मुद्रा है. हालांकि, हॉन्ग-कॉन्ग और माकाओ में यह चलन में नहीं है. युआन के बैंक नोट एक युआन से लेकर 100 युआन तक हैं. इसका रंग तथा आकार भी अलग-अलग हैं. हॉन्ग-कॉन्ग में मुद्रा के रुप में डॉलर का चलन है.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 675