बीते 12 माह में सबसे तेज गति से भारत आई विदेशी मुद्रा
फ़ॉरेक्स क्या है
यह अनुमान है कि विश्व फ़ॉरेक्स बाजारों में औसतन 3.6 ट्रिलियन डॉलर का ट्रेड हर दिन होता है। फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग का अधिकांश हिस्सा किसी एक केंद्रीकृत या संगठित विनिमय पर नहीं बल्कि इंटरबैंक मुद्रा बाजार में ब्रोकरों के माध्यम से होता है। इंटरबैंक मुद्रा बाजार चौबीस घंटे का बाजार है जो दुनिया भर में सूर्य का अनुसरण करता है। ऑस्ट्रेलिया में खुलने और यू.एस. में बंद होने के बावजूद, विनिमय जोखिम युक्त संगठनों के लिए बाजार मौजूद है, सट्टेबाज भी विनिमय दरों में बदलाव के संबंध में उनकी दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? अपेक्षाओं से लाभ के प्रयास में फ़ॉरेक्स बाजारों में भाग लेते हैं।
प्रारंभिक भाग में, फ़ॉरेक्स बाजार का उपयोग संस्थागत निवेशकों द्वारा किया जाता दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? था जो वाणिज्यिक और निवेश उद्देश्यों के लिए बड़ी मात्रा में लेनदेन करते थे। आज हालांकि, आयातकों और निर्यातकों, अंतरराष्ट्रीय पोर्टफोलियो प्रबंधकों, बहुराष्ट्रीय निगमों, सट्टेबाजों, दैनिक ट्रेडर, लंबी अवधि के धारकों और हेज फंड सभी फ़ॉरेक्स बाजार का उपयोग करते हैं ताकि वे माल और सेवाओं के भुगतान कर सकें, वित्तीय आस्तियों में लेन-देन कर सकें और सट्टेबाजी के माध्यम से अपने जोखिम की हेजिंग या अपने जोखिम दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? को बढ़ाकर मुद्रा की गति के जोखिम दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? को कम करना या सट्टेबाजी कर सकें।
भारत के विदेशी मुद्रा भण्डार में रिकॉर्ड बढ़त, जानें कौन-सी नीतियों ने निभाई अहम भूमिका
कोविड-19 ने सबकुछ अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस आपदा ने पूरी दुनिया के विकास पर ब्रेक लगा दी। पूरी दुनिया उन्नति के मामलों में वर्षों पीछे चली गई। दुनियाभर के कई देशों में दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? आज अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता हो चुकी है और उन्हें इससे उबरने में कई साल लग जाएंगे। अर्थव्यवस्था के मामले में भारत की वर्तमान स्थिति उतनी अच्छी नजर भले ही नहीं आ रही हो,लेकिन दुनिया की बड़ी संस्थाओं ने माना है कि आने वाला समय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कमाल का रहने वाला है। इसके संकेत कोरोना काल के महासंकट में भी दिखने लगे हैं।
आर्थिक क्षेत्र में भारत तेजी से बढ़ रहा आगे
कोरोना के कारण देश में व्यापार-व्यवसाय की स्थिति कितनी खराब रही है, यह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन इसके बाद भी यदि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चार जून को खत्म सप्ताह में 600 अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड को पार कर गया,जिससे अवश्य ही एक नए उत्साह का संचार हुआ है। यह सीधे तौर पर बता रहा है कि भारत दुनिया के देशों के बीच आर्थिक रूप से आगे बढ़ने के लिए सतत प्रयासरत है, जिसमें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ राज्य सरकारों का निरंतर मिलनेवाला अहम योगदान महत्वपूर्ण है।
गिरावट की मुद्रा
सांकेतिक फोटो :Pixabay
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में एक डालर की दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? कीमत इक्यासी रुपए नौ पैसे आंकी गई, जो कि अब तक का सबसे निचला स्तर है। रुपए के अवमूल्यन के पीछे बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल बैंक की ब्याज दरों में सख्ती, डालर का मजबूत होना और भारत में निवेशकों का भरोसा कमजोर होना माना जा रहा है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए अपनी मौद्रिक नीति में सख्ती का रुख अपनाए हुए है, जिसका कुछ सकारात्मक परिणाम भी नजर आया है।
मगर रुपए की कीमत में गिरावट महंगाई से पार पाने और निवेश आकर्षित करने की दिशा में चुनौतियां पेश करेगी। भारत पेट्रोलियम पदार्थों और खाद्य दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? तेलों के मामले में बड़े पैमाने पर दूसरे देशों पर निर्भर है।
भारत के बढ़ते विदेशी दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? मुद्रा भंडार से डर रहा है ड्रैगन, जानें क्यों
भारत को घेरने की कोशिश में लगे चीन को इन दिनों एक खास तरह की परेशानी खाए जा रही है. वह अपने दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? पड़ोसी देश भारत के बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार से खासा चिंतित है. खुद चीन का न तो व्यापार बढ़ रहा है और न ही उसके विदेशी मुद्रा भंडार में कोई बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि चीन के पास इस समय 3.236 खरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, लेकिन वह यह नहीं देख सकता कि किसी दूसरे देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़े. इसी कारण चीन ने भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया है, जिसे हम आम भाषा में 'खिसयानी बिल्ली खंभा नोंचे' कहते हैं. इस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर है. हाल ही में इसमें 8.895 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है. ये डाटा भारतीय रिजर्व बैंक ने जारी किया है. इतना ही नहीं, इसमें हर सप्ताह 5 से 6 अरब डॉलर का इजाफा भी हो रहा है. इसे देखते हुए चीन ने आशंका जताई है कि इससे भारत के अन्य देशों को कर्ज देने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी, जिससे भारत अफ्रीकी महाद्वीप में चीन के बढ़ते विस्तारवाद को चुनौती दे सकता है.
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