आरटीओ ट्रांसपोर्टनगर के परिसर में सारा कंट्रोल दलालों के पास है। गेट पर ही वह लोगों को पकड़कर उनका काम कराने का ठेका ले लेते हैं। दलाल ऐसे लोगों की निगरानी करते हैं जिनको आरटीओ के कर्मचारी सारे दस्तावेज होने पर भी वापस लौटा देते हैं। यह दलाल परमिट से जुड़े काम से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीकरण जैसे कामों को आसानी से करवा देते हैं। गेट पर खड़े इन दलालों पर सीसी कैमरे की भी नजर नहीं पड़ती है। परिसर में लाइसेंस बनाने के लिए जितने अभ्यर्थी होते हैं उससे कहीं ज्यादा दलाल नजर आते हैं। कोई रौब दलाल कौन बन सकता है? दिखाने के लिए सफारी शूट पहनकर हाथ में पेन के साथ ग्राहक को ढूंढ़ता है तो कोई वकील बनकर।

Huma Qureshi will play the character of Tarla Dalal

दलालराज-2: यहां बिना एड्रेस प्रूफ के बन जाता है DL

दलालराज पार्ट-2

  • गाजियाबाद,
  • 07 जुलाई 2015,
  • (अपडेटेड 08 जुलाई 2015, 12:19 AM IST)

दिल्ली के आरटीओ दफ्तर में दलालराज का पर्दाफाश करने के बाद दिल्ली आजतक की टीम ने एनसीआर के आरटीओ दफ्तरों का रुख किया. आपरेशन दलालराज पार्ट-टू के लिए टीम गाजियाबाद के आरटीओ दफ्तर पहुंची. यहां दलालों और आरटीओ दफ्तर के की मिलीभगत खुलेआम दिखी. दलाल खुलेआम कहते मिले कि वो आरटीओ दफ्तर के कर्मचारियों को पैसे देते हैं.

यदि दलालों को पैसा दे दिया गया तो न तो टेस्ट देना होगा न ही कोई ट्रायल. और तो और बिना एड्रेस प्रूफ के भी लाइसेंस बन जाएगा. दलाल सारी जिम्मेदारी खुद लेते हैं. एक दलाल तो ऐसा मिला जो आरटीओ के सभी दलालों की जन्मकुंडली अपने पास होने का दावा कर रहा था. उसका कहना था कि पूरे आरटीओ कैंपस में काम किसी को भी दिया जाए, आता उसी के पास है.

तरला दलाल (Tarla Dalal) के जीवन पर बन रही फिल्म

Recipes of Tarla Dalal

तरला दलाल के जीवन पर एक फिल्म बनने जा रही है

जल्द ही तरला दलाल के जीवन पर एक फिल्म बनने जा रही है। फिल्म का नाम भी ‘तरला’ रखा गया है। इस फिल्म में बॉलीवुड अभिनेत्री, हुमा कुरैशी मुख्य भूमिका में नज़र आएंगी। फिल्म में तरला दलाल के जीवन से जुड़ी मुख्य घटनाएं और पाक कला के सबसे ऊंचे मकाम पर पहुंचने तक के उनके सफर के बारे में बताया जाएगा।

इस फिल्म का निर्माण रोनी स्क्रूवाला, अश्विनी अय्यर तिवारी और नितेश तिवारी द्वारा किया जाएगा और इसके निर्देशक पीयूष गुप्ता हैं। पीयूष गुप्ता लेखक हैं और बतौर निर्देशक यह उनकी पहली फिल्म है।

खाना पकाना – एक विरासत

तरला दलाल (Tarla Dalal) का जन्म पुणे में हुआ। साल 1960 में तरला की शादी नलिन से हुई, जिसके बाद वह मुंबई शिफ्ट हो गईं। दलाल कौन बन सकता है? तरला को खाना पकाने का शौक़ शुरु से रहा। 1966 में उन्होंने अपने शौक़ और जुनून को एक नई दिशा देने का फैसला किया और अपने पड़ोसियों के लिए कुकरी क्लास चलाने लगीं। इस क्लास में वह साधारण थाई डिश से लेकर मेक्सिकन, दलाल कौन बन सकता है? इटालियन और भारतीय व्यंजन बनाना सिखाती थीं।

लोगों को उनकी क्लास बेहद पसंद आई और कुछ ही समय में वह काफी लोकप्रिय हो गईं। इसके बाद, काफी बड़ी संख्या में लोग तरला की क्लास में एनरोल कराने आने लगे। उनकी क्लास की लोकप्रियता को देखते हुए, उस समय भारत के सबसे प्रमुख प्रकाशकों में से एक, वकील एंड संस ने उनकी पहली कुकबुक प्रकाशित करने के लिए उनके साथ कोलेबोरेट किया। इस किताब का नाम था – ‘द प्लेजर ऑफ वेजिटेरियन कुकिंग’।

साल 1974 में प्रकाशित की गई इस किताब में इंडियन, चायनीज़ और पश्चिमी शाकाहारी व्यंजनों की कई रेसिपी थी। इस किताब का अनुवाद कई भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली के साथ-साथ डच और रूसी जैसी विदेशी भाषाओं में भी किया गया था।

कुकिंग क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित एक मात्र भारतीय (Tarla Dalal)

तरला की पाक कला में गहरी समझ थी। अपनी किताबों में उन्होंने कई विषयों पर फोकस किया और अलग-अलग तरह की रेसिपीज़ के बारे में बताया, जैसे- सुबह का नाश्ता, कम तेल में खाना बनाना, देसी भोजन, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए दिलचस्प रेसिपीज़ आदि। इसके अलावा, उन्होंने एक हेल्थ सिरीज़ भी लिखी।

इन वर्षों में, तरला दलाल के कुकबुक की लाखों प्रतियां बिकीं, जिससे वह भारतीय गृहिणियों और कामकाजी महिलाओं के किचन का हिस्सा बन गईं। तरला हमेशा समय के साथ आगे बढ़ती गईं। उन्होंने ‘तरला दलाल फूड्स’ (TDF) नाम के एक ब्रांड के तहत रेडी-टू-कुक मिक्स की एक लाइन भी लॉन्च की।

मुंबई के पास अंबरनाथ में एक कारखाने में 18 से अधिक तरह के इंस्टेंट मिक्स बनाए जाते थे। साल 2013 में, इसे कॉर्न प्रोडक्ट्स कंपनी (इंडिया) लिमिटेड द्वारा अधिग्रहित किया गया था। तरला, साल 2007 में खाना पकाने के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित होने वाली एकमात्र भारतीय बनीं।

माँ की विरासत संभाल रहा बेटा

Black pepper

“हम स्वास्थ्य से जुड़ी रेसिपीज़ पर ध्यान देते हैं”

17,000 व्यंजनों की रेसिपी के साथ तरला ने अपनी वेबसाइट – www.tarladalal.com – लॉन्च की। ऐसा दावा किया जाता है कि यह सबसे बड़ी भारतीय फूड रेसिपी वेबसाइट है, जिसमें देशी से लेकर अंतर्राष्ट्रीय व्यंजनों की उनकी सभी शाकाहारी रेसिपीज़ शामिल हैं।

उन्होंने कुकिंग एंड मोर नामक एक द्विमासिक पत्रिका भी निकाली और टेलीविजन पर कुकिंग शो होस्ट करना भी शुरु किया। यह उनका अपना शो ‘कुक इट अप विद तरला दलाल’ था, जिसने उन्हें घर-घर में लोकप्रियता दिलाई और सेलीब्रिटी शेफ बनाया।

साल 2013 में, 77 वर्ष की आयु में, तरला दलाल (Tarla Dalal) का उनके मुंबई आवास पर दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। वह अपने पीछे पाक कला की 40 साल की विरासत छोड़ गईं। उनके तीन बच्चे हैं। उनके बेटे संजय दलाल अब वेबसाइट, कुकबुक के प्रकाशन, कुकरी क्लास और सोशल मीडिया अकाउंट देखते हैं।

ऑन द स्पॉट : बाहर बाबू-अंदर दलाल लगाते 'जुगाड़', यहां रुपये दिए बिना नहीं बनता लाइसेंस

ऑन द स्पॉट : बाहर बाबू-अंदर दलाल लगाते

लखनऊ(जेएनएन)। कहने को तो संभागीय परिवहन कार्यालय की सभी सेवाएं ऑनलाइन हैं, लेकिन देवा रोड स्थित एआरटीओ दफ्तर में हर काम ऑफलाइन हो रहा है। लाइसेंस के लिए पंजीयन कराना हो या वाहन का ट्रांसफर। कोई काम दलाल बिना नहीं हो सकता। कमोबेश यही हाल कानपुर रोड स्थित आरटीओ का भी दिखा। यहां जिस कार से ड्राइविंग टेस्ट लिया जा रहा था। परीक्षण के दौरान तो उसका ब्रेक भी नहीं लगा। मौके पर जमा जरूरतमंदों से ज्यादा संख्या दलालों की मिली। सोमवार को जागरण की ऑन द स्पॉट टीम मौके पर पहुंची तो लोगों की परेशानी उभरकर सामने आयी। कैमरे का फ्लैश चमका तो दलाल भाग खड़े हुए।

आरटीओ दफ्तर के सामने सड़क पर पेड़ों के नीचे बाइक पर बैठे दलाल आते-जाते लोगों को रोक रहे थे। गोमतीनगर से आए विनोद पाल दलाल के झांसे में फंस गए। पाल के अनुसार, दलाल ने लाइसेंस बनवाने के एवज में उनसे 2400 रुपये मांगे। उनके पास उतने पैसे नहीं थे। वह कार्यालय में गए तो बाबू ने उन्हें सर्वर न चलने का बहाना बताया। बाहर आए तो फिर दलाल ने घेरा। आखिर वह मजबूर हो गए। कागज व 1500 रुपये दलाल को देकर चले गए।

भास्कर स्टिंग: परिवहन विभाग के सिस्टम में दलालों का ऐसा दखल, चालान जमा करवाए बिना बन रहा वाहनों का फिटनेस; दलाल बोला-किसी भी जिले में काम हो जाएगा

दलाल बिल्लू, जिसने फिटनेस बनवाने का भरोसा दिया। - Dainik Bhaskar

सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद परिवहन विभाग में दलालों का दखल खत्म नहीं हो रहा है। परिवहन विभाग में दलालों का दखल खत्म करने के लिए सरकार ने पूरा सिस्टम ऑनलाइन कर दिया। लेकिन दलालों ने इस सिस्टम में भी सेंध लगा ली है। इसमें विभाग के कर्मचारियों की भी मिलीभगत है और बदले में उन्हें हर महीने मोटी कमाई हो रही है। खास बात ये है कि दलालों का नेटवर्क पूरे प्रदेश में दलाल कौन बन सकता है? फैला है।

ये दलाल बिना चालान कंपाउंड करवाए ही व्यावसायिक गाड़ियों का फिटनेस सर्टिफिकेट बनवा रहे हैं। ये सारा खेल बूंदी का एक दलाल बिल्लू कर रहा है। उसने बूंदी परिवहन विभाग के ऑफिस के पास ऑफिस बना रखा है। भास्कर टीम ने एक गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए उससे संपर्क किया तो उसने कहा कि चिंता मत करो, कुछ देर के लिए चालान का लॉक खुलवा दूंगा और इस दौरान फिटनेस बन जाएगा।

टिकट दलाल से रेलवे का टिकट खरीदने पर हो सकती है जेल, जानिए क्या है नियम

यदि आपने किसी टिकट दलाल की मदद से कनफर्म टिकट प्राप्त कर लिया है और आप सोच रहे हैं कि आपका सफर आरामदायक होगा. तो ऐसा नहीं है. दरअसल रेलवे का टिकट किसी दलाल के जरिए खरीदा जाना गैरकानूनी है और टिकट खरीदने वाले पर भी कार्रवाई की जा सकती है. आइये जानते हैं क्या दलाल कौन बन सकता है? है नियम.

टिकट दलाल से रेल टिकट खरीदने पर बढ़ सकती है मुश्किल (फाइल फोटो)

यदि आपने किसी टिकट दलाल की मदद से कनफर्म टिकट प्राप्त कर लिया है और आप सोच रहे हैं कि आपका सफर आरामदायक होगा. तो ऐसा नहीं है. दरअसल दलाल कौन बन सकता है? रेलवे का टिकट किसी दलाल के जरिए खरीदा जाना गैरकानूनी है और टिकट खरीदने वाले पर भी कार्रवाई की जा सकती है. आइये जानते हैं क्या है नियम.

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