क्या हैं लक्षण
’गर्दन की मांसपेशियां में कड़ापन हो जाना और उनमें खिंचाव आना।
’गर्दन में दर्द होना।
’दर्द तब और बढ़ जाता है, जब गर्दन को लंबे समय तक एक ही स्थिति में होल्ड कर के रखें। जैसे ड्रार्इंवग या कंप्यूटर पर काम करना आदि।
’हाथों, पैरों और पंजों में झुनझुनी, सुन्नपन सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? या कमजोरी महसूस होना।
’सिर के पिछले भाग और कंधों में दर्द होना।
’शरीर का संतुलन बनाने और चलने में परेशानी होना।
’मांसपेशियों में ऐंठन।
’ब्लैडर और बाउल पर नियंत्रण न रह पाना।
शोल्डर बर्साइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम कारक, उपचार चक्र और उपचार
कंधे का बर्साइटिस (इंपिंगमेंट सिंड्रोम) तब होता है जब बांह की हड्डी के सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? शीर्ष और कंधे की नोक के बीच सूजन और लाली होती है। इन हड्डियों के बीच रोटेटर कफ के टेंडन और बर्सा नामक द्रव से भरी थैली होती है, जो टेंडन की रक्षा करती है। शोल्डर बर्साइटिस के लक्षण सुस्त दर्द, तेज दर्द या हल्की कोमलता हैं। अन्य लक्षणों में कंधे की अकड़न या सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? सूजन और गति की दर्दनाक सीमा शामिल है [1].
कंधे के बर्साइटिस के लक्षण ओवरहेड मूवमेंट करने और भारी वस्तुओं को उठाने में दर्द हैं। अन्य लक्षण कंधे के सामने कोमलता, प्रभावित पक्ष पर झूठ बोलने में दर्द, हाथ और कंधे में कठोरता, और वस्तुओं को उठाने में कमजोरी महसूस करना है [1].
कंधे बर्साइटिस के कारण और जोखिम कारक
- कंधे के बर्साइटिस होने का सबसे आम कारक बास्केटबॉल, तैराकी और टेनिस जैसी सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? दोहरावदार सिर की गतिविधियाँ हैं।
- शोल्डर बर्साइटिस का दूसरा कारण भारी वस्तुओं को उठाना है, विशेष रूप से ओवरहेड लिफ्टिंग जो बर्साइटिस का कारण बन सकता है।
- इसके अलावा, चोट या सीधे झटका या कंधे की ओर गिरने से सूजन हो सकती है।
- मधुमेह, रुमेटी गठिया, गठिया, थायरॉयड रोग वाले व्यक्ति के कंधों में बर्साइटिस होने का जोखिम कारक होता है
- यह भी देखा गया है कि सोने या अन्य गतिविधियों के दौरान अनुचित मुद्रा बर्साइटिस का कारण बन सकती है।
- कुछ अध्ययनों ने यह भी साबित किया है कि बर्साइटिस होने का कारण फिर से कारक भी हो सकता है [2].
सामान्य उपचार चक्र में तीन चरण होते हैं। सूजन, प्रसार, और परिपक्वता।
- सूजन के चरण में दर्द, सूजन, तापमान और लालिमा शामिल हैं। यह विज्ञापन सूजन को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, आस-पास के ऊतकों को नुकसान से बचाने में मदद करता है। बढ़े हुए तापमान से रोगजनकों का निपटान होता है और यह श्वेत रक्त कोशिकाओं को उपचार चक्र शुरू करने के लिए सचेत करता है।
- प्रसार चरण में, प्रभावित क्षेत्र में निशान ऊतक का निर्माण होता है ताकि प्रावरणी प्रतिबंध और मांसपेशियों में ऐंठन से उपचार प्रक्रिया जारी रहे। निशान ऊतकों के गठन के सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? बिना उपचार चक्र शुरू नहीं हो सकता है।
- अंतिम चरण परिपक्वता है जिसमें उपचार चक्र नई त्वचा कोशिकाओं के निर्माण से पूरा होता है जो निशान ऊतकों को प्रतिस्थापित करते हैं [3].
कंधे के बर्साइटिस का उपचार चक्र
कंधे के बर्साइटिस का उपचार चक्र सामान्य उपचार चक्र से थोड़ा अलग होता है क्योंकि जब कंधे का बर्साइटिस शारीरिक चोट के कारण होता है, तो कुछ दिनों के भीतर इसका इलाज किया जा सकता है। यदि बर्साइटिस अति प्रयोग के कारण होता है तो रिकवरी का समय अधिक होता है। इसे ठीक होने में कई सप्ताह या उससे अधिक समय लग सकता है, खासकर यदि कंधे के जोड़ का अभी भी सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? उपयोग किया जा रहा हो [4].
अधिकांश सामान्य उपचार कंधे के बर्साइटिस के लिए प्रभावी नहीं होते हैं।
- हीट और आइस थेरेपी शारीरिक तनाव और थकान के कारण ऊतकों और मांसपेशियों को राहत देने में प्रभावी सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? हैं लेकिन कंधे के बर्साइटिस के लिए बहुत प्रभावी नहीं हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक उत्तेजना (एस्टिम) चिकित्सा कण्डरा की चोटों के बाद वसूली में प्रभावी है लेकिन वे कंधे बर्साइटिस में बहुत प्रभावी नहीं हैं।
- फोम रोलर्स सेल्फ-मायोफेशियल रिलीज तकनीक (एसएमआर) को संदर्भित करता है जो ऊतकों और मांसपेशियों में जकड़न और खटास को छोड़ता है लेकिन यह थेरेपी शोल्डर बर्साइटिस के लिए पर्याप्त प्रभावी नहीं है।
- कंधे के बर्साइटिस में मालिश और स्ट्रेचिंग बहुत प्रभावी नहीं हैं क्योंकि यह प्रभावित क्षेत्र में गहराई से नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह तब प्रभावी होता है जब मांसपेशियों और ऊतकों की मांसपेशियों की गतिविधि में वृद्धि के कारण प्रभावी होते हैं और खिंचाव के परिणामस्वरूप जलन बिंदु पर और संपीड़न होता है जो आगे चलकर बनाता है दर्द सबसे खराब।
- संयुक्त गतिशीलता एक संयुक्त को वांछित दिशा में ले जाने के लिए कुशल श्रेणीबद्ध बलों का सावधानीपूर्वक उपयोग है, लेकिन यह कंधे के बर्साइटिस में ज्यादा प्रभावी नहीं है क्योंकि अगर यह सूजन के चरण में किया जाता है तो यह अधिक सूजन का कारण होगा।
- विशेष रूप से सूजन के चरण के दौरान शक्ति व्यायाम कंधे के बर्साइटिस के लिए प्रभावी नहीं होते हैं क्योंकि यदि हम प्रभावित क्षेत्र के साथ दोहरावदार गति करते हैं, तो स्थिति और खराब हो जाएगी [5].
फ्रोजन शोल्डर भी हो सकता है एक कारण-
डॉक्टर कहते हैं कि फ्रोजन शोल्डर भी इस समस्या की एक वजह हो सकती हैं। इसमें कई लोगों को कंधे में भयानक दर्द होता है। कई बार घरेलू उपचार करने के बाद भी कोई राहत नहीं मिलती । इस स्थिति में डॉक्टर से संर्पक करना चाहिए।
क्या है फ्रोजन शोल्डर
फ्रोजन शोल्डर को एडहेसिव कैप्सुलिटिस कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रूक-रूक कर कंधे के जोड़ों में दर्द महसूस होता है। बैंगलोर के नारायण मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पीटल के डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड ट्रॉमा के ऑर्थोपेडिक कंसल्टेंट और हेड डॉ. राजेन्द्र रेडी के अनुसार 'आमतौर पर फ्रोजन शोल्डर की समस्या मधुमेह और चेाट के बाद के रोगियों में देखी जाती है'। वे कहते हैं कि 'इस मामले में जॉइंट को कवर करने वाली कैप्सूल मोटी और सख्त होने के साथ सूज जाती है, जिससे फाइब्रोसिस हो जाता है। इस वजह से जोड़ में ह्यूमरल हेड सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? मूवमेंट के लिए जगह कम हो जाती है'।
तीन स्टेज में उभरती है ये स्थिति-
यह दर्दनाक स्थिति धीरे-धीरे उभरती है और तीन चरणों में आगे बढ़ती है । डॉ. कहते हैं कि हर चरण कई महीने तक चल सकता है। पहली स्टेज में कंधों को हिलाने-डुलाने में तेज दर्द होता है। दूसरी स्टेज में दर्द हल्का होने लगता है , लेकिन कंधे को हिलाना पहले से भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। अक्सर चीजों को उठाने और उस कंधे का उपयोग करने में परेशानी महसूस होती है। दर्द रात में बढ़ सकता है , जिससे नींद भी डिस्टर्ब हो सकती है। तीसरी स्टेज थॉइंग स्टेज होती है। इसमें बोनी स्पर्स और टेंडिनोपैथियों वाले लोगों में कंधे में दर्द बहुत तेज होता है, जिससे व्यक्ति कभी ठीक नहीं हो पाता।
कंधे के दर्द से पड़ सकता है दिल का दौरा-
डॉ. छाबड़ा का कहना है कि ज्यादातर मामलों में गर्दन और कंधे का दर्द एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। दर्द अगर काफी दिनें तक बना रहा , तो इसकी जांच कराना चाहिए। अगर आपको दर्द सुन्नता या बिना किसी राहत के हफ्तों तक बना रहता है, कंधे में सूजन है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। कंधे के दर्द के कारण दिल का दौरा पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। डॉ.छाबड़ा कहते हैं कि 'अगर दर्द छाती तक जाता है और सांस लेने में मुश्किल होने लगे, तो कंधे के दर्द को गंभीरता से लिया सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? जाना चाहिए। यह दिल का दौरा और स्ट्रोक का संकेत है'।
गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है गर्दन का दर्द, जानें कारण, लक्षण और बचाव
गर्दन में दर्द की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। शरीर का पॉस्चर ठीक न होने की वजह से गर्दन की मांसपेशियों र्में ंखचाव आ जाता है। कंप्यूटर के लगातार बढ़ते प्रचलन ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है, क्योंकि लोग लगातार घंटों कंप्यूटर पर झुककर काम करते रहते हैं। समय रहते उपचार न कराया जाए, तो सर्वाइकल पेन केवल गर्दन तक ही सीमित नहीं रहता है, बल्कि शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाता है। सर्वाइकल यानी गर्दन में दर्द की शिकायत करने वालों की संख्या आजकल तेजी से बढ़ रही है। इसे नजरअंदाज किया गया, तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। इससे बचाव के बारे में बता रहे हैं मनोज शर्मा
जानें क्या है फ्रोजन शोल्डर, इसके कारण, लक्षण, उपचार एवं सावधानियां
फ्रोजन शोल्डर में कंधे की हड्डियों को मूव करना मुश्किल होने लगता है। मेडिकल भाषा में इस दर्द को एडहेसिव कैप्सूलाइटिस कहा जाता है। हर जॉइंट के बाहर एक कैप्सूल होता है। फ्रोजन शोल्डर में यही कैप्सूल स्टिफ या सख्त हो जाता है। यह दर्द धीरे-धीरे और अचानक शुरू होता है और फिर पूरे कंधे को जाम कर देता है। जैसे ड्राइविंग के दौरान या कोई घरेलू काम करते-करते अचानक यह दर्द हो सकता है।
लक्षण और चरण
वैसे तो शॉक या चोट से यह समस्या नहीं होती, लेकिन कभी-कभी ऐसा हो सकता है। फ्रोजन शोल्डर में दर्द अचानक उठता है। धीरे-धीरे कंधे को हिलाना-डुलाना मुश्किल हो जाता है। इसके तीन चरण हैं-
कंधे और गर्दन में लगातार दर्द बने रहना सर्वाइकल के हैं संकेत, जानें इसके उपाय और लक्षण
Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: June 25, 2020 17:09 IST
Image Source : INSTAGRAM/GEORGIAMTC Cervical - सर्वाइकल
लगातार एक जगह बैठे रहना, झुककर काम करना, बैठने की पोजीशन ठीक न होना. इन सभी वजहों से अक्सर कंधे और गर्दन में दर्द लगातार बना रहता है। कई बार तो दर्द इतना बढ़ जाता है कि गर्दन और हाथ का मुड़ना भी मुश्किल हो जाता है। अगर आप भी इस तरह की किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो ये सर्वाइकल की बीमारी के संकेत हैं। ऑफिस में लगातार बैठकर काम करने और लगातार झुक कर काम करने या फिर घर में रोजाना ढेरों कपड़े एक साथ धोने की आदत भी सर्वाइकल की वजह बन सकती है। जानिए सर्वाइकल होने पर क्या-क्या दिक्कते होती हैं। इसके साथ ही ये भी जानिए कि इससे बचने के लिए क्या करें।
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जानें सर्वाइकल होने का कारण
आजकल भी भागती दौड़ती जिंदगी में सर्वाइकल एक आम समस्या बन गई है। हर दूसरा व्यक्ति इस समस्या से पीड़ित है। सर्वाइकल की समस्या क्षमता से ज्यादा काम करने की वजह से उत्पन्न होती है। जिसके शुरुआती लक्षण गर्दन और कंधे में दर्द होना है। इसके बाद ये समस्या बढ़ती जाती है और फिर रीढ़ की हड्डी को भी प्रभावित करना शुरू कर देती है। इसलिए अगर आप इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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सर्वाइकल के लक्षण
कंधे और गर्दन में लगातार दर्द बना रहना
सिर भारी होना
कंधे सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? और गर्दन का दर्द बढ़ने के साथ हाथ और गर्दन का न मुड़ना
गर्दन को मोड़ते वक्त अधिक दर्द होना
चक्कर आना
हाथों का सुन्न पड़ना
गर्दन के पीछे वाले हिस्से पर सूजन आना
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सर्वाइकल से बचने के उपाय
बैठते वक्त गर्दन की पोजीशन एकदम सीधे रखें
ऑफिस का काम करते वक्त पीठ को सीधा रखें
ज्यादा ऊंचे और कठोर तकिए को न लगाएं
लगातार काम करने के बाद हल्का सा भी दर्द हो सिकाई करें
गर्दन और कंधे की एक्सरसाइज करें
ढेरों कपड़े एक साथ हाथ से न धोएं
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