छोटा है पर दमदार है

स्मॉल-कैप फंड्स में निवेश जोखिम भरा हो सकता है लेकिन उनमें निवेश करने का एक अच्छा पहलू भी है कि वे धन सृजन की महत्वपूर्ण रणनीति हो सकते हैं

स्मार्ट मनीः मोटा मुनाफा कमाने का अवसर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2022,
  • (अपडेटेड 04 अक्टूबर 2022, 4:23 PM IST)

नारायण कृष्णमूर्ति

इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए बस यह चुनना होता है कि कितने बड़े कारोबार में निवेश किया जाए. बहुत बड़े कारोबारों की खबरें नियमित रूप से आती रहती हैं जिनसे नए लोगों को भी उनके बारे में पहले से मालूम होता है. लेकिन शेयर बाजारों की स्मॉल-कैप श्रेणी में आने वाले कई कारोबारों के बारे में यह बात सही नहीं हो सकती. छोटी कंपनियां खास तरह के कारोबार पर ही ध्यान देती हैं, लेकिन लंबे अरसे में उन बड़ी कंपनियों के मुकाबले उनका राजस्व और मुनाफा बढ़ने की संभावना रहती है, जिन्होंने कई तरह के कारोबार में विविधीकरण कर लिया हो. जो निवेशक जोखिम उठा सकते हैं, वे स्मॉल-कैप फंड को मोटा मुनाफा कमाने का अवसर मान सकते हैं.

सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के म्यूचुअल फंड वर्गीकरण के अनुसार स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड वे फंड हैं जो अपनी कुल संपत्ति का कम से कम 80 फीसद स्मॉल-कैप कंपनियों में निवेश करते हैं. सेबी के फ्रेमवर्क के अनुसार, बाजार पूंजीकरण के आधार पर शीर्ष 100 स्टॉक्स को लार्ज-कैप के रूप में परिभाषित किया गया है; अगले 150 मिड-कैप हैं; और बाकी स्मॉल-कैप. इसलिए बाजार पूंजीकरण के आधार पर सूची में 250वें स्थान के बाद आने वाली कंपनियां स्मॉल-कैप स्टॉक हैं, जिनमें स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड मुख्य रूप से निवेश करते हैं.

स्मॉल-कैप फंड ही क्यों?
इक्विटी में निवेश का सरोकार ग्रोथ और मुनाफा कमाने से है. लार्ज-कैप फंड उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनके पास छोटी फर्मों की तुलना में विविध कारोबारी संरचनाएं हैं. इनमें साल-दर-साल अपने राजस्व और ग्रोथ में अस्थिरता और उतार-चढ़ाव के आसार कम होते हैं. लेकिन छोटे कारोबारों में उनके आकार और व्यवसाय चक्र के चरण के कारण बहुत तेजी से ग्रोथ की क्षमता होती है जो निवेशक अपने निवेश में तेजी से वृद्धि चाहते हैं, वे इन्हीं फंडों में निवेश करना पसंद करते हैं. उन्हें इक्विटियों में अपने समग्र आवंटन का अवसर मिलता है.

अगर आप पिछले चार साल में एसऐंडपी बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स और एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स की ओर से दिए गए रिटर्न पर गौर करें तो काफी कुछ समझ आ सकता है. इससे अंदाजा लग सकता है कि स्मॉल-कैप और लार्ज-कैप कंपनियां कैसा प्रदर्शन करती हैं (देखें: आकार की अहमियत). पिछले चार साल के ग्रोथ के साथ-साथ कोविड महामारी के कारण आर्थिक चक्र में गिरावट के भी गवाह रहे हैं. इससे यह भी पता चला है कि विभिन्न बाजार चक्रों में बड़ी और छोटी कंपनियां कैसा प्रदर्शन करती हैं. बाजार में तेजी के दौरान, छोटी कंपनियों का रिटर्न बड़ी कंपनियों की तुलना में बहुत ज्यादा होता है और जब बाजार में गिरावट आती है तो उनकी गिरावट भी उतनी ही तेज होती है.

पोर्टफोलियो में भूमिका
किसी पोर्टफोलियो में लार्ज-या स्मॉल-कैप की भूमिका बहुत जरूरी नहीं होती क्योंकि लार्ज-कैप फंडों का भी अपने पोर्टफोलियो में स्मॉल-कैप शेयरों में कुछ एक्सपोजर या निवेश हो सकता है. अलबत्ता अपने पोर्टफोलियो में स्मॉल-कैप जोड़ना पोर्टफोलियो तैयार करने में रणनीतिक फैसले के साथ ही उन जोखिमों का भी मामला है जो कोई निवेशक उनमें निवेश करते समय ले सकता है. पहले से ही अच्छी तरह से विभिन्न तरह के शेयरों में पैसा लगा चुके निवेशक अपने पोर्टफोलियो रिटर्न को समग्र रूप से बढ़ावा देने के लिए इनमें निवेश कर सकते हैं. वे बाजार पूंजीकरण के आधार पर विविधता लाने के लिए स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड में पैसा लगा सकते हैं.

अपने इक्विटी आवंटन में स्मॉल-कैप फंड जोड़ते वक्त निवेशकों में धैर्य और जोखिम लेने की क्षमता (देखें: स्मॉल कैप का दूसरा पहलू) होना भी जरूरी है. इन फंडों में निवेश करने में जोखिम अधिक हैं, लेकिन इनमें रिटर्न की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. इसके अलावा, स्मॉल-कैप फंडों की दुनिया में चुनने के लिए कई कई कारोबारों में निवेश योजनाएं हैं और उनमें से प्रत्येक एक अलग निवेश और स्टॉक चयन प्रक्रिया का पालन करती है. निवेशकों के लिए यह समझ लेना बेहतर होगा कि निवेश के लिए फंड का चयन कैसे किया जाता है, किस आधार पर स्टॉक को छांटा जाए और स्मॉल-कैप कंपनियों में किस तरह निवेश किया जाए. इसी तरह, इसमें केवल स्टॉक का चयन ही नहीं करना होता है; इसमें सेक्टरों में आवंटन बढ़ाना और घटाना भी होता है तथा उन शेयरों को चुनना भी होता है जो स्मॉल-कैप सेगमेंट पर ध्यान केंद्रित करने वाली म्यूचुअल फंड योजनाओं के प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं. ये फंड अनुभवी निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं. अनुभवी निवेशक अपने प्रोफाइल के आधार पर अपने निवेश पोर्टफोलियो के इक्विटी कंपोनेंट के भीतर स्मॉल-कैप में 15-20 फीसद का आवंटन कर सकते हैं. उन्हें यह भी मालूम होना चाहिए कि ज्यादा रिटर्न की वजह से इस श्रेणी के फंड में बहुत ज्यादा जोखिम भी होता है.

इस श्रेणी में फंड चुनते वक्त, फंड के पोर्टफोलियो में जाकर यह समझने की कोशिश करें कि उसने किस तरह की कंपनियों में निवेश किया है और वह फंड किस तरह से शेयरों का चयन करता है. अक्सर इस श्रेणी में निवेश के लिए एक दशक या उससे अधिक समय तक निवेशित रहने के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहने की जरूरत होती है. एसआइपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए इन फंडों में निवेश का विकल्प रहता है लेकिन बाजार गिरने के साथ ही ग्रोथ चक्र का अवसर आने पर एकमुश्त निवेश करना भी अच्छी रणनीति है.

कोई ऐसा फंड चुनिए जो मजबूत स्टॉक चयन तंत्र को अपनाता है और बदलती आर्थिक परिस्थितियों के साथ तालमेल के लिए स्टॉक चयन की अपनी प्रक्रिया को अपडेट करता है. निवेश के लिए फंड का चयन करते वक्त उन्हें चुनें जो अलग-अलग बाजार चक्रों में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं. फंड मैनेजर आर्थिक परिस्थितियों, सरकार की नई नीतियों और विभिन्न कारोबारों की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निवेश करेंगे ताकि अच्छे नतीजे निकलें. इस श्रेणी में निवेश करते वक्त लंबी अवधि के एसआइपी के बारे में सोचें और उन छोटे व्यवसायों को चुनने की प्रक्रिया को आउटसोर्स करें जिनमें धन सृजन की क्षमता हो.

निवेशकों के लिए शुरुआती चरण में पैसा लगाना बना फेवरेट, जानिए कैसे स्टार्टअप्स को भी हो रहा है फायदा

निवेशकों के लिए शुरुआती चरण में पैसा लगाना बना फेवरेट, जानिए कैसे स्टार्टअप्स को भी हो रहा है फायदा

मौजूदा समय में निवेशकों के लिए शुरुआती चरण में किसी भी बिजनेस में पैसा लगाना फेवरेट बन गया है. इससे स्टार्टअप्स को भी फायदा हो रहा है, क्योंकि उन्हें शुरुआती दौर में ही पैसा मिल जा रहा है.

निवेश की दुनिया में लेट-स्‍टेज डील्‍स में गिरावट के बावजूद शुरुआती चरण की फंडिंग, खासतौर से सीड और सीरीज़ ए में भारत में सक्रियता बनी हुई है. नए संस्‍थापक शुरुआती चरणों में ही छोटी राशि जुटाकर 3-4 सालों में ग्रोथ के लिहाज़ से अधिक मूल्‍यवान कंपनी बनाने पर ध्‍यान दे रहे हैं. नतीजतन, मौजूदा समय में किसी सुधार का नई संस्‍थापित टीम के संस्‍थापक सदस्‍यों पर कोई प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. वहीं इससे स्टार्टअप्स को भी फायदा हो रहा है, क्योंकि उन्हें शुरुआती दौर में ही पैसा मिल जा रहा है. साथ ही उनको बिज़नेस कंसल्टेंसी भी मिलती है जिससे स्टार्टअप के लिए किसी भी बिजनेस की शुरुआत करना आसान हो रहा है.

जहां तक टेक कारोबारों का सवाल है, उनका एक गेस्‍टेशन पीरियड होता है और इन नई कंपनियों के लिए इस दौर में अधिक से अधिक फाइनेंसिंग की सुविधा उपलब्‍ध है. यह भारत के लिए वाकई गज़ब की स्थिति है और पिछले 15 सालों से इस स्थिति को बरकरार रखा गया है.

भारत के पूंजी बाजारों में साल 2022 ने एक अजीब सी स्थिति पैदा कर दी है. इस साल सेकंडरी और प्राइमरी मार्केट्स में काफी अस्थिरता देखी गई, जो 2021 की तेजी से काफी उलट है, जिसमें अधिकांश कंपनियों ने शानदार गति पकड़ी और 1 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर यूनीकॉर्न का दर्जा हासिल किया. लेकिन 2022 की शुरुआत से ही, अमेरिका और यूरोप के बाजारों में सुस्‍ती का दौर दिखायी देने लगा था जिसने फंडिंग के मोर्चे पर वैश्विक मंदी का बिगुल बजाया.

इस कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही में बेशक भारतीय कारोबारियों ने बड़ी मात्रा में पूंजी जुटाने में सफलता हासिल की है लेकन यह मुख्‍यत: अर्ली और सीड फेज़ के लिए है. एन्‍ट्रैकर डेटा के अनुसार, 596 अर्ली-स्‍टेज कंपनियों ने 2022 की पहली छमाही में पूंजी जुटायी जबकि केवल 226 लेट/ग्रोथ स्‍टेज कंपनियां ही ऐसा करने में सफल हो पाई हैं.

2022 की दूसरी तिमाही से, भारतीय कारोबारों के लिए बाद के चरण में (पोस्‍ट-सीरीज़ ए) वैंचर कैपिटल निवेश की गति धीमी हो रही है, क्‍योंकि निवेशक न सिर्फ अधिक सतर्कता बरत रहे हैं बल्कि अर्ली-स्‍टेज स्‍टार्टअप्‍स पर कम राशि तथा दीर्घकालिक अवधि के दांव लगा रहे हैं, जो कि वैश्विक वित्‍तीय बाजारों में सुधार तथा फंडिंग के मोर्चे पर आयी सुस्‍ती के मद्देनज़र उठाया गया कदम है.

कई वैंचर कैपिटल फंड्स ने भारत में निवेश के लिए नई पूंजी जुटा ली है. यानि उनके पास काफी कुछ मसाला है, लेकिन यहां भी विडंबना की स्थिति है क्‍योंकि जहां एक ओर वीसी के पास संसाधन हैं, लेकिन फंडिंग के मोर्चे पर सुस्‍ती (फंडिंग विंटर) अभी जारी है.

हमने निवेशकों के साथ चर्चा के आधार पर यह जाना है कि वे अपनी रणनीति बदल रहे हैं और निवेश संबंधी फैसलों को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं, अब वे न्‍यूनतम नकदी खर्च और आवर्ती राजस्‍व के साथ SaaS, B2B एवं D2C उपक्रमों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं. SaaS तथा D2C सैक्‍टर्स में, कम-से-कम 25% वैल्‍युएशन घटा है.

जबर्दस्‍त बढ़त की संभावनाओं के मद्देनज़र, अर्ली-स्‍टेज स्‍टार्टअप में निवेश अनेक निवेशकों के लिए आज भी काफी आकर्षक विकल्‍प बना हुआ है. निवेशक वाजिब कीमत पर हिस्‍सेदारी प्राप्‍त करने के मामले में आगे बने रहना चाहते हैं और सीरीज़ ए/बी राउंड्स या बाद में बाहर निकलकर पर्याप्‍त मुनाफा भी कमाना चाहते हैं. अर्ली-स्‍टेज निवेशकों ने 10x, 22x, 35x, और 80x तक लाभ कमाए हैं.

अधिकांश लेट-स्‍टेज कंपनियां फंड्स की बर्बादी साबित हो रही हैं, और इनमें जो निकट अवधि में मुनाफे की संभावनाओं की पुष्टि कर सकती हैं वे निवेश जुटाने के लिए वीसी निवेश को आकर्षित कर सकती हैं, जैसा कि ज़ॉपर ने पिछले महीने कर दिखाया जबकि उसने सीरीज़ सी एवं कैशिफाई द्वारा जुटाया सीरीज़ ई प्राप्‍त किया.

एड-टैक कंपनियों, मेड-टैक और सोशल कॉमर्स का नेतृत्‍व कर रहे स्‍टार्टअप्‍स के इर्द-गिर्द काफी उथल-पुथल मची है, और ऐसे में निवेशक भविष्‍य में यूनीकॉर्न में निवेश को लेकर कुछ संशय दिखा सकते हैं, इस लिहाज़ से भी अर्ली-स्‍टेज स्‍टार्ट-अप में निवेश एक बेहतर और सुरक्षित विकल्‍प है. Tracxn के विश्‍लेषण के मुताबिक, भारत में अर्ली-स्‍टेज वीसी निवेश (सीरीज़ ए राउंड्स तक), 2022 की पहली तिमाही में 28 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 1.50 बिलियन डॉलर पहुंच गया है जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1.17 बिलियन डॉलर था. वित्‍त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में, अर्ली-स्‍टेज सौदों का औसत आकार भी 200% बढ़कर 3.94 मिलियन डॉलर हो गया है जबकि 2021 की पहली तिमाही में यह 1.92 मिलियन डॉलर था.

हमारे पास ऐसे निवेशक हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई)/एमएल, ब्‍लॉकचेन, वेब 3.0 तथा D2C ब्रैंड्स जैसी टैक्‍नोलॉजी पर आधारित दीर्घकालिक बिज़नेस मॉडलों को तैयार करने में जुटे कारोबारों में निवेश के इच्‍छुक हैं. स्‍वस्तिका इन्‍वेस्‍टमेंट बैंकिंग ने हाल में चार स्‍टार्टअप्‍स के लिए सीड और सीरीज़ ए चरणों में पूंजी जुटायी है, लेकिन हम सीरीज़ बी लैवल स्‍टार्टअप के प्रति निवेशकों की रुचि जगाने में असमर्थ बने हुए हैं.

भारत के विशाल टैक इकोसिस्‍टम की संभावनाओं के मद्देनज़र, मेरा मानना है कि वैश्विक टैक-स्‍टार्टअप्‍स की तुलना में टैक आधारित सॉल्‍यूशंस और D2C सैगमेंट में अर्ली-स्‍टेज बिज़नेस में ज्‍यादा बढ़त होगी.

(लेखक अमित पमनानी ब्रोकरेज फर्म स्‍वस्तिका इन्‍वेस्‍टमार्ट लिमिटेड के चीफ इन्‍वेस्‍टमेंट ऑफिसर हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)

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इस साल छोटे कारोबारों ने जुटाए 1,460 करोड़ रुपये, IPO के जरिए कमाए पैसे

इस साल के पहले नौ महीनों में 87 विभिन्न छोटे और मझोले उद्यमों (SME) ने इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के जरिए 1,460 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इन आईपीओ के मजबूत प्रदर्शन से निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ी है.

इस साल छोटे कारोबारों ने जुटाए 1,460 करोड़ रुपये, IPO के जरिए कमाए पैसे

इस साल के पहले नौ महीनों में 87 विभिन्न छोटे और मझोले उद्यमों (SME) ने इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के जरिए 1,460 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इन आईपीओ के मजबूत प्रदर्शन से निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ी है. SME उद्योग के आंकड़े बताते हैं कि यह राशि उन 56 कंपनियों के आईपीओ के मुकाबले कहीं ज्यादा है, जिन्होंने 2021 में शेयर बिक्री के जरिए 783 करोड़ रुपये जुटाए थे.

छोटे उद्योगों पर बाजार में गिरावट का असर नहीं: जानकार

फेडेक्स सिक्योरिटीज में निदेशक उदय नायर ने कहा कि प्रौद्योगिकी आधारित मंच और बड़ी ब्रोकर कंपनियां एसएमई प्लेटफॉर्म के विकास में अहम भूमिका निभा सकती हैं. हेम सिक्योरिटीज में निदेशक प्रतीक जैन ने कहा कि एसएमई क्षेत्र बाजार में गिरावट से बेअसर रहा है और निवेशक आने वाले आईपीओ को लेकर उत्सुक हैं. उन्होंने बताया कि कई कंपनियों ने बीएसई के एसएमई और एनएसई इमर्ज मंचों पर लिस्टिंग के लिए दस्तावेज जमा करवा दिए हैं तो कई इसकी तैयार कर रही हैं.

आंकड़ों में बताया गया है कि जनवरी-सितंबर 2022 के दौरान एसएमई मंच पर कुल 87 आईपीओ लाए गए हैं, जिनसे 1,460 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं. ये कंपनियां आईटी, वाहन कलपुर्जों, कई कारोबारों में निवेश दमा, अवसंरचना और टूरिज्म और आभूषण क्षेत्र की हैं. सितंबर में 29 एसएमई ने प्राइमेरी मार्केट में शुरुआत की है. हेम सिक्योरिटीज के निदेशक गौरव जैन ने कहा कि आकार में छोटे होने के बावजूद इन आईपीओ को निवेशकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है.

आपको बता दें कि एक समय ऐसा भी था जब आईपीओ में निवेश फायदे की गारंटी था. इश्यू की बेहद ऊंची लिस्टिंग बेहद आम बात हो गई थी और अगर किसी लिस्टिंग में 10-15 प्रतिशत की बढ़त की उम्मीद हो तो निवेशक इसे ठंडा रिटर्न मान रहे थे. हालांकि स्थितियां अब पूरी तरह से बदल गई हैं. ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 2 साल में आए बड़े आईपीओ में निवेशक अब अपना मूल निवेश निकालने में भी असफल हो रहे हैं कई ऐसे इश्यू भी हैं जिसमें निवेशकों की आधी या आधी से ज्यादा रकम साफ हो चुकी है. रिपोर्ट में ऐसे इश्यू को बड़ा इश्यू माना गया है जिसका साइज 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का था.

सही इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो अपनाएं यह फंडा

सही इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो अपनाएं यह फंडा

वॉरेन बफे और चार्ली मंगर दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में हैं। लेकिन, दशकों तक उन्होंने गूगल या अमेजन जैसी टेक्नोलॉजी कंपनियों में केवल इसलिए निवेश नहीं किया, क्योंकि वे मानते थे कि इस सेक्टर की समझ उनमें नहीं है। हालांकि इस सोच के चलते वे बड़े निवेश से चूके, लेकिन कई बड़ी विफलताओं से बच भी गए।

दुर्भाग्य से तकनीक की मौजूदा दुनिया में हम जटिल चीजों को बेहतर मानते हैं, इसलिए निवेश में भी जटिलता को बेहतर मान बैठते हैं, जो बिल्कुल गलत है। निवेश हमेशा सरल होना चाहिए। जिन क्षेत्रों में आपकी समझ नहीं है, उनमें निवेश करेंगे भी तो क्या समझ आएगा?

दशकों पहले से, जब टेक्नोलॉजी सेक्टर की कंपनियां दुनिया को अपनी आगोश में ले रही थीं और वास्तविक रूप से हर उद्योग में बदलाव का वाहक बन रही थीं, तब दुनिया के सबसे मशहूर निवेशकों ने उनकी अनदेखी की। वारेन बफे और चार्ली मंगर (बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन) जैसे निवेशक बेहद जमीनी कारणों से टेक्नोलॉजी शेयरों से दूर रहे। दशकोंबाद अब उन्होंने एपल और आईबीएम जैसी कंपनियों में निवेश शुरूकिया है, वह भी तब जब एपल ने कंज्यूमर ड्‌यूरेबल कंपनी और आईबीएम ने बिजनेस सर्विसेज कंपनी का ले रूप लिया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वे इतने वर्षों तक टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों से दूर क्यों रहे? उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि क्या इसमें हमारे लिए सीखने की कोई बात है?

वर्षों पहले से बफे और मंगर कहते आए हैं कि वे ऐसे किसी भी सेक्टर की कंपनियों में निवेश नहीं करते, जिनके कारोबार की समझ उन्हें नहीं है। सामान्य भाषा में कहा जा सकता है कि इसी सोच की वजह से वे निवेश के कई बेहद महत्वपूर्ण मौकों से चूक गए। किसी भी वक्त निवेश के लिए अरबों डॉलर की रकम हाथ में रखने के बावजूद उन्होंने गूगल या अमेजन जैसी कंपनियों में कभी पैसा नहीं लगाया, जबकि इन कंपनियों ने निवेशकों को वर्षों तक 20-20 गुना रिटर्न दिया। इसके बावजूद इस निवेशक जोड़ी को उन चूक गए अवसरों का कोई मलाल नहीं है।

रूपर्ट मर्डोक ने की बड़ी गलती

Cyclone Mandous: चक्रवाती तूफान

टेक्नोलॉजी सेक्टर में निवेश के मौके चूकने के बावजूद बावजूद बफे और मंगर दुनियाके सबसे सफल निवेशकों में शुमार हैं। वे सफल इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने उन कारोबारों में निवेश किया जिनकी उन्हें समझ थी। यह कहना बहुत आसान है कि वे अमेजन कई कारोबारों में निवेश या गूगल में निवेश से चूक गए। लेकिन, इसका फायदा यह हुआ कि वे पेट्‌स डॉट कॉम, वेबवैन, मायस्पेस और ऐसी ही अन्य कंपनियों में भी निवेश से बच गए, जो आगे चलकर बहुत बड़ी विफल कंपनियों में बदल गईं। चूंकि उन्हें टेक्नोलॉजी कंपनियों के कारोबार की समझ नहीं थी, इसलिए वे इन कंपनियों में निवेश को लेकर उतने ही उदासीन रहे, जितने गूगल या अमेजन में निवेश को लेकर थे। आखिर, मीडिया दिग्गज रूपर्ट मर्डोक ने 58 करोड़ डॉलर में मायस्पेस को खरीदा ही था। लेकिन, चार वर्षों बाद उन्हें इसे महज 3.5 करोड़ डॉलर में बेचना पड़ा। मर्डोक को इस 94 फीसदी नुकसान से बचने के लिए केवल इतना करना था कि बफे या मंगर से सबक लेनी थी और ऐसे किसी सेक्टर में निवेश नहीं करना था, जिसकी उन्हें समझ नहीं थी।

कारोबार पनपने चाहिए, लेकिन एकाधिकार नहीं होना चाहिए: कांग्रेस

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस ने राजस्थान निवेश सम्मेलन में उद्योगपति गौतम अडाणी के शामिल होने को लेकर शुक्रवार को कहा कि वह कारोबारों के पनपने और निवेश के खिलाफ नहीं है, सिर्फ एकाधिकार एवं भारतीय जनता पार्टी सरकार की एकतरफा नीतियों का विरोध करती है। अडाणी शुक्रवार को राजस्थान निवेश सम्मेलन में शामिल हुए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मंच भी साझा किया। उन्होंने इस सम्मेलन में कहा कि अडाणी समूह राजस्थान में अगले 5-7 साल में नवीकरणीय ऊर्जा समेत विभिन्न क्षेत्रों में 65,000 करोड़ रुपये निवेश करेगा। कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी अक्सर अडाणी का

अडाणी शुक्रवार को राजस्थान निवेश सम्मेलन में शामिल हुए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मंच भी साझा किया। उन्होंने इस सम्मेलन में कहा कि अडाणी समूह राजस्थान में अगले 5-7 साल में नवीकरणीय ऊर्जा समेत विभिन्न क्षेत्रों में 65,000 करोड़ रुपये निवेश करेगा।

कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी अक्सर अडाणी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हैं। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं और कई सोशल मीडिया यूजर्स ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया।

अडाणी के राजस्थान निवेश सम्मेलन में शामिल होने से जुड़े सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘‘ कारोबार को पनपना चाहिए, लेकिन एकाधिकार नहीं होना चाहिए। कारोबार पनपेंगे तभी नौकरियां सृजित होंगी। मुझे अडाणी जी और अंबानी जी से कोई दिक्कत नहीं है। हमें सरकार की एकतरफा नीतियों से आपत्ति है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई व्यक्ति अमीर लोगों की सूची में 643वें स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा है, तो उसमें सरकार का अथाह सहयोग रहा है। यही सहयोग सरकार उन छह करोड़ लोगों से करे, जो अथाह गरीबी में रहने को मजबूर हैं।’’

सुप्रिया ने कहा कि कांग्रेस इस देश में निजी क्षेत्र के पनपने की वास्तुकार रही है, लेकिन उसने निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को आगे बढ़ाया तथा किसी तरह का एकाधिकार नहीं होने दिया।

उधर, भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर दावा किया, ‘‘गांधी परिवार के खिलाफ विद्रोह और आक्रोश का एक और संकेत मिला है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गौतम अडाणी को निवेश सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। उन्हें मुख्यमंत्री के बगल में बैठाया गया। यह बार-बार अंबानी-अडाणी करने वाले राहुल गांधी को स्पष्ट संदेश है कि अब रुक जाओ।’’

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