कन्या राशि व्यवसायी

कन्या राशि के स्वामी बुध हैं और राशि दक्षिण दिशा की द्योतक है। ज्योतिषीय क्या दिशाओं में व्यापार करना एक अच्छा विचार है? आकलन के अनुसार कन्या राशि के जातकों का प्रदर्शन विज्ञान तथा मैकेनिक्स के क्षेत्र में बहुत अच्छा रहता है। इसलिए जातकों को ऐसा काम चुनना चाहिए जो विज्ञान के क्षेत्र से किसी न किसी रूप से जुड़ा हो। मैकेनिकल काम में भी जातक हाथ आजमा सकते हैं। जातक की राशि के अनुसार इन पर पृथ्वी तत्व की प्रधानता है। चूंकि जातक पृथ्वी तत्व वाले हैं इसलिए धरती से जुड़े हुए कामों में भी इन्हें रुचि रहती है। ऐसे में जातकों को भूमि से संबंधित कार्य करना चाहिए। जिसमें ये अच्छा प्रर्दशन कर सकते हैं। भूमि से संबंधित कार्य में इस राशि के जातक निर्माण सामाग्री का व्यापार या कंस्ट्रक्शन कंपनी चला सकते हैं।

कन्या जातकों में जन्म से ही एक गुण विद्यमान होता है। माना जाता है कि ये खोजी प्रवृत्ति के होते हैं। कुछ न कुछ नया जानने व खोजने में ये अपना अधिक समय व्यतीत करते हैं। इसलिए जातक पुरातत्व व खगोलीय विषयों पर भी काम कर सकते हैं और खोज के क्षेत्र में अपना नाम बनाने में सफल हो सकते हैं। स्वभाव से खोजी होने के कारण जातक नई चीज़ों का अविष्कार करने में लगे रहते हैं। कन्या राशि के जातक व्यवसायी1 प्रोफेशनल (Kanya Rashi Professional) रूप से बहुत ही मेहनती होते हैं। लेकिन ज्योतिषियों का कहना है कि इन्हें व्यापार हमेशा भागीदारी में ही करना चाहिए। जिससे ये अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और व्यापार में नुकसान होने के आसार भी कम हो जाते हैं। एक अच्छा प्रबंधक होने के नाते जातकों को इवेंट मेनेजमेंट का कार्य करना बहुत ही लाभकारी हो सकता है। इस व्यवसाय में सफल होना इनका एक तरह से तय माना जाता है। दरअसल कन्या राशि के जातकों का एक बड़ा मित्र चक्र होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि किसी व्यापार में सफल होने के लिए जातक का व्यवहारिक होना अधिक मायने रखता है। ऐसे में जातक की मित्र मंडली बड़ी होने से जातक को व्यवसाय में लाभ होता क्या दिशाओं में व्यापार करना एक अच्छा विचार है? है।

कन्या राशि में जन्मे जातकों को पढ़ने-लिखने का शौक होता है। बुध राशि के स्वामी हैं और बुद्धि के कारक भी जो जातकों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने में साथ देते हैं। ऐसे में जातकों को शिक्षण संस्थान चलाने पर विचार करना चाहिए। जातक का हस्तशिल्प की ओर भी रुझान रहता है। कन्या राशि वालों में कुछ लोग अच्छे कलाकार भी होते हैं। इसके साथ ही लेखन के क्षेत्र में भी आप सफलता पा सकते हैं। पैसा कमाने के लिए इस राशि के जातकों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है इसलिए जातकों को निवेश करते समय सावधान रहना चाहिए। जातक निवेश उचित सलाह लेने के बाद ही करें। जिससे जातक को बेहतर परिणाम मिलेंगे। इसके अलावा इस राशि के लोग संगीत, कला व संस्कृति के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। इनके लिए अन्य कार्यस्थल जिओलॉजी लैब या फिजिक्स लैब हो सकते हैं। शोध विषयों में रसायन विज्ञान तथा अकाउंट के विषय जातक के लिए अनुकूल रहेंगे। अत्यधिक सफलता पाने के लिए जातक हरे रंग का वस्त्र पहनें। अगर धारण नहीं कर सकते तो इस रंग का रूमाल अपने साथ सदैव रखें। इसके साथ ही भगवान गणेश की विधिवत पूजन करना जातकों के लिए लाभदायक होगा।

लंबी यात्रा पर जाने से पहले अवश्य करें ये उपाय

ऐसे में यात्रा करना जरूरी हो तो उसका भी ज्योतिष में निदान दिया गया है। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार प्रतिदिन दिशा शूल का प्रभाव दिन में 12 बजे तक ही रहता है। 12 बजे के बाद दिशा शूल दोष का प्रभाव कम हो जाता है। जैसे उत्तर दिशा में मंगल और बुधवार को दिशा शूल दोष है और यात्रा करना भी जरूरी है तो यात्रा प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में प्रारंभ कर देनी चाहिए तथा प्रारंभ करने से पूर्व कुछ खा अवश्य लेना चाहिए।


यात्रा विधि : यात्रा प्रारंभ करने से पहले दाहिने पैर को सर्व प्रथम उठाकर यात्रा दिशा में 32 कदम चल कर यात्रा करने के साधन (वाहन) में बैठकर तिल, घी, तांबे का पात्र दान करना चाहिए।

यात्रा के दौरान ठहरने का नियम
शाास्त्रानुसार यात्रा के समय 3 से 5 दिन तक ही कहीं भी रुकना चाहिए।

यात्रा के समय त्याज्य वस्तु
दुग्धं त्याज्यं पूर्वमेव त्रिरात्रं क्षौरं त्याज्यं पंचरात्रंच
क्षौदतैलम् वासरेकिस्मन् वमिश्चत्याज्यम् पूर्वम्
त्यानप्र मिपालेन नूनम।

यात्रा प्रारंभ करने से तीन दिन पहले दूध व यात्रा के दिन में शहद, तेल छोड़ देने चाहिएं।


यात्रा पूर्व शुभ शकुन
यात्रा प्रारंभ करते ही हमें ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, फल, अन्न, दूध, दही, गौ, सरसों, कमल, श्वेत व, मयूर, जलपूर्ण कलश, मिट्टी, कन्या, रत्न, पगड़ी, सफेद बैल, संतान क्या दिशाओं में व्यापार करना एक अच्छा विचार है? सहित स्त्री, मछली, पालकी, वेदध्वनि आदि सामने नजर आएं तो ये सब शुभ संकेत देने वाले होते हैं।

यात्रा पूर्व अशुभ शकुन
यात्रा प्रारंभ करते ही हड्डी, सांप, नमक, आग, जली हुई लकड़ी, सादी सूखी लकड़ी, शत्रु, रोगी मनुष्य, खुले केश वाला मनुष्य, अंगहीन मनुष्य, छींक, काला कपड़ा आदि सामने हो तो यात्रा रोक देनी चाहिए और पांच या 10 मिनट रुक कर यात्रा पुन: प्रारंभ करनी चाहिए। लंबी यात्राओं के दौरान प्रतिदिन सायंकाल हनुमान जी के मंत्रों का स्मरण, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।


इससे आपकी यात्रा अधिक सुखद और आसान हो जाती है। चारधाम या तीन धाम आदि यात्राएं लंबी होती हैं। इन यात्राओं से पूर्व हमारे घर के निकट हनुमान मंदिर हो या भैरव मंदिर हो तो दोनों में से क्या दिशाओं में व्यापार करना एक अच्छा विचार है? किसी एक मंदिर पर चोला जरूर चढ़ाना चाहिए।

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हर यात्रा ऐसे बनेगी सुखद और सफल, जान लें जरूरी नियम

सोमवार और शनिवार के दिन पूरब दिशा में किसी भी शुभ काम के लिए यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दिशाशूल लगता है. दिशाशूल के कारण इस दिशा में यात्रा करने से कष्टों का सामना करना पड़ता है. रविवार और शुक्रवार के दिन पश्चिम दिशा में दिशाशूल रहता है.

  • सोमवार और शनिवार के दिन पूरब में रहता है दिशाशूल
  • मंगलवार के दिन उत्तर दिशा में न करें यात्रा
  • बुधवार के दिन पश्चिम दिशा की यात्रा होती है सुखदायी

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हर यात्रा ऐसे बनेगी सुखद और सफल, जान लें जरूरी नियम

नई दिल्ली: हर इंसान को जीवन में कहीं न नहीं की यात्रा करनी ही पड़ती है. कभी व्यापार के सिलसिले से तो कभी नौकरी, सैर सपाटे या कभी मूड बदलने के लिए भी यात्रा करनी पड़ती है. इनमें से कुछ यात्रा सुख देने वाली होती है. जबकि कुछ यात्राओं में परेशानियां भी झलनी पड़ती हैं. ज्योतिष शास्त्र में यात्रा को लेकर खास नियमों के बारे बताया गया है. इन नियमों का पालन करने से यात्रा सुखद होती है. साथ ही जिस उद्देश्य से यात्रा कर रहे हैं, वह भी पूरा होता है. जानते हैं कि यात्रा को लेकर ज्योतिष में कौन-कौन से खास नियम बताए गए हैं.

किस दिन कौन सी दिशा में न करें यात्रा

सोमवार और शनिवार के दिन पूरब दिशा में किसी भी शुभ काम के लिए यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दिशाशूल लगता है. दिशाशूल के कारण इस दिशा में यात्रा करने से कष्टों का सामना करना पड़ता है. रविवार और शुक्रवार के दिन पश्चिम दिशा में दिशाशूल रहता है. मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा गरुवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा कष्ट देने वाली होती है.

किस दिन कौन सी दिशा में करें यात्रा

सोमवार के दिन दक्षिण की दिशा उत्तम मानी जाती है. मंगलवार के दिन पूरब और दक्षिण दोनों ही दिशाओं की यात्रा शुभफलदायी होती है. बुधवार के दिन पूरब और पश्चिम दिशा की यात्रा करना शुभ रहता है. गुरुवार दिन दक्षिण दिशा को छोड़कर सभी दिशाओं में यात्रा की जा सकती है. शुक्रवार के दिन शाम के वक्त शुरू की गई यात्रा सुखद और शुभ फलदायी होती है. वहीं शनिवार के दिन अपने घर छोड़कर कहीं की भी यात्रा सुखद नहीं होती है. जबकि रविवार के दिन पूरब दिशा की यात्रा उत्तम होती है.

दिशाशूल के उपाय

सोमवार के दिन आईना देखकर या दूध पीकर यात्रा करनी चाहिए. मंगलवार के दिन गुड़ खाकर, बुधवार को धनिया या तिल के सेवन करके यात्रा शुरू करनी चाहिए. गुरुवार को दही और शुक्रवार को जौ खाकर या दूध पीकर यात्रा पर निकलना अच्छा रहता है. शनिवार के दिन उड़द या अदरक खाकर यात्रा पर निकलें. इसके अलावा रविवार के दिन घी या दलिया का सेवन कर यात्रा करनी चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Vastu Shastra: बेसमेंट में भी वास्‍तु नियमों का ध्‍यान रखना जरूरी, दूर होगी आर्थिक तंगी

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर या भवन के बेसमेंट का इस्तेमाल सावधानियों के साथ करना चाहिए जिससे आर्थिक तंगी समेत कई परेशानियों का सामना ना करना पड़े. आइए जानते हैं अगर घर में बेसमेंट (Basement) बनाने का विचार है तो किन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.

Basement Vastu Tips: वास्तु टिप्स

भावना शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2021,
  • (अपडेटेड 13 फरवरी 2021, 3:17 PM IST)

बेसमेंट यानी तहखानों का निर्माण व्यावसायिक स्थानों के साथ ही अब घरों में भी बड़े पैमाने पर होने लगा है. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर या भवन के बेसमेंट का इस्तेमाल सावधानियों के साथ करना चाहिए जिससे आर्थिक तंगी समेत कई परेशानियों का सामना ना करना पड़े. आइए जानते हैं अगर घर में बेसमेंट (Basement) बनाने का विचार है तो किन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.

वास्तु में नियम सूर्य की किरणों और ऊर्जा के आधार पर बनाए गए हैं. सूर्य की प्राकृतिक रोशनी ना पहुंच पाने की वजह से बेसमेंट ना बनाने का सुझाव दिया जाता है.

बेसमेंट पर पूरे घर-भवन की नींव होती है. वास्तु के अनुसार, बेसमेंट का प्रवेश द्वार हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए. अन्यथा नकारात्मकता (Negativity) रहेगी तो इसका व्यक्ति के जीवन पर सीधा असर पड़ेगा. वहीं, नेगेटिव एनर्जी दूर होने से आर्थिक तंगी समेत कई परेशानियों से निजात मिलती है.

बेसमेंट के अंदर गुलाबी या हरे रंग का पेंट करवाना अच्छा माना जाता है. जबकि काला और लाल रंग करवाने से हमेशा बचना चाहिए. सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) के स्तर को बढ़ाने के लिए बेसमेंट में सफेद या हल्के गुलाबी रंग का पेंट होना चाहिए.

-बेसमेंट की सीलिंग 9 से 10 फीट ऊंची बनवाएं. साथ ही ऊपर की तरफ पूर्व दिशा में खिड़कियां बनवाएं, जिससे रोशनी एवं हवा का प्रवाह क्या दिशाओं में व्यापार करना एक अच्छा विचार है? बना रहे.

-बेसमेंट की दक्षिण पश्चिम दिशा का उपयोग भारी सामान के स्‍टोरेज के रूप में किया जाना चाहिए.

-उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम भाग नौकरों के रहने या कार पार्किंग के लिए उपयोग किया जाना चाहिए.

-वास्तु के अनुसार बेसमेंट में आने-जाने के लिए सीढ़ियां ईशान कोण या पूर्व दिशा से शुभ मानी जाती हैं.

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