अंडरलाइंग बेंचमार्क वाली स्कीम में ट्रैकिंग त्रुटि आम है। अगर ट्रैकिंग त्रुटि अधिक है, तो योजना द्वारा दिया गया रिटर्न इंडेक्स द्वारा उत्पन्न रिटर्न से काफी भिन्न हो सकता है।
टारगेट मैच्योरिटी फंड ब्याज दर में उतार-चढ़ाव को मात देने में कर सकते मदद
- Money9 Hindi
- Publish Date - September 21, 2021 / 04:10 PM IST
5 से 6 साल के लॉन्ग मैच्योरिटी बॉन्ड में निवेश करके, निवेशक शॉर्ट टर्म बॉन्ड की तुलना में 150 से 200 बेसिस पॉइंट ज्यादा कमा सकते हैं. जैसे-जैसे यील्ड बढ़ती है, वे लॉन्ग टर्म की तुलना में शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी सेगमेंट में तेजी से बढ़ेंगे.
Maturity Fund: निवेश सलाहकारों के मुताबिक निश्चित आय वाले इन्वेस्टर्स ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव से घबराए हुए हैं, इसलिए उनका रुझान अब कम जोखिम वाले म्यूचुअल फंड के अनुमानित टारगेट रिटर्न की तरफ बढ़ रहा है. कम जोखिम वाले म्यूचुअल फंड श्रेणी निष्क्रिय रूप से समान परिपक्वता वाले बॉन्ड में निवेश करती है जो फंड का बेंचमार्क इंडेक्स बनाते हैं. फंड की परिपक्वता पर, निवेशकों को उनकी निवेश आय वापस कर दी जाती है.
टारगेट मैच्योरिटी फंड में क्रेडिट रिस्क कम
वित्तीय योजनाकारों (Financial planners) के मुताबिक टारगेट मैच्योरिटी फंड में सरकारी सिक्योरिटीज, पीएसयू बॉन्ड और राज्य विकास ऋण (एसडीएल) शामिल हैं. इन पेपर्स में क्रेडिट रिस्क कम होता है.
मनी मंत्रा के संस्थापक विरल भट्ट ने कहा कि ये उत्पाद उन निवेशकों के लिए एक अच्छे विकल्प के रूप में काम करते हैं, जिनके पास बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट से अधिक कमाई करने के लिए पांच साल से अधिक का समय है.
जहां एक बैंक के साथ एक फिक्स्ड डिपॉजिट पांच साल के लिए 5.0 से 5.5 फीसद की पेशकश टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? करता है, निवेशक लगभग छह साल के कार्यकाल के साथ टारगेट मैच्योरिटी फंड से लगभग 5.9 से 6.3 फीसद कमा सकते हैं.
लॉन्ग मैच्योरिटी बॉन्ड में फायदा ज्यादा
5 से 6 साल के लॉन्ग मैच्योरिटी बॉन्ड में निवेश करके, निवेशक शॉर्ट टर्म बॉन्ड की तुलना में 150 से 200 बेसिस पॉइंट ज्यादा कमा सकते हैं. जैसे-जैसे यील्ड बढ़ती है, वे लॉन्ग टर्म की तुलना में शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी सेगमेंट में तेजी से बढ़ेंगे.
एडलवाइस एएमसी (Edelweiss AMC) के प्रमुख निरंजन अवस्थी ने कहा कि लंबी अवधि के बॉन्ड पर एटीएम (मार्क टू मार्केट) प्रभाव को कुछ हद तक कम होता है.
ऐसे टारगेट मैच्योरिटी फंड में निवेशक अगले 5 से 6 साल में 5.9 फीसद और 6.3 फीसद के बीच कमा सकते हैं.
टारगेट मैच्योरिटी फंड निवेशक को टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? लाभ
कुछ वित्तीय योजनाकारों का मानना है कि बेहतर टारगेट के लिए योजना बना रहे निवेशकों के लिए टारगेट मैच्योरिटी फंड (उत्पाद) सबसे उपयुक्त है.
fisdom के शोध प्रमुख नीरव करकरा ने कहा कि टारगेट मैच्योरिटी फंड उन निवेशकों के लिए अच्छा काम करते हैं, जिनका लक्ष्य फंड की मैच्योरिटी से मेल खाता है या मैच्योरिटी से थोड़ा पहले समाप्त होता है.
इन योजनाओं को तीन साल से अधिक समय तक रखने वाले निवेशकों को इंडेक्सेशन का भी लाभ मिलता है.
Target Maturity Fund Kya Hai? निवेशकों का रुझान इस तरफ क्यों बढ़ रहा है, यहां जानिए सबकुछ
Target Maturity Funds in Hindi: अगर आप डेट म्यूचुअल फंड में टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? निवेश करना चाहते हैं लेकिन इन हालिया घटनाओं से चिंतित हैं, तो टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? टारगेट मैच्योरिटी फंड (Target Maturity Funds) आपके पोर्टफोलियो के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। आइये जानते कि Target Maturity Fund Kya Hai?
Target Maturity Funds in Hindi: लोगों द्वारा डेट फंडों में निवेश करने के सबसे बड़े कारणों में से एक अपने पोर्टफोलियो को स्थिर बनाना है। लेकिन डेट मार्केट में उतार-चढ़ाव और एक प्रमुख फंड हाउस से कई डेट स्कीमों के बंद होने से लोग इस मार्केट सेगमेंट से टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? सावधान हो गए हैं।
अगर आप डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं लेकिन इन हालिया घटनाओं से चिंतित हैं, तो टारगेट मैच्योरिटी फंड (Target Maturity Funds) आपके पोर्टफोलियो के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। तो अगर आप जानना चाहते है कि Target Maturity Fund टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? Kya Hai? (What is Target Maturity Fund in Hindi) और इसमें निवेश करने के क्या फायदें है तो लेख को अंत तक पढ़े।
Target Maturity Fund: क्या है टारगेट मैच्योरिटी फंड, क्यों इनवेस्टर्स इसकी तरफ बढ़ा रहे हैं अपना इंटरेस्ट?
Target Maturity Fund: वर्ष 2019 में भारत सरकार की तरफ से भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) जारी किया गया जिसके पास से टारगेट में छोटे फंड में निवेशक निवेश बढ़ा रहे हैं। देश के पहले टारगेट मैच्योरिटी फंड (Target Maturity) का प्रबंधन कर रहा है एडलवाइज म्युचुअल फंड ( Edelweiss Mutual Fund) । टारगेट में चोटी फंड की एक मैच्योरिटी डेट होती है कि वह डेट है जब स्कीम पोर्टफोलियो निवेश ( Scheme Portfolio Investment) में क्यों हो जाता है। इस निवेश के अंतर्गत जल्द ही निकासी की सुविधा भी मिल जाती है आपको बता दें कि टारगेट में छोटी फंड में जब होल्डिंग पीरियड होता है उस दौरान जो भी ब्याज मिलता है उसका दोबारा से Investment कर दिया जाता है।
निवेश को करना होगा लंबी अवधि तक
वैसे तो कोई भी निवेशक मैच्योरिटी से पूर्व भी अपनी राशि निकाल सकता है लेकिन हाई रिटर्न प्राप्त करने के लिए इन्वेस्टर्स को इसमें मैच्योरिटी होने तक बना रहना चाहिए। इससे ब्याज दरें तो बढ़ती है इसके साथ-साथ इन्वेस्टर्स को अपना निवेश high-yield पर लॉगइन टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? करने का चांस भी मिलता है।
विश्लेषकों की मानें तो फ्रेंकलिन टेंपलटन संकट के बाद से पैसिवली मैनेज्ड टारगेट फंड की तरफ निवेशक अपना रुझान बढ़ा रहे हैं। फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planing) करने वाले विशेषज्ञ निवेशकों को टैक्स बेनिफिट (Tax Benefit) का लाभ उठाने के लिए इस सेगमेंट में निवेश करने की सलाह दे रहे हैं। आपको बता दें पैसिवली मैनेज्ड टारगेट फंड में अधिकतम यील्ड की भी संभावना रहती है। 2026 और 2027 के मैच्योरिटी टारगेट फंडों (Maturity Target Funds) की यील्ड है क्रमशः 7.48 और 7.55।
बॉन्ड ईटीएफ क्या है?
बॉन्ड ईटीएफ बॉन्ड के एक बास्केट या सेट में निवेश करते हैं. ये बॉन्ड अलग-अलग इंडेक्स को फॉलो करते हैं. बॉन्ड ईटीएफ गर्वनमेंट, कॉरपोरेट या पब्लिक सेक्टर यूनिट बॉन्डों में निवेश कर सकता है.
क्या है लागत?
बॉन्ड ईटीएफ एक्टिवली मैनेज्ड डेट फंड के मुकाबले सस्ते होते हैं. उदाहरण के लिए भारत बॉन्ड ईटीएफ 0.0005 फीसदी चार्ज करेगा. एडलवाइज म्यूचुअल फंड का दावा है कि यह देश में सबसे सस्ता म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट है. दुनिया में यह सबसे सस्ते डेट प्रोडक्टों में से एक है. इस फंड हाउस को भारत बॉन्ड ईटीएफ के प्रबंधन का जिम्मा मिला है.
कितनी होती है अवधि?
बॉन्ड ईटीएफ शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म जैसे स्पेसिफिक मैच्योरिटी बकेट को ट्रैक करने की कोशिश करते हैं. कुछ बॉन्ड ईटीएफ में तय मैच्योरिटी की अवधि हो सकती है. मसलन भारत बॉन्ड ईटीएफ में दो मैच्योरिटी अवधि - तीन साल और 10 साल हैं. ऐसे बॉन्ड ईटीएफ को टारगेट मैच्योरिटी बॉन्ड ईटीएफ कहा जाता है. ये फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान की तरह होते हैं. इनमें कभी भी निवेश को भुना लेने का अतिरिक्त फायदा होता है.
क्या हैं टैक्स के नियम?
बॉन्ड ईटीएफ पर किसी अन्य रेगुलर डेट म्यूचुअल फंडों टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? की तरह टैक्स लगता है. निवेश पर कैपिटल गेंस को 36 महीने से ज्यादा रखने पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद 20 फीसदी टैक्स लगता है. निवेश पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस को 36 महीने से कम रखा जाता है तो आपके इनकम स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है.
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