नहीं, अवैध इनसाइडर ट्रेडिंग भारत में एक आपराधिक अपराध है। इसलिए, एसईसी की तरह, भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) नियामक निकाय है जो इससे बचने और निवेशक संरक्षण की दिशा में काम करता है।
What is Euthanasia in hindi? – इच्छामृत्यु
Euthanasia जिसे हिंदी में इच्छा मृत्यु की संज्ञा दी जाती है. एक प्रक्रिया है जिसमें अत्यधिक कारूणिक और दयनीय स्थिति में जीवित व्यक्ति को अपने प्राणों का अंत करने की वैधानिक आज्ञा दी जाती है. Euthanasia या इच्छामृत्यु अपने बीज विचार के समय से ही विवादों में रही है. एक तबका इसको वैध बनाने की मांग करता है क्या भारत में Quotex वैध है? तो दूसरा धड़ा इसके विरोध में है और इसके दुरूपयोग की चिंता पर अपने प्रश्न उठाता है.
Euthanasia या इच्छामृत्यु जैसे पहले बताया जा चुका है कि तकलीफ में जीवन बिता रहे लोगों की इच्छा पर उन्हें मृत्यु प्रदान करने का विचार है. दुनिया भर में Euthanasia या इच्छामृत्यु को लेकर अलग—अलग कानून बने हुए है. ब्रिटेन, नीदरलैण्ड, और बेल्जियम जैसे देशों में Euthanasia या इच्छामृत्यु को वैध बनाया जा चुका है लेकिन इसके लिए एक लंबी कानूनी प्रक्रिया होती है जो अपवाद मामलों में उपयोग में लाई जाती है.
Euthanasia या इच्छामृत्यु के प्रकार
Euthanasia या इच्छामृत्यु को कई वर्गों में वर्गीकृत किया गया है. मूख्य रूप से यह voluntary, non-voluntary या involuntary में विभाजित है. voluntary वर्ग में व्यक्ति स्वयं अपने मृत्यु के लिए आवेदन करता है जबकि non-voluntary या involuntary ऐसी स्थिति होती है जब व्यक्ति स्वयं फैसला लेने में सक्षम नहीं होता है और उसके आधार पर उसका कोई निकट रिश्तेदार या सम्बन्धित व्यक्ति उसके मृत्यु के लिए आग्रह करता है. हालांकि non-voluntary या involuntary को अभी किसी भी देश में कानूनी मान्यता नहीं मिली हुई क्या भारत में Quotex वैध है? है और इस तरह के कृत्य को हत्या की श्रेणी में ही रखा जाता है.
Passive euthanasia को pulling the plug भी कहा जाता है. भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने फैसले में Passive euthanasia को वैधानिक बना दिया है. दुनिया के कई देशों में Passive euthanasia को कानूनी दर्जा प्राप्त है. Active euthanasia दुनिया के कुछ देशों जैसे बेल्जियम, कनाडा और स्विट्जरलैण्ड में कानूनी रूप से वैध है.
Active euthanasia और Passive euthanasia में अन्तर
Active euthanasia और Passive euthanasia में सिर्फ प्रक्रिय का अंतर होता है. Active euthanasia में किसी गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को तय मानक के अनुसार मृत्यु प्रदान की जाती है जो कम दर्दनाक होती है और व्यक्ति की निश्चित समय मृत्यु हो जाती है जबकि Passive euthanasia में व्यक्ति को सिर्फ उपचार देना बंद कर दिया जाता है और उपचार के अभाव में उसके मरने की प्रतिक्षा की जाती है. Passive euthanasia ज्यादा दर्दनाक और लंबी प्रक्रिया है.
Euthanasia या इच्छामृत्यु के साक्ष्य प्राचीन इतिहास के स्रोतों से मिलना शुरू हो जाता है. सबसे पहले इसके प्रमाण प्राचीन रोम और ग्रीस में दिखाई देते है. जहां इच्छामृत्यु देने के लिए कार्मिक रखने का उल्लेख मिलता है. सुकरात और प्लेटो जैसे दार्शनिकों ने भी इसके सम्बन्ध में अपने विचार अपनी पुस्तकों में रखे हैं और इसका समर्थन किया है तो दूसरी ओर चिकित्सा विज्ञान के जनक हिप्पोक्रेटस इसका खुलकर विरोध करते हैं. Euthanasia या इच्छामृत्यु शब्द पहली बार फ्रांसिस बेकन की किताब Euthanasia medica में पढ़ने को मिलता है, जिसमें वे इसे परिभाषित करते हुए कहते है कि इस प्रक्रिया में किसी को मृत्यु तक पहुंचाने में उसकी सहायता की जाती है.
Euthanasia या इच्छामृत्यु पर आधुनिक विवाद
Euthanasia या इच्छामृत्यु पर 18वीं सदी के मध्य तक आते—आते विवाद होना शुरू हो गया जो मूल रूप से धार्मिक ओर वृहद् तौर पर सामाजिक भी था. इस पर पहला रिकॉर्डेड बयान 1870 में मिलता है जब एक स्कूल टीचर सैम्युअल विलियम्स ने बर्मिंघम स्पेक्यूलेटिव क्लब में इच्छामृत्यु के खिलाफ एक भाषण दिया. जिसे बाद में कई प्रकाशनों में जगह मिला.
इसके बाद पूरी दुनिया में जगह—जगह क्लोरोफॉर्म क्या भारत में Quotex वैध है? और इस तरह के निश्चेतको के प्रयोग पर बहस छिड़ गई क्योंकि मृत्युशैय्या पर लेटे ज्यादातर मरीजो को क्लोराफार्म की मदद से ही नीम बेहोशी में भेज कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता था. इस बहस ने इतना ज्यादा उग्र रूप ले लिया कि निश्चेतकों के उपयोग को लेकर कई देशों में कानून बने और उन्हीं कानूनों को आधार बनाकर आज के मेडिकल साइंस में गंभीर आॅपरेशन्स से पहले मरीज के परिजनों से कसेंट साइन करवाया जाता है कि अगर निश्चेतक के उपयोग से कोई हानि होती है जो यह सिर्फ परिस्थितिजन्य होगी. इसे किसी भी तरह हत्या या इच्छामृत्यु के प्रयास के तौर पर नहीं माना जाएगा.
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बहुपत्नी प्रथा के कारण स्त्रियों का जीवन तो नारकीय था ही, परिवार में सदैव तनाव क्लेश और इर्ष्या इस हद तक बढ़ जाती थी कि परस्पर षड्यंत्र और विषपान आम बात थी. एक पति के मरने पर अनगिनत विधवाओं का अनाथ हो जाना समाज में अन्य समस्याओं को जन्म देता था.
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 494 के तहत बहुविवाह को गैरकानूनी घोषित किया गया है । आजादी के बाद, 1955 के हिंदू विवाह अधिनियम के तहत हिंदुओं में बहुविवाह की प्रथा को अवैध घोषित कर दिया। दूसरी ओर, मुसलमानों की अधिकतम चार पत्नियाँ हो सकती हैं।
हिंदू कानून के तहत बहुविवाह
18 मई, 1955 को लागू हुए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ये स्पष्ट कर दिया कि हिंदू बहुविवाह को समाप्त कर दिया और इसे एक अपराध माना जाएगा। हिंदुओं के लिए एक विवाह प्रथा ही एकमात्र विकल्प था। यह सीधी विधायी कार्रवाई का एक विशिष्ट उदाहरण प्रतीत होता है।
यह स्पष्ट किया गया था कि एक हिंदू पति या पत्नी फिर से शादी नहीं कर सकते, जब तक कि पहली शादी को समाप्त नहीं कर दिया जाता, या तो तलाक या पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है।
बौद्ध, जैन और सिख सभी हिंदू माने जाते हैं और उनके अपने कानून नहीं हैं, हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान इन तीन धार्मिक संप्रदायों पर भी लागू होते हैं। परिणामस्वरूप, अधिनियम की धारा पांच,ग्यारह और सत्रह के तहत द्विविवाहित शादियां शून्य और दंडनीय हैं।
मुस्लिम कानून के तहत बहुविवाह
1937 के मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन एक्ट (शरीयत) के तहत , जैसा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा माना गया है,ये भारत में मुसलमानों पर लागू होता है। मुस्लिम कानून में बहुविवाह निषिद्ध नहीं है क्योंकि इसे एक धार्मिक प्रथा के रूप में मान्यता प्राप्त है, इसलिए वे इसे संरक्षित और अभ्यास करते हैं। फिर भी, यह स्पष्ट है कि यदि यह विधि संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए दृढ़ संकल्पित है, तो इसे पलटा जा सकता है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ के कारण, इनमें से अधिकांश नियम और प्रथाएं मुस्लिम देशों में पाई जाती हैं। बहुविवाह अभी भी उनकी परंपरा और घरेलू कानून के अनुसार वैध और कानूनी है।भारत, सिंगापुर और साथ ही मलेशिया जैसे देशों में मुसलमानों के लिए बहुविवाह की अनुमति और कानूनी है। बहुविवाह अल्जीरिया, मिस्र और कैमरून में मान्यता प्राप्त है और प्रचलित है।
Insider Trading क्या है?
इनसाइडर ट्रेडिंग कंपनी के बारे में सामग्री, गैर-सार्वजनिक जानकारी के आधार पर एक सार्वजनिक कंपनी के स्टॉक या अन्य प्रतिभूतियों का व्यापार है। विभिन्न देशों में, अंदरूनी जानकारी के आधार पर कुछ प्रकार के व्यापार अवैध हैं।
Insider Trading में किसी सार्वजनिक कंपनी के स्टॉक में किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा व्यापार करना शामिल है जिसके पास किसी भी कारण से उस स्टॉक के बारे में गैर-सार्वजनिक, भौतिक जानकारी है। इनसाइडर ट्रेडिंग या तो अवैध या कानूनी हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इनसाइडर कब ट्रेड करता है।
जब सामग्री (Material) की जानकारी अभी भी गैर-सार्वजनिक (Non-Public) है, तो Insider Trading Illegal है, और इस प्रकार के अंदरूनी व्यापार के कठोर परिणाम होते हैं।
'इनसाइडर ट्रेडिंग' की परिभाषा [Definition of "Insider Trading"] [In Hindi]
इनसाइडर ट्रेडिंग को एक कदाचार (Malpractice) के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें किसी कंपनी की प्रतिभूतियों का व्यापार उन लोगों द्वारा किया जाता है जो अपने काम के आधार पर गैर-सार्वजनिक जानकारी तक पहुंच रखते हैं जो निवेश निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
- एक कंपनी का सीईओ अपनी कंपनी के अधिग्रहण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एक मित्र को देता है, जिसके पास कंपनी में पर्याप्त शेयरधारिता होती है। मित्र जानकारी पर कार्य करता है और जानकारी को सार्वजनिक करने से पहले अपने सभी शेयर बेच देता है।
- एक सरकारी कर्मचारी पारित होने वाले एक नए नियम के बारे क्या भारत में Quotex वैध है? में अपने ज्ञान पर कार्य करता है, जो एक चीनी-निर्यातक फर्म को लाभान्वित करेगा और विनियमन सार्वजनिक होने से पहले अपने शेयर खरीदता है।
- एक उच्च-स्तरीय कर्मचारी विलय के बारे में कुछ बातचीत सुनता है और इसके बाजार प्रभाव को समझता है और फलस्वरूप अपने पिता के खाते में कंपनी के शेयर खरीदता है।
इनसाइडर ट्रेडिंग कब कानूनी है? [When is insider trading legal? In Hindi]
लीगल इनसाइडर ट्रेडिंग शेयर बाजार में साप्ताहिक आधार पर होती है। वैधता का प्रश्न एसईसी के निष्पक्ष बाज़ार को बनाए रखने के प्रयास से उपजा है। मूल रूप से, यह कानूनी है जब कंपनी के अंदरूनी सूत्र ट्रेडिंग कंपनी स्टॉक में संलग्न होते हैं, जब तक कि वे इन ट्रेडों को एसईसी को समय पर रिपोर्ट करते हैं। 1934 का प्रतिभूति विनिमय अधिनियम कंपनी स्टॉक के लेनदेन के कानूनी प्रकटीकरण का पहला कदम था। उदाहरण के लिए, निदेशकों और स्टॉक के प्रमुख मालिकों को अपने हिस्से, लेन-देन और स्वामित्व के परिवर्तन का खुलासा करना चाहिए।
दो प्रकार कानूनी और अवैध हैं। अवैध रूप से, एक व्यक्ति आंतरिक जानकारी के आधार पर व्यापार करके कंपनी के भरोसे को तोड़ता है जबकि अन्य अज्ञानी रहते हैं।
कानूनी मामलों में, अंदरूनी जानकारी के आधार पर भी एक अंदरूनी सूत्र अपने निगम की प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने में संलग्न होता है। हालांकि, व्यक्ति एसईसी जैसे नियामक अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट करता है। Index Option क्या है?
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