ईटीएफ के लिए यह सीमा 36 महीने हैं. अगर 24 महीने से पहले ही बिकवाली कर दी जाती है तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से वसूला जाएगा. यही नहीं, अमेरिका में डिविडेंड्स पर 25 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. इनवेस्टर को ब्रोकरेज काटकर ही भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है बाकी 75 फीसदी रकम देता है. हालांकि, भारत में टैक्स फाइल करते समय चुकाए भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है गए डिविडेंड टैक्स का क्रेडिट ले सकते हैं.
भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है
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रिजर्व बैंक ने बैंकों के डिविवेंड पर लगाई सीमा, निवेशकों को होगी निराशा
वित्त वर्ष 2020-21 में निजी बैंक भी डिविडेंड देने में कंजूसी कर सकते हैं. ये बैंक डिविडेंड देने में आगे रहते हैं. बैंक बीते साल भी डिविडेंड नहीं दे पाए थे.
4 मई 2004 को रिजर्व बैंक सभी बैंकों के लिए डिविडेंड भुगतान के समान नियम लेकर आया था. इसमें सभी बैंकों के लिए कुछ मानक तय किए गए थे, जिनको पूरा करने के बाद ही डिविडेंड दिया जा सकता है.
डिविडेंड देने के लिए बीते दो वित्त वर्षों में बैंकों का कैपिटल एडिक्वेसी अनुपात 9 फीसदी से अधिक होना चाहिए, ताकि उनके पास पर्याप्त पूंजी बनी रहे. बैंकों का नेट एनपीए 8 फीसदी से कम होना चाहिए. डिविडेंड भुगतान अनुपात किसी भी स्थिति में 40 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है.
Mutual Funds Investment Rules: म्यूचुअल फंड्स में निवेश के बदले नियम, जानें- आपके निवेश पर क्या होगा इसका भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है असर?
Updated: July 1, 2022 4:26 PM IST
Mutual Funds Investment Rules Changed From 1 July 2022: अभी तक म्यूचुअल फंड्स में जो निवेश किए जाते थे, उसके लिए पैसे आपके खाते से ठीक उसी तरह से काटे जाते थे, जिस तरह से स्टॉक्स में निवेश करने पर डीमैट खाते से पैसे काटे जाते हैं. लेकिन, आज से, म्यूचुअल फंड लेनदेन के लिए स्टॉक ब्रोकरों द्वारा किसी भी रूप या तरीके से फंड और/या यूनिट्स की पूलिंग बंद कर दी जाएगी.
निवेशकों पर क्या होगा इसका असर?
नए नियमों के तहत अब निवेशकों के ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए नहीं किया जा सकेगा. पैसा सीधे निवेशक के बैंक खाते से फंड हाउस के बैंक खाते में जाएगा. इसलिए, यदि कोई म्यूचुअल फंड (MF) खरीदना चाहता है, तो उन्हें भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है एएमसी को सीधे बैंक खाते से भुगतान करना होगा. इसी तरह, म्यूचुअल फंड को भुनाने के बाद, क्रेडिट निवेशक के डीमैट खाते से जुड़े बैंक खाते में आ जाएगा.
निवेशकों को अपनी सभी व्यवस्थित निवेश योजनाओं (SIP) के लिए सीधे अपने बैंक खाते से एक जनादेश स्थापित करने की आवश्यकता होगी, क्योंकि प्लेटफार्मों को सभी एसआईपी के लिए निवेश के एएमसी एसआईपी मोड में स्थानांतरित करना होगा.
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में, सेबी ने एक सर्कुलर जारी किया था जो 1 अप्रैल, 2022 से म्यूचुअल फंड के लिए फंड की पूलिंग की अनुमति नहीं देता है, और समय सीमा को बाद में 1 जुलाई तक बढ़ा दिया गया था. समय सीमा में विस्तार कुशल प्रौद्योगिकी ओवरहाल और सेवा के लिए इसके सुचारू संक्रमण की सुविधा के लिए था. एसआईपी लेनदेन में विफल होने की कई शिकायतों के बाद निवेशक की जरूरत है.
करना चाहते हैं विदेशी शेयर बाजारों में निवेश तो जान लीजिए ये Tax Rules, बड़े काम की है ये जानकारी
भारतीयों का विदेशी शेयर बाजारों (Foreign Equity Investmet) में निवेश करने का रूझान बढ़ता जा रहा है. विदेशी बाजारों में भी अमेरिकी बाजार भारतीयों की भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है पहली पसंद है.
Tax Rules: विदेशी शेयर बाजारों (Foreign Equity Investment) में निवेश करने का रूझान बढ़ता जा रहा है. अमेरिकी बाजार भारती . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : February 22, 2022, 10:39 IST
नई दिल्ली. अपने निवेश पोर्टफोलियो (Investment Portfolio) में विविधता लाने का एक तरीका विदेशी बाजारों में निवेश (Investing In Foreign Markets) करना है. विदेशी बाजारों में निवेश से निवेशकों को अस्थिरता से निपटने में मदद मिलती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि जरूरी नहीं कि जब घरेलू बाजार में गिरावट हो तो विदेशी बाजार भी गिर रहे होंगे. इसका एक अन्य फायदा यह है कि इसमें मुद्रा में उतार-चढ़ाव के जोखिम से राहत मिलती है. निवेशक को निवेश पर रिटर्न डॉलर में मिलता है. रुपये में गिरावट होने पर विदेशी मुद्रा में निवेश का मूल्य बढ़ जाता है. इसका आपको दोहरा फायदा भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है होता है.
विरासत में मिले हों शेयर तो क्या?
अगर किसी को विदेशी शेयर विरासत (Inherits Foreign Shares) में मिले हों तो फिर क्या होता है? इस सवाल के जवाब में बांगड़ का कहना है कि अगर कोई भारतीय विदेशी एसेट्स में निवेश ग्लोबल फंड्स आदि के माध्यम से निवेश करता है तो इस तरह के निवेश पर विरासत कर या एस्टेट ड्यूटी नहीं देनी होती है. अगर कोई व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत हैसियत से अमेरिका में शेयर खरीदता है तो उसकी मौत के बाद विरासत टैक्स (Inherits Tax) देना पड़ता है. लेकिन, ऐसे मामलों में भी अमेरिका में चुकाए टैक्स पर वह भारत में क्रेडिट ले सकता है क्यों भारत और अमेरिका इस को लेकर समझौता है.
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- कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमन ने 15 मार्च, 2021 को राज्यसभा में बीमा (संशोधन) बिल, 2021 को पेश किया। बिल बीमा एक्ट, 1938 में संशोधन करता है। यह एक्ट बीमा कारोबार के कामकाज के भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है लिए फ्रेमवर्क प्रदान करता है और बीमा कंपनी, उसके पॉलिसी धारकों, शेयर धारकों और रेगुलेटर (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के बीच संबंधों को रेगुलेट करता है। यह बिल भारतीय बीमा कंपनियों में अधिकतम विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाने का प्रयास करता है।
- विदेशी निवेश : एक्ट में यह प्रावधान है कि विदेशी निवेशक किसी भारतीय बीमा कंपनी में 49% तक का पूंजी निवेश कर भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है सकते हैं। इस भारतीय कंपनी पर किसी भारतीय एंटिटी का स्वामित्व और नियंत्रण होना चाहिए। बिल निवेश की इस सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% करता है भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है और स्वामित्व और नियंत्रण के प्रतिबंध को हटाता है। हालांकि यह विदेशी निवेश केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट अतिरिक्त शर्तों के अधीन हो सकता है।
- एसेट्स में निवेश : एक्ट में कहा गया है कि बीमा कंपनियों को एसेट्स में एक न्यूनतम सीमा तक निवेश करना होगा, जोकि उनकी बीमा दावों संबंधी देनदारियों को भारतीय निवेशकों पर क्या सीमा है चुकाने के लिए पर्याप्त हो। अगर बीमा कंपनी भारत के बाहर निगमित हुई है या बाहर स्थित है, तो इन एसेट्स को भारत के किसी ट्रस्ट के पास होना चाहिए और ऐसे ट्रस्टी के अधिकार में होना चाहिए जोकि भारत का निवासी हो। एक्ट एक स्पष्टीकरण देता है कि यह प्रावधान भारत में निगमित हुई बीमा कंपनी पर भी लागू होगा: (i) जिसकी न्यूनतम 33% पूंजी पर भारत के बाहर रहने वाले निवेशकों का स्वामित्व है, या (ii) जिसकी गवर्निंग बॉडी के न्यूनतम 33% सदस्य भारत के बाहर रहते हैं। बिल इस स्पष्टीकरण को हटाता है।
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