हमें ऋषि मुनियों की इस धरती पर जन्म लेने का गर्व है। हमें एक आदर्श नागरिक बनकर अन्य लोगों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। एक आदर्श नागरिक चुनाव में भाग लेकर अपने मत का उचित प्रयोग करता है। वह अपने मत का मूल्य भली-भांति समझता है। उसका प्रत्येक कार्य राष्ट्रहित व समाज कल्याण की भावना से ओत-प्रोत होता है। वह दूसरों के साथ सहयोग करता है, जिससे समाज सुंदर, सुसंस्कृत, समृद्ध व सुखी बन सके। देश प्रेम की यह भावना इंसान के हृदय को देशभक्ति से ओत प्रोत रखती है और समय आने पर वह अपना सब कुछ देश के लिए न्योछावर करने को तत्पर रहता है।
Charu Asopa Divorce: भाई-भाभी के तलाक पर आखिर क्यों चुप है सुष्मिता सेन? हैरान कर देने वाली वजह आई सामने
By: ABP Live | Updated at : 03 Nov 2022 10:34 AM (IST)
जानिए भाई-भाभी के तलाक पर क्यों चुप है सुष्मिता सेन
Charu Asopa-Rajeev Sen: टीवी एक्ट्रेस चारू असोपा (Charu Asopa) और राजीव सेन (Rajeev Sen) के तलाक की खबरें एक बार फिर सुर्खियों में बनी हुई हैं. एक्ट्रेस ने अपने पति राजीव पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए है. उन्होंने कहा कि, प्रेग्नेंसी के दौरान राजीव मुझे धोखा दे रहे थे. वहीं राजीव ने चारू की बात पर पलटवार करते हुए कहा कि, लाई डिटेक्टर टेस्ट होना चाहिए क्योंकि चारू बहुत बकवास बातें कर रही हैं. इसी बाच एक और बात है जो सभी का ध्यान खींच रही है. दरअसल इस मामले में अभी तक राजीव सेन की बहन और बॉलीवुड की फेमस अदाकारा सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) का कोई रिएक्शन सामने नहीं आया है. ऐसे में फैंस समझ नहीं पा रहे हैं कि कौन सही और कौन गलत हो सकता है.
गलती क्या सिर्फ लड़के वालों की होती है.
आयुष ,मैं तुमसे मिलना चाहती हूं ,अभी . हां अभी, तुम बिजी हो क्या, नहीं बस शादी के लिए शेरवानी लेने बाजार आया हूं .आयुष ने फोन पर सारिका से कहा .अकेले हो क्या, नहीं भैया, भाभी ,मम्मी ,पापा ,गुनगुन सब साथ में है ,अभी शादी को बचे ही कितने दिन है ,सब अपने लिए भी कुछ ना कुछ खरीद रहे हैं.
सारिका और आयुष की शादी तय हो गई थी. दोनों कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे, कॉलेज में पढ़ने के कारण एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते भी थे .सारिका के घर वालों को आयुष जैसा ही लड़का चाहिए था. उनकी अरेंज मैरिज थी. एक ही शहर, एक ही जाति के होने से पर दोनों परिवार एक दूसरे को अच्छी तरह जानते थे.
आयुष और सारिका पास के ही एक रेस्टोरेंट में मिले .सारिका -आयुष ,मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती .हमारी सगाई हो चुकी है. कैसी बातें कर रही हो .कार्ड छपने जा चुके हैं. मोहल्ले वालों से रिश्तेदारों तक हमारी शादी की बात के चर्चे हैं .एक ही शहर में होने से समाज वाले क्या बोलेंगे .क्या इज्जत रह जाएगी. पर तुम शादी क्यों नहीं करना चाहती हो .तुम्हारी मर्जी पूछी नहीं गई थी या तुम्हारे साथ जोर जबरदस्ती की गई थी .देखो ,आयुष मैं पलश को प्यार करती थी, हूं और रहूंगी. याद है हमारे कॉलेज में था ,सारिका ने कहा .
ट्रेडिंग की योजना व अमल जिम्मेदारी आपकी
शेयर बाज़ार में कोई दूसरा आपके फायदे-नुकसान की परवाह नहीं करता। पूंजी जाएगी तो आपकी, बढ़ेगी तो आपकी। इसलिए ट्रेडिंग की सारी योजना और उस पर अमल शत-प्रतिशत आपकी ही ज़िम्मेदारी व जवाबदेही है। ऐसी बातें कि मुझे लगा, इन्यूशन हुआ, उसने सलाह दी, चैनल या बहुत बड़े एनालिस्ट ने बताया, बड़े अखबार/साइट पर आया था, आपकी ट्रेडिंग पूंजी के साथ-साथ आपको भी डुबाने के लिए काफी हैं। इसलिए जिनको भी शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से नियमितऔर और भी
वित्तीय मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए? बाज़ार केवल शेयर बाजार तक सीमित नहीं है। इसमें कमोडिटी, फॉरेक्स और बांड बाज़ार भी आते हैं। शेयर बाजार में तो डिलीवरी का विकल्प है। लेकिन कमोडिटी, फॉरेक्स व बांड बाज़ार में डेरिवेटिव्स की तरह तय अवधि में मार्जिन पर ट्रेड करके बाहर निकल जाना होता है। लेकिन एक बात हर वित्तीय बाज़ार में समान है कि यहां आप एकदम अकेले होते हैं। न बाज़ार को आपकी परवाह है, न ब्रोकर मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए? को और न ही सलाहकारऔर और भी
अभ्यास करते रहें, हर अनुभव से सीखते जाएं
शेयर बाज़ार में अनिश्चितता है। इसे ही रिस्क कहते हैं और रिस्क से ही रिवॉर्ड का निर्धारण होता है। जहां जितना रिस्क, वहां उतना ज्यादा रिवॉर्ड या फायदा। लेकिन रिस्क को नाथने का हुनर अभ्यास से आता है और अभ्यास का मतलब कदमताल करते जाना नहीं, बल्कि अपने अनुभवों से निरंतर सीखते जाना होता है। कोई सौदा क्यों किया, वह सफल हुआ तो क्यों और विफल हुआ तो क्यों? क्या पहलू हमने नज़रअंदाज़ कर दिए और किनकोऔर और भी
तैयारी कितनी भी कर लें, शेयर बाज़ार की अनिश्चितता को खत्म नहीं किया जा सकता। कल तो दूसरी ही तरह की अनिश्चितता ने बाज़ार को घेर लिया। एनएसई ने टेलिकॉम सेवा मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए? देनेवालों की तरफ से उपजी समस्या के चलते ट्रेडिंग 11.40 बजे रोक दी। निफ्टी-50 सुबह 10.08 बजे के बाद अपडेट ही नहीं हो रहा था। बाज़ार जब शाम 3.30 बजे बंद होता है, मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए? तब जाकर सूचकांक अपडेट हुआ। अंततः ट्रेडिंग का समय 90 मिनट बढ़ाकर 5और और भी
भय व लालच का संतुलन और धन का प्रवाह
शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कमाई सुनिश्चित करने के लिए तीन खास बातें आपको पता होनी चाहिए। एक, बाज़ार में भय और लालच का संतुलन कैसा चल रहा है? दो, संस्थाओं व प्रोफेशनल ट्रेडरों का रुझान क्या है? तीन, विदेशी निवेशक संस्थाओं के धन का प्रवाह कैसा चल रहा है? इसलिए हर दिन बाज़ार बंद होने के बाद एनएसई की वेबसाइट पर जाकर देख लें कि डर व घबराहट से संबंधित इंडिया वीआईएक्स सूचकांक कितना बढ़ा/घटा है।और और भी
हमारा शेयर बाज़ार अब पूरी तरह ग्लोबल हो चुका है। इसलिए दिन की ट्रेडिंग शुरू करने से पहले दुनिया के बाज़ारों का हाल-चाल जान लेना चाहिए। अमेरिका का डाउ जोन्स और S&P-500 सूचकांक का कल का क्लोजिंग, आज सुबह ऑस्ट्रेलिया का S&P/ASX-200 सूचकांक (अपने समय से दोपहर तक) और एशिया में (दोपहर से पहले तक) जापान का निक्केई सूचकांक, कोरिया/हागकांग के बाज़ार की स्थिति के साथ-साथ सिंगापुर निफ्टी सूचकांक का हालचाल पता कर लेना चाहिए। इससे मोटाऔर और भी
GST: देश में जीएसटी की होनी चाहिए एक दर, बोले PMEAC के चेयरमैन बिबेक देबरॉय
GST पीएमइएसी के चेयरमैन बिबेक देबरॉय (Bibek Debroy) ने एक इवेंट में कहा कि देश में सिंगल रेट जीएसटी (GST) होना चाहिए। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि इसे किसी भी तरह से पीएमइएसी की सिफारिश नहीं मानना चाहिए।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल (PMEAC) के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने सोमवार को कहा कि भारत में सिंगल रेट जीएसटी होना चाहिए। मौजूदा समय में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से वसूला जाने वाला टैक्स जीडीपी का 15 प्रतिशत है, जबकि सरकार के द्वारा पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर किया जाने व्यय इससे अधिक है।
देबरॉय ने एक समारोह के दौरान जीएसटी पर कहा कि पूरे देश में जीएसटी की एक ही दर होनी चाहिए, लेकिन मुझे नहीं लगता कि कम कभी इसे प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमें उत्पादों की परवाह किए बिना सभी पर समान टैक्स लगाना चाहिए। अगर इस बदलाव की शुरुआत करनी है, तो सबसे पहले प्रत्यक्ष करों से होनी चाहिए, न कि जीएसटी या अप्रत्यक्ष कर से।
PMEAC की सिफारिश नहीं
देबरॉय स्पष्ट किया कि उनके भाषण को पीएमइएसी की सिफारिश को नहीं मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए? माना जाना चाहिए। देश में टैक्स की चोरी करना गैरकानूनी है, लेकिन टैक्स छूट के प्रावधानों का उपयोग कर बोझ को कम करना वैध है। हमें इन टैक्स छूट की आवश्यकता क्यों है? अधिक टैक्स छूट होने के कारण टैक्स कैलकुलेशन करना कठिन होता है। देश में सभी टैक्स छूट के बिना टैक्स मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए? कैलकुलेशन करने का सरल सिस्टम क्यों नहीं है।
गर्व है हमें भारतीय होने पर
सासाराम : रोहतास । एक मां हमें जन्म देती है और दूसरी मां की गोद में पलकर हमारा पोषण होता है। एक मां हमारी अपनी मां है, जबकि दूसरी मां धरती मां है। जिसकी गोद में पल कर हम बड़े होते हैं। जिस देश में हमने जन्म लिया, वह हमारी मातृभूमि हमें प्राणों से भी अधिक प्रिय है। नागरिक होने का तात्पर्य सिर्फ सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं का उपभोग करना ही नही हैं, बल्कि अपने देश मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए? के साथ प्रेम करना भी है। देश प्रेम की भावना हृदय में जलने वाली एक ऐसी ज्वाला है, जो अपनी जन्मभूमि को सबसे ज्यादा प्यार करने की भावना जगाती है। हमें आदर्श नागरिक बनना चाहिए। आदर्श नागरिक हमारे समाज के आधार व शोभा हैं । उनमें अनेक गुण होते हैं, इसलिए उनका जीवन व आचरण अनुकरणीय होता है। उन पर सभी लोगों को गर्व होता है। एक समाज या देश में हर प्रकार के नागरिक होते हैं। अच्छे व आदर्श नागरिक वही होते हैं, जो देश को शक्ति-सम्पन्न, समृद्ध, सुखी, शांत व संगठित बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं। देश की हर गतिविधियों यथा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व नैतिक ²ष्टियों से इन नागरिकों का बड़ा महत्व होता है। जितनी अधिक इन आदर्श नागरिकों की संख्या रहेगी, उतना ही देश विकसित होगा। एक आदर्श नागरिक बड़ा देशभक्त होता है। देशभक्ति का तात्पर्य मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए? है मातृभूमि व देश के लिए अटूट प्रेम, गहरा लगाव और समर्पण। लेकिन सभी नागरिक ऐसे नहीं हो सकते, न होते हैं। अनेक नागरिक अपनी नादानी से राष्ट्र के समक्ष समस्याएं खड़ी कर देते हैं। वे अपने निजी स्वार्थ के लिए कोई भी ऐसा बयान दे सकते हैं, जिससे अनावश्यक विवाद तूल पकड़ सकता है। ऐसे लोग समाज के लिए बोझ होते हैं। हमें इनसे सदा सावधान रहना चाहिए। अच्छे नागरिक देश के लिए, राष्ट्रहित के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते। महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, लाला लाजपतराय, सरदार भगत¨सह आदि आदर्श नागरिकों के शिरोमणि थे। वे देश के लिए जिए व देश के लिए मिट गए। उनके लिए राष्ट्रभक्ति से और अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं था। उन्हीं के समर्पण के बल पर आज हम स्वतंत्र हैं। हमें अपने नागरिक होने पर गर्व होना चाहिए। एक आदर्श नागरिक स्वेच्छा से अनुशासन का पालन करता है। वह देश के नियमों-उपनियमों का पूरी जिम्मेदारी से निर्वाह करता है। वह अधिकारियों को कानून व व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करता है।वह कभी कोई ऐसा काम नहीं करता, जो दूसरों के अहित में हो, देश व समाज को हानि पहुंचाने वाला हो। वह देश में हो रहे गलत कार्यों के विरुद्ध आवाज भी उठाता है। वह कभी करों की चोरी नहीं करता व नागरिक होने की अपनी सभी जिम्मेदारियों का पूरी निष्ठा से पालन करता है। इसके विपरीत कई नागरिक करों की चोरी करते हैं, झूठ बोलते हैं, समाज में अफवाह फैलाकर लोगों को गुमराह करते हैं। इतना ही नहीं संकट के समय भी अपनी आदतों से बाज नहीं आते। एक आदर्श नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों दोनों के प्रति सचेत होता है। परन्तु अधिकार से अधिक वह अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक जागरूक होता है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 329