इस बीच एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने इंटरमिटेंट फास्टिंग से महिलाओं में होने वाले कुछ दुष्प्रभावों को लेकर अलर्ट किया है। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग महिलाओं के प्रजनन हार्मोन को प्रभावित कर देती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस तरीके को प्रयोग में लाने वाली महिलाओं में मां बनने से संबंधित समस्याओं के बारे में पता चला है। हार्मोन्स असंतुलन के कारण प्रजनन के साथ-साथ शरीर में और भी कई प्रकार की जटिलताओं का जोखिम हो सकता है, ऐसे में बिना डॉक्टरी सलाह के ऐसे उपायों को प्रयोग में लाने से बचा जाना चाहिए।
वृक्ष के छल्ले के पैटर्न के विश्लेषण के आधार पर दिनांकन की वैज्ञानिक विधि को ________ के रूप में जाना जाता है।
The RRB Group D Results are expected to be out on or before 24th December 2022! The Railway Recruitment Board released हार्मोनिक पैटर्न की कमियां the RRB Group D Answer Key on 14th October 2022. The candidates will be able to raise objections from 15th to 19th October 2022. The exam was conducted from 17th August to 11th October 2022. The RRB (Railway Recruitment Board) is conducting the RRB Group D exam to recruit various posts of Track Maintainer, Helper/Assistant in various technical departments like Electrical, Mechanical, S&T, etc. The selection process for these posts includes 4 phases- Computer Based Test Physical Efficiency Test, Document Verification, and Medical Test.
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नींद की कमी से टूट सकता है महिलाओं का मां बनने का सपना? इसे बिल्कुल भी इग्नोर ना करें
स्टडी में पता चला है कि जो लोग नींद ठीक तरह से नहीं ले पाते हैं, उनमें हार्मोन्स असंतुलन की समस्या हो सकती है. बता दें कि हार्मोन्स एक सिस्टम के तहत एक दूसरे से कनेक्ट रहते हैं.
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जिंक (जस्ते) की कमी से पौधों में होने वाले रोग एवं उनकी पहचान
सभी फसलों को बढवार के लिए एवं अच्छी उपज के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है | यह पोषक तत्व पौधे भूमि (मिट्टी) से प्राप्त करते हैं लगातार फसल उत्पादन करने से इन पोषक तत्वों की मिट्टी में कमी हो जाती है जिनकी पूर्ती के लिए किसान खाद का ही प्रयोग करते हैं | प्रत्येक खाद में कुछ पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते है परन्तु किसी भी खाद में सभी पोषक तत्व उपलब्ध नहीं होते है |जिंक जिसे आम भाषा में जस्ता कहते हैं भिफसलों के लिए आवशयक होता है | यह सूक्ष्म पोषक तत्व की श्रेणी में आता है |
दलहनी फसलों में जिंक की कमी के कारण प्रोटीन संचय की दर कम हो जाती है | पौधों के लिए जिंक मृदा से अवशोषण द्वारा प्रमुख रूप से प्राप्त होता है | सामन्यत: पौधों में जिंक की आदर्श मात्रा 20 मि.ग्रा. प्रति किलोग्राम शुष्क पदार्थ तक उपयुक्त मानी जाती है | पौधों के माध्यम से खाध पदार्थों में जिंक का संचय होता है और जीवित प्राणियों को जिंक प्राप्त होता है | दुनिया की आबादी का एक तिहाई भाग जिंक कुपोषण के जोखिम के अंतर्गत आता है | विशेष रूप से बच्चों में जिंक तत्व की कमी से कुपोषण बढ़ता जा रहा है | इसका प्रमुख कारण जिंक तत्व की कमी वाले आहार का सेवन करना है | किसान समाधान जिंक से पौधों में होने वाले रोग तथा निदान की जानकारी लेकर आया है |
जिंक का पौधों की वृद्धि में महत्व
- इसकी पौधों के कायिक विकास और हार्मोनिक पैटर्न की कमियां प्रजनन क्रियाओं के लिए आवश्यक हार्मोन के संशलेषण में महत्वपूर्ण भूमिका
- पौधों में वृद्धि को निर्धारित करने वाले इंडोल एसिटिक अम्ल नामक हार्मोन के निर्माण में जिंक की अहम भूमिका
- पौधों में विभिन्न धात्विक एंजाइम में उत्प्रेरक के रूप में एवं उपपाचयक की क्रियाओं के लिए आवश्यक
- इसकी पौधों में कई प्रकार के एंजाइमों जैसे कार्बोनिक एनहाइड्रेज, डिहाइड्रोजीनेस, प्रोटीनेस एवं पेप्तिनेस के उत्पादन में मुख्य भूमिका
- जिंक का पौधों में प्रोटीन संशलेष्ण तथा जल अवशोषण में अप्रत्यक्ष रूप में भाग लेना
- पौधों के आनुवांशिक पदार्थ राइबोन्यूक्लिक अमल के निर्माण में भी इसकी भागीदारी |
- जिंक कमी के लक्षण पौधों की माध्यम पत्तियों पर आते हैं | जिंक की अधिक कमी से नई पत्तियां उजली निकलती हैं | पत्तियों की शिराओं के मध्य सफेद धब्बे में दिखाई देते हैं |
- मक्का में जिंक की कमी से सफेद कली रोग उत्पन्न होता है | अन्य फसलों जैसे नींबू की वामन पत्ती, आडू का रोजेट और धान में खैरा रोग उत्पन्न होता है | हार्मोनिक पैटर्न की कमियां
- जस्ता की कमी से तने की लम्बाई में कमी (गाँठो के मध्य भाग का छोटा होना) आ जाती है। बालियाँ देर से निकलती है और फसल पकने में विलम्ब हार्मोनिक पैटर्न की कमियां होता है।
- तने की लम्बाई घट जाती है और पत्तियाँ मुड़ जाती है।
मृदा में जिंक उपलब्धता को प्रभावित करने वाले कारक
- मृदा पी–एच मान जैस –जैसे बढ़ता है वैसे – वैसे पौधों के लिए जिंक की उपलब्धता में कमी
- मृदा में कार्बनिक पदार्थ लिग्निन, हायूमिक और फल्विक अमल के रूप में पाया जाता है | जिंक इन कार्बनिक पदार्थों के साथ चिलेट जिंक यौगिक का निर्माण करता है, जो पौधों को आसानी से उपलब्धता हो जाता है | जिंक उर्वरक का उपयोग कार्बनिक खाद के साथ करने पर जिंक तत्व की बढती है उपलब्धता पौधों में
- फास्फोरसयुक्त उर्वरक का अधिक मात्रा में उपयोग करने पर या पहले से मृदा में उपलब्ध फास्फोरस की अधिक मात्रा होने पर जिंक की पौधों में उपलब्धता में कमी
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मृदा के जलमग्न होने के कारण अन्य पौध्क तत्वों की साद्रता अधिक हो जाती है, किन्तु जिंक तत्व की कमी हो जाती है इसलिए जल निकास का उचित प्रबधन आवश्यक
- मृदा का तापमान भी जिंक की उपलब्धता की प्रभावित करता है | मृदा के तापमान में कमी होने पर जिंक उपलब्धता घटती है | मृदा का तापमान बढने पर जिंक की उपलब्धता बढती है , इसलिए ठंडे क्षेत्रों में मृदा का तापमान नियंत्रित करने के लिए मल्च का उपयोग जरुरी |
- फसलों की प्रजातियाँ और किस्म भी जिंक तत्व की आवश्यकता एवं उपयोग करने में महत्वपूर्ण होती है | हर फसल की जिंक तत्व की आवश्यकता और उपयोग करने की क्षमता भिन्न – भिन्न होती है और यह जिंक के अवशोषण को प्रभावित करती है | फसलों का चयन एवं जिंक का उपयोग फसलों के अनुसार करने की जरूरत |
Intermittent fasting: वजन कम करने का यह तरीका मां बनने में बन सकती है बाधा, शोधकर्ताओं ने किया अलर्ट
वजन कम करने के लिए जिन तरीकों को वैश्विक रूप से सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जाता रहा है, इंटरमिटेंट फास्टिंग उनमें से एक है। इंटरमिटेंट फास्टिंग में एक निश्चित समय में ही कुछ खाना होता है। इसके अलावा हर दिन 6-8 घंटे के लिए उपवास और फिर हल्के-पौष्टिक आहार का सेवन किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करके हार्मोनिक पैटर्न की कमियां आसानी से फैट बर्न करने में मदद मिल सकती है। साल 2014 में अध्ययनों की समीक्षा के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग के माध्यम से 3-24 सप्ताह की अवधि में शरीर हार्मोनिक पैटर्न की कमियां का वजन 3-8% कम किया जा सकता है। यही कारण है कि भारत समेत दुनिया के कई देशों में इंटरमिटेंट फास्टिंग का चलन काफी बढ़ा है।
डिफ्यूज थिनिंग
इसमें हेयर लॉस का कोई पैटर्न नजर नहीं आता है। बिना किसी लक्षण के बाल पतले होना डिफ्यूज थिनिंग है। यह पूरे स्कैल्प को प्रभावित करता है और इसके कारण हेयर लॉस होता है।
क्राउन में बालों का पतला होना
मेल पैटर्न बाल्डनेस का एक अन्य लक्षण है क्राउन में बालों का पतला होना। हेयर लाइन कम होने के साथ ही क्राउन एरिया के बाल भी झड़ जाते हैं। कई बार एडवांस स्टेज में पहुंचने के बाद ही यह लक्षण नजर आता है।
मेल पैटर्न बाल्डनेस के कारण
- यदि घर में किसी सदस्य को यह समस्या है, तो आनुवांशिक कारणों से आपको भी मेल पैटर्न बाल्डनेस हो सकता है।
- हार्मोन पूरे जीवन में बदलते हैं और आपके बालों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
- इसके कारण हेयर फॉलिकल सिकुड़ जाता है और समय के साथ पतला एवं हार्मोनिक पैटर्न की कमियां कम होने लगता है। इससे नए बाल नहीं उगते हैं।
- शरीर में आयरन की कमी, डायबिटीजी, कुपोषण, फंगल इंफेक्शन, अधिक तनाव और कुछ दवाओं का सेवन करने के कारण भी मेल पैटर्न बाल्डनेस हो सकता है।
इलाज और रोकथाम
- मेल पैटर्न बाल्डनेस की समस्या होने पर जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर के पास जाएं। इससे काफी हद तक बाल झड़ने को रोका जा सकता है। और बालों के ग्रोथ के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं हार्मोनिक पैटर्न की कमियां देते हैं। बालों का मेडिकल ट्रीटमेंट आसानी से उपलब्ध है।
- यदि आपका हेयर लॉस एडवांस स्टेज में हैं, तो आपको हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी करानी पड़ सकती है।
मेल पैटर्न बाल्डनेस के लक्षणों को पहचान कर समय पर इस समस्या का निदान कराना चाहिए। इसके साथ ही जल्दी इलाज कराकर हेयर लॉस को रोका जा सकता है।
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