आज से 7 बड़े बदलाव, जिनका असर जेब पर पड़ेगा: कॉमर्शियल सिलेंडर सस्ता, बाइक महंगी हुई; आधार-पैन लिंक और टैक्स से जुड़े नियम भी बदले
एक जुलाई यानी आज से देशभर में कई बदलाव हुए हैं। इनका सीधा असर आपकी जेब और जिंदगी पर पड़ेगा। इसलिए जरूरी है कि नियमों की जानकारी पहले ही आपको हो। आज से कॉमर्शियल गैस सिलेंडर सस्ता हो गया है। वहीं आधार-पैन लिंक करने के लिए 1000 रुपए चार्ज देना होगा। हम आपको ऐसे 7 बदलावों के बारे में बता रहे हैं.
1. कॉमर्शियल गैस सिलेंडर सस्ता
कॉमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती की गई है। दिल्ली में 19 किलो वाले कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमत 2219 रुपए से घटकर 2021 रुपए हो गई है। इसी तरह कोलकाता में 2322 रुपए के मुकाबले अब यह सिलेंडर 2140 रुपए में मिलेगा। मुंबई में कीमत 2171.50 रुपए से घटकर 1981 रुपए और चेन्नई में 2373 से घटकर 2186 रुपए हो गई है।
इस हिसाब से दिल्ली में गैस सिलेंडर की दरों में 198 रुपए, कोलकाता में 182 रुपए, मुंबई में 190.50 रुपए और चेन्नई में 187 रुपए की कमी आई है। पिछले महीने जून में कॉमर्शियल सिलेंडर की दरों में 135 रुपए की कमी की गई थी। हालांकि तेल कंपनियों की तरफ से घरेलू गैस सिलेंडर में किसी तरह की राहत नहीं दी गई। दिल्ली में 14.2 किलो वाले गैस सिलेंडर की कीमत 1003 रुपए है।
2. आधार-पैन लिंक करने के लिए अब 1000 रुपए चार्ज
आज यानी 1 जुलाई से पैन को आधार से लिंक क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार कराने के लिए आपको 1,000 रुपए देने होंगे। 30 जून तक ये काम 500 रुपए में हो जाता था। अब आपको 500 रुपए ज्यादा चुकाने होंगे।
3. क्रिप्टोकरेंसी के लिए किए गए लेन-देन पर TDS
अब से अगर क्रिप्टोकरेंसी के लिए किया गया लेन-देन एक साल में 10,000 रुपए से क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार ज्यादा है तो उस पर 1% का चार्ज किया जाएगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के लिए टीडीएस के डिस्क्लोजर मानदंडों की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके दायरे में सभी NFT या डिजिटल करेंसी आएंगी।
4. बिना केवाईसी वाले डीमैट अकाउंट हो जाएंगे डीएक्टिवेट
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के लिए केवाईसी (KYC) कराने की आखिरी तारीख 30 जून 2022 थी। ऐसे में अगर आपने अकाउंट की KYC नहीं कराई है तो ये डीएक्टिवेट हो जाएंगे। इससे आप स्टॉक मार्केट में ट्रेड नहीं कर पाएंगे। अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी का शेयर खरीद भी लेता है तो ये शेयर्स अकाउंट तक ट्रांसफर नहीं हो सकेंगे।
5. मोटर साइकिल खरीदना महंगा
दोपहिया वाहन 1 जुलाई से महंगे हो जाएंगे। हीरो मोटोकॉर्प ने अपने ब्रांड्स की कीमतों को 3 हजार रुपए तक बढ़ाने का फैसला किया है। हीरो मोटकॉर्प ने बढ़ती महंगाई और रॉ मटेरियल की कीमतों में तेजी के चलते दाम बढ़ाए हैं।
6. तोहफे पर देना होगा 10% TDS
व्यवसायों से मिलने वाले तोहफे पर 10% के हिसाब से टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) देना पड़ेगा। ये टैक्स डॉक्टरों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पर लगेगा। हालांकि, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर टैक्स तभी लगेगा, जब वे किसी कंपनी से मार्केटिंग के लिए मिले सामान अपने पास रखते हैं। अगर वे इसे लौटा देते हैं तो TDS नहीं लगेगा।
7. देना होगा ज्यादा टोल
दिल्ली- देहरादून हाईवे (NH 58) पर 1 जुलाई (गुरुवार रात 12 बजे से) टोल दरें बढ़ा दी गईं हैं। लॉकडाउन में टोल दर नहीं बढ़ाई गई थी। एक जुलाई से यहां से गुजरने वालों को 5 रुपए से लेकर 80 रुपए तक का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा। नई दरें जानने के लिए यहां क्लिक करें
‘क्रिप्टोकरेंसी को अंतिम रूप दे रहा है भारत, जल्द किया जाएगा पेश’
नई दिल्ली: आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के सचिव अजय सेठ ने सोमवार को कहा, क्रिप्टोकरेंसी के बारे में कई पक्षों की राय के आधार पर एक परामर्श पत्र को अंतिम रूप दिया जा रहा है और जल्द ही इसे पेश किया जाएगा. वित्त मंत्रालय की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम से इतर सेठ ने कहा, क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर घरेलू और अन्य भागीदारों के साथ व्यापक चर्चा की गई है. उसी के आधार पर इस परामर्श पत्र को तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, क्रिप्टोकरेंसी की वजह से पैदा क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वर्चुअल दुनिया में इन डिजिटल मुद्राओं का परिचालन होने से जरूरी है कि इन मुद्दों से निपटने में वैश्विक प्रयास हों.
- भारत का क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सजग रुख
- भागीदारी का एक व्यापक ढांचा होना चाहिए
भारत का क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सजग रुख
भारत ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सजग रुख अपनाया हुआ है. भारतीय रिजर्व बैंक कई मौकों पर क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपनी असहजता जाहिर कर चुका है. उसका कहना है कि आर्थिक स्थिरता के लिए क्रिप्टोकरेंसी एक खतरे की तरह है. सेठ ने क्रिप्टोकरेंसी पर रुख साफ करने के लिए लाए जा रहे परामर्श पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि यह काफी हद तक तैयार हो चुका है. उन्होंने कहा, हमने इस बारे में न सिर्फ घरेलू संस्थागत हितधारकों बल्कि विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे वैश्विक संगठनों से भी सलाह-मशविरा किया है. उम्मीद है कि हम जल्द ही अपने परामर्श पत्र को अंतिम रूप देने की स्थिति में होंगे.
भागीदारी का एक व्यापक ढांचा होना क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार चाहिए
इसी के साथ उन्होंने कहा कि भारत ने एक तरह के वैश्विक नियमन पर काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, जिन देशों ने क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाई है, वे इसपर वैश्विक सहमति नहीं बनने तक कामयाब नहीं हो सकते हैं. भागीदारी का एक व्यापक ढांचा होना चाहिए…. हमें क्रिप्टो नियमन पर एक वैश्विक सहमति की जरूरत है.
अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर सेठ ने कहा कि चुनौतीपूर्ण परिवेश के बावजूद भारत दुनियाभर में सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा. उन्होंने कहा, हम मौजूदा के अलावा आने वाले समय में भी पैदा होने वाली चुनौतियों का बखूबी सामना कर सकते हैं.
Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस
अगर आप क्रिप्टो करेंसी में निवेश की योजना बना रहे हैं तो इनकी ट्रेडिंग के लिए लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.
जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो इसे बेच सकते हैं. (Representative Image)
Trading in Crypto Currencies: दुनिया भर में निवेशकों के बीच क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. इसमें क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के जरिए ट्रेडिंग होती है. इस एक्सचेंज पर मौजूदा मार्केट वैल्यू के आधार पर क्रिप्टो करेंसीज को खरीदा-बेचा जाता है. जहां इनकी कीमत मांग और आपूर्ति के हिसाब से तय होती है. जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टो करेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो बेच सकते हैं. स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर भी ट्रेडिंग के लिए फीस चुकानी होती है. इसलिए अगर आपने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले इनकी ट्रेडिंग पर लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.
एक्सचेंज फीस
- क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है. भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है. ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है.
- फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है. क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं. इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है.
नेटवर्क फीस
- क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है. ये माइनर्स शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि कोई ट्रांजैक्शंन सही है या गलत, यह सुनिश्चित करना इन माइनर्स का काम है. एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है. अगर क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है.
- आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है. लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी न हो. जो यूजर्स अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है. माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए फीस दी जाती है.
वॉलेट फीस
- क्रिप्टो करेंसी को एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. यह वॉलेट एक तरह से ऑनलाइन बैंक खाते के समान होता है जिसमें क्रिप्टो करेंसी को सुरक्षित रखा जाता है. अधिकतर वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है. यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है. अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं.
- क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है.
(Article: Shivam Thakral, CEO, BuyUcoin)
(स्टोरी में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दिए गए सुझाव लेखक के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)
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Cryptocurrency से होने वाली कमाई पर भी लगेगा टैक्स! बजट में हो सकती है घोषणा
फाइनेंशियल रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक भारतीयों द्वारा क्रिप्टोकर्रेंसी में इन्वेस्टमेंट बढ़कर 24.1 करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. नैसकॉम और वजीरएक्स के हालिया अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में, भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है.
Cryptocurrency
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 17 जनवरी 2022,
- (Updated 17 जनवरी 2022, 3:08 PM IST)
2022 में डिजिटल करेंसी को लेकर बिल के आने की उम्मीद लगाई जा रही है
भारत क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है
पिछले कुछ सालों से क्रिप्टोकरेंसी में जमकर निवेश किया जा रहा है. भारतीयों में भी क्रिप्टो का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है. और यही कारण है कि लगातार इंवेस्टर्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन अब केंद्र सरकार भी इसे लेकर गहन विचार- विमर्श कर रही है. जल्द ही इसके लिए एक बिल भी लाया जा रहा है. आने वाले बजट 2022 में डिजिटल करेंसी को लेकर बिल के आने की उम्मीद लगाई जा रही है.
हालांकि, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि बजट के दौरान क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर भी भारी-भरकम टैक्स लगाया जा सकता है.
अगले महीने पेश होगा बजट
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में बजट पेश करने वाली हैं. ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भी कई घोषणाएं की जा सकती हैं. दरअसल, अब लगातार क्रिप्टो की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए लोग इसमें निवेश और ट्रेडिंग कर रहे हैं, और यही वजह है कि केंद्र सरकार इससे होने वाली इनकम पर टैक्स को परिभाषित करना चाहती है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार इस पर लम्बे समय से विचार-विमर्श कर रही है कि क्रिप्टोकरेंसी से होने क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार वाली इनकम को कारोबारी इनकम में रखा जाए या फिर कैपिटल गेन के तौर पर.
क्या है बिल में शामिल?
दरअसल, ये नया बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना था, लेकिन दूसरे महत्वपूर्ण मुद्दों की वजह से इसे पेश नहीं किया जा सका. इस नए बिल में क्रिप्टोकरेंसी को एक कमोडिटी के तौर पर मानने और वर्चुअल करेंसी को उनके इस्तेमाल के आधार पर अलग-अलग नजरिए से देखने का प्रावधान शामिल है. अब कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टर्स पर भारी टैक्स बढ़ने वाला है.
इसके अनुसार, क्रिप्टो एसेट्स पर इनकम टैक्स स्लैब को 35 प्रतिशत से लेकर 42 प्रतिशत के बीच रखा जा सकता है.
फाइनेंशियल रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक भारतीयों द्वारा क्रिप्टोकर्रेंसी में इन्वेस्टमेंट बढ़कर 24.1 करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. नैसकॉम और वजीरएक्स के हालिया अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में, भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है.
Cryptocurrencies update: क्रिप्टोकरेंसीज पर अब दूर होगा कनफ्यूजन, सरकार कर रही यह जरूरी काम
क्रिप्टोकरेंसीज (cryptocurrencies) को लेकर अब कनफ्यूजन दूर होने वाला है। सरकार एक नया ड्राफ्ट बिल बना रही है जिसमें क्रिप्टोकरेंसीज को परिभाषित किया जाएगा। पहली बार क्रिप्टोकरेंसीज को उनकी टेक्नोलॉजीज के आधार पर क्लासीफाई किया जाएगा लेकिन रेग्युलेटरी पर्पज के लिए सरकार का जोर एसेट के एंड-यूज पर आधारित होगा।
हाइलाइट्स
- सरकार क्रिप्टोकरेंसीज पर एक नया ड्राफ्ट बिल ला रही है
- क्रिप्टोकरेंसीज को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा
- साथ ही उन्हें एंड यूज के आधार पर क्लासीफाई किया जाएगा
- इससे क्रिप्टोकरेंसीज पर टैक्स में कनफ्यूजन दूर होगा
इस बिल में यह भी साफ किया जाएगा कि इस तरह की एसेट्स पर टैक्स किस तरह से लगेगा ताकि अकाउंट बुक्स में स्थिति साफ रहे। अभी यह साफ नहीं है कि क्रिप्टो एसेट्स करेंसी, कमोडिटीज, सर्विस है या इक्विटी के करीब है। यही वजह है कि इसे रेग्युलेट करने और इस पर टैक्स को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है। सूत्रों के मुताबिक सरकार की सबसे पहले क्रिप्टोकरेंसी को डिफाइन करना चाहती है।
कैसे डिफाइन होंगी क्रिप्टोकरेंसीज
एक सूत्र ने कहा कि क्रिप्टो एसेट्स को उनकी टेक्नोलॉजी या एंड यूज (end use) के आधार पर परिभाषित किया जाएगा। इसलिए सरकार को इसे रेग्युलेट करने से पहले इसे परिभाषित करना होगा। ईटी ने हाल में खबर दी थी कि क्रिप्टो एक्चेंजेज ने क्रिप्टोकरेंसीज को रेग्युलेट करने के लिए नीतिगत सिफारिशें की हैं। इनमें क्रिप्टोकरेंसीज को डिजिटल एसेट्स के तौर पर डिफाइन करने और घरेलू क्रिप्टो एक्सचेंजेज को रजिस्टर करने के लिए एक सिस्टम शुरू करने की सिफारिश की है।
लॉ फर्म निशीथ देसाई एसोसिएट्स (Nishith Desai Associates) में लीडर (technology law) जयदीप रेड्डी के मुताबिक इस समय 5,000 से अधिक क्रिप्टोकरेंसीज हैं और हरेक की अपनी खूबियां हैं। इसलिए केवल क्रिप्टोकरेंसी टेक्नोलॉजी के बजाय एंड यूज या खास टोकन की एक्टिविटी के मुताबिक रेग्युलेशन होना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि केवल उन्हीं क्रिप्टोकरेंसीज को देश में ट्रेडिंग की अनुमति होगी जो सरकार की परिभाषा में कवर होंगी। इसी आधार पर इन पर टैक्स लगेगा।
कैसे लगेगा टैक्स
सूत्रों के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसीज की ट्रेडिंग पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) की तरह टैक्स लगाया जा सकता है। इसके अलावा अगर क्रिप्टो एसेट्स को कमोडिटीज माना जाता है तो रिटर्न पर इनवेस्टर्स के हाथ आई बिजनस इनकम की तरह टैक्स लग सकता है। इस पर सामान्य इनकम टैक्स रेट लागू होंगे। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने क्रिप्टोकरेसींज के बारे में अपनी चिंताओं से सरकार को अवगत कराया है।
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