जैविक खाद जैसे गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद, केंचुआ खाद, हरी खाद, मुर्गी खाद एवं शहरी अवशिष्ट से निर्मित खाद का उपयोग कर जिंक तत्व की पूर्ति बिना किसी उर्वरक के उपयोग ही की जा सकती है | इन खादों में जिंक तत्व अल्प मात्रा में होता है, लेकिन प्रतिवर्ष इनका प्रयोग करने से जिंक जैसे सूक्ष्म तत्व की पूर्ति आसानी से की जा सकती है |
Insomnia Cause: रात को नींद नहीं आती? जानिए इसके पीछे कौन सा विटामिन है जिम्मेदार
- कई विटामिंस की कमी से नींद न आने की परेशानी होती है
- शरीर में विटामिन डी की कमी से भी नहीं आती है नींद
- विटामिन बी 6 की कमी से हो सकती है नींद न आने की परेशानी
Insomnia Cause: स्वस्थ शरीर के लिए 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी होता है। अगर रात को नींद पूरी न हो, तो दिनभर थकान और आलस्य की स्थिति बनी रहती है। इसी के साथ कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो जाती हैं। इसलिए रात को जल्दी सो जाना जरूरी होता है लेकिन कई बार काफी देर तक भी नींद नहीं आती है। वैसे तो नींद न आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन शरीर में विटामिन डी और बी6 की कमी नींद न आने के मुख्य कारण होते हैं। अगर शरीर में इन दोनों विटामिन्स की कमी हो जाए तो अनिद्रा की समस्या हो जाती है। तो चलिए जानते हैं इन विटामिन्स की पूर्ति के लिए क्या खाएं-
किस विटामिन की कमी से होती है अनिद्रा की शिकायत
विटामिन डी की कमी से होती है अनिद्रा की समस्या
रात को देर रात कर बिस्तर पर पड़े रहने के बाद भी अगर जल्दी नींद नहीं आती, तो इसका कारण शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। दरअसल, विटामिन डी की कमी से शारीरिक और मानसिक थकावट होती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, विटामिन डी की कमी इंसोम्निया या स्लीप पैटर्न के खराब होने की वजह बन सकता है। विटामिन डी की पूर्ति के लिए सैल्मन मछली का सेवन, अंडे का पीला भाग, सोया मिल्क, गाय का दूध और मशरूम का सेवन कर सकते हैं।
विटामिन बी-6 से होता है इंसोम्निया
मीठी नींद के लिए मेलाटोनिन और सेरोटोनिन हार्मोन जरूरी होते हैं। इन दोनों हार्मोन्स की कमी विटामिन बी6 की वजह से होती है। यदि शरीर में इन दोनों हार्मोन्स की कमी हो जाए, तो इंसोम्निया की समस्या हो जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए विटामिन बी 6 से भरपूर फूड्स खाने चाहिए। विटामिन बी 6 की पूर्ति के लिए चिकन, मूंगफली, अंडा, दूध, सैल्मन मछली, हरी मटर और गाजर का सेवन किया जा सकता है।
जिंक (जस्ते) की कमी से पौधों में होने वाले रोग एवं उनकी पहचान
सभी फसलों को बढवार के लिए एवं अच्छी उपज के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है | यह पोषक तत्व पौधे भूमि (मिट्टी) से प्राप्त हार्मोनिक पैटर्न की कमियां करते हैं लगातार फसल उत्पादन करने से इन पोषक तत्वों की मिट्टी में कमी हो जाती है जिनकी पूर्ती के लिए किसान खाद का ही प्रयोग करते हैं | प्रत्येक खाद में कुछ पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते है परन्तु किसी भी खाद में सभी पोषक तत्व उपलब्ध नहीं होते है |जिंक जिसे आम भाषा में जस्ता कहते हैं भिफसलों के लिए आवशयक होता है | यह सूक्ष्म पोषक तत्व की श्रेणी में आता है |
दलहनी फसलों में जिंक की कमी के कारण प्रोटीन संचय की दर कम हो जाती है | पौधों के लिए जिंक मृदा से अवशोषण द्वारा प्रमुख रूप से प्राप्त होता है | सामन्यत: पौधों में जिंक की आदर्श मात्रा 20 मि.ग्रा. प्रति किलोग्राम शुष्क पदार्थ तक उपयुक्त मानी जाती है | पौधों के माध्यम से खाध पदार्थों में जिंक का संचय होता है और जीवित प्राणियों को जिंक प्राप्त होता है | दुनिया की आबादी का एक तिहाई भाग जिंक कुपोषण के जोखिम के अंतर्गत आता है | विशेष रूप से बच्चों में जिंक तत्व की कमी से कुपोषण बढ़ता जा रहा है | इसका प्रमुख कारण जिंक तत्व की कमी वाले आहार का सेवन करना है | किसान समाधान जिंक से पौधों में होने वाले रोग तथा निदान की जानकारी लेकर आया है |
जिंक का पौधों की वृद्धि में महत्व
- इसकी पौधों के कायिक विकास और प्रजनन क्रियाओं के लिए आवश्यक हार्मोन के संशलेषण में महत्वपूर्ण भूमिका
- पौधों में वृद्धि को निर्धारित करने वाले इंडोल एसिटिक अम्ल नामक हार्मोन के निर्माण में जिंक की अहम भूमिका
- पौधों में विभिन्न धात्विक एंजाइम में उत्प्रेरक के रूप में एवं उपपाचयक की क्रियाओं के लिए आवश्यक
- इसकी पौधों में कई प्रकार के एंजाइमों जैसे कार्बोनिक एनहाइड्रेज, डिहाइड्रोजीनेस, प्रोटीनेस एवं पेप्तिनेस के उत्पादन में मुख्य भूमिका
- जिंक का पौधों में प्रोटीन संशलेष्ण तथा जल अवशोषण में अप्रत्यक्ष रूप में भाग लेना
- पौधों के आनुवांशिक पदार्थ राइबोन्यूक्लिक अमल के निर्माण में भी इसकी भागीदारी |
- जिंक कमी के लक्षण पौधों की माध्यम पत्तियों पर आते हैं | जिंक की अधिक कमी से नई पत्तियां उजली निकलती हैं | पत्तियों की शिराओं के मध्य सफेद धब्बे में दिखाई देते हैं |
- मक्का में जिंक की कमी से सफेद कली रोग उत्पन्न होता है | अन्य फसलों जैसे नींबू की वामन पत्ती, आडू का रोजेट और धान में खैरा रोग उत्पन्न होता हार्मोनिक पैटर्न की कमियां है |
- जस्ता की कमी से तने की लम्बाई में कमी (गाँठो के मध्य भाग का छोटा होना) आ जाती है। बालियाँ देर से निकलती है और फसल पकने में विलम्ब होता है।
- तने की लम्बाई घट जाती है और पत्तियाँ मुड़ जाती है।
मृदा में जिंक उपलब्धता को प्रभावित करने वाले कारक
- मृदा पी–एच मान जैस –जैसे बढ़ता है वैसे – वैसे पौधों के लिए जिंक की उपलब्धता में कमी
- मृदा में कार्बनिक पदार्थ लिग्निन, हायूमिक और फल्विक अमल के रूप में पाया जाता है | जिंक इन कार्बनिक पदार्थों के साथ चिलेट जिंक यौगिक का निर्माण करता है, जो पौधों को आसानी से उपलब्धता हो जाता है | जिंक उर्वरक का उपयोग कार्बनिक खाद के साथ करने पर जिंक तत्व की बढती है उपलब्धता पौधों में
- फास्फोरसयुक्त उर्वरक का अधिक मात्रा में उपयोग करने पर या पहले से मृदा में उपलब्ध फास्फोरस की अधिक मात्रा होने पर जिंक की पौधों में उपलब्धता में कमी
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मृदा के जलमग्न होने के कारण अन्य पौध्क तत्वों की साद्रता अधिक हो जाती है, किन्तु जिंक तत्व की कमी हो जाती है इसलिए जल निकास का उचित प्रबधन आवश्यक
- मृदा का तापमान भी जिंक की उपलब्धता की प्रभावित करता है | मृदा के तापमान में कमी होने पर जिंक उपलब्धता घटती है | मृदा का तापमान बढने पर जिंक की उपलब्धता बढती है , इसलिए ठंडे क्षेत्रों में मृदा का तापमान नियंत्रित करने के लिए मल्च का उपयोग जरुरी |
- फसलों की प्रजातियाँ और किस्म भी जिंक तत्व की आवश्यकता एवं उपयोग करने में महत्वपूर्ण होती है | हर फसल की जिंक तत्व की आवश्यकता और उपयोग करने की क्षमता भिन्न – भिन्न होती है और यह जिंक के अवशोषण को प्रभावित करती है | फसलों का चयन एवं जिंक का उपयोग फसलों के अनुसार करने की जरूरत |
क्या हाइट से बच्चे की ग्रोथ का पता लगा सकते हैं? जानें क्या कहते हैं एक्सरसाइज
ग्रोथ हार्मोन दूसरे हार्मोन के साथ-साथ बच्चे के विकास के लिए जिम्मेदार होता है
खास बातें
- कई कारक बच्चे की लंबाई निर्धारित करते हैं.
- हार्मोन बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
- हर बच्चा अलग तरह से बढ़ता है.
बच्चों के बढ़ते सालों के माध्यम से, उनका शारीरिक, मानसिक और समग्र विकास माता-पिता के लिए सबसे पहली प्राथमिकता है. जैसा कि अधिकांश माता-पिता आपको बताएंगे, हर बच्चा अलग है. स्वाभाविक रूप से, बच्चे अलग-अलग दरों पर बढ़ते, विकसित और परिपक्व होते हैं. ऊंचाई मापना यह निर्धारित करने का एक तरीका है कि क्या इस बच्चे का शारीरिक विकास सही तरीके से हो रहा है या नहीं.
यह भी हार्मोनिक पैटर्न की कमियां पढ़ें
शारीरिक हाइट में वृद्धि कई कारकों पर निर्भर करती है, जो बच्चे के बढ़ने पर बदल जाती है. उदाहरण के लिए, जब कोई बच्चा पैदा होता है, लंबाई और वजन काफी हद तक अंतर्गर्भाशयी वातावरण द्वारा निर्धारित किया जाता है. उसके बाद, पोषण, आनुवंशिकी और माता-पिता की ऊंचाई सहित कई कारक बच्चे की ऊंचाई को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 2 साल की उम्र के आसपास हार्मोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगते हैं. इस उम्र में ग्रोथ हार्मोन सबसे ज्यादा मायने रखता है. एक बार जब बच्चा यौवन तक पहुंच जाता है, तो सेक्स हार्मोन अंतिम वयस्क ऊंचाई प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
बच्चे अलग तरह से बढ़ते हैं, आपने देखा होगा कि बाल रोग विशेषज्ञ ग्रोथ चार्ट का उपयोग यह मापने के लिए करते हैं कि आपका बच्चा कितनी अच्छी तरह बढ़ रहा है. हजारों बच्चों की हाइट को ध्यान में रखकर ग्रोथ चार्ट तैयार किया जाता है. चार्ट पर विभिन्न रेखाएं ग्रोथ-वे 'प्रतिशतक' को दर्शाती हैं. उदाहरण हार्मोनिक पैटर्न की कमियां के लिए, अगर किसी बच्चे की लंबाई अलग-अलग समय पर 25वें पर्सेंटाइल के साथ प्लॉट की जा रही है, तो इसका मतलब है कि समान लिंग और उम्र के 25% बच्चे बच्चे से छोटे होंगे. एक बच्चे को छोटे कद का कहा जाता है अगर ऊंचाई का ट्रैक तीसरे प्रतिशत से कम हो.
डॉक्टरों ने कहा था Count Your Days,अब कैंसर को हरा खुशियां गिन रहा है अमित
(डॉ शाल्मी मेहता अहमदाबाद में बाल रोग विशेषज्ञ एंडोक्रिनोलॉजिस्ट हैं)
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एंड्रोजन हार्मोन की कमी की वजह से भी बालों का झड़ना होता है प्रारम्भ
महिलाओ व पुरुषो हार्मोनिक पैटर्न की कमियां में गंजेपन की समस्या के लिए बॉडी हार्मोन्स जिम्मेदार होते हैगंजापन पुरुषों में आम समस्या है . लेकिन क्या कभी सोचा है कि स्त्रियों के मुकाबले पुरुष में ये समस्या ज्यादा होती है? पुरुषों में होने वाले गंजेपन को एंड्रोजेनिक एलोपेसिया या पैटर्न बॉल्डनेस बोला जाता है .
इस स्थिति में बाल फोरहेड की ओर से स्थाई रूप से झड़ना प्रारम्भ करते हैं व फिर क्राउन एरिया यानी सिर के ऊपरी हिस्से में भी यह प्रक्रिया होने लगती है . कई लोग गंजेपन को आनुवांशिकता से जोड़कर भी देखते हैं जो की ठीक भी हैं लेकिन इसके अतिरिक्त यह भी हैं की इस दौरान हेयर फोलिकल छोटे हो जाते हैं व बाल पतले व महीन होने लग जाते हैं जिससे इनका झड़ना प्रारम्भ हो जाता हैं . इसके अतिरिक्त एंड्रोजन हार्मोन की कमी की वजह से भी बालों का झड़ना प्रारम्भ होता हैं जो की गंजेपन में बदल जाता हैं .
RIICO Recruitment 2021: Selection Process
उम्मीदवारों का चयन एक प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा. यह परीक्षा ऑनलाइन/ऑफलाइन आयोजित की जा सकती है, जिसका विवरण समय आने पर RIICO की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा. उम्मीदवारों के चयन के लिए परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट सूची तैयार की जाएगी.
Part | Section | No. of questions | Maximum Marks | Qualifying Marks |
Part-I | Section ‘A,B,C &D | 60 | 180 | 72 |
Part-II | Section ‘A,B,C | 90 | 270 | – |
RIICO Junior Assistant पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रम को 2 भागों में विभाजित किया गया है जिसका विस्तृत पाठ्यक्रम नीचे दिया गया है. परीक्षा की तैयारी के लिए उम्मीदवारों को पाठ्यक्रम के माध्यम से जाना चाहिए.
Part I
राजस्थान का सामान्य ज्ञान और सामान्य जागरूकता:
1. राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की घटनाएं
2. भारत और राजस्थान का भूगोल और प्राकृतिक संसाधन
3. भारत का कृषि, सामाजिक और आर्थिक विकास राजस्थान
4. भारतीय मध्यकालीन इतिहास, स्वतंत्रता के लिए भारतीय संघर्ष और राजस्थान का इतिहास
5. भारत और राजस्थान की संस्कृति और विरासत
सामान्य विज्ञान:
- तत्व, मिश्रण और यौगिक
- भौतिक और रासायनिक परिवर्तन; ऑक्सीकरण और कमी: कटैलिसीस
- धातु और अधातु
- अम्ल, क्षार और लवण
- प्रकाश का परावर्तन और उसके नियम, लेंस, मानव नेत्र, दृष्टि दोष और उसका सुधार
- विद्युत प्रवाह, विद्युत क्षमता, ओम नियम, विद्युत सेल, और विद्युत मोटर
- मानव मस्तिष्क, हार्मोन, मानव रोग, और इलाज
- जानवरों और पौधों का आर्थिक महत्व
- बायोमास, ऊर्जा के स्रोत, पारिस्थितिकी तंत्र, मेंडल का वंशानुक्रम का नियम
- मानव रक्त समूह, रक्त आधान, कमी से होने वाले रोग और इलाज
Scheme and Syllabus of Examination of Proficiency Test for Junior Assistant
उम्मीदवार नीचे दिए गए लिंक से अन्य पदों के लिए पाठ्यक्रम डाउनलोड कर सकते हैं:.
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