नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। मुद्रास्फीति की उच्च दर गरीबों को नुकसान पहुंचाती है, उपभोक्ता वस्तुओं की मांग को प्रभावित करती है और निवेश की मांग पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

MPC बैठक से जुड़ा अहम खुलासा, रेपो रेट में बढ़ोतरी पर RBI गवर्नर ने कही ये बात

RBI MPC Meeting : मई से लेकर अब तक र‍िजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया (RBI) की तरफ से पांच बार में 2.25 प्रत‍िशत रेपो रेट बढ़ाया जा चुका है. पहली बार आरबीआई (RBI) ने रेपो रेट में अचानक 40 बेस‍िस प्‍वाइंट का इजाफा क‍िया था. इसके बाद तीन बार 50-50 बेस‍िस प्‍वाइंट का इजाफा क‍िया गया. द‍िसंबर के पहले हफ्ते में केंद्रीय बैंक ने 35 पैसे का इजाफा क‍िया. इस तरह पांच बार रेपो रेट में की गई बढ़ोतरी के बार यह बढ़कर 6.25 प्रत‍िशत पर पहुंच गया. आरबीआई के इस कदम से महंगाई में कमी आई और बैंकों ने ब्‍याज दर को बढ़ा द‍िया है.

ब्‍याज दर बढ़ोतरी के पक्ष में थे दास
इस बीच यह जानकारी सामने आई है क‍ि आरबीआई गवर्नर शक्‍त‍िकांत दास समते एमपीसी सदस्‍य ब्‍याज दर में बढ़ोतरी के पक्ष में ही थे. उनका मानना था क‍ि मौद्रिक नीति कार्रवाई में समय से पहले रोक लगाना एक महंगी गलती साबित हो सकती है. मौद्रिक नीति समिति (MPC) में पांच अन्य सदस्यों के साथ ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बारे में फैसला करते वक्त रिजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह राय जाहिर की थी.

. फैसला इस समय एक महंगी गलती साबित होगा
एमपीसी ने महीने की शुरुआत में रेपो रेट में 0.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी. बुधवार को बैठक से जुड़ा ब्‍योरे साझा क‍िया गया. दिसंबर में हुई बढ़ोतरी से पहले आरबीआई ने चार बार में रेपो रेट में 1.90 प्रतिशत का इजाफा क‍िया था. एमपीसी के ब्योरे में कहा गया, 'मेरा. विचार है मौद्रिक नीति कार्रवाई में समय से पहले ठहराव का फैसला इस समय एक महंगी गलती साबित होगा. अनिश्चित हालात को देखते हुए, यह एक ऐसी स्थिति पैदा कर सकता है, जहां बढ़ी हुई मुद्रास्फीति के दबाव को दूर करने के लिए हम खुद को बाद की बैठकों में मजबूत नीतिगत कार्रवाई करते हुए पा सकते हैं.'

एमपीसी की यह बैठक 5-7 दिसंबर के दौरान हुई थी. दास ने कहा कि एक सख्त वातावरण में, खासतौर से जबकि दुनिया भारी अनिश्चितता का सामना कर रही है, मौद्रिक नीति के भविष्य को लेकर स्पष्ट मार्गदर्शन देना सही नहीं होगा. एमपीसी में तीन बाहरी सदस्य - शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा - और तीन आरबीआई अधिकारी - गवर्नर मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है दास, डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन शामिल हैं. पात्रा का भी विचार था कि एमपीसी को रुख बदलने से पहले मुद्रास्फीति में निर्णायक गिरावट का इंतजार करना चाहिए. उन्होंने रेपो दर में 0.35 प्रतिशत बढ़ोतरी के पक्ष में मतदान किया.

मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है

न उधारकर्ताओं और न ही निवेशकों के लिए अच्छी है उच्च मुद्रास्फीति की दर

नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। मुद्रास्फीति की उच्च दर गरीबों को नुकसान पहुंचाती है, उपभोक्ता वस्तुओं की मांग को प्रभावित करती है और निवेश की मांग पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

न उधारकर्ताओं और न ही निवेशकों के लिए अच्छी है उच्च मुद्रास्फीति की दर

नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। मुद्रास्फीति की उच्च दर गरीबों को नुकसान पहुंचाती है, उपभोक्ता वस्तुओं की मांग को प्रभावित करती है और निवेश की मांग पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

ट्रस्ट एमएफ के सीईओ संदीप बागला ने कहा कि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि किसी भी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति की दर निम्न स्तरों पर स्थिर होनी चाहिए। यदि दरें बहुत अधिक और अस्थिर हैं, तो उधारकर्ताओं की पूंजी की लागत बढ़ जाती है, जिससे वे वैश्विक व्यापार क्षेत्र में अप्रतिस्पर्धी हो जाते हैं।

बागला ने कहा कि उच्च ब्याज दरें घरों, कारों, उपभोक्ता वस्तुओं की मांग को कम करती हैं, क्योंकि उच्च ईएमआई उपभोक्ताओं को ऋण पर चीजें खरीदने से रोकती हैं। निवेश की मांग भी दब गई है क्योंकि नई व्यावसायिक परियोजनाएं अव्यवहारिक हो गई हैं।

उच्च मुद्रास्फीति गरीब लोगों को अधिक प्रभावित करती है, क्योंकि उनकी आय कम होती है मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है और वे नियमित उपभोक्ता वस्तुओं को वहन करने में सक्षम नहीं होते हैं। बचतकर्ताओं के लिए वैकल्पिक रूप से ब्याज आय में वृद्धि होती है, लेकिन मुद्रास्फीति अधिक होने के कारण उनकी क्रय शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

उपभोक्ता की उपभोग मुद्रास्फीति उनकी बचत पर अर्जित ब्याज दरों से अधिक हो सकती है। उच्च मुद्रास्फीति पर राजनेता चुनाव हार सकते हैं।

उन्होंने कहा, उच्च मुद्रास्फीति न तो उधारकर्ताओं और न ही निवेशकों के लिए अच्छी है। सरकारें कम सकारात्मक मुद्रास्फीति को बनाए रखने की कोशिश करती हैं।

भारत में, आरबीआई ने मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत प्लस माइनस 2 प्रतिशत, यानी 2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत की सीमा में बनाए रखने का लक्ष्य रखा है।

मुद्रास्फीति बचत के प्रभावी मूल्य को भी कम करती है।

फिनवे एफएससी मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है के सीईओ रचित चावला ने कहा कि मुद्रास्फीति लागत में लगातार वृद्धि का संकेत देती है और इसका मतलब है कि पैसे का मूल्य घट जाएगा।

बचतकर्ताओं के लिए, यदि बचत पैसा नकद में किया जाता है, तो मुद्रास्फीति बचत के प्रभावी मूल्य को कम कर देगी क्योंकि इससे खरीदने वाली वस्तुओं की मात्रा कम हो जाएगी। इसके अलावा, मुद्रास्फीति के दौरान, यदि कोई निवेशक बैंक में पैसा जमा कर रहा है, तो उसे मिलने वाली ब्याज दर मुद्रास्फीति की दर से कम होगी।

दूसरी ओर, अगर किसी कर्जदार पर महंगाई से पहले ही पैसा बकाया है, तो यह उसके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि उसके पास कर्ज चुकाने के लिए अपनी तनख्वाह में ज्यादा पैसा होगा।

बचतकर्ता मुद्रास्फीति से तब तक सुरक्षित रह सकते हैं जब तक वे एक ऐसे खाते में बचत कर रहे हैं जो सकारात्मक वास्तविक ब्याज देता है। जिसका अर्थ है कि यदि ब्याज दर मुद्रास्फीति से अधिक है, तब भी बचतकर्ता अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में रहेंगे। केवल अगर कोई नकद में पैसा बचा रहा है, तो मुद्रास्फीति उसे और भी खराब कर सकती है।

प्रोफिसिएंट इक्विटीज के संस्थापक और निदेशक मनोज कुमार डालमिया ने कहा कि देश तेजी से बढ़ती महंगाई का सामना कर रहा है, जो आबादी द्वारा उपभोग की जाने वाली हर महत्वपूर्ण वस्तु की कीमत बढ़ा रही है।

इस जबरदस्त मूल्य भार के कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गरीबों को बेहद कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। इससे आटा, सब्जियां, खाद्य तेल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।

डालमिया ने बचतकर्ताओं के लिए कहा, यदि मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत है, तो आपको यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त 6 प्रतिशत की बचत करनी होगी कि आपके पास अपने सपनों का घर, अपने बच्चे की शिक्षा, अपनी सेवानिवृत्ति और कई अन्य चीजों सहित अपने सभी दीर्घकालिक वित्तीय उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा बचा है।

डालमिया ने कहा, यदि आप मुद्रास्फीति की अवधि के दौरान ऋण लेते हैं, तो आप उच्च ब्याज दर का भुगतान करेंगे। क्योंकि वस्तुओं की लागत अधिक होगी, आपको शायद वाहन ऋण या गिरवी जैसे ऋणों के लिए योग्यता की आवश्यकता होगी।

बचतकर्ताओं को अपने दैनिक खचरें को पूरा करने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता हो सकती है। उधारकर्तार्ओं के मामले में, मुद्रास्फीति के उच्च स्तर से उच्च ब्याज दरें बढ़ेंगी, जिसके कारण उनके उधार पर ब्याज व्यय में वृद्धि होगी।

अगले साल भी वृद्धि की रफ्तार बने रहने की वाहन उद्योग को उम्मीद

बिजनेस डेस्कः कोविड-19 के आघात से उबरने के बाद भारतीय वाहन उद्योग ने नए उत्सर्जन एवं सुरक्षा मानकों की वजह से बढ़ती लागत और ब्याज दरों में हो मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है रही बढ़ोतरी के बावजूद वर्ष 2023 में सतत विकास की रफ्तार बनाए रखने की उम्मीद लगाई हुई है। कुछ दिनों में खत्म होने वाला साल 2022 भारतीय वाहन उद्योग के लिए बेहतरीन साबित हुआ है। आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं और सेमीकंडक्टर की कमी का असर होने के बावजूद वर्ष 2022 में यात्री वाहन (पीवी) खंड में रिकॉर्ड बिक्री दर्ज किए जाने की संभावना दिख रही है लेकिन दोपहिया वाहनों की बिक्री में साल के अधिकांश समय तक उछाल नहीं देखी गई है।

अगले साल दिखेगी इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी

वाहन उद्योग के मुताबिक, इस साल यात्री वाहनों की बिक्री करीब 38 लाख इकाई तक पहुंच सकती है। तिपहिया और वाणिज्यिक वाहन खंड में भी पिछले साल की तुलना में अच्छी वृद्धि देखी गई है। वाहन विनिर्माता इस गति को अगले साल में भी जारी रखने के लिए उत्सुक होंगे। उद्योग पर्यवेक्षकों के मुताबिक, वर्ष 2023 में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में भी तेजी देखने को मिलेगी। वर्ष 2022 में भी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी देखी गई है खासकर दोपहिया खंड में। हालांकि नए साल में वाहन खरीदने की इच्छा रखने वालों के लिए खबर शायद अच्छी न हो। इसकी वजह यह है कि अगले साल वाहन की कीमतें बढ़ने वाली हैं। कंपनियां एक अप्रैल, 2023 से सख्त उत्सर्जन मानदंडों के अनुरूप खुद को ढालने और प्रौद्योगिकी को अपनाने पर आने वाली लागत का बोझ खरीदारों पर ही डालेंगे।

मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और हुंदै जैसी कई कंपनियां पहले ही कह चुकी हैं कि वे जनवरी से कीमतें बढ़ाने जा रही हैं। इसके अलावा, बढ़ती ब्याज दरों और बिगड़ती वैश्विक आर्थिक स्थिति का आने वाले दिनों में भारत पर पड़ने वाला असर भी भारतीय वाहन उद्योग को सतर्क रहने को मजबूर किए हुए है। मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा, "कीमत में वृद्धि का हमेशा बिक्री पर एक निश्चित नकारात्मक प्रभाव पड़ता है लेकिन हमें अभी नहीं मालूम है कि कीमतें कितनी बढ़ेंगी और इनपुट लागत और विदेशी मुद्रा विनिमय की क्या स्थिति होगी। ऐसी अनिश्चितताएं हमेशा बनी रहेंगी।"

2023 में समाप्त होगी सेमीकंडक्टर की किल्लत

हालांकि उन्होंने कहा कि घरेलू कार उद्योग में पिछले कुछ महीनों में नई जान आई है और सेमीकंडक्टर की किल्लत भी 2023 में समाप्त होने जा रही है। भार्गव ने कहा, "हमारा अनुमान होगा कि अगला साल शायद उद्योग के लिए काफी अच्छा साल होगा। हमें अगर 2022 से बेहतर नहीं तो कम-से-कम इतना अच्छा प्रदर्शन करना ही चाहिए।" उन्होंने कहा कि मारुति सुजुकी ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए कारों, विशेष रूप से अधिक एसयूवी मॉडल पेश करती रहेगी।

वाहन उद्योग के निकाय 'सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स' (सियाम) के महानिदेशक राजेश मेनन ने कहा कि यात्री वाहन उद्योग ने अप्रैल 2022 से ईंधन दक्षता नियमों के दूसरे चरण को अपनाया था और अप्रैल 2023 से बीएस-6 उत्सर्जन मानदंडों के दूसरे चरण को भी पूरा करने के लिए कमर कस रहा है। उन्होंने कहा कि 2023 में यात्री वाहनों के लिए विभिन्न नए सुरक्षा नियमों को लागू करने पर भी चर्चा चल रही है लेकिन नए मानकों को लागू करने से वाहनों की लागत बढ़ सकती है और वैश्विक मंदी के रुझान के साथ मिलकर यह वर्ष 2023 में चिंता का सबब बन सकता है। इसके अलावा बढ़ती मुद्रास्फीति के साथ ब्याज दरों में लगातार हुई बढ़ोतरी भी वाहनों की मांग को प्रभावित कर सकती है।

हालांकि महिंद्रा एंड महिंद्रा (एम एंड एम) के कार्यकारी निदेशक (वाहन एवं कृषि क्षेत्र) राजेश जेजुरिकर उद्योग की मौजूदा बिक्री गति को बनाए रखने के बारे में आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा, "एमएंडएम में सभी मॉडल निर्धारित मानकों के अनुरूप बीएस-6 मानदंडों का पालन करेंगे। कीमत एवं लागत का अंतर उतना अधिक नहीं होना चाहिए जितना बीएस-4 से बीएस-6 संक्रमण के मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है समय रहा था।" टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक (यात्री वाहन एवं इलेक्ट्रिक वाहन) शैलेश चंद्र ने कहा कि उद्योग पर मुद्रास्फीति के दबाव जैसे व्यापक आर्थिक कारकों के प्रभाव को देखना होगा। उन्होंने कहा, "मैं कहूंगा कि इस साल उच्च वृद्धि होने जा रही है लेकिन अगले साल उच्च आधार प्रभाव होने और तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच वृद्धि के स्तर मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है के बारे में कुछ कहना मुश्किल होगा।"

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काश! मैंने फाइनेंस के ये 6 सबक स्कूल में ही सीख लिए होते

सच कहूं तो मुझे इस बात का अफसोस होता है कि ये आसान से फाइनेंस के सबक मैंने स्कूल में क्यों नहीं पढ़े। अगर पढ़ लिए होते, तो मेरी ज़िंदगी काफ़ी आसान हो जाती। और इस तरह से मैं कई गलतियां करने से बच जाता (जाहिर है कि आज मैं फाइनेंस के मामले में और भी बढ़िया होता)।

मैंने स्कूल में गणित, फिजिक्स (भौतिकी), इतिहास समेत तीन भाषाएं खूब पढ़ी हैं। इनमें जो मैंने सबक सीखे उनके जरिए दुनिया को देखने और समझने का मेरा नजरिया विकसित हुआ। वैसे सच कहूँ तो ये सबक हर रोज के दुनियावी कामों के लिए उतने उपयोगी साबित नहीं हुए। मुझे इस बात पर अफसोस होता है कि ये आसान से फाइनेंस के सबक मैंने स्कूल में क्यों नहीं पढ़े। अगर पढ़ लिए होते, तो मुझे जिंदगी में बड़े काम आते। और इस तरह से मैं कई गलतियां करने से बच जाता (जाहिर है कि आज मैं फाइनेंस के मामले में और भी बढ़िया होता)।

1. मुद्रास्फीति बरकरार रहेगी

मुद्रास्फीति का मतलब है कि आपके खर्चों का तब भी बढ़ना जब आप अपने लिए कुछ अलग नहीं कर रहे हों बल्कि वैसी ही जिंदगी जी रहे हों जैसी पहले जी रहे थे। हमने वह समय देखा है जब भारत में मुद्रास्फीति की दर 8 फीसदी सालाना मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है से भी ऊपर थी। मौजूदा समय में ये 4-5 फीसदी सालाना है। इस दर पर आपका एक दशक में सालाना खर्चा 50 फीसदी बढ़ जाएगा।

2. बस बचत नहीं, निवेश भी करें

आप अपनी आमदनी के एक हिस्से को बचा सकते हैं। अगर आप इस पैसे का निवेश परंपरागत संपत्ति (जैसे बैंक एफडी, सेविंग बैंक अकाउंट बैलेंस या इंश्योरेंस के तौर पर कर देते हैं), तो आप मुद्रास्फीति की मार से आसानी से बच सकते हैं। अगर आपको इस बात पर यकीन नहीं है, तो आप अपने बैंकर से पूछिए कि वह कहां निवेश करते हैं। अगर आपको इस से बचना है तो आप अपने पैसे को मुद्रास्फीति के आगे रहने वाली चीजों में लंबे समय के लिए निवेश कर दें।

3. निवेश कर रहे हैं तो धीरज रखें

कुछ लोग जब बड़ी डील और बड़ा रिटर्न पा जाते हैं तो वे खुशी से फूले नहीं समाते. लेकिन जब वे पैसा खो देते हैं तो उनकी जबान से चूं तक नहीं निकलती। ऐसे लोगों के प्रभाव में ना आएं। ध्यान रखें कि निवेश करने के बाद आपको धीरज रखना होता है। ऐसे में आपकी दौलत मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है को बढ़ने में वक्त लगता है। तेजी और जल्दी पैसे बनाने वाली स्कीम शॉर्ट टर्म वाली होती हैं, लेकिन इन स्कीमों के जरिए अक्सर निवेशक अपने पैसे गंवाते हैं।

4. देश की तरक्की में हिस्सेदार बनें

एक तरीका ये है कि आप देश की तरक्की में भागीदार बने । इसके लिए आप टॉप कंपनियों के शेयर खरीदें और उन कंपनियों को जब फायदा मिलता है तो आप भी लाभान्वित होंगे। टॉप कंपनियां देश की जीडीपी के हिसाब से ही विकास करती हैं और इस तरह से एक लंबे अंतर से मुद्रास्फीति को मात देती हैं।

5. म्युचुअल फंड बरकरार रहेगा

भारत में लोग बहुत कम पैसा म्युचुअल फंड में लगाते है। जबकि विकसित देशों में लोग अपनी आमदनी का ज्यादातर हिस्सा म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं। जैसे भी कोई देश विकास करता है, ज्यादा से ज्यादा लोगों का पैसा म्युचुअल फ़ंड में लगाया जाता है। भारत की टॉप कंपनियों की तरक्की में शामिल होने का ये सबसे आसान तरीका है और इसमें पैसे भी कम लगते हैं।

6. अपने टैक्स की योजना अच्छी तरह से बनाएं

आपकी आमदनी पर पूरा टैक्स लग सकता है। जब आपकी आमदनी बढ़ती है, इस पर टैक्स तब ही लगता है जब आपको फायदा हो रहा हो। वैसे अगर आपको आने वाले सालों में फायदा मिलने वाला है तो आपकी आमदनी के मुकाबले इसमें टैक्स कम लगेगा। अगर आप निवेश सोच समझकर करते हैं तो आप टैक्स कम कर सकते हैं। इससे आपके पोर्टफोलियो की ग्रोथ पर बड़ा असर पड़ता है।

मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे स्कूल गणित या भूगोल के साथ इन 6 सब्जेक्ट्स को भी पढ़ाना आरम्भ करेंगे, ताकि हमारे बच्चे इन चीजों को कल बेहतर तरीके से समझ पाएं।

NPS: पेंशन का अनुमान लगाना हुआ आसान, PFRDA ने लॉन्च किया रिटायरमेंट कैलकुलेटर

PFRDA ने 9 दिसंबर, 2022 को अपने सर्कुलर के माध्यम से इस प्लानर को लॉन्च करने की घोषणा की. यह कैलकुलेटर, सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसीज (CRAs) के माध्यम से व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है. वर्तमान में, तीन सीआरए हैं- Protean (इसे पहले NSDL के रूप में जाना जाता था), फिनटेक और CAMS.

कैसे कर सकते हैं एक्सेस

व्यक्ति द्वारा अपने संबंधित सीआरए के साथ एनपीएस खाते में लॉग किए जाने के बाद इस कैलकुलेटर को देखा जा सकता है. कैलकुलेटर उनके पिछले योगदानों के आधार पर अनुमानित रिटायरमेंट इनकम को दर्शाएगा. साथ ही अन्य कारकों के बीच वेतन में अनुमानित भावी वृद्धि को भी दर्शाएगा. सर्कुलर के अनुसार, “एनपीपी मुद्रास्फीति और जीवन व्यय की अनुमानित लागत पर विचार करते हुए रिटायरमेंट नहीं होने तक की बाकी अवधि में एक्सीलरेटेड कॉन्ट्रीब्यूशन प्लान के माध्यम से उच्च रिटायरमेंट इनकम के लिए टूल प्रदान करता है.”

पीएफआरडीए का कहना है, “एनपीएस प्रॉस्पेरिटी प्लानर फ्यूचरिस्टिक है और ग्राहकों के लिए उनके पिछले योगदान, आय में भविष्य में अपेक्षित वृद्धि और उनके जीवन यापन की लागत के आधार पर व्यक्तिगत सेवानिवृत्ति योजना उपलब्ध कराता है.” कैलकुलेटर, ग्राहक को उचित अनुमान प्रदान कर सकता है, जो उन्हें पर्याप्त और स्थायी वृद्धावस्था आय सुनिश्चित करने के लिए बेहतर सेवानिवृत्ति योजना में मदद कर सकता है.

क्या है NPS

बता दें कि एनपीएस, रिटायरमेंट के लिए बचत के लोकप्रिय निवेश विकल्पों में से एक है. यह योजना, एक्युमुलेशन के दौरान और साथ ही मैच्योरिटी के समय विभिन्न आयकर लाभ प्रदान करती है. एक्युमुलेशन फेज के दौरान, एक व्यक्ति एनपीएस के माध्यम से 9.5 लाख रुपये तक के टैक्स डिडक्शन का दावा कर सकता है. इन डिडक्शंस का दावा आयकर कानूनों के तहत निर्दिष्ट 3 अलग-अलग सेक्शंस के माध्यम से किया जाता है. ये सेक्शंस हैं-

1. सेक्शन 80CCD (1) (सेक्शन 80C के ओवरआॅल अंब्रैला के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन)

2. सेक्शन 80CCD (1b) (50,000 रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन)

3. सेक्शन 80CCD (2) (NPS खाते में नियोक्ता का योगदान)

मैच्योरिटी के समय, एनपीएस कॉर्पस का 60 प्रतिशत एकमुश्त के रूप में निकाला जा सकता है. यह एकमुश्त राशि आयकर से मुक्त है. शेष 40 प्रतिशत हिस्सा अनिवार्य रूप से एन्युइटी इनकम की खरीद के लिए उपयोग करना होता है. एन्युइटी इनकम ही पेंशन कहलाती है. साल 2004 में NPS को केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू किया गया था. इसे 2009 में सभी कैटगरी के लोगों के लिए खोल दिया गया. एनपीपी को आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में ग्राहकों के लाभ के लिए लॉन्च किया गया है.

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