डॉलर की सर्वमान्य स्वीकारता के कारण जब भारत से विदेशी पूँजी बाहर जाती है या विदेशी निवेशक अपना धन वापस निकलते हैं तो वे लोग डॉलर ही मांगते हैं जिसके कारण भारत के बाजार में डॉलर की मांग बढ़ जाती है जिसके कारण उसका मूल्य भी बढ़ जाता है. ऐसी हालात में RBI को देश के विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर निकालकर मुद्रा बाजार में बेचने पड़ते हैं जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आती है.
विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं
इतिहास गवाह है कि जब विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं जब इन विदेशी निवेशकों पर कर लगाने के प्रयास हुए हैं, इन्होंने सरकार और देश को ‘ब्लैक्मेल’ कर इन प्रयासों को धत्ता दिखाया है। — डॉ. अश्वनी महाजन
नीति निर्माता हों अथवा गुलाबी (आर्थिक) समाचार पत्र या विदेशी निवेश समर्थक अर्थशास्त्री, सभी भारत में बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडारों से अभीभूत हैं। इस बाबत, सरकार अपनी पीठ थपथपाती दिखती विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं है कि देश में निवेश वातावरण बेहतर हुआ है। गुलाबी समाचार पत्र बढ़ते विदेशी निवेशों के कारण उफनते विदेशी मुद्रा भंडारों को अर्थव्यवस्था की उत्तम स्थिति का बैरोमीटर मानते दिखाई देते हैं।
हालांकि पिछले तीन दशकों से लगातार हमारे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ते रहे हैं, लेकिन पिछले 18 माह में यह वृद्धि पहले से कहीं ज्यादा तेज हो गई है। गौरतलब है कि 3 जनवरी 2020 में 431 अरब डालर से बढ़ते हुए 30 जुलाई 2021 तक विदेशी मुद्रा भंडार 620.57 अरब डालर तक पहुंच गए हैं। जहां 1991 में भारत ने एक ऐसी स्थिति का सामना किया हो कि हमारे पास मात्र 7 दिनों के आयातों के भुगतान के लिए भी विदेषी मुद्रा भंडार नहीं थे, आज यह स्थिति है कि हमारे विदेशी मुद्रा भंडार 15 महीने के आयातों के भुगतान के लिए भी सक्षम हैं, बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार एक संतुष्टि का भाव अवश्य देते हैं। यह सही भी है कि यदि विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त मात्रा में न हो तो विदेशी ऋणों के ब्याज और मूल को पुनर्भुगतान में कोताही का खतरा बना रहता है। 1991 में तो हमने इस खतरे को महसूस भी किया था, जब हमें बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास अपना सोना गिरवी रखने की नौबत भी आ गई थी।
करेंसी स्वैप किसे कहते हैं और इससे अर्थव्यवस्था को क्या फायदे होंगे?
करेंसी स्वैप का शाब्दिक अर्थ होता है मुद्रा की अदला बदली. जब दो देश/ कम्पनियाँ या दो व्यक्ति अपनी वित्तीय जरूरतों को बिना किसी वित्तीय नुकसान के पूरा करने के लिए आपस में अपने देशों की मुद्रा की अदला बदली करने का समझौता करते हैं तो कहा जाता है कि इन देशों में आपस में करेंसी स्वैप का समझौता किया है.
विनिमय दर की किसी भी अनिश्चित स्थिति से बचने के लिए दो व्यापारी या देश एक दूसरे के साथ करेंसी विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं स्वैप का समझौता करते हैं.
विनिमय दर का अर्थ: विनिमय दर का अर्थ दो अलग अलग मुद्राओं की सापेक्ष कीमत है, अर्थात “ एक मुद्रा के सापेक्ष दूसरी मुद्रा का मूल्य”. वह बाजार जिसमें विभिन्न देशों की मुद्राओं का विनिमय होता है उसे विदेशी मुद्रा बाजार कहा जाता है.
वक्त की जरूरत है रुपये में व्यापार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य के मुकाबले मजबूत और स्थिर होगी भारतीय मुद्रा
रुपये को विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि करनी होगी जिसके लिए भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना होगा। रुपये में निवेश एवं व्यापार को बढ़ाने से रुपये के मूल्य में भी वृद्धि होगी जो वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी के नए आयाम स्थापित करेगी।
[डा. सुरजीत सिंह]। हाल में जारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं बढ़ रही है। डालर के निरंतर मजबूत होने से महत्वपूर्ण मुद्राएं कमजोर पड़ने लगी हैं। विभिन्न देशों के विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगे हैं, जिसके चलते वैश्विक वृद्धि दर घट रही है। आर्थिक परिदृश्य बदलने से वैश्विक भू-राजनीति भी बदल रही है। भारत सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार करना प्रारंभ किया है कि इन बदलते वैश्विक हालात के लिए जिम्मेदार अमेरिकी डालर पर निर्भरता को कैसे कम किया जाए?
चीन के विदेशी मुद्रा भंडार ने छुआ मार्च 2011 के बाद का सबसे निचला स्तर
चीन का विदेशी मुद्रा भंडार अक्तूबर में एक महीने पहले के मुकाबले 45.7 अरब डॉलर घटकर 3,120 अरब डॉलर रह गया. मार्च 2011 के बाद से चीन में विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं विदेशी मुद्रा भंडार का यह सबसे निचला स्तर है.
चीन में यह स्थिति तब बनी है जब उसने युआन की गिरावट को थामने के लिये डॉलर की बिकवाली की. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने यह जानकारी दी है.
इस साल की शुरुआत के बाद से चीन की मुद्रा अमेरिकी डॉलर के समक्ष चार प्रतिशत गिर चुकी है. अमेरिका के केन्द्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर बढ़ाने को लेकर लगातार बढ़ती प्रत्याशा के चलते डालर मजबूत हुआ है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि युआन में आ रही तेज गिरावट उम्मीद से हटकर है. इसके पीछे कोई खास वजह नहीं दिखाई देती है.
US dollar का टूटेगा दबदबा! रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देगी सरकार, कारोबारियों को मिलेंगे ये सारे फायदे
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: September 07, 2022 12:41 IST
Photo:FILE US dollar vs rupee
Highlights
- घरेलू मुद्रा की गिरावट रोकने में भी मदद मिलेगी
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम मुद्रा बनाने में मदद मिलेगी
- आयात के लिए डॉलर की मांग कम हो जाएगी
US dollar का दबदबा आने वाले दिनों में टूट सकता है। दरअसल, भारत सरकार विदेशी व्यापार में रुपये के इस्तेमाल विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं को बढ़ाने के लिए आज अहम बैठक करने जा रही है। इसमें वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्रतिनिधि समेत सभी प्रमुख बैंकों के अधिकारी शामिल होंगे। वित्तीय सेवा सचिव संजय मल्होत्रा बैठक की अध्यक्षता करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार लेनदेन की अनुमति देने से व्यापार सौदों विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं के निपटान के लिए विदेशी मुद्रा की मांग घटने के साथ घरेलू मुद्रा की गिरावट रोकने में भी मदद मिलेगी। इससे रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन के लिए अहम मुद्रा बनाने में मदद मिलेगी। इस समय भारत और रूस के बीच हो रहे व्यापार के बड़े हिस्से का लेनदेन रुपये में ही हो रहा है। आइए, जानते हैं कि रुपये में विदेशी व्यापार बढ़ने से कारोबारियों को क्या फायदे मिलेंगे।
भारत को क्या लाभ मिलेगा
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद वैश्विक हालात बदले हैं। कई देश दिवालिया हो गए हैं तो कई फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में इन देशों के साथ भारत का व्यापार प्रभावित हो रहा है। रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने से इन देशों के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारतीय कारोबारी को बड़ा विदेशी मुद्रा के साथ एक लाभदायक बनाते हैं बाजार मिलेगा। इसके साथ ही द्विपक्षीय व्यापार में बैलेंस बनाने में इस प्रक्रिया से मदद मिल सकती है। रुपये में इनवॉयस और पेमेंट से ट्रांजैक्शन कॉस्ट और फॉरेन करेंसी में ट्रांजैक्शन से जुड़े मार्केट रिस्क भी कम होंगे। एक्सपोर्टर्स को रुपये की कीमत में मिले इनवॉयस के बदले एडवांस भी मिल सकेगा। वहीं, कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी FEMA (Foreign Exchange Management Act) के तहत कवर होंगे।
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