इसलिए डिस्काउंट ब्रोकर के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने हेतु बने रहिये लेख के अंत तक. तो चलिए शुरू करते हैं आज का यह लेख – डिस्काउंट ब्रोकर क्या है इन हिंदी.
क्लाइंट लेवल पर रिस्क रिडक्शन मोड( RRM )
अब तक यदि पूरे क्लाइंट्स के लिए ब्रोकर का ओवरआल मार्जिन यूटिलाइसेशन 90% से ज्यादा होता था, तो एक्सचेंज द्वारा ब्रोकर को रिस्क रिडक्शन मोड(RRM) में डाल दिया जाता था। इसका मतलब यह है कि ब्रोकर ने जितना फण्ड क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के पास रखा है, यदि सभी कस्टमर का मार्जिन यूटिलाइसेशन उस पूरे फण्ड का 90% हो जाता है तो ब्रोकर को RRM में डाल दिया जाता था। जब ब्रोकर RRM में होता है , तब उनके कस्टमर सिर्फ अपनी रखी पोजीशन में से ही बाहर निकल सकते हैं, कोई नई पोजीशन नहीं ले सकते हैं। लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि सभी कस्टमर्स अपने फण्ड को एक साथ उपयोग करें और इसलिए ब्रोकर RRM में आने से आसानी से बच जाते थे।
1 अगस्त 2022 से, RRM क्लाइंट लेवल पर शुरू हो गया है। इसलिए ब्रोकर को अपने कस्टमर को या तो उनके अकाउंट में उपलब्ध फण्ड से 90% से ज्यादा उपयोग करने देने से मना करना होगा या बचा हुआ 10% फण्ड अपने खुद के कैपिटल से देना होगा। तो यदि कस्टमर के पास 1 अनुशंसित ब्रोकर लाख रूपए उनके ट्रेडिंग अकाउंट में है, ब्रोकर को उस कस्टमर को अधिकतम Rs 90k ट्रेडिंग के लिए देना होगा और 10k अपने कैपिटल से देना होगा। जिससे ब्रोकरों के लिए वर्किंग कैपिटल की जरूरत बढ़ जाएँगी।
स्टॉक बेचने के बाद मिले हुए फण्ड का तुरंत उपयोग
यदि आज एक स्टॉक को बेचा जाता हैं और ब्रोकर उसे उसी दिन डेबिट करके अर्ली पेइन के द्वारा क्लीयरिंग कारपोरेशन को दे देते हैं तो उसे बेचने के बाद मिले हुए 80% फण्ड को, तुरंत ही ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन हमारे मार्केट में T+2 का सेटलमेंट साइकिल होता है जिसका मतलब है कि यदि शेयर्स को बेचा जाता है, तो क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन उसका अमाउंट 2 दिनों के बाद ही क्रेडिट करते हैं। अब तक ब्रोकर्स, कस्टमर को बेचे हुए शेयर्स का पैसा CC से ना मिलने पर भी पूल्ड फण्ड से नए स्टॉक खरीदने के लिए मार्जिन दे सकते थे। लेकिन नए रेगुलेशन के बाद से, यदि कस्टमर को उसी दिन कुछ नया खरीदने दिया जाता है तो उसके लिए ब्रोकर को अपने कैपिटल से देना होगा ।
जब एक कस्टमर NEFT, RTGS, या UPI, का उपयोग करके पैसे ट्रांसफर करते हैं तो वह फण्ड उसी दिन ब्रोकर्स के बैंक अकाउंट में आ जाते हैं। लेकिन यदि फण्ड को पेमेंट गेटवे (PG) का उपयोग करके ट्रांसफर किया जाता है तो PG फंड्स को हमारे अकाउंट में सेटल करने में 2 दिनों तक का समय ले सकते हैं। इसलिए यदि आपने सोमवार को PG का उपयोग करके Rs 1lk अपने ब्रोकरेज अकाउंट में ट्रांसफर किये और ब्रोकर ने आपको उस पैसे का उपयोग करके ट्रेडिंग की अनुमति दी तो सामान्य रूप से ब्रोकर उस पैसे को 2 दिनों के बाद ही प्राप्त करेंगे और क्लीयरिंग कॉपोरेशन के नियम के अनुसार , वह फण्ड पहले ही क्लाइंट के अकाउंट में होना चाहिए।ऐसी स्तिथि में पहले यदि कस्टमर के पास पैसे नहीं होते थे तो उसे दूसरे कस्टमर के अकाउंट से पूल(pool) किया जा सकता था। लेकिन अब यह फण्ड ब्रोकर को PG पर सेटल होने से पहले अपने कैपिटल से देना होगा।
प्लेज पोजीशन के लिए 50% कैश के फॉर्म में होना
यदि स्टॉक को F&O पर ट्रेड करने की इच्छा से मार्जिन प्राप्त करने के लिए प्लेज किया गया है, तो कस्टमर को यूस्ड मार्जिन का 50% कैश मार्जिन अनिवार्य रूप से अनुशंसित ब्रोकर देना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के द्वारा यह अमाउंट ब्रोकर के कैपिटल से डेबिट कर लिए जायेगा। यह नियम Aug 1st 2022 से लागू हो गया है।
यदि कस्टमर के पास पहले से पर्याप्त मार्जिन नहीं है तो वह F&O में पोजीशन नहीं ले पाएंगे। कोई एक अकाउंट एक्सिस्टिंग पोजीशन में मार्जिन की बढ़ोतरी के कारण भी नेगेटिव बैलेंस में जा सकता है क्योंकि मार्जिन को पोर्टफोलियो लेवल पर कैलकुलेट किया जायेगा। ऐसा इसलिए भी हो सकता हैं क्योकि पोर्टफोलियो में एक पोजीशन को एग्जिट करने से दूसरी पोजीशन में रिस्क(हेज की स्तिथि में ) बढ़ जाता है या फिर मार्केट इंट्राडे में ज्यादा वोलेटाइल होने पर भी मार्जिन की जरुरत बढ़ जाती है। ऐसी स्तिथि में कस्टमर को मार्क-टू-मार्केट ट्रांसफर करने में एक दिन का समय मिल जाता है लेकिन यदि कस्टमर के पास पर्याप्त पैसे नहीं है या नेगेटिव बैलेंस है, तो इस अमाउंट को ब्रोकर के कैपिटल से डेबिट अनुशंसित ब्रोकर किया जायेगा।
डिस्काउंट ब्रोकर क्या है भारत के Best Discount Broker In India Hindi
Discount Broker Kya Hai In Hindi: शेयर मार्केट में सबसे महत्वपूर्ण होता है ब्रोकर जिसके द्वारा कोई भी निवेशक शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कर सकता है. ये तो आप सभी अनुशंसित ब्रोकर लोग जानते होंगे कि शेयर मार्केट में एक निवेशक सीधे तौर पर ट्रेडिंग नहीं कर सकता है. ट्रेडिंग करने के लिए निवेशक को एक इंटरमीडियट की जरुरत होती है, यही इंटरमीडियट स्टॉक ब्रोकर होते हैं.
अपनी सेवाओं के आधार पर स्टॉक ब्रोकर अनुशंसित ब्रोकर भी अनेक प्रकार के होते हैं, लेकिन जो स्टॉक ब्रोकर आजकल सबसे ज्यादा चर्चा में हैं वह हैं Discount Stock Broker, जिसके बारे में हम आपको आज के इस लेख में बताएँगे.अनुशंसित ब्रोकर अनुशंसित ब्रोकर
आज के इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि Discount Broker क्या है, डिस्काउंट ब्रोकर कौन से सर्विस अपने कस्टमर को देते हैं और कौन सी सर्विस नहीं देते हैं, डिस्काउंट ब्रोकर के क्या फायदे हैं और भारत के कुछ प्रमुख डिस्काउंट ब्रोकर के बारे में भी आपको इस लेख में जानने को मिलेगा.
Stock Market के ब्रोकर पर बैंकों की बड़ी चोट, अब बिना गारंटी वाले इंट्राडे फंडिंग पर लग सकती है रोक, जानिए क्या होगा असर
शेयर बाजार में कामकाज कर रहे बहुत से ट्रेडर गारंटी के बिना मिलने वाले इस लोन की मदद से खासी कमाई करते हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल में ही देश के चार निजी क्षेत्र के बड़े बैंकों को कहा है कि ब्रोकर को बिना गारंटी के दिया जाने वाला इंट्राडे क्रेडिट बंद करने की व्यवस्था करें. आरबीआई ने कहा है कि अगर इस तरह की रकम देनी है तो उसका कम से कम 50 फ़ीसदी ब्रोकर से फिक्स डिपॉजिट या मार्केटेबल सिक्योरिटीज के रूप में रखा जाए. दो सीनियर बैंकर ने इकनॉमिक टाइम्स को यह जानकारी दी है.
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