(1) शिक्षा द्वारा तकनीकी क्षेत्र में क्रान्ति से देश की उत्पादन क्षमता बढ़ाना तथा सकल राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि करना।

Financial Statement Analysis

व्यष्टि अर्थशास्त्र किसे कहते हैं ? | What is Micro Economics in Hindi

  • व्यष्टि अर्थशास्त्र यानी सूक्ष्मअर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की एक शाखा है जो यह अध्ययन करता है कि किस प्रकार अर्थव्यवस्था के व्यक्तिगत अवयव, परिवार एवं फर्म, विशिष्ट रूप से उन बाजारों में सीमित संसाधनों के आवंटन का निर्णय करते हैं, जहां वस्तुएं एवं सेवाएं खरीदी एवं बेचीं जाती हैं।
  • सूक्ष्म अर्थशास्त्र यह परीक्षण करता है कि ये निर्णय एवं व्यवहार किस प्रकार वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति एवं मांगों को प्रभावित करते हैं, जो मूल्यों का निर्धारण करती हैं और किस प्रकार, इसके बदले में, मूल्य, वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति एवं मांगों को निर्धारित करती है।
  • आम तौर पर आपूर्ति और मांग का सिद्धांत यह मानता है कि बाजार पूर्ण रूप से प्रतिस्पर्द्धात्मक होते हैं।
  • इसका मतलब यह है कि बाजार में कई क्रेता एवं विक्रेता हैं और किसी में भी वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की क्षमता नहीं होती है।
  • कई वास्तविक जीवन के लेनदेन में, यह पूर्वधारणा विफल हो जाती है क्योंकि कुछ व्यक्तिगत क्रेताओं (खरीदार) या विक्रेताओं में कीमतों को प्रभावित करने की क्षमता होती है।
  • समष्टि अर्थशास्त्र में किसी अर्थव्यवस्था के समस्त आर्थिक परिवर्तों पर विचार किया जाता है। इसमें उन विविध अंतर-सहलग्नताओं की भी चर्चा है जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में विद्यमान रहती हैं। इन्हीं कारणों से यह व्यष्टि अर्थशास्त्र से भिन्न होता है; जिसमें किसी अर्थव्यवस्था के खास क्षेत्रक में कार्यप्रणाली का परीक्षण किया जाता है और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रकों को एक समान मान लिया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र का उद्भव एक पृथक विषय के रूप में 1930 में कीन्स के कारण हुआ। महामंदी से विकसित देशों को गहरा धक्का लगा और कीन्स को अपनी पुस्तक लिखने की प्रेरणा मिली।

शिक्षा के अर्थशास्त्र के शिक्षण के उद्देश्य | Objectives of teaching economics of education in Hindi

शिक्षा के अर्थशास्त्र के शिक्षण के उद्देश्य

शैक्षिक विकास के सम्बन्ध में शिक्षा के अर्थशास्त्र के रूप में नई विचारधारा आधुनिक काल से ही शुरू हुआ जब द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा की माँग बढ़ने से शिक्षा का व्यय बहुत जोर से बढ़ा । राष्ट्रीय संसाधनों की आर्थिक विकास हेतु आवश्यकता सर्वविदित ही है। अतः अर्थशास्त्रियों और प्रशासकों ने शिक्षा पर होने वाले व्यय को अधिक कुशलता से करने पर बल देना आरम्भ किया। भारत की अर्थव्यवस्था कृषि तथा उद्योगों पर आधारित होने के कारण शिक्षा के इस प्रकार नियाजन की आवश्यकता अनुभव की गई की नवीन उपकरणों का प्रयोग करने में सक्षम कृषि विशेषज्ञ तैयार हो सकें तथा नवीन प्रौद्योगिकी का भी विकास हो जिससे भारत एक पूर्णतः विकसित देश बन सके। इस सन्दर्भ में भारत में शिक्षा के अर्थशास्त्र के शिक्षण के निम्न उद्देश्य संभावित हो सकते हैं।

इतिहास और अर्थशास्त्र - History and economics

आज के भौतिकवादी युग में मनुष्य की जिस प्रकार से भौतिक प्रगति हुई है तथा मानवीय आवश्यकताओं में निरंतर उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है, उसके परिणामस्वरूप आर्थिक अध्ययन एक आवश्यकता बन चुका है। सामाजिक विज्ञान के सभी क्षेत्रों में अर्थशास्त्र ही एक ऐसा विज्ञान है जिसकी गणना सामाजिक कल्याण (Social Welfare) व मानवीय प्रगति के लिए अग्रिम श्रेणी में की जाती है।

वास्तविकता तो यह है कि आज की दुनिया की संपूर्ण आर्थिक सरचना (Economic Structure) केवल आर्थिक धुरी के ऊपर विद्यमान है। यदि किसी भी समस्या का गहराई से विश्लेषण किया जाए तो आज की दुनिया में प्रत्येक समस्या के जड़ में आर्थिक कारण ही विद्यमान है। चाहे वह समस्या श्रम और पूंजी के विवाद के रूप में हो, चाहे साम्राज्यवाद और स्वतंत्रता की लड़ाई हो अथवा मनुष्य के प्रादुर्भाव के साथ ही आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य इतिहास का आरंभ हो जाता है। आदि मानव ने अपनी जीविका को चलाने के लिए जैसे जैसे साधनों के खोज में प्रगति की इसके परिणामस्वरूप इतिहास को भी गति, दिशा एवं अर्थ मिलता गया। उस समय आजीविका के साधन ही अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार थे। समाज की अर्थव्यवस्था ही प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक इतिहास की प्रमुख विषयवस्तु रही है।

वित्तीय विवरण विश्लेषण के तरीके

अब, आइए जानें कि आप अपने वित्तीय विवरण विश्लेषण प्रोजेक्ट में किन तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:

वित्तीय अनुपात

वित्तीय विवरण विश्लेषण अनुपात पर भरोसा करते समय, यह जान लें कि उनमें से कई प्रकार हैं जिनका उपयोग किसी कंपनी के वित्तीय विवरण का विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है, जैसे:

दक्षता अनुपात:

ये ऐसे अनुपात प्रकार हैं जो आपको यह देखने की अनुमति देते हैं कि कोई व्यवसाय कितनी अच्छी तरह संपत्ति का उपयोग कर रहा है। कुछ सामान्यदक्षता अनुपात आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य नीचे दिए गए हैं:

  • एसेट टर्नओवर - राजस्व सृजन में संपत्ति के उपयोग को प्रदर्शित करना
  • देय खाते कारोबार - आकलन करता है कि लेनदारों को कितनी जल्दी भुगतान किया गया है
  • खातों की स्वीकार्य बिक्री राशि - प्रदर्शित आर्थिक विश्लेषण के उद्देश्य और उद्देश्य करता है कि कितनी बारप्राप्य खाते भुगतान किया गया है और एकत्र किया गया है
  • इनवेंटरी कारोबार - एक वर्ष के भीतर इन्वेंट्री टर्नओवर की आवृत्ति दिखाता है

वित्तीय विवरणों के विश्लेषण एवं निर्वचन का अर्थ ( Meaning of Analysis and Interpretation of Financial Statements ) क्या है ?

वित्तीय विवरण अपने आप में लक्ष्य न होकर साधन मात्र होते हैं, अतः इनसे निष्कर्ष निकालने के लिए इनका विश्लेषण करना आवश्यक है । जिस प्रकार मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए डॉक्टर शरीर के सामयिक ( Periodical ) परीक्षण की सलाह देते हैं, ठीक उसी प्रकार व्यवसाय को वित्तीय दृष्टि से सुदृढ़ एवं लाभप्रद बनाये रखने के लिए वित्तीय विश्लेषण की आवश्यकता होती है । "वित्तीय विवरण जितने अधिक विस्तृत तथा भारी होते हैं, उतने ही उच्च प्रबन्ध के लिए बेकार होते हैं ।" वित्तीय विश्लेषण के माध्यम से वित्तीय विवरणों की सूचनाओं को प्रबन्ध के समक्ष संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है, जिससे उन्हें तुरन्त निर्णय लेने में सहायता प्राप्त हो सके ।

कैनेडी तथा मैकमूलन के अनुसार, "वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एवं निर्वचन सूचना को इस प्रकार प्रस्तुत करता है, जिससे व्यवसाय के प्रबन्धकों, विनियोगकर्ताओं तथा लेनदारों एवं अन्य वर्गों, जो व्यवसाय की वित्तीय स्तिथि व परिचालन परिणामों में रुचि रखते हैं, निर्णय में सहायक हो सकें ।"

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