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Technical Analysis- 1st Post (Introduction & Basics – In Hindi)

टेक्निकल एनालिसिस पर पहली पोस्ट में आपका स्वागत है 🙂 । मेरे हिसाब से, ट्रेडिंग के लिए यह सबसे अच्छा टूल है। आज मैं आपके साथ टेक्निकल एनालिसिस के बारे में एक बुनियादी विचार साझा करुँगी। उदाहरण के लिए: – टेक्निकल एनालिसिस क्या है? आपको यह क्यों इस्तेमाल करना चाहिए? ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? और टेक्निकल एनालिसिस की मूल बातें (प्राइस, वॉल्यूम, ओपन इंटरेस्ट)। तो चलिए शुरू करें!!

टेक्निकल एनालिसिस क्या है?

यह अतीत मार्केट के डेटा, मुख्य रूप से प्राइस और वॉल्यूम के अध्ययन के द्वारा प्राइसिस की दिशा की भविष्यवाणी की विधि है।

आपको यह क्यों इस्तेमाल करना चाहिए?

आपको इसका इस्तेमाल प्राइसिस के पूर्वानुमान लगाने के लिए करना चाहिए। यह प्राइस मूवमेंट के संदर्भ में भविष्य में क्या होने जा रहा है, के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर देता है, क्योंकि-

  • एक मार्केट के वर्तमान ट्रेंड की चलते रहने की ज़्यादा संभावना है और रिवर्स होने की कम → प्राइसिस हमेशा डायरेक्शनली मूव करते हैं, जैसे, अप, डाउन, या साइडवेज़ (फ्लैट) और कुछ कॉम्बिनेशंस।
  • इतिहास खुद को दोहराता है → अतीत में जो हुआ वह फिर से होगा क्योंकि मानव व्यवहार और साथ ही मानव साइकोलॉजी कभी नहीं बदलती।

ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल कैसे करें?

यह ट्रेडिंग में बहुत सी विधि लगा कर प्रयोग किया जाता है, साथ ही टूल्स और तकनीक लगाकर, जिनमे से एक टेक्निकल इंडीकेटर्स(लीडिंग और लैगिंंग), ओवेरलेज़ और कॉन्सेप्ट्स के साथ चार्ट का इस्तेमाल होता है। चार्ट के प्रयोग से हम प्राइस पैटर्न और मार्केट ट्रेंड की पहचान, टेक्निकल इंडीकेटर्स और मूविंग एवरेज के अध्ययन और कुछ संरचनाओं जैसे लाइन ऑफ़ सपोर्ट, रेजिस्टेंस, चैनल्स और अधिक अस्पष्ट संरचनाओं जैसे फ्लैग इत्यादि को देख सकते हैं और उनका फायदा उठा सकते हैं। इन इंडीकेटर्स का प्रयोग एक एसेट(शेयर) ट्रेंडिंग है या नहीं इसके आँकलन की मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, और अगर ऐसा है, तो इसकी दिशा और निरंतरता की संभावना पता लगाने के लिए किया जाता है। हम प्राइस/वॉल्यूम इनडाईसिस और मार्केट इंडीकेटर्स के बीच संबंधों को भी देखते हैं।

टेक्निकल एनालिसिस की मूल बातें (प्राइस, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट)

प्राइस– यह किसी शेयर के लिए भुगतान की सबसे अधिक राशि, या इसे खरीदने के लिए दी जाने वाली सबसे न्यूनतम राशि है।

वॉल्यूम– वॉल्यूम एक कारोबारी दिन में ट्रेडिंग गतिविधियों और कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल मात्रा के आदान-प्रदान को दर्शाती है। वॉल्यूम जितनी अधिक होगी उतना ही हम मौजूदा ट्रेंड के रिवर्स होने की बजाय जारी रहने की उम्मीद कर सकते हैं। वॉल्यूम हमेशा प्राइस से आगे चलती है।

ओपन इंटरेस्ट– ओपन इंटरेस्ट प्रत्येक दिन के अंत में मार्केट पार्टिसिपेंट्स द्वारा आयोजित बकाया ठेके की कुल संख्या है। यह वायदा बाजार में धन का प्रवाह मापती है। ओपन इंटरेस्ट बढ़ने का मतलब है की नया पैसा मार्केट में आ रहा है। परिणामस्वरुप जो भी वर्तमान ट्रेंड है (अप, डाउन, साइडवेज़), वह जारी रहेगा। ओपन इंटरेस्ट में गिरावट का मतलब है कि मार्केट ट्रेंड समाप्त हो रहा है, और दर्शाता है कि वर्तमान प्राइस ट्रेंड (अप, डाउन, साइडवेज़) बदलने की संभावना है या खत्म होने की संभावना है।

प्रचलित प्राइस ट्रेंड, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट के बीच के रिश्ते को निम्न तालिका द्वारा संक्षेप किया जा सकता है: –

Swing Trading क्या है? | स्विंग ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते है ?

swing trading kya hai

दोस्तों आप में से बहुत से लोग स्टॉक मार्केट में शेयर्स को खरीदने और बेचने में इन्वेस्टमेंट करते होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि स्विंग ट्रेडिंग क्या होती है और स्विंग ट्रेडिंग कैसे की जाती है अगर नही, तो आइये आज हम आपको स्विंग ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी लेते है तो जो कैंडिडेट स्विंग ट्रेडिंग बारे में पूरी जानकारी चाहते है वो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े.

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Table of Contents

स्विंग ट्रेडिंग क्या है (What is Swing Trading in Hindi)

स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जहाँ पर ट्रेडर्स शेयर्स को खरीदने के कुछ दिन के बाद बेचते हैं मतलब कि एक दिन से ज्यादा के लिए शेयर्स खरीदते हैं और थोड़े समय तक होल्ड करने के बाद दाम बढ़ने पर शेयर्स को बेच देते है जिससे उन्हें कुछ न कुछ फायदा हो जाता है.

एक अच्छी स्विंग ट्रेडर की ओप्पोर्चुनिटी को ढूंढने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का और कभी-कभी फंडामेंटल एनालिसिस का भी उपयोग करता है साथ ही चार्ट के माध्यम से मार्केट ट्रेंड और पैटर्न्स का विश्लेषण करता है. स्विंग ट्रेडिंग को मंथली ट्रेडिंग भी कहा जाता है क्योंकि एक महीने के अंदर ही शेयर्स को खरीदना और बेचना होता है स्विंग ट्रेडिंग से महीने का 5% से 10% तक रिटर्न कमाया जा सकता है स्विंग ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग किया जाता है.

स्विंग ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते है ?

स्विंग ट्रेडिंग शुरू करने के लिए किसी भी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अमाउंट और डीमैट अकाउंट होना जरूरी होता है क्युकी ट्रेडिंग अकाउंट शेयर को खरीदने के लिए और डीमैट अकाउंट ख़रीदे हुए शेयर्स को रखने के लिए जरूरी है.

Swing Trading काम कैसे करती है?

स्विंग ट्रेडर का काम किसी भी स्टॉक को खरीदने से पहले मार्केट का ट्रेंड शेयर्स की कीमत में उतार-चढ़ाव ट्रेडिंग चार्ट में बनने वाले पैटर्न का विश्लेषण करना होता है. सिम्पल तौर पर एक स्विंग ट्रेडर उन शेयर्स पर विश्लेषण करता है जिसमें ट्रेडिंग अधिक होती है. अन्य तरह की ट्रेडिंग की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग में ज्यादा रिस्क होता है क्युकी इसमें गैप रिस्क शामिल होता है, अगर मार्केट के बंद होने के बाद कोई अच्छी खबर आती हैं तो स्टॉक के प्राइस मार्केट खुलने के बाद अचानक से ही बढ़ जाते हैं लेकिन अगर मार्केट के बंद होने के बाद कोई बुरी खबर आती हैं तो मार्केट खुलने के बाद स्टॉक के प्राइस में भारी गैप डाउन भी देखने को मिलती हैं इस तरह के रिस्क को ओवरनाईट रिस्क’ कहा जाता है.

स्विंग ट्रेडिंग करने के फायदे क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग करने के निम्नलिखित फायदे है-

  • स्विंग ट्रेडिंग में शेयर्स को कुछ दिनों या कुछ हफ्तों के लिए होल्ड करके रखा जाता है इसलिएइंट्राडे की तुलना में लाइव मार्केट में ज्यादा समय रहने की जरूरत नहीं होती है.
  • स्विंग ट्रेडिंग मेंट्रेडर्स को बाजार के साइडवेज़ होने पर एक अच्छा रिटर्न मिलता है.
  • स्विंग ट्रेडिंग जॉब या बिज़नेस करने वाले लोगो के लिए सबसे अच्छा होता हैं.
  • स्विंग ट्रेडिंग में छोटे-छोटे रिटर्न्स साल में एक अच्छा रिटर्न भी बन जाता है.
  • इंट्राडे की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग करना आसान होता हैं क्युकी इसमें सिर्फ आपको सिर्फ टेक्निकल एनालिसिस आना चाहिए.
  • इंट्राडे की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग में स्ट्रेस लेवेल कम कुछ होता है.

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग करने के कुछ नुकसान भी है-

  • स्विंग ट्रेडिंग में ओवरनाईट और वीकेंड रिस्क भी रहता है.
  • स्विंग ट्रेडिंग में गैप रिस्क भी शामिल होता है
  • अगर किसी तरह से मार्केट का अचानक ट्रेंड बदल जाता है तो यहां काफी देय भी नुकसान हो सकता है.

स्विंग ट्रेडिंग कैसे करे?

सुपोर्ट एंड रेसिसिटेंस: स्विंग ट्रेडिंग में सुपोर्ट एंड रेसिसिटेंस बहुत जरूरी होता है तो इसीलिये आप भी यही कोशिश यही करना कि सपोर्ट पर ब्रेकआउट के बाद शेयर्स ख़रीदे और रेजिस्टेंस पर ब्रेकडाउन पर बेच दे.
न्यूज़ बेस्ड स्टॉक: एक स्विंग ट्रेडर ऐसे शेयर्स को चुनता है जिसमें बाजार की किसी खबर का असर हो और उस खबर के कारण वह स्टॉक किसी एक दिशा में ब्रेकआउट देने की तैयारी में हो या ब्रेकआउट दे चुका हो, वह खबर बुरी या अच्छी किसी भी प्रकार की हो सकती है खबर अच्छी हुई तो ऊपर की तरफ ब्रेक आउट होगा, नहीं तो नीचे की तरफ ब्रेडडाउन होगा.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निक्स: स्विंग ट्रेडिंग के लिए आपको हमेशा हाई Liquidity शेयर्स को चुनना होता है इसके अलावा शेयर में एंट्री और एग्जिट के लिए MACD, ADX और Fast Moving Average का यूज किया जा सकता है.

इसे भी पढ़े?

आज आपने क्या सीखा?

हमे उम्मीद है कि हमारा ये (swing trading kya hai) आर्टिकल आपको काफी पसन्द आया होगा और आपके लिए काफी यूजफुल भी होगा क्युकी इसमे हमने आपको स्विंग ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी दी है.

हमारी ये (swing trading kya hai) जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताइयेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगो के साथ भी जरुर शेयर कीजियेगा.

Stock Analysis क्यों जरुरी है ?

Stock Analysis

शेयर मार्केट में लगभग 5000+ companies है । उनमें से 1600+ companies National Stock Exchange ( NSE ) और 1328+ कंपनी Bombay Stock Exchange ( BSE ) मे Listed है | किसी भी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए कुछ Parameter की जानकारी होना बहुत जरूरी होता है |

कुछ लोग कोई कंपनी के शेयर खरीद रहे हैं यह देख कर हमें भी उस कंपनी के शेयर खरीद लेने चाहिए या सुनी सुनाई बातों पर भरोसा रख के किसी कंपनी की हिस्सेदारी लेना मूर्खता है । किसी कंपनी का नाम अच्छा है या कोई कंपनी अच्छे संगठन से Belong करती है इस वजह से हमें भी उस कंपनी में Invest करना चाहिए ऐसा ना सोचे ।

किसी भी कंपनी के शेयर लेने से पहले उस कंपनी के बारे में पूरी जानकारी होना अनिवार्य होता है । जिसे शेयर मार्केट के भाषा में Stock Analysis कहा जाता है | Stock Analysis यह एक Method है जिसकी Help से Investor और Treader स्टॉक मार्केट को Examine और Evaluate करते हैं ।

शेयर की Buying And Selling के लिए इस Method का उपयोग करते हैं । स्टॉक एनालिसिस यह Market Analysis और Equity Analysis को भी Refer करता है । Stock Analysis ये उस योजना पर आधारित होता है जो Market Data के द्वारा Past और Present की स्टडी करते हैं । जिससे ट्रेडर और इन्वेस्टर को यह जानकारी मिलती है कि कौन से स्टॉप पर Focus करना है या कौन सा stock choose करना है । इस मेथड की स्टडी करके ट्रेडर Entery or Exit Point को भी स्पष्ट कर सकते हैं ।

Types of stock analysis :

स्टॉक एनालिसिस के दो मुख्य प्रकार होते हैं । उनमें से पहला प्रकार Fundamental Analysis और दूसरा Technical Analysis होता है ।

हम सबसे पहले फंडामेंटल एनालिसिस के बारे में जानकारी लेते हैं । फंडामेंटल एनालिसिस कंपनी की पूरी इंफॉर्मेशन होती है जैसे कि कंपनी के डायरेक्टर कौन है कंपनी के सीईओ कौन है कंपनी किस सेक्टर से बिलॉन्ग करती है कंपनी का Market Capital कितना है इससे कंपनी के मैनेजमेंट के बारे में हमें पता चलता है । बाद में कंपनी के फाइनेंसियल मैनेजमेंट के बारे में भी पता होना बहुत जरूरी होता है जैसे कि कंपनी की बैलेंस शीट, कंपनी का प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट स्टेटमेंट, कैश फ्लो स्टेटमेंट, लेजर स्टेटमेंट Etc .

कंपनी के हर 3 महीने में Quarterly Results आते हैं उसकी जानकारी से हमें यह पता चलता है कंपनी प्रॉफिट में है यह लॉस में हैं । कंपनी का ग्रोथ रेट कैसा है यह हमें फंडामेंटल एनालिसिस से पता चलता है अगर कंपनी प्रॉफिट में है तो कंपनी को कितने करोड़ का प्रॉफिट हुआ है और अगर कंपनी लॉक में है तो कंपनी को कितने करोड़ को लॉस हुआ है यह क्वार्टरली रिजल्ट्स से पता चलता है । अगर किसी क्वार्टर में कंपनी को लॉस हुआ है तो नेक्स्ट क्वार्टर में कंपनी ने अपना कितना लॉस कवर किया है इसका भी कंपनी के शेयर प्राइस पे फर्क पड़ता है ।

इसमें दूसरा प्रकार होता है टेक्निकल एनालिसिस का । टेक्निकल एनालिसिस में asset और हिस्टोरिकल प्राइस चार्ट और मार्केट पैटर्न की प्रीवियस स्टडी करके फ्यूचर मोमेंट को प्रेरित करते हैं । ट्रेडर सपोर्ट और रेसिस्टैंस लाइन, चार्ट पेटर्न, इंडिकेटर इस प्रकार की टूल्स बयिंग और सेलिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं । इसलिए मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले stock analysis करना जरूरी होता है |

Note :- Both varieties of stock analysis have the same intended outcome to make the correct buying and selling decision and choose the optimal times to place trades.

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Hindi Title:स्टॉक मार्केट एंड टेक्निकल एनालिसिस
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Book By:Abhijit Zingade
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स्टॉक मार्केट एंड टेक्निकल एनालिसिस Book Review in Hindi

स्टॉक मार्केट एक ऐसी जगह है जहाँ पे स्टॉक का एक्सचेंज होते रहेता है. याने एक ऐसी जगह जहाँ पे लोग आते हैं और शेअर्स खरीदते हैं या बेचते है. हमारे यहा उदाहरण के तौर पर देखा जाये तो नॅशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन. एस. इ) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बी. एस. इ) ये दो एक्सचेंज है जिसमे ज्यादातर ट्रेडिंग होती रहती है।

अभी हम एक उदाहरण देखते है जिसके जरीये हम ये समज लेंगे कि स्टोक्स किस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पे लिस्ट होते हैं और उससे किस तरह से फायदा होता है. मान टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है लिजिए कि आपने एक नयी कंपनी शुरु कि है. पहले आप आपकी खुद्द कि कॅपिटल इन्व्हेस्ट करके उसे शुरू करते हैं. बादमे जब कंपनी कि ग्रोथ होती जायेगी तो आपको उसे बढ़ाने के लिये और पैंसों कि जरुरत पढेंगी.

तो अब आप क्या करोगे? तो तरिका ये हो जाता है कि पार्टनर बढ़ाओ और उनसे पैसे लेकर कंपनी मे इन्व्हेस्ट करो. लेकिन कंपनी जैसे जैसे बढ़ती जाती है वैसे हि पैंसों कि जरुरत भी बढती जाती है. हम पार्टनर बढाकर भी कितने बढ़ा सकते है. हम कुछ पार्टनर बढ़ाने के बाद रुक जाते है और अलग सोल्युशन ढूंढने मे लग जाते है.

अब कंपनी को पैसा मिल गया. वो अब वो पैसो के जरीये अपना बिसिनेस बढ़ा सकते हैं. और जो लोग वो लिस्ट होचूका शेअर खरीदते है तो जब भी शेअर कि प्राईस बढती है तो उसका मुनाफा पब्लिक को होने लगता है. उसके साथ हि कंपनी बोनस या डिव्हिडंड देती रहेती है और उसका भी फायदा पब्लिक को होते रहेता है.

तो इस तरह से कंपनी अपना बिसिनेस बढ़ा सकती है. और पब्लिक भी अपना पैसा उस स्टॉक मे डालकर उससे भी फायदा ले सकती है. जब वही शेअर फिर सेकण्डरी मार्केट मे आता है तो फिर वो स्टॉक एक्सचेंज पे रेग्युलरली ट्रेड होते रहेता है. तो इस तरह से कंपनी स्टॉक एक्सचेन्ज पे लिस्ट होती है और उसमे ट्रेडिंग होती रहती है. तो बेसिकली ये होता है स्टॉक मार्केट जहाँ पे शेअर्स खरीद या बेचे जाते हैं.

Stock Market And Technical Analysis Book Review in English

A stock market is a place where the exchange of pay stocks takes place. That is a place where people come and buy or sell shares. As an example, the National Stock Exchange (NSE) and the Bombay Stock Exchange (BSE) are the two exchanges in which most of the trading takes place.

Now let us see an example through which we will understand how the stocks are listed on the stock exchange and how they benefit. Suppose you have started a new company. First, you start it by investing your own capital. Later, when the growth of the company will continue, then you will read the need for more money to increase it.

so what will you do now? So the way becomes that increase the partners and invest in the company by taking money from them. But as the company grows, so does the need for money. How much can we increase even by increasing partners? We stop after increasing some partners and start looking for different solutions.

Now the company has got the money. Now they can increase their business with the help of money. And those who buy shares from that list, then whenever the price of the share increases, then its profit starts going to the public. Along with that, the company keeps on giving bonuses or dividends and the public also gets benefits from it.

So in this way the company can increase its business. And the public can also take advantage of that by putting their money in that stock. When the same stock comes again into the secondary market, then it is traded regularly on the stock exchange. So in this way the company is listed on the stock exchange and trading continues on it. So basically this is the stock market where pay shares are bought or sold.

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गोल्ड में फ्लैश क्रैश: टेक्निकल एनालिसिस पर बनी स्ट्रैटेजी ने डुबाई थी नैया, चार्ट पर बना था मंदी के संकेतों वाला 'डेथ क्रॉस' का पैटर्न

पिछले महीने एक दिन अचानक एशिया के सर्राफा बाजार में सोने का भाव धराशायी हो गया था। 9 अगस्त को वह 15 मिनट के भीतर 4% टूटकर 1,700 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गया था। कुछ जानकारों ने उसे 'फ्लैश क्रैश' बताया, यानी सारा किया धरा कंप्यूटर ट्रेडिंग प्रोग्राम का था।

अगले एक साल में 2,100-2,200 डॉलर तक जा सकता है

इन सबके बीच केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि सोने के फंडामेंटल मजबूत बने हुए हैं। इसका भाव अगले एक साल में 2,100-2,200 डॉलर प्रति औंस और इंडिया में 53,000-54,000 रुपए प्रति दस ग्राम तक जा सकता है। बशर्ते यह 1,650-1,660 डॉलर प्रति औंस से नीचे न आ जाए।

राहत पैकेज वापस लिए जाने की अटकलें लगने लगी थीं

'फ्लैश क्रैश' की वजहें क्या हो सकती हैं, उसके बारे में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 6 अगस्त शुक्रवार को सोना 2.3% की कमजोरी के साथ बंद हुआ था। अमेरिका में रोजगार के मजबूत आंकड़ों के चलते राहत पैकेज जल्द वापस लिए जाने की अटकलें लगने लगी थीं।

डॉलर में मजबूती आई थी, बॉन्ड की यील्ड बढ़ी थी

उस दिन दूसरे अहम देशों की करेंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई थी। इसके साथ ही बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड में बढ़ोतरी हुई यानी उसकी कीमत में गिरावट आई। इन सबके असर से सोने के दाम पर दबाव बना। बॉन्ड की यील्ड और सोने की कीमत में उलटा संबंध होता है।

15 मिनट में 4 अरब डॉलर से ज्यादा का सोना बिका

फिर नए हफ्ते के पहले दिन यानी सोमवार 9 अगस्त को एशियाई बाजारों में सोना टूट गया। कुछ ही मिनटों में 4 अरब डॉलर से ज्यादा का सोना बिक गया। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब दुनिया में हर तरह के बाजारों में बहुत कम नकदी रहती है।

चार्ट पर 'डेथ क्रॉस' नाम का मंदी वाला पैटर्न बना था

WGC के मुताबिक सोने के अचानक टूटने की वजह टेक्निकल एनालिसिस पर आधारित रणनीति हो सकती है। टेक्निशियनों ने सोने के चार्ट पर 'डेथ क्रॉस' नाम का पैटर्न बनने टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है की बात कही थी। इस पैटर्न में प्राइस से जुड़ा 50 डे मूविंग एवरेज (DMA) 200 DMA से नीचे चला जाता है। यह पैटर्न एसेट में मंदी का संकेत माना जाता है।

1,700 डॉलर के पास लगाए स्टॉप लॉस ट्रिगर हुए होंगे

दूसरी वजह यह हो सकती है कि 1,700 डॉलर के आस-पास लगाए स्टॉप लॉस ऑर्डर ट्रिगर हुए होंगे। बड़े नुकसान से बचने के लिए ऑर्डर में तय किए गए प्राइस के ट्रिगर होने यानी नीचे के रेट पर बिक्री होने से सोने पर दबाव बढ़ा और बिकवाली होती चली गई। उस दिन अमेरिकी बाजार में भी सोने का भाव लगभग दो पर्सेट गिरा था।

अगले एक साल सोने में तेजी जारी रह सकती है

अजय केडिया के मुताबिक, अगले एक साल के लिहाज से सोने में तेजी रह सकती है। उन्होंने इसकी कई वजहें बताईं। अमेरिकी जॉब मार्केट में अस्थिरता है। डॉलेक्स और बॉन्ड यील्ड में कमजोरी है। दुनिया भर में लिक्विडिटी ज्यादा है, जिससे महंगाई बढ़ी हुई है। जियो पॉलिटिकल टेंशन बना हुआ है और ट्रेड वॉर का टेंशन कम नहीं हुआ है।

घरेलू बाजार में शादी-ब्याह के सीजन का सपोर्ट

शादी-ब्याह का सीजन आ रहा है। ऐसे में कोविड के चलते दबी डिमांड सामने आ रही है। इसके अलावा रियल्टी मार्केट ठंडा पड़ा है। कोरोना को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। इक्विटी मार्केट में वैल्यूएशन हाई बना हुआ है। गोल्ड में निवेश के ऑप्शन बढ़े हैं। ऐसे में निवेशकों का रुझान फिजिकल गोल्ड से ज्यादा डिजिटल गोल्ड में बन सकता है।

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