अवलोकन
भारत में मादक दवाओं के नियंत्रण की प्रणाली नशीली दवाओं और चिकित्सा उपयोग के लिए मादक पदार्थों और संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलनों की ओर से देश के दायित्वों की आवश्यकता पर विचार जगह में डाल दिया गया है। भारत नारकोटिक्स ड्रग्स 1961, पर संयुक्त राष्ट्र एकल कन्वेंशन पर हस्ताक्षर मन: प्रभावी पदार्थ पर विदेशी मुद्रा वेब पोर्टल के लिए डोमेन कन्वेंशन, 1971 और सीमित करने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से नियंत्रण के विभिन्न रूपों लिख जो स्वापक औषधि विदेशी मुद्रा वेब पोर्टल के लिए डोमेन और मन: प्रभावी पदार्थ में अवैध आवागमन पर कन्वेंशन, 1988 है नारकोटिक्स ड्रग्स और चिकित्सा और वैज्ञानिक उद्देश्यों के साथ ही उसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए मादक पदार्थों का उपयोग करें।
नारकोटिक्स के क्षेत्र में प्रशासनिक और विधायी सेटअप संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन की उक्त भावना के अनुसार देश में जगह में डाल दिया गया है। इस संबंध में भारत सरकार के बुनियादी विधायी साधन नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक पदार्थ भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के तहत (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों दवा की मांग और आपूर्ति से संबंधित विभिन्न कार्यों का निष्पादन है कमी। दवा आपूर्ति में कमी के पहलू वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों के मंत्रालय के अधीन विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के बाद देखा जाता है। दवा विदेशी मुद्रा वेब पोर्टल के लिए डोमेन की मांग में कमी के पहलू सामाजिक न्याय और amp के मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है; सशक्तिकरण और ड्रग नशा की है कि इलाज और उनके पुनर्वास के स्वास्थ्य मंत्रालय के डोमेन के अंतर्गत आता है.
एम्स सर्वर हैकिंग के तार चीन से जुड़े जांच एजेंसियों का चौंकाने वाला खुलासा
नई दिल्ली । एम्स सर्वर हैकिंग मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। एम्स के 5 विदेशी मुद्रा वेब पोर्टल के लिए डोमेन प्रमुख सर्वर हैक हुए थे। आशंका है कि ये हैकिंग चीन से हुई। सूत्रों के मुताबिक विदेशी मुद्रा वेब पोर्टल के लिए डोमेन हैकिंग के दौरान पर्सनल डेटा भी लीक हुआ है। एम्स से लीक हुआ ये डेटा डार्कवेब के मैन डोमेन पर भी होने की संभावना है। डार्कवेब वर्ल्ड वाइड वेब का एक हिस्सा है जहां हैक हुआ या अवैध विदेशी मुद्रा वेब पोर्टल के लिए डोमेन डेटा उपलब्ध होता है। डार्क वेब पर हैक किए गए डेटा को अवैध रूप से बेचा और खरीदा जाता है। बताया जा रहा है कि डार्क वेब पर एम्स के डेटा को लेकर चर्चा और डील चल रही थी। इतना ही नहीं डार्क वेब पर एम्स का डेटा 1600 से ज्यादा बार सर्च किया गया। इनमें से कई यूजर्स नेताओं और सेलिब्रिटीज के डेटा को खरीदने का इंतजार भी कर रहे विदेशी मुद्रा वेब पोर्टल के लिए डोमेन थे।
एम्स का सर्वर 23 नवंबर की सुबह 7 बजे से डाउन हुआ था। 24 घंटे बाद भी सर्वर ठीक नहीं हो पाने के बाद एम्स के अफसरों ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया था। एम्स की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज कर लिया था। इस मामले को दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटजिक ऑपरेशन (आईएफएसओ) यूनिट को सौंप दिया गया था। आशंका थी कि एम्स का सर्वर हैक हुआ है।
आईएफएसओ सूत्रों ने बताया कि एम्स के 5 सर्वर हैक हुए थे। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि कोई डेटा लीक नहीं हुआ है। वहीं जो 5 सर्वर हैक हुए थे एफएसएल उनकी जांच कर रही है। संभावना है कि भारत के बाहर से हैकिंग हुई है। हैकर्स कुछ सबूत भी छोड़ गए हैं। ये सबूत आगे की जांच के लिए काफी अहम माने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि हैकर्स विदेशी मुद्रा वेब पोर्टल के लिए डोमेन का मुख्य उद्देश्य पैसों की वसूली था।
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