Merry Christmas 2022: क्रिसमस ट्री को सजाने में इन दिशा और इन चार रंगों का होता है विशेष महत्व, घर में आती है खुशियां | .
Christmas 2022: मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार 25 दिसंबर यानी कल दुनियाभर में क्रिसमस का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। इस खास मौके पर क्रिसमस ट्री सजाने का रिवाज रहा है। क्रिसमस ट्री को सजाने के लिए बेल, स्टार, टॉफी, रिबन आदि के साथ एक-दो नहीं बल्कि चार रंगों का भी इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी रंगों का विशेष महत्व भी होता है। साथ ही क्रिसमस ट्री को वास्तु के अनुसार सही दिशा में ही लगाना चाहिए क्योंकि इससे घर में खुशियां आती है। तो आइए जानते हैं क्रिसमस ट्री को कौन सी दिशा और साथ ही उन चार रंगों के विशेष महत्व के बारे में जानते हैं:
क्रिसमस ट्री को सजाने में इन 4 रंगों का हैं विशेष महत्व
दरअसल रोमनवासी हरे रंग को सौभाग्य का प्रतीक मानते थे। ऐसे में सर्दियों के दौरान इमारतों को रोशन करने के लिए हॉली, आइवी और मिस्टलेटो जैसे पौधों को सजाया जाता है। इसलिए इस कारण से ही क्रिसमस ट्री को सजाने के लिए सबसे पहले हरे रंग का इस्तेमाल किया जाता है । बता दें हरा रंग अक्सर छुट्टियों और नए साल में धन, सौभाग्य और स्वास्थ्य का प्रतीक होता है।
आपको बता दें रेड या फिर लाल रंग क्रिसमस का प्रमुख रंग माना जाता है। दरअसल ये रंग बिशप के वस्त्रों का भी रंग है। इसलिए यही वजह है कि, इस रंग को प्रमुख रंग के रूप में शामिल किया गया है और इस रंग को क्रिसमस सेलिब्रेशन का रंग भी माना गया है।
साथ ही ऐसे में इसी रंग का इस्तेमाल क्रिसमस ट्री के दौरान किया जाता है। दरअसल इस रंग को प्रभु ईशु के खून से भी जोड़कर प्रतिनिधित्व करने वाला भी माना गया है।
दरअसल गोल्डन रंग को आमतौर पर सूर्य के प्रकाश के रंग से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए गोल्डन रंग को क्रिसमस ट्री को सजाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है क्यूंकि यह कलर बहुत ही शुभ और अच्छा लगता है।
सर्दियों में यूरोपियन देशों में बहुत बर्फबारी बढ़ जाती है। ऐसे में सफेद रंग को शांति और पवित्रता का भी प्रतीक माना गया है। इसलिए यही वजह है कि क्रिसमस के पेड़ को सजाने के लिए इसी रंग के स्टार, कपास आदि का इस्तेमाल किया मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार जाता है।
किस दिशा में लगाना चाहिए क्रिसमस ट्री
वास्तु के अनुसार क्रिसमस ट्री को रखने के लिए उत्तर दिशा को सबसे उपयुक्त और शुभ माना जाता है। लेकिन अगर आपके घर में उत्तर दिशा में पर्याप्त जगह नहीं है तो आप चाहें तो इसे उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम में भी रख सकते हैं। अगर वहां भी नहीं रख सकते तो आप क्रिसमस ट्री को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें।
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किसान दिवस के आयोजन के दौरान merikheti.com ने की मासिक किसान पंचायत
किसान भाइयों आपको यह बताते हुए बहुत ही हर्ष महसूस हो रहा है, कि 23 दिसंबर को किसान मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले चौधरी चरण सिंह जी के जन्म दिवस पर merikheti.com द्वारा मुरादग्राम, पुर पुर्सी, मुरादनगर ग़ाज़ियाबाद में किसान गोष्टी एवं मासिक किसान पंचायत का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें कृषि वैज्ञानिकों व काफी संख्या में किसानों ने भाग लिया। मासिक किसान पंचायत का मुख्य उद्देश्य किसानों को सजग बनाना एवं उनके हित में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी उन तक समयानुसार पहुँचाना। किसानों की समस्याओं को सुनने के बाद उनका सही व सटीक समाधान प्रदान करना वैज्ञानिकों का मुख्य उद्देश्य होता है।
merikheti.com द्वारा आयोजित मासिक किसान पंचायत के दौरान डॉ सी.बी. सिंह प्रिंसिपल साइंटिस्ट (RETD) IARI, पूसा दिल्ली व डॉ विपिन कुमार असोसिएट डायरेक्टर / प्रोफेसर (एग्रोनोमी) विशेषज्ञ आर्गेनिक फार्मिंग कृषि विज्ञान केंद्र गौतम बुद्ध नगर , डॉ लक्ष्मी कांत सारस्वत वैज्ञानिक (प्लांट एंड ब्रीडिंग) विशेषज्ञ सीड प्रोडक्शन ऑफ वेजिटेबल कृषि विज्ञान केंद्र हापुड़ merikheti.com के कंटेंट हैड दिलीप कुमार एवं AdbirdMedia Pvt. Ltd. के Co-founder एवं बिज़नेस हैड श्री कृष्ण पाठक जी व merikheti.com की टीम मौजूद रही है।
डॉ सी.बी. सिंह जी का कहना है, कि किसान केवल उत्पादन करने और उसको मंडी में बेचने तक ही सीमित न रहें उनको एक किसान से किसान व्यापारी बनने की नई दिशा की और कदम बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। क्योंकि किसानों की हालत दिन प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है, जबकि व्यवसाय एवं व्यापार करने वाले दिनोंदिन अमीर होते जा रहे हैं, वहीं किसान भुखमरी व गरीबी जैसी समस्याओं से घिरे हुए हैं। इसकी मुख्य वजह किसानों में जागरुकता का अभाव और आधुनिक कृषि की सही जानकारी नहीं होना है। किसान कृषि विशेषज्ञों व कृषि वैज्ञानिकों की सहायता से आधुनिक एवं प्रगतिशील जानकारी लेकर स्वयं व्यापारी की भाँति अपनी फसल का व पैदावार का समुचित प्रबंधन व प्रयोग करें।
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डॉ विपिन कुमार जी ने बताया है, कि जैविक खेती के माध्यम से किसान कम लागत में अच्छा उत्पादन कर सकते हैं। परंतु उनको किसी अच्छे कृषि विशेषज्ञ या कृषि वैज्ञानिक की सलाह के अनुसार ही जैविक खाद बनाना चाहिए। क्योंकि किसान जानकारी के आभाव के कारण जैविक खाद को समुचित रूप से प्रयोग नहीं कर पाते हैं। जैविक कृषि करने के लिए किसानों को जैवक खाद की आवश्यकता होती है। लेकिन किसान तापमान एवं मापदंडो को सही से न जानने की वजह से उसका ढंग से उपयोग नहीं कर पाते हैं। इसी वजह से किसानों को सही पैदावार एवं बेहतर परिणाम नहीं मिलते हैं।
डॉ लक्ष्मी कांत सारस्वत जी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि, आजकल बढ़ती जनसँख्या की वजह से किसानों की भूमि विभाजित होती जा रही है इस वजह से अधिकांश किसान कम जमीन में ही खेती किसानी करके अपनी गुजर बसर करते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति काफी दयनीय है इसकी एक वजह किसानों द्वारा परंपरागत तरीके से की जाने वाली खेती है। किसान आधुनिक कृषि तकनीकों एवं रचनात्मक सोच से कार्य नहीं करेंगे तब तक वह गरीबी एवं भुखमरी जैसी चुनौतियों का सामना करते रहेंगे। इसी संदर्भ में उन्होंने किसानों को बीज उत्पादन करके कैसे कम जमीन में अधिक उत्पादन कर सकते हैं इस बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान की।
merikheti.com के कंटेंट एवं चैनल हेड दिलीप यादव जी ने कहा कि, किसान एकजुट होकर श्रेष्ठतम फसल उत्पादन करें एवं उसको विषमुक्त उत्पाद के नाम से बाजार में बेचें। क्योंकि अत्यधिक रासायनिक खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग से फसल बेहद जहरीली होती जा रही हैं। यदि आपको अनुभव करना है, तो बाहरी बाजार के अनाज को खाकर देखें उसके बाद स्वयं बिना रासायनिक खाद एवं उर्वरक वाले अनाज को खाएं आपके पेट की गैस बता देगी कि कौन-सा अच्छा है और कौन-सा हानिकारक। यदि आप सब किसान एकजुट होकर विषमुक्त उत्पादन करेंगे तो निश्चित रूप से आपके उत्पाद को लोग जो आप चाहेंगे उस मूल्य पर खरीदेंगे आज देश में बीमारियों के बढ़ते प्रकोप की वजह से ऐसे उत्पादों की अत्यंत आवश्यकता है।
AdbirdMedia Pvt. Ltd. के Co-founder एवं CEO श्री कृष्ण पाठक जी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वह किसान परिवार से होने की वजह से किसानों की समस्याओं एवं उनकी आवश्यकताओं के बारे में भली-भांति जानते हैं। इसलिए ही उन्होंने किसानों के हित में merikheti.com वेबसाइट को चालू किया था। वर्तमान में merikheti.com किसानों को सही एवं सटीक जानकारी देने का उत्तम माध्यम है। कृषि क्षेत्र में merikheti.com वेबसाइट अपनी अच्छी खासी पहचान रखती है, इसकी मुख्य वजह किसानों को दी जाने वाली उनके हित में जानकारी है।
किसान दिवस के अवसर पर आयोजित मासिक किसान पंचायत में किसानों ने बढ़चढ़ कर बेबाकी के साथ अपनी समस्याएं अपने सवाल कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष रखें। वैज्ञानिकों ने भी उनके सवालों को ना केवल अच्छी तरह सुना और समझा बल्कि उनके सवालों का जवाब समाधान के साथ दिया है। किसानों को आधुनिक एवं नवीनतम किस्मों की जानकारी भी दी गयी, साथ ही किसानों ने कम लागत में अधिक पैदावार करने की विधियों के बारे में भी जाना है।
जितेंद्र सिंह चौधरी
शैक्षिक योग्यता - बी बी ए एवं ( एम बी ए ) BBA एवं MBA
व्यवसाय - जितेंद्र सिंह चौधरी मेरीखेती (merikheti.com) के सबसे तरुण लेखक हैं। जितेंद्र सिंह किसान और राजनैतिक परिवार से आते हैं। किसानो की समस्या एवं उनकी आवश्यकताओं को भली भांति समझते हैं एवं खेती किसानी व कृषि संबधित नवीन उद्योगों के बारे में पढ़ने व लिखने में रूचि रखते हैं।
RPSC 2nd Grade Teacher Syllabus PDF 2022 in Hindi
राजस्थान सेकंड ग्रेड जीके सिलेबस, RPSC 2nd Grade Syllabus 2022 in Hindi PDF Download | Second Grade Teacher Syllabus Rajasthan in Hindi Pdf | 2nd Grade Teacher Syllabus | सेकंड ग्रेड टीचर सिलेबस इन हिन्दी पीडीएफ़ 2022 (RPSC 2nd Grade Teacher Syllabus PDF 2022) : (RPSC 2nd Grade Teacher GK Syllabus PDF in Hindi) : राजस्थान लोक सेवा आयोग ( RPSC ) द्वारा आयोजित वरिष्ठ अध्यापक प्रतियोगी परीक्षा (RPSC Second Grade Teacher ( RPSC Senior Teacher Syllabus ) का पाठ्यक्रम मे 2 पेपर आयोजित होगा । जिसमे वस्तुनिष्ठ प्रकार के मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार प्रश्न होंगे । अधिकतम 500 अंको दो पेपर होंगे । नीचे आरपीएससी आरपीएससी सेकंड ग्रैड शिक्षक परीक्षा के पेपर प्रथम (RPSC 2nd Grade GK Syllabus) हिन्दी व अँग्रेजी मे सम्पूर्ण पाठ्यक्रम दिया गया है । RPSC Second Grade Syllabus in Hindi | RPSC 2nd Grade Syllabus 2022 | 2nd Grade Syllabus 2022 In Hindi Rajasthan | Science | Maths | SST.
Bajaj ने लॉन्च की बेहद कम कीमत वाली धाकड़ बाइक, जानें फीचर्स
Auto Company : अगर आप किसी बाइक को लेने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम बजाज की एक ऐसी बाइक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे कंपनी ने हाल ही के दिनों में महज ही 72 हजार में लॉन्च किया है. आइए जानते हैं इसकी कीमत।
Haryana News Post : Platina 110 ABS : अगर आप कोई बाइक लेने का मन बना रहे हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें, बजाज ने अपनी नई बाइक प्लेटिना 110 ABS को मार्केट में उतार दिया है जिसकी कीमत को कंपनी ने 72,224 रखा है. कंपनी इस बाइक को आपके सामने 4 कलर में पेश करने जा रही है और सबसे खास बात ये है कि यह 110cc सेगमेंट की पहली और एकमात्र मोटरसाइकिल है, जो अइर के साथ आती है. आइए जानते हैं इसकी पूरी डिटेल।
ऐसा है बाइक का इंजन और गियरबॉक्स :
इस बाइक में आपको 17 इंच का व्हील और 11 लीटर की क्षमता वाला फ्यूल टैंक मिलता है, इंजन को 5 स्पीड गियरबॉक्स के साथ जोड़ा गया है. नई बजाज प्लेटिना 110 ABS में 115.45cc, सिंगल-सिलेंडर, एयर-कूल्ड, फ्यूल-इंजेक्टेड इंजन दिया गया है. यह इंजन 7,000 PRM पर 8.4BHP की पावर और 5,000 PRM पर 9.81nm का पीक टॉर्क जेनरेट करता है. इसमें LED DRL के साथ हैलोजन हेडलैंप यूनिट, सेमी-डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर.
बेहद खास हैं फीचर्स :
बाइक की फीचर की बात की जाए तो इसमें टेलिस्कोपिक फ्रंट और रियर में डुअल स्प्रिंग-लोडेड शॉक एब्जॉर्बर मिलते हैं. ब्रेकिंग के मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार लिए आगे की तरफ सिंगल-चैनल एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) के साथ डिस्क ब्रेक और पीछे ड्रम ब्रेक दिया जाता है. बाइक में एक डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर है, जो बहुत सारी जानकारी दिखाता है. इसमें आपको गियर पोजिशन, गियर गाइडेंस के अलावा अइर का अलर्ट भी मिलता है.
भारतीय बाजार में Bajaj Platina का मुकाबला Hero Splendor Plus, Honda मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार CD 110 Dream और TVS Star City Plus जैसी बाइक्स के साथ है. प्लेटिना कंपनी के लिए सबसे ज्यादा बिकने वाली मोटरसाइकिलों में से एक है. पिछले महीने इसकी 33,702 यूनिट्स बिकी हैं. नवंबर 2021 में बिकी 60,646 यूनिट्स की तुलना में बिक्री 44.4 फीसदी घटी है.
हलाल बैन करने जा रहा कर्नाटक: जानिए कैसे चल रहा आर्थिक जिहाद, क्यों काटने से पहले बेहोश करना इस्लाम में नहीं कबूल
मांस उद्योग कोई छोटा-मोटा उद्योग नहीं है। वास्तव में यह 28 अरब डॉलर से अधिक की आय वाला उद्योग है, जहाँ सिर्फ हलाल मांस के लिए मुस्लिमों को काम पर रखा जाता है। इसी हलाल के चलते ऐसे लाखों लोग, खासतौर से दलित वर्ग के लोग जो परंपरागत रूप से इस काम लगे थे, वे बेरोजगार हो चुके हैं।
झटका और हलाल (Jhatka & Halal Controversy) प्रोडक्ट लंबे समय से बहस का विषय रहे हैं। इस बीच कर्नाटक की भाजपा सरकार ने हलाल मांस को प्रतिबंधित करने के लिए विधानसभा में बिल लाने का फैसला किया है। विधानसभा में यह बिल पास होने के बाद कर्नाटक भारत का पहला राज्य बन जाएगा, जो हलाल मीट पर प्रतिबंध लगाएगा। इस बिल को लेकर कॉन्ग्रेस ने अभी से विरोध करना शुरू कर दिया गया है।
भाजपा विधान परिषद सदस्य एन रविकुमार ने इस बिल को सदन में लाने की पहल की है। इसमें भारतीय खाद्य सुरक्षा और सुरक्षा संघ (FSSAI) के अलावा किसी अन्य संस्था के खाद्य प्रमाणन पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। रविकुमार ने इसे निजी विधेयक के रूप में पेश की का विचार किया था, लेकिन अब वह इसे सरकारी विधेयक के रूप में पेश कर सकते हैं।
कर्नाटक का हलाल मांस विवाद…
कर्नाटक में हलाल मांस को लेकर विवाद की शुरुआत इसी साल मार्च में हुई थी। तब, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रविकु ने हलाल मांस बेचने को आर्थिक जिहाद करार दिया था। उन्होंने कहा था कि हलाल मांस को जिहाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है, ताकि मुस्लिम दूसरों के साथ व्यापार न करें। इसके बाद कुछ अन्य हिंदू संगठनों ने भी हलाल मांस का विरोध किया था। हालाँकि, मुस्लिम संगठन व कॉन्ग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों ने हलाल मांस का समर्थन किया था।
क्या होता है हलाल माँस…?
इस्लाम के मजहबी किताब कुरान और हदीस में मुस्लिमों के खाने के दो प्रकार बताए गए हैं, हलाल और हराम। किसी मांसाहारी प्रोडक्ट के हलाल होने का मतलब यह होता है कि जानवर को मुस्लिम द्वारा ही काटा जाना चाहिए। काटने की यह प्रक्रिया भी निर्धारित है। यदि जानवर किसी और संप्रदाय के व्यक्ति द्वारा काटा जाता है तो इसे मुस्लिम गैर-हलाल यानी हराम बताते हैं।
हलाल, ‘खून की अशुद्धता’ और कुरान के प्रतिबंध
जानकारों का कहना है कि मुस्लिमों को सभी चीजें इस्लामी कानून (शरिया) के अनुसार करनी होती है। इसमें खाना-पीना भी शामिल है। साथ ही, हराम चीजों से बचने के लिए कहा गया है। इस्लाम में सुअर के साथ ही अल्लाह का नाम लिए बिना जिबह (काटे) गए जानवर भी हराम कहे गए हैं। इसके अलावा, कुरान की कई ऐसी आयतें हैं, जिनमें कहा गया है कि मुस्लिमों को खून के सेवन से किसी भी कीमत पर बचना चाहिए। यानी, खून को इस्लाम में हराम माना गया है।
हलाल तरीके से जानवरों की जिबह
इस्लाम में कहा गया है कि जानवरों को जिबह (काटने) से पहले उसे अच्छी तरह से खाना-पानी दिया जाना चाहिए। इसके बाद ही जानवर को काटना चाहिए। यही नहीं, इस्लाम कहता है कि हलाल केवल एक समझदार, वयस्क मुस्लिम व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए, जो इस्लामी रीति-रिवाजों से परिचित हो। यदि जानवर को अल्लाह का नाम लिए बिना काटा जाता है तो यह हराम है। साथ ही, किसी गैर-मुस्लिम द्वारा जानवर को काटा जाना भी हराम कहलाता है।
क्या है झटका मांस…?
सीधे शब्दों में कहें तो झटका, जैसा कि शब्द से पता चलता है, का अर्थ है “तेज”। वध की झटका विधि में पशु को बिना किसी कष्ट के तुरंत मार दिया जाता है। झटका में जानवर का सिर तुरंत काट दिया जाता है। हलाल और झटका के बीच एक और महत्वपूर्ण अंतर यह है कि झटका कोई धार्मिक प्रक्रिया नहीं है। झटका का मूल विचार जानवर को कम से कम यातना देकर मारना है। वहीं, हलाल में उसे तड़प-तड़प कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।
सिखों में वर्जित है हलाल…
हलाल को बढ़ावा गैर-मुस्लिमों पर इस्लामी सिद्धांतों को लागू करने की एक प्रक्रिया भी है। एक गैर-मुस्लिम यानी हिंदू या सिख आदि को अल्लाह के नाम पर कुर्बान किए गए मांस को खाने के लिए मजबूर किया जाता है। सिख अपनी धार्मिक मान्यताओं के कारण हलाल मांस का सेवन नहीं करते हैं।
सिख हलाल प्रक्रिया को “कुट्टा” (Kuttha) कहते हैं, जिसका अर्थ है धीमी, दर्दनाक प्रक्रिया में जानवर को मारने के बाद प्राप्त मांस। सिख इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, सिखों के अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने 1699 में खालसा के आदेश का जिक्र करते हुए कुट्टा या हलाल भोजन करने से परहेज करने का आदेश दिया था।
गैर-मुस्लिम दे रहे हैं अपनी सुपारी: Dr. झटका
‘Dr. झटका’ और ‘King of झटका revolution’ कहे जाने वाले रवि रंजन सिंह ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा था कि भोज्य पदार्थ, चाहे वे आलू के चिप्स क्यों न हों, को ‘हलाल’ तभी माना जा सकता है जब उसकी कमाई में से एक हिस्सा ‘ज़कात’ में जाए। इस जकात को वे जिहादी आतंकवाद को पैसा देने के बराबर मानते हैं। जब कोई गैर-मुस्लिम हलाल वाला भोजन खरीदता है तो वह उसका एक हिस्सा अपने ही खिलाफ होने जा रहे जिहाद को आर्थिक सहायता देने में खर्च करता है। इसे वह ‘हलालो-नॉमिक्स’ यानी हलाल का अर्थशास्त्र कहते हैं। “हलालो-नॉमिक्स का अर्थ है आप अपनी सुपारी खुद दे रहे हैं।”
इसमें भी बड़ी बात यह है कि किसी मांसाहारी प्रोडक्ट के हलाल होने का मतलब यह होता है कि जानवर को मुस्लिम द्वारा ही काटा जाना चाहिए। यदि किसी और के द्वारा काटा जाता है तो इसे मुस्लिम गैर-हलाल बताते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि हलाल और गैर-हलाल मांस के चलते लगभग सभी बूचड़खानों में केवल मुस्लिमों को ही नौकरी में रखा जाता है। इसका कारण यह है कि कोई भी हलाल और गैर-हलाल के लिए अलग-अलग बूचड़खाने खोलना अपेक्षाकृत महंगा मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार साबित होगा।
मांस उद्योग कोई छोटा-मोटा उद्योग नहीं है। वास्तव में यह 28 अरब डॉलर से अधिक की आय वाला उद्योग है, जहाँ सिर्फ हलाल मांस के लिए मुस्लिमों को काम पर रखा जाता है। इसी हलाल के चलते ऐसे लाखों लोग, खासतौर से दलित वर्ग के लोग जो परंपरागत रूप से इस काम लगे थे, वे बेरोजगार हो चुके हैं।
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