विेदेशी बाजारों में गिरावट से तेल-तिलहनों के भाव टूटे, बिनौला में सुधार
नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव कमजोर हो गये। दूसरी ओर मंडियों में बिनौला की आवक कम होने और नमकीन बनाने वाली कंपनियों की मांग की वजह से बिनौला तेल कीमतें सुधार दर्शाती बंद हुईं।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट रही। जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल एक प्रतिशत नीचे है।
सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार में बिनौला तेल खली के जनवरी, 2023 माह में डिलिवरी वाले अनुबंध का भाव 3.5 प्रतिशत बढ़ा है जिससे देश में करोडों की संख्या में मौजूद मवेशियों के आहार महंगे होंगे। यह स्थिति देश के मवेशी पालन और दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए अच्छा संकेत नहीं है जो सालाना लगभग 13.3 करोड़ टन दूध का उत्पादन करते हैं। देश में बड़ी संख्या में किसान, निजी उपयोग और अतिरिक्त लाभ पाने के लिए, खेती के साथ साथ मवेशी पालन करते हैं। इससे दूध और दुग्ध उत्पादन प्रभावित हो सकता है क्योंकि मवेशियों के आहार में प्रयोग होने वाले खल में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान बिनौला खल का ही होता है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने जिस तरह तेल-तिलहनों के वायदा कारोबार पर रोक की समयसीमा को बढ़ाया है उसके दायरे में बिनौला तेल खली को भी लाना चाहिये।
सूत्रों ने दावा किया कि कई बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मलेशिया और अन्य स्थानों पर तेल प्रसंस्करण संयंत्र हैं। वायदा कारोबार प्रतिबंधित किये जाने के पहले जब आयातक सोयाबीन, सीपीओ का आयात करती थे तो ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां, आयातकों को जिस भाव से तेल बिक्री करती थी उस खेप के देश में पहुंचने तक वायदा कारोबार में सट्टेबाजों की सहायता से दाम नीचे चलवा दिए जाते थे। बैंकों में अपनी साख चलाते रहने के लिए आयातकों को नीचे वायदा भाव के हिसाब से मजबूरन अपना माल बेचना पड़ जाता था और बेचने वाली कंपनी ही यहां आयातकों से कांडला बंदरगाह पर तेल खरीद लेती थी, जिसे रिफाइंड करके बाजार में बेच दिया जाता था।
सूत्रों ने कहा कि ऐसी बड़ी कंपनियों का मकसद देश के तेल-तिलहन कारोबार पर कब्जा जमाना प्रतीत होता है। इसी वजह से कई आयातकों का बैंक कर्ज डूबा है और बैंकों ने उन्हें नकारात्मक सूची में डाल दिया है। देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिए वायदा कारोबार पर रोक रखना इस वित्तीय बाजारों के प्रकार कारण से काफी अहम है।
इंदौर स्थित तेल संगठन ‘सोपा’ के अध्यक्ष दाविश जैन ने भी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा तेल- तिलहन के वायदा कारोबार पर अगले एक साल के लिए प्रतिबंध बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया है और इसे तेल उद्योग, किसान और उपभोक्ता के हित में बताया है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार के शुल्कमुक्त आयात की छूट अगर केवल उन प्रसंस्करण करने वाली तेल मिलों को दी जाये जो बदले में सोयाबीन के डीआयल्ड केक (डीओसी) का निर्यात करें तो सरकार की तेल कीमतों में कमी लाने की कोशिश को कामयाबी मिलेगी।
तेल-तिलहनों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध बढ़ाये जाने का स्वागत करते हुए सूत्रों ने कहा कि जिस देश में खाद्य तेलों की लगभग 60 प्रतिशत की कमी हो, वहां वायदा कारोबार में भाव लगभग छह रुपये किलो नीचे हो, यह सट्टेबाजी और निहित स्वार्थ के बगैर कैसे संभव हो सकता है? इस पर गौर करने की जरूरत है कि कौन लोग तेल तिलहन कारोबार पर दबदबा कायम करना चाहते हैं।
बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,040-7,090 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,485-6,545 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,250 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,वित्तीय बाजारों के प्रकार 445-2,710 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,140-2,270 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,200-2,325 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,550 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,100 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन 2एक्स- कांडला- 9,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,625-5,725 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 5,435-5,485 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
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मार्केट रेगुलेटर सेबी ने म्यूचुअल फंड्स द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क और खर्च का अध्ययन शुरू किया
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने mutual fund schemes के साथ-साथ मार्केट प्रैक्टिसेज में फीस और खर्च के लिए लागू मौजूदा प्रावधानों का विस्तृत अध्ययन भी शुरू किया है। इस स्टडी के आधार पर यदि जरूरी होगा तो सार्वजनिक परामर्श के बाद stakeholder की स्थापित प्रक्रिया के साथ-साथ उचित नीतिगत उपाय भी करने के वित्तीय बाजारों के प्रकार प्रयास किये जाएंगे
बाजार में फिलहाल म्यूचुअल फंड सेक्टर में 43 कंपनियां हैं जो कुल मिलाकर 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक एसेट को मैनेज करती हैं
कैपिटल मार्केट्स रेगुलेटर सेबी (Capital markets regulator Sebi ) ने शुक्रवार को कहा कि उसने म्यूचुअल फंड्स (mutual funds) द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क और खर्च का विस्तृत अध्ययन शुरू कर दिया है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India (Sebi) ने एक बयान में कहा कि नीति निर्माण के लिए इनपुट के रूप में ये अध्ययन डेटा प्रदान करने का प्रयास करेगा। इस अध्ययन के बाद बनाई जाने वाली नीतियां वित्तीय समावेशन (financial inclusion) को सुविधाजनक बनाने का प्रयास करेंगी। इसके साथ ही बाजार में जुड़ने वाले नए प्रतिभागियों या भागीदारों को प्रोत्साहित करने की कोशिश करेंगी।
इसके अलावा से इस अध्ययन से बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाने की सुविधा मिलेगी। नई टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। इससे स्कीम्स में क्रॉस सब्सिडी को हतोत्साहित करने का प्रयास किया जायेगा। साथ ही आर्बिट्रेज के अवसरों को बंद करने की कोशिश की जायेगी। इसके अलावा किसी भी प्रकार के कदाचार (malpractices) पर अंकुश लगा वित्तीय बाजारों के प्रकार कर संतुलन बैठाने का प्रयास किया जायेगा।
दिव्यांगजन को राज्य निधि मद से वित्तीय सहायता प्रदान किये जाने हेतु करे आवेदन
उ०प्र० के दिव्यांगजन द्वारा बनाये गये चित्रों, हस्तकला आदि सहित उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनी एवं कार्यशालाओं हेतु धनराशि सहायता के वित्तीय बाजारों के प्रकार रूप में उपलब्ध कराना, उ0प्र0 के दिव्यांगजन जिनका खेल/ललित कला/संगीत/नृत्य/फिल्म/थियेटर/साहित्य जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन हो, उन्हें राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय आयोजनों में प्रतिभाग किये जाने एवं खेल आयोजन हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना, दैनिक जीवन के गतिविधियों को बेहतर बनाने के लिए बैंच मार्क दिव्यांगता के व्यक्तियों को उच्च सहायता वाले उपकरण क्रय हेतु वित्तीय सहायता तथा उ0प्र0 के दिव्यांगजन जो गम्भीर बीमारियों यथा- कैंसर, थैलीसीमिया, प्लास्टिक एनीमिया, बहुस्केलोरोसिस से ग्रसित हों अथवा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से आच्छादित न हो, को चिकित्सा हेतु वित्तीय सहायता है।
इच्छुक/पात्र दिव्यांगजन/संस्थाएं को वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य निधि" मद से वित्तीय सहायता प्रदान किये जाने हेतु योजनार्न्तगत आवेदन वांछित प्रपत्रों/अभिलेखों सहित निदेशक,दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, उ०प्र० को अग्रसारित किये जाने हेतु किसी भी कार्यदिवस को कार्या0 जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी, पंचायत भवन परिसर, कैसरबाग, लखनऊ में जमा कर सकते है।
शेयर बाजार नई ऊंचाई पर, सेंसेक्स 255 अंक उछला; आईटी, वित्तीय शेयरों में तेजी
मुंबई, 15 जुलाई (भाषा) बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों बृहस्पतिवार को रिकार्ड स्तर पर बंद हुए। कंपनियों के बेहतर वित्तीय परिणाम के संकेत के बीच सूचकांक में मजबूत हिस्सेदारी रखने वाले एचडीएफसी बैंक, एल एंड टी और एचसीएल टेक में तेजी के साथ बाजार में मजबूती आयी।
तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 254.75 अंक यानी 0.48 प्रतिशत उछलकर रिकार्ड 53,158.85 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान भी यह अबतक के उच्चतम स्तर 53,266.12 अंक तक चला गया था।
इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 70.25 अंक यानी 0.44 प्रतिशत की तेजी के साथ अबतक के सर्वोच्च स्तर 15,924.20 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 15,952.35 के रिकार्ड ऊंचाई तक गया था।
सेंसेक्स के शेयरों में 5 प्रतिशत से अधिक की तेजी के साथ सर्वाधिक लाभ में एचसीएल टेक का शेयर रहा। इसके अलावा एल एंड टी, टेक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, आईटीसी और टाटा स्टील में भी अच्छी तेजी रही।
दूसरी तरफ, भारती एयरटेल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एशियन पेंट्स, टाइटन और सन फार्मा समेत अन्य शेयर नुकसान में रहे।
एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख एस रंगनाथन ने कहा, ‘‘वैश्विक निवेशक मुद्रास्फीति आंकड़े और फेडरल रिजर्व की टिप्पणियों से बाहर आ गये हैं। घरेलू बाजार में तेजड़िये आर्थिक पुनरूद्धार को महत्व दे रहे हैं। आईटी शेयर लगातार बाजार को नई ऊंचाई दे रहे हैं।’’
रंगनाथन के अनुसार ऐसा लगता है कि बाजार में सुधार आने का इंतजार कर रहे निवेशकों को राहत देने को फिलहाल तैयार नहीं है। सत्र के दौरान दूसरे क्षेत्रों ने अपनी भूमिका निभाई। पूंजीगत सामान क्षेत्र ने अच्छी वापसी की और व्यापक स्तर पर सीमेंट, रियल एस्टेट और फार्मा शेयरों में भी गतिविधियों से बाजार को मजबूती मिली।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर के अनुसार, ‘‘एशियाई बाजारों में सकारात्मक रुख और पहली तिमाही में कपनियों वित्तीय बाजारों के प्रकार की आय बेहतर रहने तथा मांग में सुधार से रियल्टी, आईटी, वित्तीय और धातु शेयरों में बढ़त से भारतीय शेयर बाजारों में तेजी रही और उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
उन्होंने कहा कि चीन में आर्थिक आंकड़ा अनुमान से बेहतर रहने के कारण एशियाई बाजार बढ़त में रहे। वहीं फेडरल रिजर्व के आधिकारिक बयान में नरम रुख रखने की बात कहे जाने से वैश्विक बाजारों में तेजी रही। इससे नीतिगत दर में बदलाव का जोखिम कम हुआ है।
क्षेत्रवार सूचकांकों में बीएसई रियल्टी, पूंजीगत सामान, आईटी, औद्योगिक, धातु, मूल सामग्री और बैंक सूचकांकों में 4 प्रतिशत तक की तेजी रही।
दूसरी तरफ, तेल एवं गैस, ऊर्जा और वाहन सूचकांकों में 0.87 प्रतिशत तक की गिरावट आयी।
मझोली और छोटी कंपनियों के सूचकांक 0.43 प्रतिशत तक मजबूत हुए।
एशिया वित्तीय बाजारों के प्रकार के अन्य बाजारों में शंघाई, सियोल और हांगकांग लाभ के साथ बंद हुए जबकि तोक्यो नुकसान में रहा।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में मध्याह्न कारोबार में गिरावट का रुख रहा।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.70 प्रतिशत टूटकर 74.24 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
Nirmala Sitharaman : बैंक ऐसे लगते हैं आपको चूना, खुद वित्त मंत्री ने दिए इसके लिए निर्देश
HR Breaking News, New Delhi : बैंक विजिट में आपने नोटिस किया होगा कि बैंक स्टॉफ की तरफ से आपको बीमा पॉलिसी बेचने की कोशिश की जाती है. कई बार आप बैंक स्टॉफ के कहने पर बीमा पॉलिसी ले भी लेते हैं. लेकिन शायद ही उसके बारे में आपको पूरी जानकारी दी गई हो. ऐसे ही मामलों के सामने आने के बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से एक पत्र लिखा गया है. फाइनेंस मिनिस्ट्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को ग्राहकों को इंश्योरेंस पॉलिसी की बिक्री के लिए 'अनैतिक व्यवहार' (Unethical Practices ) पर रोक लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र बनाने का निर्देश दिया है.
वित्तीय सेवा विभाग को मिलीं शिकायतें
वित्त मंत्रालय के संज्ञान में लगातार इस तरह के मामले आ रहे हैं कि ग्राहकों को बीमा उत्पादों की बिक्री के लिए सही जानकारी नहीं दी जाती. इसी के मद्देनजर वित्त मंत्रालय की तरफ से यह कदम उठाया गया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों को लिखे पत्र में कहा गया है कि वित्तीय सेवा विभाग को शिकायतें मिली हैं कि बैंक और जीवन बीमा कंपनियों की तरफ से बैंक ग्राहकों को पॉलिसी की बिक्री के लिए धोखाधड़ी वाले और अनैतिक तरीके अपनाए जा रहे हैं.
टियर-2 और टियर-3 सिटी के ज्यादा मामले
इस तरह के उदाहरण भी सामने आए हैं, जहां टियर-2 और टियर-3 शहरों में 75 साल से अधिक आयु वाले ग्राहकों वित्तीय बाजारों के प्रकार को जीवन बीमा पॉलिसी बेची गई है. आमतौर पर, बैंकों की तरफ से अपनी सहयोगी बीमा कंपनियों के उत्पादों का प्रचार-प्रसार किया जाता है. ग्राहकों द्वारा पॉलिसी लेने से इनकार किया जाता है तो ब्रांच के अधिकारी बड़ी शिद्दत से समझाते कि उनपर ऊपर से दबाव है. जब ग्राहक किसी प्रकार का लोन लेने या सावधि जमा खरीदने जाते हैं, तो उन्हें इंश्योरेंस आदि लेने के लिए कहा जाता है.
इस बारे में विभाग की तरफ से पहले ही लेटर जारी किया गया है. इसमें यह सलाह दी गई कि किसी बैंक को किसी विशेष कंपनी से बीमा लेने के लिए ग्राहकों को मजबूर नहीं करना चाहिए. यह भी बताया गया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने आपत्ति जताई है कि बीमा प्रोडक्ट की बिक्री के लिए प्रोत्साहन से न केवल फील्ड कर्मचारियों पर दबाव पड़ता है बल्कि बैंकों का मूल कारोबार भी प्रभावित होता है. ऐसे में कर्मचारियों को कमीशन और प्रोत्साहन के लालच की वजह से कर्ज की गुणवत्ता से ‘समझौता’ हो सकता है.
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