How candlestick charts work and what timeframe to choose
There are two basic types of charts available in Forex: Line and Japanese Candlestick. Let’s look closer at both of them.
Line charts
Line Charts are the simplest, as they only connect closing prices over a given time period and depict the general price trend.
You can use this type of chart as an overlay or for comparing charts when performing an inter-market analysis.
For example, you might compare the prices of the Australian dollar and gold using a line chart.
Candle charts
Japanese Candlesticks offer the most popular form of charting.
The candle chart bears much more information than the line chart and it is represented in an easy-to-grasp visual form.
The real body marks the area between the open and the close स्टॉक चार्ट के प्रकार price. If price closes above the open, the body is hollow. If the price ends up closing lower, the body is solid.
The hollow candle is referred to as white, and the solid candle is called black, though, in reality, the chart can be shown in any color.
The narrow line - called a shadow - shows the price range for the set time period.
One Japanese candlestick is basically a linear chart representing a price for a selected timeframe but shown in a more compact form.
Take a look at how a linear chart that represents a growing price converts into a white Japanese five-minute candle.
Now, this is how a linear chart that represents a falling price converts into a black Japanese five-minute candle:
What timeframe to choose for the chart
Traders use monthly, weekly, daily, 4-hour, hourly, 15-minute and even 1-minute timeframes.
Ideally, traders pick the main timeframe they are interested in and then choose a longer and a shorter timeframe to complement the main one.
The longer timeframes typically contain fewer and more reliable signals. The shorter timeframes usually contain more signals with less accuracy.
There are several types of traders, and they have different trading styles.
Swing or position traders prefer holding trades for days or weeks.
They mainly focus on the daily charts for their trades. They can also make use of a weekly chart when defining the long-term trend, as you can see on the example. And track a 4-hour chart when defining the immediate short-term trend.
Intraday traders, who enter and exit the market the same day, pay more attention to shorter timeframes such as the hourly and 4-hour charts for entry signals, and the daily chart for the broader trend.
चार्ट पैटर्न कितने प्रकार के होते हैं ?
चार्ट पैटर्न तीन प्रकार के होते हैं :- चार्ट पैटर्न बहुत प्रकार के होते हैं जब हम किसी के जो मार्केट में जो सौदा हुआ रहता है वह जो आकृति दर्शाता है उसे उसका चार्ट पैटर्न कहते हैं! चार्ट पैटर्न ना बहुत प्रकार के हो सकते हैं ! आप किसी भी चार्ट को उससे उसकी आकृति के अनुसार उसे उसका नाम दे सकते हैं !
ऊपर के ऊपर जाने वाले चार्ट :- इस तरह के चार्ट के दिशा ऊपर के तरफ होती और यह चार्ट के दिशा ऊपर के तरफ होती है ! यह चार्ट में हमे लॉन्ग टाइम में हमे अच्छा रिटर्न है !
निचे के तरफ जाने वाले चार्ट :- यह चार्ट कि जो दिशा होती है वह निचे के तरफ होती है यह चार्ट में जो शेयर होता है वह नुकसान होता है इसमें हमे केवल नुकसान होता है , इस तरह के स्टॉक से हमे बच कर रहना होता है इसमें हमे निवेश नहीं करना है
एक जगह के आसपास रहने वाले चार्ट :- इसे तरह के चार्ट एक प्राइस के आस पास घुमाती रहती है यही स्टॉक एक सीमा के न तो आगे जाती है ना जाती तो निचे जाते इस तरह के स्टॉक में भी हमें निवेश नहीं करना चाहिए अगर कोई कंपनी बहुत अच्छा हो तब हमें एक बड़े ब्रेकआउट का इंतजार करना चाहिए और जब वह ब्रेकआउट आ जाता है यानी से अपनी रेंज से आगे बढ़ जाता है तब हमें उस शेयर में निवेश करना चाहिए!
21 साल में तीसरी बार अशुभ संकेत, 'डेथ क्रॉस' जोन में अमेरिकी बाजार!
Death Cross News: पिछले कुछ हफ्तों से घरेलू शेयर बाजारों के साथ-साथ दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है. रूस-यूक्रेन संकट और कमजोर संकेत इसके मुख्य कारण बताए जा रहे हैं. इसी बीच Nasdaq चार्ट पर डेथ क्रॉस में आ गया. जानिए इसका मतलब.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 20 फरवरी 2022,
- (अपडेटेड 20 फरवरी 2022, 2:25 PM IST)
- 'डेथ क्रॉस' फॉर्मेशन को निवेशक मानते हैं अशुभ
- दो साल में पहली बार अशुभ संकेत
नैस्डेक कंपोजिट इंडेक्स (Nasdaq Composite Index) की ट्रेडिंग का चार्ट पैटर्न शुक्रवार को 'डेथ क्रॉस' (Death Cross) फॉर्मेशन में आ गया. स्टॉक मार्केट में इंवेस्ट करने वाले इस पैटर्न को अशुभ मानते हैं. यह गिरावट का संकेत माना जाता है.
अतीत के आंकड़े बताते हैं कि 'डेथ क्रॉस' चार्ट पैटर्न कुछ समय के लिए स्टॉक मार्केट पर काफी भारी पड़ता है और इससे बाहर निकलने में मार्केट को अच्छा-खासा वक्त निकल जाता है. हालांकि, अभी यह अस्पष्ट नहीं है कि ये फॉर्मेशन आने वाले समय में ट्रेडर्स को ज्यादा परेशान करने वाला है या ये थोड़े दिन की बात है.
दो साल में पहली बार अशुभ संकेत
इससे पहले अप्रैल, 2020 में Nasdaq डेथ क्रॉस फॉर्मेशन में आया था. वह समय अलग था. कोरोना महामारी की वजह से चारों और Uncertainty थी. निवेशकों को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि ये गिरावट कितने लंबे वक्त तक रहने वाली है. अभी अनिश्चितता काफी हद तक कम हो गई है. ऐसे में मार्केट के डेथ क्रॉस फॉर्मेशन की वजह से निवेशकों में एक तरह की बेचैनी देखने को मिल रही है.
नवंबर से अब तक आ चुकी है काफी गिरावट
नैस्डेक कंपोजिट इंडेक्स शुक्रवार को 1.2 फीसदी लुढ़क गया. 19 नवंबर, 2021 को नैस्डेक काफी उच्च स्तर पर था. उस समय से अब तक उसमें करीब 16 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
डेथ क्रॉस पैटर्न के बारे में जानिए (What is Death Cross Pattern)
यह स्टॉक मार्केट के ट्रेडिंग पैटर्न से जुड़ा होता है. चार्ट पर एक खास तरह का पैटर्न बनने पर इसे डेथ क्रॉस पैटर्न कहते हैं. जब इंडेक्स का 50 दिनों का मुविंग एवरेज 200 दिनों के मुविंग एवरेज से नीचे चला जाता है तो चार्ट पर यह पैटर्न बन जाता है. डेथ क्रॉस पैटर्न बनने के बाद निवेशक सतर्क हो जाते हैं क्योंकि उनका मानना होता है कि शेयर बाजार में अब लंबे समय तक गिरावट जारी रह सकती है.
डेथ क्रॉस बनने पर साल 2000 में क्रैश हुआ था मार्केट
साल 2000 के जून महीने में भी न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर कुछ इसी प्रकार का डेथ क्रॉस पैटर्न बना था. उस वक्त डॉटकॉम कंपनियों के शेयर बुरी तरह लुढ़क गए थे. जनवरी 2008 में भी ऐसा ही डेथ क्रॉस पैटर्न बनता हुआ देखा गया. इसके बाद पूरी दुनिया में आर्थिक संकट देखने को मिला था.
इन वजहों से आ रही है गिरावट
कमजोर वैश्विक संकेतों और रूस-यूक्रेन तनाव के बीच भारतीय शेयर बाजारों सहित दुनियाभर के शेयर बाजारों में भी पिछले कुछ समय से गिरावट का दौर देखा जा रहा है. भारतीय बाजारों की बात की जाए तो विदेशी संस्थागत निवेशक की तरफ से भारी बिकवाली भी एक वजह रही है. बीएसई सेंसेक्स इस साल की शुरुआत से 2.28 फीसटी टूटा है, जबकि निफ्टी में 1.98 फीसदी की गिरावट आई है.
MS Excel Stock Chart in Hindi – Types Of Excel Charts in Hindi
MS Excel Stock Chart in Hindi: – इस पोस्ट मे हम “Stock Chart” के बारे मे देखेंगे और सीखेंगे की कैसे Stock Chart बनाते है, इस पोस्ट के पहले मैंने एक और पोस्ट लिखी है, जिसमे मैंने चार्ट्स के प्रकार और Area चार्ट के बारे मैं काफी अच्छे से बताया है।
पिछले पोस्ट को देखने ने लिया यहाँ क्लिक करे ।
Stock Chart: – हर किसी चार्ट का अपना महत्व होता है जैसे की “Stock Chart”, इस चार्ट का उपयोग तब किया स्टॉक चार्ट के प्रकार जाता है जब आप के पास Stock से रिलेटेड डाटा होता है, जैसा की आप सब ने शेयर मार्केट के बार मे तो सुना ही होगा, और आप ये जानते होंगे की शेयर की वैल्यू बढ़ती और घटती है तथा सभी शेयर का वॉल्यूम (VOLUME) होता, तो अगर आप के पास ये सभी डाटा रिकॉर्ड के रूप मे हैं तो आप “Stock Chart” बना सकते है।
जैसा की आप नीचे दिए हुवे इमेज मे देख सकते है।
ऊपर दिए हुए इमेज स्टॉक चार्ट के प्रकार मे आप देख सकते है की “SYMBOL” “VOLUME” “OPEN” “HIGH” “LOW” “CLOSE” कॉलम दिख रहे है , याद रहे की बिना इन कॉलम के आप स्टॉक चार्ट (“Stock Chart”) नहीं बना सकते है, क्योकि ये चार्ट सिर्फ और सिर्फ स्टॉक्स के उतार चढ़ाव को दिखाने के लिए है और अगर ये कॉलम आप के पास ना होंगे तो आप “Stock Chart” नहीं बना सकते है।
Stock Chart मूलतः छः (6 ) तरीके के होते है, इन सभी तरीको मे चार्ट के दिखने के तरीके मे बदलाव आ जाता है।
1- High-Low-Close :-
इस चार्ट को बनाने के लिए “HIGH” “LOW” “CLOSE” प्राइस (Price ) आप के स्प्रेडशीट के कॉलम मे रहनी चाहिए और चार्ट को सेलेक्ट करने के पहले ये तीन कॉलम सिलेक्ट होने चाहिए, अन्यथा आप इस चार्ट को नहीं बना सकते।
2- Open-High-Low-Close :-
इस चार्ट को बनाने के लिए “OPEN” “HIGH” “LOW” “CLOSE” प्राइस (Price ) आप के स्प्रेडशीट के कॉलम मे रहनी चाहिए और चार्ट को सेलेक्ट करने के पहले ये चार कॉलम सिलेक्ट होने चाहिए, अन्यथा आप इस चार्ट को नहीं बना सकते।
3- Volume-High-Low-Close :-
इस चार्ट को बनाने के लिए “VOLUME” “HIGH” “LOW” “CLOSE” प्राइस (Price ) आप के स्टॉक चार्ट के प्रकार स्प्रेडशीट के कॉलम मे रहनी चाहिए और चार्ट को सेलेक्ट करने के पहले ये चार कॉलम सिलेक्ट होने चाहिए, अन्यथा आप इस चार्ट को नहीं बना सकते।
4- Volume-Open-High-Low_Close :-
इस चार्ट को बनाने के लिए “VOLUME” “OPEN” “HIGH” “LOW” “CLOSE” प्राइस (Price ) आप के स्प्रेडशीट के कॉलम मे रहनी चाहिए और चार्ट को सेलेक्ट करने के पहले ये पांच कॉलम सिलेक्ट होने चाहिए, अन्यथा आप इस चार्ट को नहीं बना सकते।
ये दिए गए सभी चार्ट्स को बनाने का तरीका एक ही होता है बस आप को कुछ ऑप्शन अलग सेलेक्ट करने पड़ते है।
हम चौथे नंबर का चार्ट बनाएंगे जो की “Volume-Open-High-Low_Close ” है, याद रहे जैसा की मैंने ऊपर कहा है की इस चार्ट को बनाने के लिए “VOLUME” “OPEN” “HIGH” “LOW” “CLOSE” प्राइस (Price ) कॉलम आपके स्प्रेडशीट मे रहना चाहिए।
तो चलिए देखते है की “Stock Chart” को बनाने किए लिए कौन से स्टेप्स को फॉलो करना पड़ता है।
1 – सबसे पहले तो आपके spreadsheet मे डाटा होना चाहिए, जैसे की मेरे spreadsheet मे नीचे दिए गए रिकॉर्ड है।
2 – अब ऊपर दिए गए डाटा (या आपके पास जो भी डाटा हो) को सेलेक्ट करे, याद रहे की हम चौथे नंबर का चार्ट बना रहे है ।
और इसके लिए “VOLUME” “OPEN” “HIGH” “LOW” “CLOSE” प्राइस (Price ) को सेलेक्ट करते हुए नीचे दिए हुए स्टेप्स को करे।
ऊपर दिए हुए इमेज के स्टेप्स के आधार पर, आप का चार्ट बन कर तैयार हो जाएगा।
3 – अब इस चार्ट की कलर फोर्मेटिंग करेंगे, मतलब की इसे दिखने मे थोड़ा अच्छा बनाएंगे,और चार्ट का टाइटल नाम भी बदलेंगे (अपने आप “Chart Title ” करके नाम आएगा पर जब आप इस पर डबल क्लिक करेंगे, तब आप इसका नाम बदल सकेंगे जैसे की मैंने नीचे दिए हुए चार्ट का नाम “Stock Chart” कर दिया है।
इसके लिए नीचे दिए हुए स्टेप्स को फॉलो करे।
और इस तरीके से आप का “Stock Chart” बन कर तैयार हो जाता है।
तो आज के पोस्ट से हमने MS Excel Stock Chart का उपयोग और उसे कैसे बनाये ये सीखा अब नेक्स्ट पोस्ट मे हम MS Excel Surface Chart के बारे मे देखेंगे।
चार्ट कितने प्रकार के होते हैं?
अगर आप चार्ट्स के टाइप्स में popular चार्ट्स को देखेंगे, तो उस लिस्ट में लाइन, बार, पाई और हिस्टोग्राम्स जैसे चार्ट्स को पाएंगे। ग्राफ्स के जरिये आप डेटा को visualize और statistics को समझ सकते है। क्योंकि आपके प्रोजेक्ट्स लोगों को तभी effective लगेगा, जब उसके साथ एक powerful और effective डेटा ग्राफ रहेगा। क्योंकि इससे समझने में काफी आसानी होती हैं।
इस आर्टिकल में हम कुछ चार्ट्स / ग्राफ के बारे में जानेंगे।
Bar Chart
Bar Chart सबसे common data visualizations में से एक है, जिसका इस्तेमाल आप अलग-अलग categories के data को compare करने में करते है। इसके साथ ही इससे आप highlight differences, show trends & outliers को समझ सकते है। इसीलिए बार चार्ट्स अधिकतर तभी इफेक्टिव होते है जब आपके पास multiple categories में split होने वाले data होते है।
आमतौर पर सभी चार्ट्स को compare करने पर, बार चार्ट को बेहतर माना जाता है। क्योंकि इसमें data or numbers के विशाल सेट्स को compare करने और देखने में आसानी होती है। इसीलिए इस चार्ट को Marketing में काफी यूज किया जाता है।
Pie Chart
Pie Chart का इस्तेमाल एक बड़े हिस्से को compare करने में सबसे efficient tool माना जाता है। pie chart को बजट, जनसँख्या गिनती जैसे कामों में यूज किया जाता है।
मार्केटिंग कंटेंट डिजाइनर्स अक्सर मार्केट सेग्मेंट्स को compare करने के लिए पाई चार्ट का यूज करते है। जैसे की इसके जरिये आप clearly समझ जायेंगे की आज के टाइम पर सबसे ज्यादा popular mobile phone कौन सा है।
हालाँकि पाई चार्ट viewer को आसानी से accurate information नहीं देता है। और आपको खुद से context create करना पड़ता है, जिसके चलते कुछ हद तक आपके डाटा के key points के खो जाना आम हो जाता है।
Line Chart
Line chart के जरिये एक पर्टिकुलर टाइम पीरियड में चलने वाले ट्रेंड को दिखाने की छमता रखता है। उदाहरण के लिए, ग्राफ का एक अक्ष a variable value रिप्रेजेंट करता है, जबकि दूसरा अक्ष timeline को दिखाता है।
सभी values को chart पर प्लॉट किया जाता है, और फिर पॉइंट्स को अलग-अलग कलर की लाइन्स के जरिये, compare करे जाने वाले समय में जोड़ा जाता है। विभिन्न रंगों की लाइन्स के जरिये मल्टीपल ट्रेंड्स को कॉम्पेयर किया जाता है।
और इसी वजह से डिजिटल मार्केटिंग में लाइन ग्राफ्स के जरिये से चार्ट्स को आसानी से दिखाया जाता है। जैसे की स्टॉक की कीमत पांच साल में क्या बदलाव होने वाले है।
Map किसी भी प्रकार की स्थान की जानकारी को visualize के लिए नो-ब्रेनर है, चाहे वो postal code हो, state abbreviations या फिर कोई country ही क्यू न हो। और अगर आपके पास अपने डेटा के साथ उससे जुडी जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन भी होगी, तो मैप को एक ससरल और compelling तरीके से आपके डेटा के ट्रेंड्स को उसके लोकेशन से जोड़ कर समझा सकते है।
Histogram
Histogram एक special type का vertical बार ग्राफ होता है, जो numeric डाटा और उसकी frequency डिस्ट्रीब्यूशन को दिखाता है। हम इसके नाम से ही समझ सकते है की डिस्ट्रीब्यूशन को टाइम के साथ दिखाया जाता है। पर डेटा को एक क्रोनोलॉजिकल स्केल (जैसे की temperature, elevation और monetary value) के जरिये दिखाया जा सकता है।
जबकि histogram आम तौर पर बार ग्राफ का एक फॉर्म होता है और concept को 2 अक्षों के प्लॉट पर बेस Line Graph या अन्य designs पर भी लागू हो सकता है। और इसके चलते इसका यूज Environments और meteorology में ज्यादा किया जाता है।
Heat Map
Heat Map specifically अलग-अलग geographical points पर अलग-अलग temperature को चार्ट्स पर दिखाता है। और ग्राफ को 2 अक्ष मैप के अक्षांश (latitude) और देशांत (longitude) होते है। और थर्ड वेरिएबल temperature को कलर स्पेक्ट्रम के जरिये represent किया जाता है।
इसका यूज आमतौर पर मौसम, वेब ट्रैफिक, फाइनेंसियल इंडीकेटर्स और लगभग कोई भी थ्री-डायमेंशनल डाटा को दिखाने में किया जाता है।
Tree Diagram
Tree Diagram, एक genealogical tree फैमिली के स्ट्रक्चर को दिखाता है। इसे परिवार के ancestor से शुरू किया जाता है स्टॉक चार्ट के प्रकार और फिर उसके नीचे वंशजों, भाई-बहन, मैरिज और चिल्ड्रेन्स को दर्शाया जाता है।
उसके साथ ही इस pedigree chart को एक एक individual से शुरू किया जाता है और उनके पैरेंट्स, ग्रैंडपैरेंट्स और उनके वंश के साथ जारी रहता है।
निष्कर्ष
हमने अभी तक कुछ चार्ट्स, उनके काम और उससे जुड़े हुए टिप्स को समझा है। जिसमें कौन सा चार्ट किस काम आता है, और उसके तरीकों की जानकारी थी। अगर आपके दिमाग में कोई सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।
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