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महंगाई पर काबू के लिए सरकार और आरबीआई समान रूप से गंभीर : शक्तिकांत दास

रिजर्व बैंक कुछ सप्ताह पहले ही सरकार को लिखित रूप से मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में लाने से चूकने की वजह बताई है. इसके बाद अब गवर्नर का यह बयान आया है.

महंगाई पर काबू के लिए सरकार और आरबीआई समान रूप से गंभीर : शक्तिकांत दास

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई पर काबू के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा ‘समन्वित रुख' अख्तियार किया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर रिजर्व बैंक के साथ सरकार भी 'समान रूप से गंभीर' है. रिजर्व बैंक कुछ सप्ताह पहले ही सरकार को लिखित रूप से मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में लाने से चूकने की वजह बताई है. इसके बाद अब गवर्नर का यह बयान आया है.

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दास ने बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा आयोजित ‘बीएफएसआई इनसाइट समिट 2022' को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि महंगाई पर काबू के लिए केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच ‘समन्वित रुख' अपनाया गया है. उन्होंने दोनों द्वारा महंगाई पर अंकुश के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए यह बात कही.

दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने महंगाई के मोर्चे पर नीतिगत दर, मौद्रिक समीक्षा और तरलता जैसे उपाय किए हैं वहीं सरकार ने आपूर्ति पक्ष के कदम उठाए हैं. इनमें पेट्रोल और डीजल पर करों में कटौती, आयातित खाद्य सामान पर शुल्कों में कटौती जैसे कदम शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार भी महंगाई को लेकर समान रूप से गंभीर है. दास ने कहा, ‘‘हर कोई महंगाई को नीचे लाना चाहता है. मुझे विश्वास है कि सरकार भी महंगाई पर काबू चाहती है.''

दास ने 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले फरवरी, 2023 के सरकार के आखिरी पूर्ण बजट संबंधी सवाल पर कहा कि मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए है. दास ने 2 नवंबर को कहा था कि रिजर्व बैंक की मुद्रास्फीति पर ‘अर्जुन की आंख' की तरह नजर है. अब इसमें कुछ बदलाव करते हुए उन्होंने कहा कि अर्जुन की नजर मुद्रास्फीति और महंगाई पर है. नवंबर में करीब 10 माह बाद मुद्रास्फीति पहली बार छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से नीचे आई है.

चुनाव संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि राज्यों के चुनावों को भी देखा जाए, तो यह पूरे साल भर चलता है.

गवर्नर ने स्पष्ट किया कि मौद्रिक नीति का रुख मुद्रास्फीति और वृद्धि जैसे घरेलू कारकों से तय होता रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में रिजर्व बैंक अन्य कारकों मसलन फेडरल रिजर्व के रुख पर भी गौर करता है.

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक 70 तेजी से बढ़ने वाले संकेतकों पर नजर रखता है और उनमें से ज्यादातर ‘बेहतर स्थिति' में हैं.

उन्होंने कहा आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक कि ये बाहरी कारक है, जो दुनिया के एक बड़े हिस्से में मंदी के डर से प्रेरित है, जहां चुनौतियां हैं.'' उन्होंने कहा कि बाहरी मांग का प्रभाव अर्थव्यवस्था को ‘प्रभावित' करेगा.

केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को पहले के सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है.

दास ने कहा कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र जुझारू बना हुआ है और काफी बेहतर स्थिति में है. उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए नियामक और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों, दोनों का श्रेय जाता है.

गवर्नर ने कहा कि जमा और ऋण वृद्धि के बीच पूर्ण रूप से कोई खास अंतर नहीं है. आधार प्रभाव दोनों के वृद्धि आंकड़े को अलग-अलग दिखाते हैं. उन्होंने कहा कि ऋण वृद्धि दो दिसंबर, 2022 तक एक साल में 19 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि जमा वृद्धि 17.5 लाख करोड़ रुपये थी.

चार फर्मों ने अधिकारियों को 2609 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाया: कैग रिपोर्ट

नई दिल्लीः भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) लिमिटेड, ऑयल ऐंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, और ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) जैसे चार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) द्वारा अधिकारियों को 2609 करोड़ रुपए के अनुचित लाभ पहुंचाने का पर्दाफाश किया है।

संसद में पेश एक अनुपालन ऑडिट रिपोर्ट में कैग ने कहा कि, सीपीएसई ने अपने अधिकारियों को उनके पद के आधार पर वाहनों के चलाने और रखरखाव का भुगतान करके लोक उद्यम विभाग (डीपीई) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है। आईओसीएल, ओएनजीसी, गेल और ओवीएल ने परिवहन भत्ता के रूप में प्रति माह 800 रुपए की एक निश्चित राशि रखी थी, जिसे तथाकथित कैफेटेरिया अप्रोच के तहत वाहन के आवाजाही और रख-रखाव से जुड़े प्रतिपूर्ति व्यय (सीएमआरई) में से शामिल किया गया था।

एक कैफेटेरिया अप्रोच व्यक्तिगत योजना है जो नियोक्ताओं द्वारा लाभ के लिए कर्मचारियों की वरीयताओं को ध्यान में रखते हुए दी जाती है। 2017 में, डीपीई ने यह कहते हुए दिशानिर्देश जारी किए कि ‘कैफेटेरिया अप्रोच’ के तहत अधिकारियों को दी जाने वाली विभिन्न श्रेणियों की सुविधाओं और भत्तों की अधिकतम सीमा मूल वेतन की 35 फीसदी आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक ही होगी।

कैग ने कहा कि वाहनों को चलाने और रखरखाव के लिए खर्च कैफेटेरिया एप्रोच की 35 फीसदी से अधिक था, जो कि डीपीई दिशानिर्देशों खिलाफ था। इसके कारण अधिकारियों को कंपनियों द्वारा अनुचित लाभ पहुंचाया गया। कैग ने रिपोर्ट में कहा कि कर्मचारियों को व्यक्तिगत वाहनों के लिए सीएमआरई का भुगतान संगठन में उनके पद के आधार पर किया जाता है न कि वास्तविक आधार पर और इसलिए प्रतिपूर्ति के रूप में योग्य नहीं है। सीएमआरई का भुगतान प्रतिपूर्ति के बजाय भत्ते की श्रेणी में आता है और इसे कैफेटेरिया अप्रोच में शामिल किया जाना चाहिए।

कैग ने सिफारिश की कि सीपीएसई को वाहनों के ‘चलाने और रखरखाव’ के खर्च की प्रतिपूर्ति बंद कर देनी चाहिए क्योंकि यह डीपीई दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। सीपीएसई ने दावा किया कि वाहन किराए पर लेने की बजाय सीआरएमई अधिक किफायती और प्रशासनिक रूप से सुविधाजनक है।

कैग ने रिपोर्ट में कहा कि कंपनी का तर्क है कि यह पूरी तरह से परिचालन गतिविधियों के लिए सीआरएमई का भुगतान कर रही है, इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि, ये फर्में अपने अधिकारियों के दैनिक गतिविधियों के लिए अपने सभी विभागों/स्थानों के लिए आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक अनुबंध के तहत वार्षिक आधार पर वाहन किराए पर लेने के अलावा 15 किलोमीटर से अधिक स्थानीय आवाजाही के लिए स्थानीय परिवहन शुल्क के रूप में अतिरिक्त भुगतान कर रही है। अप्रैल 2009 से अक्टूबर 2021 की अवधि के दौरान, आईओसीएल ने 1,447.72 करोड़ रुपए का भुगतान किया और गेल ने अपने अधिकारियों को परिवहन भत्ते के अलावा सीआरएमई को 414.66 करोड़ रुपए का भुगतान किया।

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महंगाई पर काबू के लिए आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक सरकार भी समान रूप से गंभीर : शक्तिकांत दास

रिजर्व बैंक कुछ सप्ताह पहले ही सरकार को लिखित रूप से मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में लाने से चूकने की वजह बताई है। इसके बाद अब गवर्नर का यह बयान आया है।

Image: PTI

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक बुधवार को कहा कि महंगाई पर काबू के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा ‘समन्वित रुख’ अख्तियार किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर रिजर्व बैंक के साथ सरकार भी ’समान रूप से गंभीर’ है।

रिजर्व बैंक कुछ सप्ताह पहले ही सरकार को लिखित रूप से मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में लाने से चूकने की वजह बताई है। इसके बाद अब गवर्नर का यह बयान आया है।

दास ने बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा आयोजित ‘बीएफएसआई इनसाइट समिट 2022’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि महंगाई पर काबू के लिए केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच ‘समन्वित रुख’ अपनाया गया है।

उन्होंने दोनों द्वारा महंगाई पर अंकुश के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक हुए यह बात कही।

दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने महंगाई के मोर्चे पर नीतिगत दर, मौद्रिक समीक्षा और तरलता जैसे उपाय किए हैं वहीं सरकार ने आपूर्ति पक्ष के कदम उठाए हैं। इनमें पेट्रोल और डीजल पर करों में कटौती, आयातित खाद्य सामान पर शुल्कों में कटौती जैसे कदम शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार भी महंगाई को लेकर समान रूप से गंभीर है।

दास ने कहा, ‘‘हर कोई महंगाई को नीचे लाना चाहता है। मुझे विश्वास है कि सरकार भी महंगाई पर काबू चाहती है।’’

दास ने 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले फरवरी, 2023 के सरकार के आखिरी पूर्ण बजट संबंधी सवाल पर कहा कि मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए है।

दास ने दो नवंबर को कहा था कि रिजर्व बैंक की मुद्रास्फीति पर ‘अर्जुन की आंख’ की तरह नजर है। अब इसमें कुछ बदलाव करते हुए उन्होंने कहा कि अर्जुन की नजर मुद्रास्फीति और महंगाई पर है। नवंबर में करीब 10 माह बाद मुद्रास्फीति पहली बार छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से नीचे आई है।

चुनाव संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि राज्यों के चुनावों को भी देखा जाए, तो यह पूरे साल भर चलता है।

गवर्नर ने स्पष्ट किया कि मौद्रिक नीति का रुख मुद्रास्फीति और वृद्धि जैसे घरेलू कारकों से तय होता रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में रिजर्व बैंक अन्य कारकों मसलन फेडरल रिजर्व के रुख पर भी गौर करता है।

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक 70 तेजी से बढ़ने वाले संकेतकों पर नजर रखता है और उनमें से ज्यादातर ‘बेहतर स्थिति’ में हैं।

उन्होंने कहा कि ये बाहरी कारक है, जो दुनिया के एक बड़े हिस्से में मंदी के डर से प्रेरित है, जहां चुनौतियां हैं।’’ उन्होंने कहा कि बाहरी मांग का प्रभाव अर्थव्यवस्था को ‘प्रभावित’ करेगा।

केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को पहले के सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।

दास ने कहा कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र जुझारू बना हुआ है और काफी बेहतर स्थिति में है।

उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए नियामक और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों, दोनों का श्रेय जाता है।

गवर्नर ने कहा कि जमा और ऋण वृद्धि के बीच पूर्ण रूप से कोई खास अंतर नहीं है। आधार प्रभाव दोनों के वृद्धि आंकड़े को अलग-अलग दिखाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऋण वृद्धि दो दिसंबर, 2022 तक एक साल में 19 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि जमा वृद्धि 17.5 लाख करोड़ रुपये थी।

महंगाई पर काबू के लिए सरकार और आरबीआई समान रूप से गंभीर : शक्तिकांत दास

रिजर्व बैंक कुछ सप्ताह पहले ही सरकार को लिखित रूप से मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में लाने से चूकने की वजह बताई है. इसके बाद अब गवर्नर का यह बयान आया है.

महंगाई पर काबू के लिए सरकार और आरबीआई समान रूप से गंभीर : शक्तिकांत दास

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

भारतीय आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई पर काबू के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा ‘समन्वित रुख' अख्तियार किया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर रिजर्व बैंक के साथ सरकार भी 'समान रूप से गंभीर' है. रिजर्व आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक बैंक कुछ सप्ताह पहले ही सरकार को लिखित रूप से मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में लाने से चूकने की वजह बताई है. इसके बाद अब गवर्नर का यह बयान आया है.

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दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने महंगाई आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक के मोर्चे पर नीतिगत दर, मौद्रिक समीक्षा और तरलता जैसे उपाय किए हैं वहीं सरकार ने आपूर्ति पक्ष के कदम उठाए हैं. इनमें पेट्रोल और डीजल पर करों में कटौती, आयातित खाद्य सामान पर शुल्कों में कटौती जैसे कदम शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार भी महंगाई को लेकर समान रूप से गंभीर है. दास ने कहा, ‘‘हर कोई महंगाई को नीचे लाना चाहता है. मुझे विश्वास है कि सरकार भी महंगाई पर काबू चाहती है.''

दास ने 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले फरवरी, 2023 के सरकार के आखिरी पूर्ण बजट संबंधी सवाल पर कहा कि मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए है. दास ने 2 नवंबर को कहा था कि रिजर्व बैंक की मुद्रास्फीति पर ‘अर्जुन की आंख' की तरह नजर है. अब इसमें कुछ बदलाव करते हुए उन्होंने कहा कि अर्जुन की नजर मुद्रास्फीति और महंगाई पर है. नवंबर में करीब 10 माह बाद मुद्रास्फीति पहली बार छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से नीचे आई है.

चुनाव संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि राज्यों के चुनावों को भी देखा जाए, तो यह पूरे साल भर चलता है.

गवर्नर ने स्पष्ट किया कि मौद्रिक नीति का रुख मुद्रास्फीति और वृद्धि जैसे घरेलू कारकों से तय होता रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में रिजर्व बैंक अन्य कारकों मसलन फेडरल रिजर्व के रुख पर भी गौर करता है.

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक 70 तेजी से बढ़ने वाले संकेतकों पर नजर रखता है और उनमें से ज्यादातर ‘बेहतर स्थिति' में हैं.

उन्होंने कहा कि ये बाहरी कारक है, जो दुनिया के एक बड़े हिस्से में मंदी के डर से प्रेरित है, जहां चुनौतियां हैं.'' उन्होंने कहा कि बाहरी मांग का प्रभाव अर्थव्यवस्था को ‘प्रभावित' करेगा.

केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को पहले के सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है.

दास ने कहा कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र जुझारू बना हुआ है और काफी बेहतर स्थिति में है. उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए नियामक और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों, दोनों का श्रेय जाता है.

गवर्नर ने कहा कि जमा और ऋण वृद्धि के बीच पूर्ण रूप से कोई खास अंतर नहीं है. आधार प्रभाव दोनों के वृद्धि आंकड़े को अलग-अलग दिखाते हैं. उन्होंने कहा आपूर्ति और मांग क्षेत्र संकेतक कि ऋण वृद्धि दो दिसंबर, 2022 तक एक साल में 19 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि जमा वृद्धि 17.5 लाख करोड़ रुपये थी.

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