Key Points

9 प्रकार के ‍निवेश जोखिम

जब आप अपने निवेश को बेचना चाहते हैं उस समय उसे बेचने में असमर्थ होने का जोखिम। यदि आप निवेश को बेचने में समर्थ हैं, तो आपको निवेश के लिए जो भुगतान किया था उससे कम दाम स्‍वीकार करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में, आप अपने निवेश को बेचने में कतई भी समर्थ नहीं हो सकते हैं।

9 प्रकार के ‍निवेश जोखिम

#3: संकेद्रण जोखिम

चूंकि आपका धन किसी एक निवेश या निवेश के प्रकार में संकेद्रित है इस कारण नुकसान होने का जोखिम। जब आप अपने निवेश को विविधता प्रदान करते हैं, तो आप जोखिम का विस्तार विभिन्न प्रकार के निवेश, उद्योगों और भौगोलिक स्थानों में कर सकते हैं।

9 प्रकार के ‍निवेश जोखिम

#4: ऋण जोखिम

यह जोखिम कि बांड जारी करने वाला सरकारी निकाय या कंपनी ब्याज का भुगतान करने या परिपक्वता पर मूलधन का भुगतान करने में समर्थ नहीं होगी। ऋण जोखिम कर्ज के निवेशों, जैसे कि बांड पर लागू होता है।

9 प्रकार के ‍निवेश जोखिम

#5: पुनर्निवेश का जोखिम

मूल निवेश की अपेक्षा मूलधन या ब्याज का पुनर्निवेश करने से नुकसान का जोखिम। यह जोखिम लागू नहीं होगा यदि आप नियमित ब्याज भुगतान या मूलधन का परिपक्वता पर पुनर्निवेश करने का इरादा नहीं रखते हैं।

9 प्रकार के ‍निवेश जोखिम

#6: महंगाई का जोखिम

आपकी क्रय शक्ति में नुकसान का जोखिम क्योंकि आपके निवेश का मूल्य भविष्य उतना अच्‍छा नहीं होगा। महंगाई समय के साथ धन की क्रय शक्ति का क्षय कर देती है – धन की उतनी राशि भविष्य में कम सामान तथा सेवाएं खरीद पाएगी।

9 प्रकार के ‍निवेश जोखिम

#7: क्षितिज निवेश क्या होता हैं जोखिम

यह जोखिम कि आपके निवेश समय क्षितिज अप्रत्याशित घटना के कारण अल्पतम हो सकता है, उदाहरणार्थ, आपकी नौकरी का नुकसान। यह आपको निवेश बेचने को मजबूर कर सकता है जिसे आप दीर्घकाल के लिए धारित करने की अपेक्षा कर रहे थे। यदि आप ऐसे समय पर बेचे जब बाजार में मंदी है, तो आपको धन का नुकसान हो सकता है।

9 प्रकार के ‍निवेश जोखिम

#8: दीर्घकाल जोखिम

आपकी बचत का अधिक समय तक टिके रहने का जोखिम। यह जोखिम विशेष तौर पर उन लोगों से सम्बद्ध होता है जो सेवानिवृत्त हैं, या सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

9 प्रकार के ‍निवेश जोखिम

#9: विदेशी निवेश का जोखिम

विदेश में होने पर नुकसान का जोखिम। जब आप विदेशी निवेश खरीदते हैं, उदाहरणार्थ उभरते बाजारों में कंपनियों के शेयर, तो आपको ऐसे जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है जो कनाडा में मौजूद नहीं हैं, जैसे कि राष्‍ट्रीयकरण का जोखिम।

9 प्रकार के ‍निवेश जोखिम

आपके निवेश करने से पूर्व जोखिमों का शोध

निवेश संबंधी निर्णय करते समय, सुनिश्चित करें कि आप निवेश से जुड़े जोखिमों को समझते हैं। और अधिक जानकारी के बारे में पूछें और निवेश करने से पूर्व आप अपने सवालों के उत्तर प्राप्त करें। निवेश जोखिम के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें।

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब

Share Market Guide: शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा, किस कंपनी का शेयर खरीदे?

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब

महंगाई (Inflation) बढ़ रही है और रुपये (Rupee) का मूल्य घट रहा है. यानी सिर्फ पैसा बचाने से काम नहीं चलेगा, पैसा बढ़ाना भी पड़ेगा. ऐसे में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश अच्छा विकल्प हो सकता है. लेकिन शेयर मार्केट (Stock Market) में पहली बार निवेश करने वालों के लिए क्या जानना जरूरी है? शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है?

कब कर सकते हैं? किस शेयर में पैसा लगाएं? ये सारी बातें यहां हम निवेश क्या होता हैं आपको बता रहे हैं.

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब

1. शेयर क्या है?

किसी कंपनी को चलाने के लिए पूंजी यानी कैपिटल की जरूरत पड़ती है. अब कंपनी को चलाने के लिए मालिक बाजार से पैसा उठाना चाहता है तो वह कैपिटल को हिस्सों में बांट देता है यही हिस्से कहलाते हैं शेयर. जैसे किसी कंपनी की कैपिटल 100 रुपये है. अब कंपनी इसे 100 हिस्सों में बांट दें तो वे 100 हिस्से शेयर्स कहलाएंगे और एक शेयर एक रुपये का होगा. अब इसी कैपिटल को दो या 5 हिस्सों में भी बांटा जा सकता है. यानी कंपनी की एक यूनिट एक शेयर के बराबर होती है.

अब आप किसी कंपनी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो उसके शेयर खरीद सकते हैं. इन्हीं शेयर्स की जब आप खरीदी बिक्री करने जिस बाजार में जाएंगे उसे कहते हैं शेयर बाजार.

2. शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा?

शेयर बाजार में पांव रखने से पहले आपको चाहिए डिमैट अकाउंट. जैसे बैंक में बचत, एफडी में निवेश के लिए बैंक अकाउंट चाहिए वैसे ही शेयर मार्केट में निवेश के लिए डिमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट के जरिए ही शेयर्स को खरीदा-बेचा जाता है, होल्ड किया जाता है. यह एक तरह से शेयर्स का डिजिटल अकाउंट है.

3. डीमैट अकाउंट क्या है

डीमैट अकाउंट मतलब- डीमटेरियलाइज्ड यानी किसी भी फिजिकल चीज का डिजिटलाइज होना. डिमैट अकाउंट आप चंद सैकेंड में खोल सकते हैं. आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसी केवाईसी डॉक्यूमेंट लगती हैं. इसके लिए ब्रोकर की जरूरत होती है. अब ब्रोकर कोई व्यक्ति भी हो सकता है और कंपनी भी. ब्रोकर की वेबसाइट या एप पर जाकर डिमैट अकाउंट आसानी से खोला जा सकता है. अगर आप नेटबैंकिंग करते हैं तो आपके बैंक की वेबसाइट या एप पर भी डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं. आमतौर पर इसकी लिए कोई फीस नहीं देनी होती लेकिन यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे डिमैट के लिए कितना वसूलना चाहते हैं.

4. किस कंपनी का शेयर खरीदें?

जवाब है किसी अच्छी कंपनी है, क्योंकि अच्छी कंपनी के शेयर्स अच्छा रिटर्न देते हैं. अच्छी कंपनी मतलब जिसका प्रॉफिट, प्रोडक्ट, भविष्य अच्छा हो. शेयर मार्केट की भाषा में इसे कंपनी के फंडामेंटल्स यानी बुनियादी बातें कहते हैं, कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं तो कंपनी का भविष्य अच्छा माना जाता है. इसके लिए आपको कंपनी की सालाना बैलेंस शीट पर नजर रखनी होती है. यानी कंपनी कितना कमा रही है, कितना कर्ज है, कितना मुनाफा हो रहा है? कंपनी के शेयर्स ने पहले कैसा प्रदर्शन किया है. ये सब देखना होता है. कई बार खबरें भी कंपनी के शेयर्स को प्रभावित करती हैं. जैसे कि जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी ईलॉन मस्क ने ट्विटर को खरीदने का ऐलान किया तो निवेशकों में ट्विटर के शेयर्स को खरीदने की होड़ लग गई. लेकिन निवेशक केवल कंपनी के फंडामेंटल्स पर ध्यान दें तो भी काम बन सकता है. सबसे पहले ऐसे शेयर में निवेश करें जो सुरक्षित हैं. यानी उन बड़ी कंपनियों के शेयर्स खरीदें जो दशकों पुरानी हैं, प्रॉफिट में रहती है और आगे भी रहेंगी. इससे आप नुकसान में नहीं रहेंगे. जब इसमें निवेश कर लें तो शेयर्स को स्टडी करना सीखें, कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ना सीखें.

5. प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट क्या है?

जब आप कोई शेयर सीधे कंपनी से खरीदते हैं जैसे की आईपीओ के जरिए.. यह प्राइमरी मार्केट है. यानी कंपनियां जो शेयर्स बाजार में इश्यू करती है. लेकिन जब सीधे कंपनी से खरीदे हुए शेयर्स को आप अन्य खरीदारों में बेचने जाते हैं तो वो सेकेंड्री मार्केट है. यानी इश्यू किए हुए शेयर्स की जब खरीद बिक्री होती है.

6. ट्रेडिंग या निवेश?

एक्सपर्ट कहते हैं कि 5 साल, 10 साल या उससे भी निवेश क्या होता हैं ज्यादा समय के लिए निवेश करने वाले फायदे में रहते हैं. यानी लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट. अब शेयर बाजार को गहनता से समझने वाले और रिस्क उठा सकने वाले ही शॉर्ट टर्म या हर रोज शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. कितना और कितने समय के लिए निवेश? अब सबसे पहले आप ये तय करें कि निवेश कितना करना है और कितने समय के लिए. फिर तय करें कि आप निवेश करना क्यों चाहते हैं यानी कि आपका उद्देश्य क्या है. जैसे, शिक्षा, शादी या घर खरीदने जैसे गोल्स. इसी अनुसार आप आगे बढ़ते हैं और तभी आप फैसला ले पाएंगे कि आपको किस शेयर में निवेश करना है. शेयर मार्केट में शुरुआत धीमी रखें.

7. शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें?

अगर आपके पास इन सब के लिए समय नहीं है या समझ नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से ही सलाह लें, एक्सपर्ट को बताएं कि आप कितना खर्च करना चाहते हैं और कितने समय के लिए. आपका निवेश का उद्दश्य क्या है और आप निवेश से कितने रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं. एक उपाय म्यूचुअल फंड भी हैं. जिसमें कुछ एक्सपर्ट आपके जैसे कई निवशकों के पैसे को कहां लगाना है ये तय करते हैं.

Share Market: किसी ने कमाए करोड़ों- इसपर न जाएं, अपनी अक्ल लगाएं

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Gold Vs Real Estate: सोना या रियल एस्टेट? जानिए कहां निवेश करना रहेगा फायदेमंद

अगर कोई निवेशक सही समय पर सही जगह निवेश करता है तो कम समय में बेहतर रिटर्न पा सकता है। जब भी निवेश की बात होती है तब सबसे जरूरी होता है कि आपके पैसा कितना और आप किस स्तर तक रिस्क उठा सकते हैं। शेयर

Gold Vs Real Estate: सोना या रियल एस्टेट? जानिए कहां निवेश करना रहेगा फायदेमंद

अगर कोई निवेशक सही समय पर सही जगह निवेश करता है तो कम समय में बेहतर रिटर्न पा सकता है। जब भी निवेश की बात होती है तब सबसे जरूरी होता है कि आपके पैसा कितना और आप किस स्तर तक रिस्क उठा सकते हैं। शेयर बाजार से गोल्ड तक बाजार में ढेर सारे निवेश के विकल्प मौजूद हैं। अब आपको किसपर सबसे अधिक भरोसा यह सबसे बड़ा सवाल है। जब लाॅन्ग टर्म निवेश की बात आती है तब लोग सोना और रियल एस्टेट की तरफ मुड़ते हैं। आइए जानते हैं कि इन दोनों विकल्पों में बेस्ट कौन सा रहेगा-

गोल्ड भारतीय परिवारों में एक भरोसेमंद निवेश के तौर पर देखा जाता है। कई परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस आगे ट्रांसफर करते रहते हैं। साथ ही इसमें निवेश को लेकर भी काफी विकल्प रहता है। वहीं, रियल एस्टेट हमेशा ही एक बड़े निवेश के तौर पर देखा जाता है। अगर सही जगह रियल एस्टेट में निवेश किया जाए तो यह बेहतर प्राॅफिट दे देगा।

ITR फाइल करने की आखिरी तारीख है नजदीक, जानें कौन-कौन से डाॅक्यूमेंट की होगी जरूरत; समझें स्टेप बाय स्टेप पूरा प्रोसेस

रियल एस्टेट में जहां रिस्क काफी कम रहता है। वहीं, गोल्ड में चोरी होने का डर बना रहता है। Avanta India के नकुल माथुर कहते हैं, 'प्राॅपर्टी में निवेश हमेशा सुकून देता है क्योंकि यह भविष्य को सिक्योर बनाता है। वहीं, सोना एक कमोडिटी है। जिसका हमेशा चोरी होने का डर बना रहता है। इसके अतिरिक्त रियल एस्टेट से हमेशा इनकम किया जा सकता है वह टैक्स की छूट का लाभ लेते हुए। रियल एस्टेट के जरिए आप महीने में एक मुश्त पैसा कमा सकते हैं जोकि गोल्ड नहीं कर पाता है।'

RPS ग्रुप में पार्टनर Suren Goyal कहते हैं, 'रियल एस्टेट के जरिए सालाना 15 प्रतिशत के रिटर्न की उम्मीद आसानी से की जा सकती है।' वहीं गोयल गंगा डेवलपमेंट के एमडी अनुज गोयल के अनुसार, 'रियल सेक्टर में भले ही लार्ज फंड की जरूरत होती हो, लेकिन कई अन्य सेक्टर के भी इसपर निर्भर करते हैं जैसे सीमेंट, हाउसिंग फाइनेंस आदि। इसके जरिए बड़ी संख्या में रोजगार भी क्रिएट होता है।' हालांकि इन फायदे और नुकसान के बीच भारत में लोग गोल्ड तर रियल एस्टेट दोनों में जमकर पैसा लगा रहे हैं।

निम्नलिखित में से एक वास्तविक निवेश _________ है।

Key Points

  • निवेश के 3 प्रकार हैं:
    • स्वामित्व निवेश: स्वामित्व वह है जो ज्यादातर लोगों के दिमाग में आता है जब निवेश शब्द पर चर्चा की जाती है। ये निवेश के सबसे अस्थिर और लाभदायक वर्ग हैं।
    • ऋण निवेश: धन उधार देना निवेश की एक श्रेणी है। आम तौर पर कई निवेशों की तुलना में जोखिम कम होते हैं और इसके परिणामस्वरूप, पुरस्कार अपेक्षाकृत मामूली होते हैं।
    • नकद समकक्ष: ये निवेश कर रहे है "नकदी के रूप में के रूप में अच्छा है," जिसका अर्थ है कि वे नकदी के लिए वापस आसानी से और जल्दी से परिवर्तित किया जा सकता है।

    Additional Information

    • वास्तविक निवेश से, हमारा मतलब मौजूदा कागजी प्रतिभूतियों, बांडों, डिबेंचर या इक्विटी को खरीदना नहीं है, बल्कि नए कारखानों, मशीनों, रेलमार्गों आदि की खरीद से है।
    • निवेश व्यय एक संबंधित अवधारणा है, जो उत्पादक के टिकाऊ उपकरणों, नए निर्माण और सूची में परिवर्तन के लिए किए गए व्यय को संदर्भित करती है।

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    Last updated on Sep 27, 2022

    The NTA (National Testing Agency) has released the CUET Exam Dates for the academic year 2023-24. The exam will be conducted from 21st to 31st May 2023. The NTA has also released the reserve dates which are from 1st to 7th June 2023. Candidates can download their admit cards by filling in the application number, date of birth, and security pin as and when released. The CUET (Central Universities Entrance Test) is a common exam that is conducted by NTA for UG admissions into all the central and many other universities of India.

    Mutual Funds के निवेश पर बंपर रिटर्न चाहिए तो जानें कम से कम कितने साल तक SIP जारी रखें

    WhiteOak Capital Mutual Fund की SIP Analysis Report से पता चला है कि किसी भी निवेशक को कम से कम तीन साल के लिए एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करनी चाहिए।

    Alok Kumar

    Edited By: Alok Kumar @alocksone
    Updated on: November 13, 2022 6:54 IST

    म्यूचुअल फंड- India TV Hindi

    Photo:INDIA TV म्यूचुअल फंड

    Mutual Funds निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बीते तीन साल में देश के छोटे- छोटे शहर और यहां तक की गांवों से म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले तेजी से बढ़े हैं। इसकी वजह है परंपरागत निवेश माध्यम जैसे एफडी और छोटी बचत योजनओं पर ब्याज दर का घटना। लोग महंगाई को मात देकर बंपर रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि, बहुत सारे लोग म्यूचुअल फंड में निवेश तो कर रहे हैं लेकिन बंपर रिटर्न नहीं ले पा रहे हैं। इसकी वजह है कि उन्हें पता नहीं है कि कम से कम कितने साल तक म्यूचुअल फंड में निवेश करना फायदेमंद या शानदार रिटर्न के लिए जरूरी है। अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं और यह पता नहीं कि कम से कम कितने साल तक सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) को जारी रखना चाहिए तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम आपको बता रहे हैं कि म्यूचुअल फंड में कितने साल के निवेश पर आप जबरदस्त रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।

    कम से कम तीन साल के लिए निवेश करें

    WhiteOak Capital Mutual Fund की SIP Analysis Report से पता चला है कि किसी भी निवेशक को कम से कम तीन साल के लिए एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करनी चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, तीन साल के निवेश पर औसत रिटर्न 11.9% रहा। वहीं 5 साल के निवेश पर 13% का रिटर्न मिला। 8 और 10 साल तक म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को क्रमश: 14.1% और 14.2% की दर से औसत रिटर्न मिला। वहीं, 13 तक लगातार निवेश करने वाले निवेशकों को 13.9% की दर से रिटर्न मिला। सबसे अधिक 14.9% की दर से रिटर्न 15 साल तक निवेश करने वाले निवेशकों को मिला। इस रिपार्ट की एनालिसिस से पता चलता है कि अगर आप 15 साल तक म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आप सबसे बेहतर रिटर्न पा सकते हैं। वहीं, कम से कम तीन साल तक निवेश करना सही होगा।

    म्यूचुअल फंड

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    लार्ज कैप, मिड कैप या स्मैल कैप में निवेश पर ज्यादा रिटर्न?

    रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि लार्ज कैप में उतार- चढ़ाव का कम सामना करना पड़ता है लेकिन रिटर्न देने के मामले में सबसे बेहतर प्रदर्शन मिड कैप फंड का रहा है। नीचे दिए गए चार्ज से आप यह समझ सकते हैं।

    म्यूचुअल फंड

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