वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से अगले साल प्रभावित हो सकता है देश का निर्यात
भारत का निर्यात भले ही वित्त वर्ष 2021-22 में 422 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर को छू गया हो, लेकिन प्रमुख पश्चिमी बाजारों में ‘मंदी’ और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भू-राजनीतिक संकट की छाया अगले साल यानी 2023 में देश के निर्यात को प्रभावित कर सकती है। राजनीतिक स्थिरता, माल की आवाजाही, कंटेनरों और शिपिंग लाइनों की पर्याप्त उपलब्धता, मांग, स्थिर मुद्रा और सुचारू बैंकिंग प्रणाली जैसे सभी वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाले कारक अब बिखर रहे हैं। संकट को बढ़ाते हुए, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों में कोविड महामारी के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं।
इससे पहले कि कोविड-प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट से बाहर आ पाती, फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रकोप ने दुनियाभर में आपूर्ति श्रृंखला को गंभीर रूप से बाधित कर दिया और वैश्विक वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा दिया। युद्ध ने महत्वपूर्ण काला सागर मार्ग से माल की आवाजाही को भी प्रभावित किया। बिगड़ती भू-राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2023 में वैश्विक व्यापार व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां में केवल एक फीसदी की वृद्धि होगी।
जिनेवा स्थित बहुपक्षीय व्यापार निकाय ने कहा है कि विश्व व्यापार में वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में गति कम होने व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां और वर्ष 2023 में कमजोर रहने की उम्मीद है, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कई झटके लगे हैं। इसने कहा, ‘डब्ल्यूटीओ के अर्थशास्त्री अब भविष्यवाणी करते हैं कि वर्ष 2022 में वैश्विक व्यापारिक व्यापार की मात्रा 3.5 फीसदी बढ़ेगी – जो अप्रैल में तीन फीसदी पूर्वानुमान से थोड़ा बेहतर है। हालांकि, वर्ष 2023 के लिए वे एक फीसदी की ही वृद्धि होने की उम्मीद व्यक्त करते हैं – जो 3.4 फीसदी के पिछले अनुमान से काफी कम है।’
जानकारों के मुताबिक, इन घटनाक्रमों के बीच भारत के लिए खुद को इन काली घटाओं से बचाना मुश्किल होगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत ने अबतक वस्तुओं निर्यात में वृद्धि हासिल की है और सेवाओं के निर्यात में भी अच्छी वृद्धि से भी 2023 में देश से निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। वर्ष 2021-22 में सेवा क्षेत्र का निर्यात भी 254 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर को छू गया और उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, यह इस वित्त वर्ष में 300 अरब डॉलर के स्तर को छू सकता है।
इस साल जुलाई, अगस्त और सितंबर में निर्यात क्रमश: 2.14 फीसदी, 1.62 फीसदी और 4.82 फीसदी बढ़ा। व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां अक्टूबर में इसमें 12.12 फीसदी की कमी आई और नवंबर में निर्यात वृद्धि सपाट रही।
अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान निर्यात 11 फीसदी बढ़कर 295.26 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 265.77 अरब डॉलर था। हालांकि, चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह की अवधि के दौरान आयात 29.5 फीसदी बढ़कर 493.61 अरब डॉलर का हो गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान यह 381.17 अरब डॉलर था।
मंत्रालय के अनुसार, व्यापारिक निर्यात में गिरावट के कारणों में कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में कोविड महामारी का प्रसार और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मंदी और उसके परिणामस्वरूप मांग में आई गिरावट तथा घरेलू मुद्रास्फीति को रोकने के लिए किये गये कुछ उपाय शामिल हैं। भारत के लिए बड़ी समस्या व्यापार घाटे (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) का बढ़ना होगा, जिसका रुपये के मूल्य और चालू खाते के घाटे (कैड) पर असर पड़ता है।
डेलॉयट इंडिया के अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि वैश्विक व्यापार की स्थिति को देखते हुए भारत के निर्यात में कमी आने की आशंका है। हालांकि, डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आंशिक रूप से इस प्रभाव को कम कर सकती है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि वर्ष 2023 में वैश्विक व्यापार में एक फीसदी की गिरावट का भारतीय निर्यात पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
सहाय ने कहा, ‘हालांकि, हम इस तथ्य को भी जानते हैं कि वैश्विक व्यापार में हमारा हिस्सा अब भी दो फीसदी से कम है। इसलिए वैश्विक व्यापार की घट-बढ़ का हमपर अधिक प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। इसके अलावा कुछ सकारात्मक घटनाक्रम भी वर्ष 2023 में भारत के लिए मददगार साबित होंगे। उन्होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ हाल ही में हुआ मुक्त व्यापार समझौतों के प्रभावी उपयोग से आने वाले महीनों में निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और कनाडा के साथ नए समझौते भी वर्ष 2023 की पहली छमाही में निर्यात को और बढ़ावा दे सकता हैं। उन्होंने कहा कि रुपये के मूल्य में आई गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर है क्योंकि निर्यात के मुकाबले हमारा आयात कहीं 50 फीसदी अधिक है। रुपये में थोड़ी घट-बढ़ निर्यातकों के लिए बेहतर है लेकिन भारी घट-बढ़ के कारण जोखिम हो सकता है। मुंबई स्थित निर्यातक और टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष शारदा कुमार सर्राफ ने कहा कि हालांकि यूरोप, अमेरिका और जापान जैसी सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के संकेत दिख रहे हैं, फिर भी भारतीय निर्यात में वर्ष 2023 में 8-10 फीसदी की वृद्धि की संभावना है।
कैट ने की ई कॉमर्स व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां कंपनियों पर कार्रवाई की मांग,अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही विदेशी कंपनियां
व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों पर देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने (foreign companies harming economy) का आरोप लगाते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई (CAIT demands action) करने की मांग की है. संगठन ने इन पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन का आरोप भी लगाया है.
नई दिल्ली :व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों पर नियमों का उल्लंघन कर व्यापार करने का गंभीर आरोप लगाया. साथ ही केंद्र सरकार से इन कंपनियों के पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग की. खंडेलवाल ने कहा कि संसदीय कमेटी की ओर से ई-कॉमर्स को प्रतिस्पर्धा-विरोधी करार देने पर सरकार तुरंत कार्रवाई करे.
फेमा कानून का कर रहीं उल्लंघन : देश के बड़े व्यापारी संगठनों में से एक कैट की ओर से पिछले दो व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां साल से लगातार भारतीय बाजारों में ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से गैर कानूनी तरीके से व्यापार किए जाने के साथ फेमा कानून के उल्लंघन को लेकर आवाज उठाई जा रही है. शुक्रवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में कैट व्यापारी संगठन की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. जिसमें कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि संसद के अंदर वित्तीय मामलों की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह साफ तौर पर कहा है कि भारत के अंदर ई-कॉमर्स कंपनियां नियमों का उल्लंघन कर व्यापार कर करने के साथ बाजार में प्रतिस्पर्धा खत्म कर रही हैं. साथ ही विदेशी कंपनियां फेमा नियमों के उल्लंघन कर निवेश कर रही हैं.
सरकारी एजेंसियां कर रहीं हैं इनके खिलाफ जांच : खंडेलवाल ने कहा कि अगर ई-कॉमर्स के लिए भारत में संहिताबद्ध नियम लागू नहीं किए गए तो विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनने में देर नहीं लगेगी, जो देश के करोड़ों छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ा खतरा होंगी. संसद की वित्तीय स्थायी समिति की रिपोर्ट से पहले केंद्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग, विभिन्न उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न मामलों में इन विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों को दोषी पाया है. विभिन्न सरकारी एजेंसियां इनके खिलाफ जांच कर रही हैं.
भेजे जा रहे ऑनलाइन नशीले पदार्थ : प्रवीण खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से गैरकानूनी ढंग से ऑनलाइन तेजाब और नशे के पदार्थ भेजे जा रहे हैं, जिन पर रोक लगनी चाहिए. ये कंपनियां मनमाने ढंग से व्यापार करने के साथ रिटेलर को बाजार से बाहर कर रही हैं जो अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए ठीक नहीं है. इससे देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ेगी. इन कंपनियों की कुटिल चालों से मोबाइल के अलावा एफएमसीजी, किराना कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडीमेड गारमेंट्स, फैशन परिधान, खाद्यान्न, गिफ्ट आइटम, सौंदर्य प्रसाधन, घड़ियां आदि अन्य अनेक व्यापारिक वर्टिकल भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
चीन में कोरोना ने मचाया कोहराम, छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स और कैट ने व्यापारियों से कहा – सतर्कता बरतें, सुरक्षा के उपाय अपनाएं
रायपुर. चीन में एक बार फिर कोविड महामारी का आतंक शुरू हो गया है. चीन में कोविड महामारी के कारण बड़ी भयावह स्थिति बनी हुई है. इस संबंध में छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज व कैट ने पूरे छत्तीसगढ़ के सभी व्यापारी संगठनों को सलाह दी है कि अपने मार्केटों में व्यापारियों को कोविड की इस स्थिति से अवगत कराएं एवं कोविड से बचने के सुरक्षात्मक उपाय अपनाएं.
चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष एवं कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर परवानी ने व्यापारियों से कहा है कि मास्क पहनना, सैनेटाइजर का उपयोग आदि को शुरू करा दें. वहीं लोगों के बीच में व्यक्तिगत फासला भी बनाए रखने का आग्रह करें. मार्केटों में लोगों की आवाजाही को भी सुगम बनाने में स्थानीय प्रशासन का सहयोग करें. अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में आने वाले प्रत्येक ग्राहक को भी कोविड सुरक्षा के उपाय अपनाने का आग्रह करें.
चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष एवं कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर परवानी ने कहा है कि वर्ष 2020 में भारत में कोविड आने से पहले चीन में जो स्थिति थी, कमोबेश वही स्थिति चीन में आज है. इस बार हम सबको बेहद सतर्क रहकर कोविड सुरक्षा के नियमों का पालन शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि बचाव में ही समझदारी है.
भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता वार्ता का छठा दौर संपन्न
नई दिल्ली (New Delhi), . भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने के लिए छठे दौर की बातचीत संपन्न हो गई है. ब्रिटिश सरकार के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) ने यह जानकारी दी है.
ब्रिटेन के डीआईटी ने गुरुवार (Thursday) को जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि एफटीए पर व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां बातचीत का छठा दौर 16 दिसंबर को संपन्न हो गया. इस वार्ता के तहत 28 अलग-अलग सत्रों में 11 नीतिगत क्षेत्रों पर विस्तृत मसौदा संधि पर चर्चा हुई.
ब्रिटेन के डीआईटी के एक संयुक्त बयान के मुताबिक ब्रिटेन के व्यापार मंत्री केमी बडेनोच और भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के द्वारा 12 दिसंबर को शुरू बातचीत का ताजा दौर पिछले हफ्ते 16 दिसंबर को समाप्त हुआ. डीआईटी ने कहा कि अब एफटीए पर सातवें दौर की वार्ता 2023 की शुरुआत में ब्रिटेन में होने की उम्मीद है.
उल्लेखनीय है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार सचिव सु केमी बडेनोच के साथ राजधानी नई दिल्ली (New Delhi) में 12 दिसंबर को मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की. इससे पहले 29 जुलाई तक दोनों देशों के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी थी. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत और ब्रिटेन के बीच का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 17.5 अरब डॉलर (Dollar) हो गया था.
मेक इन इंडिया
भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।
'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।
'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:
सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।
सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।
29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।
कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।
निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य
- मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
- 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
- विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
- समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
- घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
- भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
- विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना
- भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
- 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
- अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
- जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
- विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
- घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
- शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां क्षमतायें
- विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार
भारत में परेशानी मुक्त व्यापार
'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।
अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।
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