सांकेतिक फोटो।

निवेश का संचार

दूरसंचार के क्षेत्र में सौ फीसद विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की मंजूरी से इस क्षेत्र में तेजी से सुधार की उम्मीद की जा रही है।

निवेश का संचार

सांकेतिक फोटो।

दूरसंचार के क्षेत्र में सौ फीसद विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की मंजूरी से इस क्षेत्र में तेजी से सुधार की उम्मीद की जा रही है। अभी तक इसमें उनचास फीसद एफडीआइ की इजाजत थी। दरअसल, पिछले कुछ समय से दूरसंचार कंपनियां काफी दबाव महसूस कर रही थीं। प्रमुख दूरसंचार कंपनियों पर बड़ी देनदारियां हैं। सरकार लगातार उन्हें चुकाने का दबाव बनाती रही है, पर वे आंशिक भुगतान ही कर पाई हैं। हालांकि पिछले दिनों इसके लिए कंपनियों को अपने शुल्कों में बढ़ोतरी भी करनी पड़ी। इस तरह प्रतिस्पर्धी माहौल कुछ असंतुलित होता दिखने लगा।

ऐसे में सरकार ने न सिर्फ दूरसंचार कंपनियों में विदेशी निवेश की छूट, बल्कि उन्हें बकाया रकम चुकाने की चार साल की मोहलत भी दे दी है। अब समायोजित सकल राजस्व यानी एजीआर की परिभाषा भी बदली जाएगी, जिसके तहत कंपनियों को केवल दूरसंचार से संबंधित आय पर कर भुगतान करना पड़ेगा। उससे जुड़े दूसरे कारोबारों को उसमें समायोजित नहीं किया जाएगा। नए नियमों के तहत स्पेक्ट्रम खरीद को भी लचीला बनाया गया है और अगर कोई कंपनी चाहे, तो दस साल बाद अपना स्पेक्ट्रम वापस भी कर सकती है। स्वाभाविक ही सरकार के इस फैसले से दूरसंचार कंपनियां संतुष्ट और उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इस फैसले से डिजिटल इंडिया के सपने को गति देने में काफी मदद मिलेगी।

दूरसंचार के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी वातावरण बनाने के उद्देश्य से निजी कंपनियों को बढ़ावा दिया गया था। उनमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा उनचास फीसद तक कर दी गई थी। निस्संदेह उसका लाभ भी मिला। निजी कंपनियों के इस क्षेत्र में उतरने से मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं में तेजी आई। स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार का राजस्व भी बढ़ा। प्रतिस्पर्धी वातावरण का ही नतीजा है कि कंपनियों ने अपने ग्राहक बनाने के लिए अपनी दरों में लगातार कटौती की।

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अब हर घर तक मोबाइल और इंटरनेट सेवा की पहुंच सबकी क्षमता के भीतर सुनिश्चित हो रही है और दूरसंचार के मामले में भारत दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होता कारोबार बन चुका है। मगर पिछले कुछ समय से सरकार की नीतियों और नियामक कठोरता की वजह से कंपनियों पर देनदारियां बढ़ती गर्इं। उन्हें स्पेक्ट्रम की फीस चुकाना भारी पड़ने लगा। इसलिए अब तक कंपनियां अपनी दरों में कई बार बढ़ोतरी भी कर चुकी हैं, फिर भी आइडिया-वोडाफोन और एयरटेल देनदारियों के भारी बोझ से दबी हुई हैं। विदेशी निवेश आने से उन्हें काफी राहत मिलेगी और वे अपने कारोबार को नए ढंग से कई कारोबारों में निवेश प्रतिस्पर्धी बनाने में जुट सकेंगी।

दूरसंचार के क्षेत्र में विस्तार पर केंद्र सरकार का जोर रहा है। डिजिटल इंडिया नारे के साथ बहुत सारी सरकारी योजनाओं और गतिविधियों को इंटरनेट से जोड़ा गया है। जब तक दूरसंचार की पहुंच सुगम और विश्वसनीय माध्यम के रूप में स्थापित नहीं किया जाएगा, तब तक लोगों को सही ढंग से योजनाओं का लाभ पहुंचा पाना संभव नहीं होगा।

अभी कोरोना काल में जिस तरह इंटरनेट के माध्यम से ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई संभव हो सकी, उसमें दूरसंचार कंपनियों की भूमिका ज्यादा महत्त्वपूर्ण साबित हुई है। मगर अब भी दूरदराज के गांवों तक तेज गति से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध न होने से कई तरह की दिक्कतें पेश आ रही हैं। दुनिया के तमाम विकसित देश संचार के मामले में हमसे कहीं आगे हैं, जब तक उनकी गति से हम चलना नहीं सीखेंगे, कारोबार आदि के मामले में भी पीछे बने रहेंगे। इसलिए सरकार के ताजा फैसले से दूरसंचार कंपनियों को नई ऊर्जा मिलेगी और स्वाभाविक रूप से इसका लाभ आम नागरिकों को मिल सकेगा।

इन छोटी कंपनि‍यों ने निवेशकों की कराई जबरदस्‍त कमाई, 1000 से 5000 फीसदी तक का दिया रिटर्न

शेयर मार्केट में कई ऐसी छोटी कंपन‍ियां हैं, जिन्‍होंने लिस्टिंग के बाद से निवेशकों को जबरदस्‍त फायदा पहुंचाया है। इन कंपनियों का रिटर्न की जाएंट्स कंपन‍ियों से ज्‍यादा देखने को मिला है जिनका मार्केट कैप में एक लाख करोड रुपए से ज्‍यादा है।

इन छोटी कंपनि‍यों ने निवेशकों की कराई जबरदस्‍त कमाई, 1000 से 5000 फीसदी तक का दिया रिटर्न

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

एक्सचेंज स्‍मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज यानी एसएमई में इक्विटी कल्‍चर लाने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहा है। इसके लिए कई तरह के वेबिनार और राज्य सरकारों और अन्य पेशेवर संगठनों के साथ सहयोग करना। महामारी के दौरान, एक्सचेंज ने इक्विटी फाइनेंस और लिस्टिंग के लाभों पर एसएमई को शिक्षित करने के लिए 150 से अधिक वेबिनार का आयोजन किया है।

मार्च 2012 में बीएसई ने ऐसे कारोबारों के विकास और विस्तार के लिए फाइनेंस के लिए एक एसएमई प्‍लेटफॉर्म पेश किया था। तब से, 337 कंपनियों को एसएमई सेक्शन में लिस्‍ट किया गया है। जिससे 3,500 करोड़ रुपए जुटाए गए हैं। इन फर्मों का कंबाइंड मार्केट वैल्‍यू 26,300 करोड़ रुपए से ज्‍यादा है। यदि किसी निवेशक ने इन कंपनियों को लंबी अवधि में निवेश किया होता तो तो उन्हें कई गुना लाभ होता, क्योंकि कुछ इक्विटी की वैल्‍यू 1000-5000 फीसदी तक बढ़ गई हैं। आइए आपको भी इन कंपनि‍यों के बारे में जानकारी देते हैं।

आदित्य विजन : आदित्य विजन की शुरुआत 1999 में हुई कई कारोबारों में निवेश थी। जिसका मार्केट 920 करोड रुपए है। निफ्टी स्मॉलकैप 100 के 36.93 फीसदी की तुलना में स्टॉक ने तीन वर्षों में 1156.01 फीसदी का रिटर्न दिया है। जब‍ इस कंपनी की लिस्‍टिंग हुई थी तो इसके आईपीओ का प्राइस 15 रुपए प्रति शेयर था। जबकि एक लॉट का साइज 8000 शेयर था। अगर किसी ने उस समय में एक लॉट में निवेश किया होता तो उसकी वैल्‍यू 1.20 लाख रुपए होती। जिसकी वैल्‍यू मौजूदा समय में 61.188 लाख हो गई होती। कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक 4,899 फीसदाी का रिटर्न दिया है। पिछले साल कंपनी के शेयर में 2,996 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। । बीएसई पर एसएमई स्टॉक मौजूदा समय में कई कारोबारों में निवेश 764 रुपए प्रति शेयर पर बिक रहा है।

राघव प्रो‍डक्‍ट‍िविटी इंहैंसर : राघव प्रोडक्टिविटी इंहैंसर की स्थापना 2009 में हुई थी, जिसका मार्केट कैप 808.49 करोड़ रुपए है। जोकि काफी कम कई कारोबारों में निवेश है। जब इस कंपनी का आईपीओ आईपीओ आया था तो इसके शेयर की वैल्‍यू 39 रुपए थी। जबकि इसका लॉट साइज 3000 शेयर था। जिसकी वैल्‍यू 1.17 लाख रुपए थी। मौजूदा समय में इस निवेश की वैल्‍यू 22.29 लाख रुपए हो चुकी है। आज कंपनी के शेयर की कीमत 743 रुपए हो चुकी है। इसका मतलब यह है कि कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद से 2,498 फीसदी का फायदा पहुंचाया है। पिछले साल कंपनी में 578 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

श्री गणेश रेमेडीज : श्री गणेश रेमेडीज लिमिटेड कंपनी की स्थापना 1995 में हुई थी। वर्तमान में इसका शेयर मूल्य 352.65 है। वर्तमान में इसका मार्केट कैप 352.88 करोड़ रुपए है। इसके मार्केट कैप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनी कोई ज्‍यादा बडी नहीं है। लिस्टिंग के दौरान कंपनी के शेयर की कीमत 40 रुपए थी। जिसकी वैल्‍यू के आज के दिन 356.90 रुपए प्रति शेयर हो चुकी है। अगर इस एसएमई स्टॉक में किसी ने 1.08 लाख रुपए का निवेश किया होता तो उसकी वैल्‍यू 9.91 लाख हो गई होती। कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद से 1,110 फीसदी का लाभ देखने को मिला है। पिछले साल कंपनी में 273 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है।

इंदिरा गांधी के ल‍िए मास्‍को से भ‍िजवाए गए थे मछली के अंडे, नर‍स‍िम्‍हा राव और वाजपेयी व‍िदेश दौरे पर साथ ले जाते थे शेफ

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वॉरेन के पास इतना पैसा कि नही सूझ रहा कहां करें निवेश

Warren Buffet

दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति वॉरेन बफेट ऐसी समस्या से जूझ रहे हैं जिसे सुनकर आप चकित रह जाएंगे। सूत्रों के अनुसार वॉरेन अपने बढ़ते कैश से परेशान हो गए हैं। बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे के पास करीब 73 बिलियन डॉलर (चार लाख करोड़ रुपए) कैश जमा हैं, जो अब तक का अधिकतम है।

यह कैश रोजाना बढ़ रहा है क्योंकि बफेट को निवेश करने की जरूरत नहीं है। बर्कशायर अपने 90 कारोबारों से हर महीने करीब 1.5 बिलियन डॉलर कैश कमा रहा है। बफेट पूरी की पूरी कंपनी खरीद कर या कुछ शेयर खरीद कर मुनाफा कमा रहे हैं।

बफेट की कमाई पर नजर डाले तो जनवरी से कैश के सिंहासन पर बैठे हुए हैं। जनवरी में विमानन से जुड़े निर्माण कार्य करने वाली कंपनी से बर्कशायर ने 32.36 बिलियन डॉलर की डील की थी। यह बर्कशायर के इतिहास का सबसे बड़ा अधिग्रहण था।

तब से बफेट नकदी रकम के ढेर पर बैठे हुए हैं जोकि दिनोंदिन तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। निवेशक एंडी किलपैट्रिक का कहना है कि मुझे लगता है कि वह सही कीमत चुकाते हुए किसी शानदार (डील) की तलाश में है। बता दें, एंडी ने 'ऑफ परमानेंट वैल्यू : द स्टोरी ऑफ वॉरेन बफेट' नामक किताब लिखी थी।

वैसे साफ कर दें कि बर्कशायर के पास जितना भी कैश है, वह सब का सब 'उपलब्‍ध' नहीं है। दरअसल, कंपनी को अपने पास कम से कम 20 बिलियन डॉलर की रकम रखनी ही है ताकि बर्कशायर की इंश्योरेंस कंपनियां इस पैसे को किसी बड़े क्लेम या किसी और जरूरत के समय इस्तेमाल कर सकें। ओमाहा की यूनिवर्सिटी में प्रफेसर जॉर्ज मॉर्गेन का कहना है, 'यह कहना मुश्किल है वॉरेन किस के मौके इंतजार में हैं। हम केवल वॉरेन के अगले कदम का इंतजार कर सकते हैं।'

वॉरेन क्या खरीदने जा रहे हैं, इसके बारे में ज्यादा बात नहीं करते। जिन कंपनियों के साथ डील की बातचीत रद्द करते हैं, उनके बारे में भी वह बात नहीं करते। बावजूद इसके निवेशक उनकी अगली खरीद को लेकर कयास लगाने में जुटे हुए हैं। मोर्गन को लगता है कि वह मार्स कैंडी खरीद सकते हैं यदि वे लोग इसे बेचना चाहें तो। कुछ निवेशकों को लगता है कि वह अपनी यूटिलिटी यूनिट का विस्तार कर सकते हैं।

बर्कशायर ने 2013 में 5.6 बिलियन डॉलर नेवेडा एनवी एनर्जी खरीदने में खर्चे थे। बफेट कह चुके हैं कि वह 3जी कैपिटल के साथ फिर से काम कर सकते हैं। इन दोनों ने मिलकर क्राफ्ट फूड्स और हेंज खरीदी थीं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों के बीच ऐसी कोई डील आगे कब होगी। हाल फिलहाल ब्याज दरों को लेकर जो माहौल कायम है उसमें बर्कशायर अपने पास इकट्ठा नकदी से ज्यादा ब्याज नहीं कमा पा रहा है।

गौरतलब है कि 2008 की मंदी के समय बफेट ने गोल्डमैन सैक्स, जनरल इलेक्ट्रॉनिक, हर्ली डेविडसन और कई अन्य को तगड़ी ब्याज दरों पर अरबों डॉलर की वित्तीय 'मदद' की पेशकश की थी। वैसे जब तक उन्हें कोई शानदार टारगेट नहीं मिल जाता और जो करते आ रहे हैं, वही करते रहेंगे यानी कि कभी कभार फोन कॉल ले लेना, ज्यादा बिजनस रिपोर्ट्स पढ़ना।

दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति वॉरेन बफेट ऐसी समस्या से जूझ रहे हैं जिसे सुनकर आप चकित रह जाएंगे। सूत्रों के अनुसार वॉरेन अपने बढ़ते कैश से परेशान हो गए हैं। बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे के पास करीब 73 बिलियन डॉलर (चार लाख करोड़ रुपए) कैश जमा हैं, जो अब तक का अधिकतम है।

यह कैश रोजाना बढ़ रहा है क्योंकि बफेट को निवेश करने की जरूरत नहीं है। बर्कशायर अपने 90 कारोबारों से हर महीने करीब 1.5 बिलियन डॉलर कैश कमा रहा है। बफेट पूरी की पूरी कंपनी खरीद कर या कुछ शेयर खरीद कर मुनाफा कमा रहे हैं।

बफेट की कमाई पर नजर डाले तो जनवरी से कैश के सिंहासन पर बैठे हुए हैं। जनवरी में विमानन से जुड़े निर्माण कार्य करने वाली कंपनी से बर्कशायर ने 32.36 बिलियन डॉलर की डील की थी। यह बर्कशायर के इतिहास का सबसे बड़ा अधिग्रहण था।

तब से बफेट नकदी रकम के ढेर पर बैठे हुए हैं जोकि दिनोंदिन तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। निवेशक एंडी किलपैट्रिक का कहना है कि मुझे लगता है कि वह सही कीमत चुकाते हुए किसी शानदार (डील) की तलाश में है। बता दें, एंडी ने 'ऑफ परमानेंट वैल्यू : द स्टोरी ऑफ वॉरेन बफेट' नामक किताब लिखी थी।

नए निवेश की तलाश में बफेट

Buffet

वैसे साफ कर दें कि बर्कशायर के कई कारोबारों में निवेश पास जितना भी कैश है, वह सब का सब 'उपलब्‍ध' नहीं है। दरअसल, कंपनी को अपने पास कम से कम 20 बिलियन डॉलर की रकम रखनी ही है ताकि बर्कशायर की इंश्योरेंस कंपनियां इस पैसे को किसी बड़े क्लेम या किसी और जरूरत के समय इस्तेमाल कर सकें। ओमाहा की यूनिवर्सिटी में प्रफेसर जॉर्ज मॉर्गेन का कहना है, 'यह कहना मुश्किल है वॉरेन किस के मौके इंतजार में हैं। हम केवल वॉरेन के अगले कदम का इंतजार कर सकते हैं।'

वॉरेन क्या खरीदने जा रहे हैं, इसके बारे में ज्यादा बात नहीं करते। जिन कंपनियों के साथ डील की बातचीत रद्द करते हैं, उनके बारे में भी वह बात नहीं करते। बावजूद इसके निवेशक उनकी अगली खरीद को लेकर कयास लगाने में जुटे हुए हैं। मोर्गन को लगता है कि वह मार्स कैंडी खरीद सकते हैं यदि वे लोग इसे बेचना चाहें तो। कुछ निवेशकों को लगता है कि वह अपनी यूटिलिटी यूनिट का कई कारोबारों में निवेश विस्तार कर सकते हैं।

बर्कशायर ने 2013 में 5.6 बिलियन डॉलर नेवेडा एनवी एनर्जी खरीदने में खर्चे थे। बफेट कह चुके हैं कि वह 3जी कैपिटल के साथ फिर से काम कर सकते हैं। इन दोनों ने मिलकर क्राफ्ट फूड्स और हेंज खरीदी थीं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों के बीच ऐसी कोई डील आगे कब होगी। हाल फिलहाल ब्याज कई कारोबारों में निवेश दरों को लेकर जो माहौल कायम है उसमें बर्कशायर अपने पास इकट्ठा नकदी से ज्यादा ब्याज नहीं कमा पा रहा है।

गौरतलब है कि 2008 की मंदी के समय बफेट ने गोल्डमैन सैक्स, जनरल इलेक्ट्रॉनिक, हर्ली डेविडसन और कई अन्य को तगड़ी ब्याज दरों पर अरबों डॉलर की वित्तीय 'मदद' की पेशकश की थी। वैसे जब तक उन्हें कोई शानदार टारगेट नहीं मिल जाता और जो करते आ रहे हैं, वही करते रहेंगे यानी कि कभी कभार फोन कॉल ले लेना, ज्यादा बिजनस रिपोर्ट्स पढ़ना।

Business Idea : 2 लाख रुपये का निवेश और हर महीने 1 लाख रुपये की कमाई, जानें कैसे करना है पापड़ का बिजनेस

पापड़ के बिजनेस के लिए आपको 4 लाख रुपये का लोन मुद्रा योजना के तहत मिल सकता है.

पापड़ के बिजनेस के लिए आपको 4 लाख रुपये का लोन मुद्रा योजना के तहत मिल सकता है.

अगर आप कोई लघु कारोबार करने की योजना बना रहे हैं तो पापड़ का बिजनेस आपके लिए एकदम सही साबित हो सकता है. इसके लिए आपको स . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : कई कारोबारों में निवेश July 30, 2022, 11:26 IST

हाइलाइट्स

पापड़ के बिजनेस के लिए आपको आसानी से लोन मिल जाएगा.
इसके लिए आपको बहुत बड़ी जगह या बहुत अधिक लोगों की आवश्यकता नहीं है.
आपको खुद से केवल 2 लाख रुपये निवेश करने होंगे.

नई दिल्ली. कोविड-19 के समय में लोगों को अपनी नौकरी की अनिश्चचितता का आभास हुआ. आय का स्रोत बंद होने के कारण उन्हें कई परेशानियां झेलनी पड़ी. इसी अनिश्चितता से बचने के लिए लोगों ने कई लघु कारोबारों की ओर अपना रुख किया और अच्छी कमाई की. ऐसा ही एक लघु कारोबार है पापड़ का बिजनेस. इसे आप आराम से कम लागत में शुरू कर सकते हैं. भारतीय लोग खाने-पीने के शौकीन होते हैं और पापड़ तो खासतौर पर घरों में बेहद पसंद किया जाता है.

ऐसे में इसकी मांग सालों-साल बनी रहती है. इसमें कम लागत के साथ आप जबरदस्त मुनाफा बना सकते हैं. भारत सरकार के नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (एनएसआईसी) ने इसके लिए एक प्रोजेक्ट भी तैयार किया है. पापड़ के बिजनेस के लिए आपको सरकार की ओर से सस्ते रेट पर लोन भी मिलता है. आज हम आपको इस बिजनेस के बारे में सारी जानकारी देंगे.

कितना होगा निवेश?
पापड़ के बिजनेस में शुरुआती निवेश 6 लाख रुपये का होगा जिससे आपके पास 30,000 किलो की प्रोडक्शन क्षमता तैयार कई कारोबारों में निवेश हो जाएगी. इतनी क्षमता के लिए आपको केवल 250 वर्गमीटर की जगह की जरूरत पड़ेगी. बता दें कि इस खर्च में आपकी स्थाई पूंजी और वर्किंग कैपिटल दोनो शामिल हैं. स्थाई कई कारोबारों में निवेश पूंजी निवेश में आपके मशीनें और अन्य इक्विपमेंट आएंगे. वहीं, वर्किंग कैपिटल में 3 महीने की सैलरी, इतने ही दिन तक लगने वाला कच्चा माल और यूटिलिटी प्रोडक्ट का खर्च शामिल है. साथ ही अगर जगह आप रेंट कर रहे हैं तो किराया, बिजली व पानी आदि का बिल भी इसमें शामिल होगा.

किन चीजों की जरूरत
अगर आप पापड़ का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आपको खाली जगह के अलावा 3 लेबर (अकुशल भी हो सकते हैं), 2 कुशल लेबर और एक सुपरवाइजर की जरूरत होगी. जैसा कि हमने शुरू में बताया कि इसके लिए आपको लोन मिल सकता है. केंद्र की मुद्रा योजना के तहत आपको 4 लाख रुपये का लोन मिल जाएगा और आपको केवल 2 लाख रुपये का निवेश अपने पास से करना होगा. यह लोन आपको किसी भी बैंक से मिल जाएगा और इसे 5 साल तक लौटाया जा सकता है.

कितनी होगी आय
पापड़ तैयार कर आप इसे थोक बाजार में बेच सकते हैं. वरना आप खुले में खुदरा दुकानदारों, सुपरमार्केट आदि में भी इसे सप्लाई कर सकते हैं. जानकारों की मानें तो 6 लाख का निवेश कर आप हर महीने 1 लाख रुपये कमा सकते हैं. इसमें अगर खर्च को हटा दिया जाए तो आपको 35-40 हजार का शुद्ध मुनाफा हर महीने मिल सकता है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में कई कारोबारों में निवेश सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

पीयूष गोयल बोले- भारत निवेश का है भंडार. इस स्थल को आप नहीं छोड़ सकते, अरबों आकांक्षाओं का बाजार

पीयूष गोयल बोले- भारत निवेश का है भंडार. इस स्थल को आप नहीं छोड़ सकते, अरबों आकांक्षाओं का बाजार

देश के वाणिज्य एंव अघोग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को भारत को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच कई कई कारोबारों में निवेश सालों से गहरे संबध स्थापित हो चुके है और दोनों देशो के शीर्ष नेताओं ने कई बार द्वपक्षीय वार्तालाप करके एक मिसाल साबित की थी । हालांकि, गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका के पारस्परिक हितों के क्षेत्रों में सहयोग और सरोकार के लिए उपयुक्त समय है।

श्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों के प्रदर्शन और लचीलेपन को सराहा, साथ ही उन्होने कहा कि अधिकांश क्षेत्रों में निर्यात की भरपूर संभावनाएं हैं .

अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी फोरम (यूएसआईएसपीएफ) को संबोधित करते हुए उद्योग मंत्री ने कहा, ‘‘भारत-अमेरिकी संबंध से अनेक प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सकते हैं। हमारी आपूर्ति श्रृंखला का जुझारुपन, अमेरिका को भारत ने जिस प्रकार की प्रतिभाएं दी हैं और अमेरिका ने भारत को जो निवेश दिए हैं, ये सब कारोबार की दृष्टि से बहुत अच्छा है।’’

गोयल ने कहा कि भारत सर्वश्रेष्ठ निवेश अवसर देता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस स्थल को आप छोड़ नहीं सकते। यह अरबों आकांक्षाओं का बाजार है।’’यहां अमेरिका और भारत के उद्योग जगत के अगुआओं को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि दोनों देश वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता और जुझारू आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा दे सकते हैं।अमेरिका के कारोबारों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित करते हुए मंत्री ने कहा कि ‘‘परस्पर हितों के क्षेत्रों में हम सबके के सहयोग के लिए यह समय उपयुक्त है।’’

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